हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
LiveLaw News Network
22 Sept 2020 2:39 PM IST
14 सितंबर 2020 से 18 सितंबर 2020 तक हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र.....
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया दिल्ली के स्कूलों को निर्देश, ऑनलाइन कक्षाओं के लिए ईडब्ल्यूएस के छात्रों को पर्याप्त गैजेट और इंटरनेट पैकेज प्रदान करे
दिल्ली हाईकोर्ट ने निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों और सरकारी स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) और अन्य वंचित समूहों (डीजी) के छात्रों को पर्याप्त गैजेट और इंटरनेट पैकेज प्रदान करें ताकि उनकी वर्चुअल कक्षाओं तक पहुंच संभव हो सकें। इस समय COVID19 लॉकडाउन के कारण स्कूल ऑनलाइन कक्षाओं के जरिए ही छात्रों को पढ़ा रहे हैं।हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
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कंप्यूटर साइंस के नंबरों को भी बीएससी (ऑनर्स) फिजिक्स और संबंधित विषयों में प्रवेश के लिए विचार किया जाना चाहिएः दिल्ली हाईकोर्ट:
दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला किया कि बीएससी (ऑनर्स) फिजिक्स और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए योग्यता की गणना के लिए कंप्यूटर साइंस को विषय के रूप में को शामिल नहीं करना तर्कपूर्ण नहीं है। न्यायालय ने हालांकि यह स्वीकार किया कि प्रवेश के लिए मापदंड में बदलाव वर्तमान शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के लिए उपयुक्त नहीं होगा क्योंकि प्रवेश की प्रक्रिया पहले से ही चल रही है।
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(COVID-19 के बीच स्कूल फीस में छूट) गुजरात हाईकोर्ट ने सरकार से कहा-'उचित और संतुलित निर्णय लें':
गुजरात उच्च न्यायालय ने शुक्रवार (18 सितंबर) को COVID-19 महामारी के बीच स्कूलों के बंद होने की अवधि के दौरान ट्यूशन फीस और स्व-वित्तपोषित स्कूलों के अन्य शुल्क के लिए उचित आदेश पारित करने की मांग करने वाले एक आवेदन पर विचार करने से इंकार कर दिया।
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COVID-19 मृतकों को अनुच्छेद 21 और 25 के तहत धर्म अनुसार अंतिम संस्कार का अधिकार, कलकत्ता हाईकोर्ट ने जारी किए दिशानिर्देश:
यह कहते हुए कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 में उचित अंतिम संस्कार के अधिकार को ढूंढ़ा जा सकता है, कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाया कि COVID-19 पीड़ितों के परिजनों को मृतक व्यक्ति के अंतिम संस्कार की अनुमति दी जाए। उन्हें घातक वायरस, जिससे दुनिया भर में अनगिनत लोगों की जान चली गई, से संक्रमित होने के जोखिम को खत्म करने/ कम करने के लिए कुछ एहतियाती दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए। न्यायालय का दृढ़ मत था कि मृत व्यक्ति के परिजनों द्वारा उसके अंतिम संस्कार का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत मौलिक अधिकार है।
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वकील के COVID-19 पॉजिटिव पाए जाने के बाद मणिपुर HC 21 सितंबर तक बंद:
मणिपुर के उच्च न्यायालय ने न्यायालय परिसर के भीतर एक COVID-19 मामले का पता लगाने के बाद 21 सितंबर तक अदालत मेंं सामान्य कामकाज निलंबित कर दिया है। उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार ने गुरुवार (17 सितंबर) को जारी अधिसूचना में उल्लेख किया है कि उक्त अवधि (21 सितंबर तक) के लिए कोई काज़ लिस्ट प्रकाशित नहीं की जाएगी।
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SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम CrPC की धारा 439 के तहत आत्मसमर्पण करने और साथ ही अंतरिम जमानत लेने पर प्रतिबंध नहीं लगाता - हिमाचल हाईकोर्ट:
