अन्य राज्यों में ऑक्सीजन सप्लाई को सीमित करने वाली महाराष्ट्र सरकार की अधिसूचना को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य के अस्पतालों को दी राहत
SPARSH UPADHYAY
16 Sep 2020 11:41 AM GMT
![Writ Of Habeas Corpus Will Not Lie When Adoptive Mother Seeks Child Writ Of Habeas Corpus Will Not Lie When Adoptive Mother Seeks Child](https://hindi.livelaw.in/h-upload/images/750x450_madhya-pradesh-high-court-minjpg.jpg)
MP High Court
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने महाराष्ट्र सरकार की उस अधिसूचना के सम्बन्ध में याचिकाकर्ता को राहत प्रदान की, जिस अधिसूचना के अंतर्गत महाराष्ट्र सरकार द्वारा यह निर्देश जारी किया गया था कि महाराष्ट्र राज्य में विनिर्माण इकाइयों द्वारा ऑक्सीजन के उत्पादन के 80% की आपूर्ति महाराष्ट्र राज्य के अस्पताल में की जाए।
न्यायमूर्ति एस. सी. शर्मा एवं न्यायमूर्ति शैलेन्द्र शुक्ला द्वारा अंतरिम राहत के माध्यम से, प्रतिवादी No.3 मेसर्स आईनोक्स एयर प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड को याचिकाकर्ता अस्पताल सहित मध्य प्रदेश राज्य को तरल चिकित्सा ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति जारी रखने के लिए निर्देशित किया गया, बिना महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी सर्कुलर दिनांक 07-09-2020 से प्रभावित होते हुए।
इस प्रकार, अदालत ने आदेश दिया कि मध्य प्रदेश राज्य को तरल चिकित्सा ऑक्सीजन की आपूर्ति प्रतिवेदक संख्या 3 द्वारा निर्बाध रूप से की जाए, जब तक कि अदालत द्वारा अगला आदेश न दिया जाए।
मामले की पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता की ओर से अदालत में बताया गया कि COVID रोगी के लिए तत्काल आवश्यकता LIQUID MEDICAL OXYGEN है और मध्य प्रदेश राज्य के पास कोई ऑक्सीजन विनिर्माण संयंत्र नहीं है। मध्य प्रदेश राज्य, महाराष्ट्र, गुजरात राज्य और छत्तीसगढ़ राज्य से तरल चिकित्सा ऑक्सीजन का आयात कर रहा है।
अदालत के सामने याचिकाकर्ता (अपने अधीक्षक डॉ. पी. एस. ठाकुर के माध्यम से) ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत वर्तमान रिट याचिका दायर की थी जिसमें उत्तरदाताओं संख्या 2 और 3 की कार्रवाई पर रोक लगाने की प्रार्थना की गयी थी, जिसके चलते अस्पताल में तरल चिकित्सा ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति को रोक दिया गया था।
याचिकाकर्ता अस्पताल को प्रतिवादी No. 3 मेसर्स आईनोक्स एयर प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा 20 टन तरल चिकित्सा ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है। याचिकाकर्ता और प्रतिवादी नंबर 3 के बीच समझौता अभी अस्तित्व में है।
याचिकाकर्ता ने रिट याचिका में स्पष्ट रूप से कहा है कि उन्हें प्रतिवादी नंबर 3 द्वारा तरल चिकित्सा ऑक्सीजन की आपूर्ति में रोक के बारे में सूचित किया गया है और इसका एकमात्र कारण राज्य द्वारा जारी एक परिपत्र है, जो दिनांक 07-07-2020 को जारी किया गया।
उपर्युक्त परिपत्र में महाराष्ट्र राज्य ने यह कहा कि COVID -19 से संक्रमित रोगियों के प्रबंधन के लिए तरल चिकित्सा ऑक्सीजन की आपूर्ति बहुत महत्वपूर्ण है और इसलिए, उत्पादन का 80% केवल महाराष्ट्र के अस्पतालों के लिए उपयोग किया जाना है.
याचिकाकर्ता ने पेश किया कि विभिन्न राज्यों में COVID रोगियों के बीच कोई भेदभाव नहीं हो सकता है और यदि महाराष्ट्र राज्य के एक COVID रोगी को तरल चिकित्सा ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है, तो मध्य प्रदेश के COVID रोगी को भी इसकी जरूरत है। उसे तरल चिकित्सा ऑक्सीजन के स्थान पर नाइट्रोजन नहीं दिया जा सकता है।
याचिकाकर्ता ने कहा है कि भारत सरकार ने भी महाराष्ट्र राज्य द्वारा जारी सर्कुलर के संबंध में बड़ी चिंता दिखाई है। याचिकाकर्ता ने 10-09-2020 के पत्र की ओर इस अदालत का ध्यान आकर्षित किया, जिसे सचिव स्वास्थ्य ने पूरे देश के सभी मुख्य सचिवों को संबोधित किया है।
भारत सरकार ने सभी राज्य सरकारों को स्पष्ट रूप से लिखा है कि कानूनी बाध्यता ऐसे समझौतों को पूरा करने के लिए विभिन्न राज्यों के साथ विभिन्न समझौतों के तहत मौजूदा आपूर्ति जारी राखी जाए।
अदालत का आदेश
अदालत ने देखा कि निर्विवाद रूप से, महाराजा यशवंत राव अस्पताल (याचिकाकर्ता) मध्य प्रदेश राज्य के स्वामित्व में और उसके द्वारा नियंत्रित अस्पताल है। यह एक सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल है और मध्य प्रदेश राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल है। यह निचले तबके के लोगों की आवश्यकता को पूरा करता है।
मामले के तथ्यों और परिस्थितियों की समग्रता को ध्यान में रखते हुए अदालत की यह राय थी कि याचिकाकर्ता महाराजा यशवंत राव अस्पताल के लिए पेश वकील अंतरिम राहत प्रदान करने के लिए एक प्रथम दृष्टया मामला बनाने में सक्षम रहे।
अंतरिम राहत के माध्यम से, प्रतिवादी No. 3 मेसर्स आईनोक्स एयर प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड को याचिकाकर्ता अस्पताल सहित मध्य प्रदेश राज्य को तरल चिकित्सा ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति जारी रखने के लिए निर्देशित किया गया (बिना दिनांक 07-09-2020 के महाराष्ट्र राज्य के सर्कुलर द्वारा प्रभावित हुए बिना)।
इस प्रकार, मध्य प्रदेश राज्य को तरल चिकित्सा ऑक्सीजन की आपूर्ति प्रतिवेदक संख्या 3 द्वारा निर्बाध रूप से की जानी है, जब तक कि अगला आदेश न आ जाये।
मामले को अगली सुनवाई हेतु 19-अक्टूबर को सूचीबद्ध किया गया है।