''आरोपियों ने कई लोगों के नाम बताए हैं, अगर ज़मानत पर रिहा किया तो सबूत नष्ट हो जाएंगे': सत्र न्यायालय ने रिया और शोविक की ज़मानत अर्जी इसलिए खारिज की

LiveLaw News Network

15 Sep 2020 2:55 PM GMT

  • आरोपियों ने कई लोगों के नाम बताए हैं, अगर ज़मानत पर रिहा किया तो सबूत नष्ट हो जाएंगे: सत्र न्यायालय ने रिया और शोविक की ज़मानत अर्जी इसलिए खारिज की

    रिया चक्रवर्ती और शोविक चक्रवर्ती, दोनों की जमानत खारिज करते हुए सत्र न्यायालय ने पिछले शुक्रवार को तर्क दिया था कि दोनों आरोपियों ने कुछ व्यक्तियों के नामों का खुलासा किया है और इन व्यक्तियों के संबंध में जांच चल रही है। इसलिए अगर इन दोनों (चक्रवर्ती ) को जमानत पर रिहा कर देते हैं, तो ये उन लोगों को सतर्क कर देंगे और सबूत नष्ट कर दिए जाएंगे।

    एडवोकेट सतीश मानशिंदे के जरिए शोविक और रिया की तरफ से दायर जमानत अर्जियों पर जज जीबी गुरू ने सुनवाई की थी। दोनों भाई-बहन पर अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के लिए ड्रग्स खरीदने का आरोप है, जो 14 जुलाई को अपने अपार्टमेंट में मृत पाया गया था।

    नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के अनुसार, 28 अगस्त को एक अब्बास रमजान अली लखानी को 46 ग्राम मारिजुआना/ गांजे के साथ पकड़ा गया था। अब्बास ने उन्हें बताया कि उसने यह मादक पदार्थ करण अरोड़ा से खरीदा था। इसप्रकार, एनसीबी की टीम ने करण अरोड़ा को पकड़ लिया और उसके पास से 13 ग्राम गांजा जब्त किया। इस प्रकार कुल 59 ग्राम गांजा बरामद किया गया था और दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया था।

    आरोपी अब्बास और करण के खुलासे के आधार पर, एनसीबी की टीम ने आरोपी जैद विलात्रा के परिसरों की तलाशी ली और पंचनामा के तहत 9,55,750 रुपये और विदेशी मुद्रा 2081 अमेरिकी डॉलर, 180 यूके पाउंड और यूएई के 15 दिरहम जब्त किए। जैद का बयान दर्ज किया गया था और उसने बताया था कि जब्त की गई राशि कंट्राबेंड की बिक्री से आई है। अभियुक्त जैद विलात्रा ने आरोपी अब्देल बासित परिहार के नाम का खुलासा किया, जिसने गांजा/मारिजुआना प्राप्त किया था।

    बयान के दौरान अब्देल बासित परिहार ने खुलासा किया कि वह आरोपी जैद और कैजान इब्राहिम के माध्यम से मारिजुआना/ गांजा की खरीद और बिक्री का काम करता है। वह आरोपी शोविक चक्रवर्ती के निर्देश पर आरोपी जैद व आरोपी कैजान से ड्रग्स प्राप्त करता था।

    अब्देल बासित परिहार ने यह भी खुलासा किया है कि वह ड्रग्स उपलब्ध कराने का काम करता था और वह आरोपी सैमुअल मिरांडा (सुशांत के घर के मैनेजर) और शोविक चक्रवर्ती के संपर्क में था। वह क्रेडिट कार्ड/ कैश और पेमेंट गेटवे के माध्यम से कंट्राबेंड के लिए पैसा देता था या प्राप्त करता था।

    जब आरोपी कैजान इब्राहिम से एनसीबी की टीम ने पूछताछ की तो उसने गांजा/ मारिजुआना के सप्लायर के रूप में आरोपी अनुज केशवानी के नाम का खुलासा किया। अभियुक्त केशवानी गांजा, चरस और एलएसडी की खरीद और बिक्री का काम कर रहा था। वह आरोपी कैजान इब्राहिम को बेचने के लिए एक रिगेल महाकाला से ड्रग्स मंगवाता था। अभियुक्त अनुज केशवानी आरोपी कैजान इब्राहिम के संपर्क में था। आरोपी केशवानी के बयान के आधार पर, एनसीबी की टीम ने उसके घर से कुछ नकदी के साथ चरस, गांजा, टीएचसी और एलसीडी जब्त किया है।