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने माना है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत एक अभियुक्त, दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 439 का सहारा लेता है और सत्र न्यायालय या उच्च न्यायालय के समक्ष आत्मसमर्पण करता है और साथ ही अंतरिम जमानत प्राप्त कर लेता है तो ये अधिनियम की धारा 18 और 18-ए में लगाए गए प्रतिबंधों को दरकिनार करना नहीं है।
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(बीफ मामला) : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ ट्विटर पोस्ट के लिए कार्रवाई करने की मांग वाली याचिका खारिज की :
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने गुरुवार (17 सितंबर) को बॉलीवुड अभिनेत्री, कंगना रनौत के खिलाफ सोशल मीडिया (ट्विटर) पर एक पोस्ट डालने के मामले में कार्रवाई की मांग करते हुए दायर याचिका को खारिज कर दिया है। इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि कंगना ने कथित रूप से ''गोमांस की खपत को बढ़ावा'' दिया है। न्यायमूर्ति मनोज बजाज की एकल पीठ ने कहा कि- ''कथित (सोशल-मीडिया) पोस्ट को देखने के बाद प्रथम दृष्टया यह नहीं कहा जा सकता है कि यह पोस्ट किसी भी रूप में आईपीसी की धारा 295-ए के तहत दंडनीय अपराध के समान है। इसके विपरीत, यह पोस्ट पर्सन या व्यक्ति को शाकाहारी के रूप में वर्णित करती है, इसलिए यह बिल्कुल भी नहीं कहा जा सकता है कि यह पोस्ट सलाह के माध्यम से गोमांस की खपत को बढ़ावा देती है।''
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वेतन भुगतान के लिए हाईकोर्ट पहुंचे दिल्ली कॉलेज के प्रोफेसर, सरकार को दिशा-निर्देश देने की मांग की:
वेतन भुगतान के लिए हाईकोर्ट पहुंचे दिल्ली कॉलेज के प्रोफेसर, सरकार को दिशा-निर्देश देने की मांग की: दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज के प्रोफेसरों ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है और दिल्ली सरकार को उनके वेतन और अन्य मेहतानों का भुगतान करने के लिए निर्देश जारी करने की मांग की है। सहायक प्रोफेसरों, एसोसिएट प्रोफेसरों और कॉलेज के प्रोफेसरों द्वारा दायर की गई याचिका में दावा किया गया है कि मई 2020 से वेतन, पेंशन, चिकित्सा बिलों का नकदीकरण, सेवानिवृत्ति के लाभ और परित्याग का भुगतान नहीं किया गया है।
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सुदर्शन न्यूज टीवी ने अपने शो "बिंदास बोल" के खिलाफ सुनवाई का सीधा प्रसारण करने के लिए SC में अर्जी दायर की:
सुदर्शन न्यूज टीवी ने अपने विवादास्पद शो "बिंदास बोल" के खिलाफ मामले में सुनवाई का सीधा प्रसारण करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दायर की है। इस शो के प्रसारण पर सुप्रीम कोर्ट ने ये कहते हुए प्रतिबंध लगा दिया है कि पहली नजर में ये शो मुसलमानों को कलंकित करता है। दलीलों में कहा गया है कि सुदर्शन न्यूज टीवी के करोड़ों दर्शक सुप्रीम कोर्ट में कानूनी कार्यवाही देखना चाहते हैं और पक्षकारों द्वारा दिए गए कानूनी तर्कों को सुनना चाहते हैं। आवेदन में ऑडियो विजुअल ब्रॉडकास्टिंग/टेलीकास्टिंग के माध्यम से कार्यवाही का सीधा प्रसारण एक आधिकारिक एजेंसी द्वारा सार्वभौमिक रूप से करने की मांग की गई है।
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कोई भी अस्पताल COVID के मरीजों के लिए बेड उपलब्ध होने पर रोगी को भर्ती करने से मना नहीं कर सकता है- कलकत्ता हाईकोर्ट:
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार (16 सितंबर) को कहा कि कोई भी अस्पताल किसी COVID-19 रोगी को भर्ती करने से मना नहीं कर सकता है, यदि ऐसे रोगियों के लिए बिस्तर उपलब्ध हैं और यह चिकित्सा नैतिकता के मूल सिद्धांतों में से एक है। मुख्य न्यायाधीश थोथाथिल बी. राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति अरिजीत बैनर्जी की खंडपीठ ने आगे कहा, "एक अस्पताल की प्राथमिक जिम्मेदारी, चाहे वह सरकारी हो या निजी, उन लोगों के स्वास्थ्य की देखभाल करनी है, जिन्हें इसकी आवश्यकता है।"
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बैक फुट पर खेलना बंद करें; COVID से हुई मृत्यु के डाटा को छुपाना सार्वजनिक हित में नहीं,' गुजरात HC ने सरकार को सलाह दी:
हाल ही में, गुजरात उच्च न्यायालय ने गुजरात राज्य में COVID की स्थिति का स्वतः संज्ञान लेते हुए कहा कि यह अफ़सोस की बात है कि हालाँकि राज्य सरकार द्वारा COVID की स्थिति से निपटने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे थे, फिर भी, दुर्भाग्य से, बड़े पैमाने पर लोग सहयोग नहीं कर रहे थे। मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की डिवीजन बेंच ने यह पाया कि, "एक उच्च न्यायालय के रूप में, मौजूदा स्थिति में जो कुछ भी करने की उम्मीद की जा रही है वह किया जा रहा है, लेकिन दुर्भाग्य से, अदालत जो कह रही है, लोग उसपर ध्यान नहीं दे रहे हैं। इस समय, अब हमारे पास केवल एक ही चीज़ बची है और वह यह है कि बड़े पैमाने पर लोगों से अनुरोध किया जाए कि वे अधिकारियों के साथ सहयोग करें और निर्धारित मानदंडों और प्रोटोकॉल का पालन करें और, विशेष रूप से, व्यक्तिगत रूप से अपना ख्याल रखें।"
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CLAT 2020: दिल्ली हाईकोर्ट ने घर पर आधारित परीक्षा कराने से इनकार किया:
दिल्ली हाईकोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है,जिसमें CLAT 2020 के लिए घर पर आधारित परीक्षा करवाए जाने की मांग की थी। याचिका को खारिज करते हुए, न्यायमूर्ति जयंत नाथ की एकल पीठ ने कहा कि लगभग 78,000 उम्मीदवारों के लिए घर पर आधारित परीक्षा करवाना उपयुक्त नहीं हो सकता हैं। अदालत ने आगे यह भी कहा कि उम्मीदवारों /कोचिंग सेंटरों द्वारा परीक्षा में छेड़छाड़ किए जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
अन्य राज्यों में ऑक्सीजन सप्लाई को सीमित करने वाली महाराष्ट्र सरकार की अधिसूचना को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य के अस्पतालों को दी राहत:
Home/मुख्य सुर्खियां/अन्य राज्यों में... मुख्य सुर्खियां अन्य राज्यों में ऑक्सीजन सप्लाई को सीमित करने वाली महाराष्ट्र सरकार की अधिसूचना को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य के अस्पतालों को दी राहत SPARSH UPADHYAY16 Sep 2020 5:11 PM 1 SHARES मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने महाराष्ट्र सरकार की उस अधिसूचना के सम्बन्ध में याचिकाकर्ता को राहत प्रदान की, जिस अधिसूचना के अंतर्गत महाराष्ट्र सरकार द्वारा यह निर्देश जारी किया गया था कि महाराष्ट्र राज्य में विनिर्माण इकाइयों द्वारा ऑक्सीजन के उत्पादन के 80% की आपूर्ति महाराष्ट्र राज्य के अस्पताल में की जाए। न्यायमूर्ति एस. सी. शर्मा एवं न्यायमूर्ति शैलेन्द्र शुक्ला द्वारा अंतरिम राहत के माध्यम से, प्रतिवादी No.3 मेसर्स आईनोक्स एयर प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड को याचिकाकर्ता अस्पताल सहित मध्य प्रदेश राज्य को तरल चिकित्सा ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति जारी रखने के लिए निर्देशित किया गया, बिना महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी सर्कुलर दिनांक 07-09-2020 से प्रभावित होते हुए।
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामलाः लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत 30 सितंबर को सुनाएगी फैसला:
लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत 30 सितंबर को बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में फैसला सुनाएगी। मामले के प्रमुख भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, कल्याण सिंह, उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी आदि मुख्य आरोपी हैं। विशेष जज सुरेन्द्र कुमार यादव ने अभियुक्तों को फैसला सुनाने के लिए 30 सितंबर को अदालत में उपस्थित होने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को 19 अगस्त, 2020 को आखिरी एक्सटेंशन दिया था। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कई बार मुकदमे को पूरा करने की समय सीमा बढ़ाई थी।
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अभियुक्त संभोग करने में अक्षम है', मध्यप्रदेश HC ने मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर बलात्कार के आरोपी को ज़मानत दी:
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक व्यक्ति को उसकी मेडिकल रिपोर्ट पर विचार करने के बाद जमानत दे दी कि वह चिकित्सकीय रूप से संभोग करने के लिए सक्षम नहीं है। न्यायमूर्ति विजय कुमार शुक्ला की एकल पीठ धारा 376(2)(j), 376(2)(i), 376(2)(n) आईपीसी एवं धारा 5/6 पोक्सो एक्ट के तहत दंडनीय अपराध के लिए दर्ज एफआईआर के संबंध में एक आवेदक-अभियुक्त की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। यह आरोप लगाया गया कि आवेदक ने 13-15 साल के बच्चे का यौन शोषण किया था, जो मानसिक रूप से अक्षम है। राज्य के वकील ने कहा कि अभियोजन पक्ष की मां के बयान के अनुसार, आवेदक ने उसका यौन उत्पीड़न किया था।
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इलाहाबाद एचसी ने मामूली खर्च पर मध्ययम वर्ग को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए वेबसाइट लॉन्च की:
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गुरुवार को मध्यम आय समूहों को मामूली शुल्क और खर्च पर कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए आधिकारिक वेबसाइट लॉन्च की। वेबसाइट "इलाहाबाद उच्च न्यायालय मध्य आय समूह कानूनी सहायता सोसाइटी" के नाम से बनाई गई है। जिन व्यक्तियों की कुल आय प्रति वर्ष 6,00,000/- और 12,00,000 /- रूपये के बीच है। वे सभी सिविल, आपराधिक, राजस्व और कॉर्पोरेट मामलों पर सोसायटी द्वारा पेश की जा रही सलाहकार सेवाओं के साथ-साथ सलाहकार का लाभ उठाने के हकदार हैं।
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कॉलेज स्थापित हैं, शुल्क/पूंजीकरण शुल्क छात्रों से एकत्र किया जाता है और फिर कोई शिक्षण नहीं होता है;
यह खेदजनक स्थिति है: मध्य प्रदेश HC ने बैंक गारंटी के नकदीकरण के लिए MCI को अनुमति दी: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने गुरुवार (10 सितंबर) को एक कॉलेज के मामले को गंभीरता से लिया, जिसमें कॉलेज द्वारा छात्रों से फीस वसूली गई थी, लेकिन याचिकाकर्ता संस्थान द्वारा स्थापित मेडिकल कॉलेज में कोई शिक्षण कार्य नहीं हुआ। न्यायमूर्ति एस. सी. शर्मा की एकल पीठ ने देखा, "वर्तमान मामला चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में प्रचलित मामलों की बहुत खेदजनक स्थिति को दर्शाता है। कॉलेज स्थापित हैं, शुल्क / पूंजीकरण शुल्क छात्रों से एकत्र किया जाता है और फिर कोई शिक्षण नहीं होता है।"
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बॉलीवुड अभिनेत्री रकुल प्रीत सिंह की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कहाः