    इसके अलावा, अपने बयान के दौरान, आरोपी शोविक चक्रवर्ती ने खुलासा किया है कि वह आरोपी अब्देल परिहार के माध्यम से आरोपी कैजान इब्राहिम और आरोपी जैद से ड्रग्स लाने की सुविधा भी प्रदान करता था। ये डिलीवरी स्वर्गीय सुशांत सिंह राजपूत के सहयोगियों द्वारा प्राप्त की जाती थी और हर डिलीवरी और भुगतान के बारे में आरोपी रिया चक्रवर्ती को पता था। यहां तक कि कई बार आरोपी रिया चक्रवर्ती से भुगतान और ड्रग्स की पसंद की पुष्टि करवाई जाती थी।

    बयान के दौरान, आरोपी सैमुअल मिरांडा ने खुलासा किया है कि वह सुशांत सिंह राजपूत व रिया चक्रवर्ती के निर्देश पर ड्रग्स की खरीद करता था। उसने यह भी खुलासा किया कि इस संबंध में वित्तीय मामले आरोपी रिया चक्रवर्ती और स्वर्गीय सुशांत सिंह राजपूत द्वारा निपटाए जाते थे। इसके अलावा, आरोपी दीपेश सावंत (सुशांत के घर में काम करने वाला) ने खुलासा किया कि वह सुशांत सिंह राजपूत के निर्देश पर उसके लिए ड्रग्स प्राप्त करता था और कई अवसरों पर आरोपी रिया चक्रवर्ती ने भी उसे इस काम के लिए निर्देश दिए थे।

    अभियोजन की आगे की कहानी यह है कि, शोविक चक्रवर्ती, सैमुअल मिरांडा और दीपेश सावंत के खुलासे के आधार पर, रिया चक्रवर्ती को तलब किया गया था और 6 सितंबर, 7 और 8 को उसका बयान दर्ज किया गया था। इन तीन दिनों के दौरान उसका बयान दर्ज करते समय उससे तीनों आरोपियों के सामने भी पूछताछ की गई। आरोपी व्यक्तियों और उनके बयानों के तथ्यों का सत्यापन किया गया। आरोपी रिया चक्रवर्ती ने उनके बयानों को स्वीकार किया और उसकी भूमिका को उसे समझाया दिया गया था। बयान के दौरान आरोपी रिया चक्रवर्ती ने ड्रग और वित्तीय लेनदेन की खरीद में अपनी भागीदारी के बारे में खुलासा किया और साथ ही उसने इस बात को भी स्वीकार किया कि उसने आरोपी सैमुअल मिरांडा, आरोपी दीपेश सावंत और आरोपी शोविक चक्रवर्ती को निर्देश दिए थे।

    अभियोजन पक्ष ने दलील दी थी कि इस प्रकार, सभी आरोपी ड्रग सप्लाई से जुड़े ड्रग सिंडिकेट में सक्रिय थे और वह अभियुक्त सुशांत सिंह राजपूत के उपभोग के लिए ड्रग की खरीदते थे। इसप्रकार, एनडीपीएस अधिनियम की धारा 20 (बी) (ii) (ए), 22, 27 (ए), 28, 29 और 30 के साथ धारा 8 (सी) के तहत केस दर्ज किया गया है और मामले की जांच अभी जारी है।

    अधिवक्ता मानशिंदे ने तर्क दिया था कि अन्य सह-अभियुक्त अब्बास लखानी, कैजान इब्राहिम और करण अरोड़ा को जमानत पर रिहा कर दिया गया है। हालांकि, अभियोजन पक्ष ने केवल शोविक के मामले में धारा 27 ए लगाई है ताकि उसे जमानत न मिल सके। उसे इकबालिया बयान देने के लिए मजबूर किया गया था और बाद में उसने इस बयान से इनकार कर दिया था,जब पहली बार उसे मजिस्ट्रेट के समक्ष ऐसा करने का मौका मिला था।

    रिया की ओर से, अधिवक्ता मानशिंदे ने प्रस्तुत किया था कि उसे इस मामले में झूठा फंसाया जा रहा है। उसके कब्जे से कोई भी मादक या नशीला पदार्थ जब्त नहीं किया गया है। अभियोजन एजेंसी ने गलत तरीके से एनडीपीएस अधिनियम की धारा 27-ए को लागू किया है। इसलिए इस तथ्य को देखते हुए आरोपी को एनडीपीएस अधिनियम की धारा 37 के तहत जमानत पर पर रिहा किया जाना चाहिए।