मीडिया को रिपोर्टिंग करते हुए संयम बरतना चाहिए और प्रोग्राम कोड का पालन करना चाहिए:दिल्ली उच्च न्यायालय ने मीडिया चैनलों को अपनी रिपोर्टिंग में संयम बरतने और प्रोग्राम कोड और अन्य दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए वैधानिक और आत्म-विनियामक दोनों का पालन करने का निर्देश दिया है। यह आदेश बॉलीवुड अभिनेता रकुल प्रीत सिंह द्वारा उनके खिलाफ कथित रूप से मानहानि और दुर्भावनापूर्ण अभियान के प्रसारण के खिलाफ दायर एक याचिका में आया है। नोटिस जारी करते हुए न्यायमूर्ति नवीन चावला की एकल पीठ ने न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन को निर्देश दिया कि वह वर्तमान याचिका को एक प्रतिनिधित्व के रूप में विचार करे और निवारण की प्रक्रिया में तेजी लाए।
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सह-अभियुक्त को बचाने का प्रयास करने और नाबालिग बलात्कार पीड़िता की उम्र से छेड़छाड़ करने के मामले मेंं राजस्थान हाईकोर्ट ने जांच अधिकारी को निलंबित करने और विभागीय जांच शुरू का निर्देश दिया:
राजस्थान हाईकोर्ट ने पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया है कि वह नाबालिग से बलात्कार करने के मामले की ठीक से जांच न करने वाले संबंधित जांच अधिकारी को तुरंत निलंबित करें। साथ ही इस अधिकारी को कड़ा दंड देने के लिए उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू की जाए। न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा ने इस मामले में दायर जमानत याचिका पर विचार करते है
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CLAT 2020: दिल्ली हाईकोर्ट ने घर पर आधारित परीक्षा कराने से इनकार किया:
दिल्ली हाईकोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है,जिसमें CLAT 2020 के लिए घर पर आधारित परीक्षा करवाए जाने की मांग की थी। याचिका को खारिज करते हुए, न्यायमूर्ति जयंत नाथ की एकल पीठ ने कहा कि लगभग 78,000 उम्मीदवारों के लिए घर पर आधारित परीक्षा करवाना उपयुक्त नहीं हो सकता हैं। अदालत ने आगे यह भी कहा कि उम्मीदवारों /कोचिंग सेंटरों द्वारा परीक्षा में छेड़छाड़ किए जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
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अभियुक्त संभोग करने में अक्षम है', मध्यप्रदेश HC ने मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर बलात्कार के आरोपी को ज़मानत दी:
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक व्यक्ति को उसकी मेडिकल रिपोर्ट पर विचार करने के बाद जमानत दे दी कि वह चिकित्सकीय रूप से संभोग करने के लिए सक्षम नहीं है। न्यायमूर्ति विजय कुमार शुक्ला की एकल पीठ धारा 376(2)(j), 376(2)(i), 376(2)(n) आईपीसी एवं धारा 5/6 पोक्सो एक्ट के तहत दंडनीय अपराध के लिए दर्ज एफआईआर के संबंध में एक आवेदक-अभियुक्त की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। यह आरोप लगाया गया कि आवेदक ने 13-15 साल के बच्चे का यौन शोषण किया था, जो मानसिक रूप से अक्षम है। राज्य के वकील ने कहा कि अभियोजन पक्ष की मां के बयान के अनुसार, आवेदक ने उसका यौन उत्पीड़न किया था।
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आरोपियों ने कई लोगों के नाम बताए हैं, अगर ज़मानत पर रिहा किया तो सबूत नष्ट हो जाएंगे':
सत्र न्यायालय ने रिया और शोविक की ज़मानत अर्जी इसलिए खारिज की: रिया चक्रवर्ती और शोविक चक्रवर्ती, दोनों की जमानत खारिज करते हुए सत्र न्यायालय ने पिछले शुक्रवार को तर्क दिया था कि दोनों आरोपियों ने कुछ व्यक्तियों के नामों का खुलासा किया है और इन व्यक्तियों के संबंध में जांच चल रही है। इसलिए अगर इन दोनों (चक्रवर्ती ) को जमानत पर रिहा कर देते हैं, तो ये उन लोगों को सतर्क कर देंगे और सबूत नष्ट कर दिए जाएंगे। एडवोकेट सतीश मानशिंदे के जरिए शोविक और रिया की तरफ से दायर जमानत अर्जियों पर जज जीबी गुरू ने सुनवाई की थी। दोनों भाई-बहन पर अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के लिए ड्रग्स खरीदने का आरोप है, जो 14 जुलाई को अपने अपार्टमेंट में मृत पाया गया था।