    मानशिंदे ने यह भी तर्क दिया था कि आरोपी रिया के खिलाफ एकमात्र आरोप यह है कि वह अपने दिवंगत प्रेमी सुशांत सिंह राजपूत के लिए ड्रग खरीदती थी। उसने स्वर्गीय सुशांत सिंह राजपूत के साथ मिलकर कभी भी ड्रग खरीद के लिए पैसे का प्रबंधन नहीं किया था। इस प्रकार, यह नहीं कहा जा सकता है कि आरोपी रिया ड्रग आपूर्ति से जुड़े ड्रग सिंडिकेट की एक सक्रिय सदस्य थी।

    एसपीपी अतुल सरपांडे ने प्रस्तुत किया था कि भले ही यह दलील दी जाए कि आरोपियों के पास से कोई वर्जित पदार्थ बरामद नहीं किया गया है और मिले ड्रग (गांजा) की मात्रा बहुत कम है, जिसमें आरोपियों को अधिक से अधिक एक वर्ष की सजा हो सकती है और इस प्रकार, अपराध जमानती है। परंतु यह भी सच है कि आरोपी ड्रग की अवैध तस्करी में शामिल हैं। उसने दिवंगत सुशांत सिंह राजपूत के लिए ड्रग मंगवाने के लिए पैसे दिए थे। इसलिए, आरोपी रिया ने एनडीपीएस अधिनियम की धारा 27-ए के तहत दंडनीय अपराध किया है।

    एसपीपी सरपांडे ने यह भी तर्क दिया था कि रिया ने अपने घर से एनसीबी कार्यालय तक जाने के लिए पुलिस सुरक्षा की मांग की थी और इसीलिए एक महिला एपीआई को उसकी सुरक्षा में लगाया गया था। इस प्रकार यह सत्यापित होता है कि 6,7 और 8 सितंबर, 2020 को आरोपी का बयान दर्ज किया गया था। अभियोजन पक्ष ने उक्त बयान के आधार पर ही आरोपी की भूमिका का खुलासा किया है और उसके बाद, उसे इस केस में गिरफ्तार किया गया था।

    कोर्ट ने कहा कि इस समय , जब जांच प्रारंभिक स्तर पर है, यह नहीं कहा जा सकता है कि अभियुक्तों का उक्त बयान जबरदस्ती दर्ज किया गया है और कोर्ट में सबूत दर्ज करते समय यह बयान स्वीकृत नहीं होगा।

    अंत में, न्यायाधीश गुरू ने कहा कि-

    ''रिकॉर्ड से यह पता चलता है कि आरोपी और दिवंगत सुशांत सिंह राजपूत लिव-इन रिलेशनशिप में थे। यह आरोप लगाया गया है कि आरोपी सुशांत सिंह राजपूत के लिए ड्रग्स खरीदती थी और उसके लिए पैसे भी देती थी। इस काम के लिए उसने अपने भाई शोविक की मदद ली। शोविक ने ड्रग्स की व्यवस्था आरोपी जैद विलात्रा और अब्देल बासित की मदद से की थी। एनसीबी ने इस मामले में व्हाट्सएप चैट और अन्य इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य बरामद किए थे। कुछ राशि इस काम के लिए आरोपी के क्रेडिट कार्ड के माध्यम से भी हस्तांतरित की गई है। इसके अलावा, वर्तमान अपराध में आरोपी अनुज केशवानी से एलएसडी की कमर्शियल क्वांटिटी जब्त की गई है। जांच अभी प्रारंभिक स्तर पर है, इसलिए उपलब्ध रिकॉर्ड से यह नहीं कहा जा सकता है कि आरोपियों को इस मामले से जोड़ने के लिए कोई उचित आधार नहीं हैं।''

    शोविक और रिया,दोनों की जमानत अर्जियों को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि-

    ''अभियोजन पक्ष के अनुसार, अभियुक्तों ने इस मामले में कई अन्य व्यक्तियों के नामों का खुलासा किया है। उन व्यक्तियों के संबंध में अभी जांच चल रही है। ऐसे में यदि अभियुक्तों को जमानत पर रिहा किया जाता है, तो वह उन व्यक्तियों को सतर्क कर देंगे और वे सबूत नष्ट कर देंगे। ऐसे में सबूतों से छेड़छाड़ की संभावना है।

    इसलिए मामले के तमाम तथ्यों को देखने के बाद आरोपियों को एनडीपीएस अधिनियम 1985 की धारा 37 के तहत जमानत पर रिहा करना उचित नहीं है। जांच प्रारंभिक चरण में है और यदि आरोपी को जमानत पर रिहा किया जाता है, तो वह अभियोजन पक्ष के सबूतों से छेड़छाड़ करेगी। इसलिए, ऐसी परिस्थिति में मुझे लगता है कि आवेदक/ आरोपी जमानत की हकदार नहीं है।''

    आदेश की काॅपी डाउनलोड करें।


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