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[आरटीआई के तहत जानकारी देने से इनकार ] 'आरटीआई एक्ट के तहत अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करें जिसने एक निर्दयी व्यक्ति के रूप में काम किया-गुजरात हाई कोर्ट:
गुजरात उच्च न्यायालय ने गुरुवार (10 सितंबर) को राज्य सूचना आयुक्त को निर्देश दिया की सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 20 के तहत ममलाटदार पर कार्यवाही शुरू किया जाए। "ममलाटदार ने निर्दयी तरीके से काम किया, जिसके परिणामस्वरूप याचिकाकर्ता को सूचना के अधिकार के अधिकार से वंचित किया गया"। न्यायमूर्ति ए वाई कोगजे की खंडपीठ ने कहा, "न्यायालय का विचार है कि यह एक सटीक मामला है, जहां सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 20 के तहत कार्यवाही, राज्य सूचना आयुक्त द्वारा पारित आदेश का अनुपालन नहीं करने के साथ-साथ आकस्मिक तरीके से शुरू करने की आवश्यकता है। जिसमें सूचना के अधिकार के तहत सूचना के अधिकार की मांग करने वाले याचिकाकर्ता के आवेदन से निपटा गया है। " (जोर दिया गया)
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पति की मृत्यु के बाद, ससुर को विरासत में मिली संपत्ति से भरण-पोषण का दावा करने का महिला को पूरा अधिकार:
बॉम्बे हाईकोर्ट: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि पति की मृत्यु के बाद, एक महिला को ससुर द्वारा विरासत में प्राप्त संपत्ति से भरण-पोषण का दावा करने का पूरा अधिकार है। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी एक व्यक्ति द्वारा दायर रिट याचिका की सुनवाई में की। याचिका में फैमिली कोर्ट, बांद्रा द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें कोर्ट ने व्यक्ति को अपनी विधवा बहू और पोते को अंतरिम भरण-पोषण प्रदान करने का आदेश दिया था। जस्टिस नितिन डब्ल्यू सैमब्रे ने कहा कि हिंदू दत्तक और भरण-पोषण अधिनियम, 1956 की धारा 19 के अनुसार, याचिकाकर्ता के बेटे की विधवा को अपने ससुर, यानी याचिकाकर्ता को विरासत में मिली संपत्ति से भरण-पोषण का दावा करने का पूरा अधिकार है।
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''बलात्कार सिर्फ ज़बरदस्ती संभोग नहीं है, इसका मतलब सब कुछ नष्ट हो जाना है''; बाॅम्बे हाईकोर्ट ने POCSO के तहत आरोपी शादीशुदा व्यक्ति को ज़मानत देने से इनकार किया:
बॉम्बे हाई कोर्ट ने पिछले हफ्ते एक 17 वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार के आरोपी व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया। पीड़िता आरोपी के बिजनेस पार्टनर की बेटी थी। इस तथ्य को देखते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि, ''बलात्कार सिर्फ ज़बरदस्ती संभोग नहीं है, इसका मतलब बस जाना और सब कुछ नष्ट करना है।'' न्यायमूर्ति भारती डांगरे इस मामले में 34 वर्षीय अमित पाटिल की तरफ से दायर जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उसके खिलाफ अभिरुचि पुलिस स्टेशन, सिंहगढ़ रोड, पुणे में आईपीसी की धारा 376, 354-डी व 506 के तहत पीड़ित लड़की की शिकायत पर मुकदमा दर्ज किया गया था। चूंकि पीड़िता नाबालिग थी, इसलिए पाॅक्सो अधिनियम (Protection of Children from the Sexual Offences Act, 2012) की धारा 3, 4, 11 और 12 के प्रावधानों के तहत भी केस बनाया गया था।
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याचिकाकर्ता जेल में है क्योंकि वह गरीब है; उसे स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता: उत्तराखण्ड HC ने ज़मानत की राशि कम की:
Home/मुख्य सुर्खियां/याचिकाकर्ता जेल में है ... मुख्य सुर्खियां याचिकाकर्ता जेल में है क्योंकि वह गरीब है; उसे स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता: उत्तराखण्ड HC ने ज़मानत की राशि कम की SPARSH UPADHYAY15 Sep 2020 1:28 PM 30 SHARES एक "गरीब व्यक्ति" की जमानत की राशि को कम करते हुए, उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने गुरुवार (10 सितंबर) को कहा कि याचिकाकर्ता को उसकी स्वतंत्रता वापस नहीं मिल सकी क्योंकि वह ज़मानत की व्यवस्था नहीं कर सका। न्यायमूर्ति रवींद्र मैथानी की एकल पीठ ने आगे टिप्पणी की, ""तत्काल मामले में याचिकाकर्ता जेल में है क्योंकि वह गरीब है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है, ऐसा नहीं होना चाहिए और यह न्यायालय ऐसा नहीं होने देगा।"
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[हिंदी दिवस - 14 सितंबर] मध्य प्रदेश की इंदौर पीठ ने हिंदी में कई आदेश/निर्णय पारित किए:
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (इंदौर पीठ) ने सोमवार (14 सितंबर) को कई मामलों की सुनवाई की और अंग्रेजी के बजाय हिंदी में आदेश दिए, जिससे हिंदी दिवस की महत्वता को चिह्नित किया जा सके। मध्य-प्रदेश के जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि हाईकोर्ट की इंदौर पीठ के जस्टिस एस. सी. शर्मा, जस्टिस वीरेंद्र सिंह और जस्टिस एस. के. अवस्थी ने हिंदी में कई मामलों की सुनवाई की और अपने फैसले या अन्य आदेश, उसी भाषा में पारित किए।
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दिल्ली कोर्ट ने दिल्ली दंगों के मामले में उमर खालिद को 10 दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेजा:
दिल्ली कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली दंगों के पीछे कथित साजिश के सिलसिले में जेएनयू छात्र उमर खालिद को दस दिनों के लिए दिल्ली पुलिस की हिरासत में भेज दिया। खालिद को आज रात 1 बजे के आसपास गिरफ्तार किया गया था। दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद को 40GB से अधिक के टेक डेटा के इस्तेमाल के संबंध में "दिल्ली के दंगों के पीछे गहरी साजिश" का पता लगाने के लिए 10 दिनों की पुलिस हिरासत की मांग की थी। पुलिस ने आरोप लगाया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की यात्रा के दौरान दिल्ली में सड़कों और सार्वजनिक स्थानों को अवरुद्ध करने के लिए विभिन्न मुस्लिम अल्पसंख्यक समूहों से अपील करने के लिए खालिद ने कई समूहों के साथ मिलकर एक साजिश रची थी, ताकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह दुष्प्रचार हो सके कि भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय को प्रताड़ित किया जा रहा है।
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हमारी संस्कृति और कानून समलैंगिक विवाह की अवधारणा को मान्यता नहीं देते - केंद्र ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा:
केंद्र ने सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष दायर उस याचिका का विरोध किया है, जिसमें हिंदू विवाह अधिनियम, 1956 के तहत विवाह करने वाले सेम-सैक्स कपल (समलैंगिक जोड़ों) के अधिकारों को मान्यता देने की मांग की गई है। यूनियन ऑफ इंडिया की तरफ से पेश होते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रस्तुत किया कि समलैंगिक विवाह या सेम-सैक्स मैरिज की अवधारणा को भारतीय संस्कृति या भारतीय कानून के तहत मान्यता प्राप्त नहीं है।
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संज्ञेय अपराध का गठन करने के लिए किसी भौतिक आरोप की मौजूदगी बिना अपराध का पंजीकरण 'निकृष्ट तंत्र' की धारणा को जन्म देगा, अराजकता पैदा हो सकती है -आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट:
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि संज्ञेय अपराध का गठन करने के लिए किसी भी भौतिक आरोप की मौजूदगी बिना अपराध का पंजीकरण, और जांच की आड़ में जनता को परेशान करने से अराजकता पैदा हो सकती है। जस्टिस एम सत्यनारायण मूर्ति ने कहा कि पुलिस विभाग के ऐसे कार्यों से धारणा बनती है कि लोग "निकृष्ट तंत्र" में रह रहे हैं, जबकि वे एक लोकतंत्र में रह रहे हैं। उन्होंने टिप्पणी की कि इससे कानून के बारे में न्यूनतम ज्ञान की कमी भी दिखती है, यह धारणा बनती है कि विभाग ऐसे अधिकारी द्वारा संचालित किया जाता है, जिस पर किसी प्रकार का प्रशासनिक नियंत्रण नहीं है।
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CLAT के पांच उम्मीदवारों ने झारखंड HC के NLSIU बैंगलौर के NLAT के खिलाफ याचिका को खारिज करने के फैसले को SC में चुनौती दी:
CLAT के पांच उम्मीदवारों ने झारखंड उच्च न्यायालय के नेशनल लॉ स्कूल ऑफ़ इंडिया यूनिवर्सिटी (NLSIU), बैंगलोर के कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट ( CLAT) 2020 से अलग होकर नेशनल लॉ एडमिशन टेस्ट (NLAT) 2020 परीक्षा आयोजित करने के फैसले को चुनौती देने वाली रिट याचिका को खारिज करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। "वर्तमान मामले में अखिल भारतीय प्रभाव है और याचिकाकर्ता एक मजबूत आधार बनाने में विफल रहे हैं, ताकि इस न्यायालय के असाधारण अधिकार क्षेत्र को लागू किया जा सके जो अन्यथा प्रकृति में पूर्ण है।
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NEET परीक्षा पर फैसला सुनाने वाले जजों पर टिप्पणी करने वाले तमिल एक्टर सूर्या के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट के जज ने की कार्रवाई की मांग:
मद्रास हाईकोर्ट के जज जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम ने HC के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखा, जिसमें COVID-19 महामारी के बीच NEET परीक्षा कराए जाने पर फैसले देने वाले जजों पर टिप्पणी करने के चलते तमिल एक्टर सूर्या के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्रवाई शुरू करने की मांग की गई है। मीडिया को दिए एक बयान में सूर्या ने कथित तौर पर टिप्पणी की थी कि जब न्यायाधीश खुद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यवाही कर रहे हैं, तो वे कैसे छात्रों को बिना किसी डर के NEET परीक्षा में बैठने के लिए कह रहे हैं।
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ट्रायल कोर्ट को POCSO, रेप, नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, PMLA आदि मामलों में ट्रायल शुरू करना चाहिए/जारी रखना चाहिए- कलकत्ता हाईकोर्ट:
कलकत्ता हाईकोर्ट ने मुकदमों की कार्यवाही में प्रगति न होने पर चिंता प्रकट की है, विशेष रूप से उन मामलों में, जिनमें एक या अधिक अभियुक्त लंबे समय से हिरासत में हैं। कोर्ट ने कहा है कि ऐसी स्थिति वांछनीय नहीं है। गुरुवार को जस्टिस जॉयमाल्या बागची और सुव्रा घोष की खंडपीठ ने ट्रायल अदालतों को निर्देश दिया कि निम्न मामलों में COVID19 के मद्देनजर जारी किए गए सुरक्षा उपायों और सामाजिक दूरी का अनुपालन करते हुए, जैसा वे उचित मान सकते हैं, फिजिकल मोड या हाइब्रिड/वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग मोड के जरिए ट्रायल की कार्यवाही शुरू करें/जारी रखें
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"एक लेडी एडवोकेट न केवल प्रोफेशनली सक्सेफुल होती है, बल्कि एक माँ के रूप में भी सफल साबित होती है "-पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट:
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक बच्चे की कस्टडी को लेकर दायर की गई एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि एक महिला, जो पेशे से वकील है, वह अपने बच्चे की देखभाल नहीं कर सकती है और बच्चे की परवरिश के काबिल नहीं है यह 'एक प्रदूषित दिमाग़ की सोच' है, जहां एक कामकाज