हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

LiveLaw News Network

2 Nov 2020 2:33 PM GMT

  • हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    हाईकोर्ट में कैसा रहा पिछला सप्ताह। आइए जानते हैं 26 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र.....

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मस्जिद के हाफिज को एक 9 साल की बच्ची के साथ छेड़खानी के मामले में जमानत देने से इनकार किया

    इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक मस्जिद के हाफिज (पुजारी) को जमानत पर रिहा करने से इनकार कर दिया, जिस पर एक 9 वर्षीय लड़की से छेड़छाड़ का आरोप लगाया गया है। दरअसल न्यायमूर्ति नीरज तिवारी की खंडपीठ एक जमानत अर्जी पर सुनवाई कर रही थी, जो आवेदक (मस्जिद के हाफिज) द्वारा जमानत पर रिहा होने के लिए दायर की गई थी। आवेदनकर्ता के खिलाफ 2020 के केस क्राइम नंबर 0175 के अंतर्गत, आईपीसी की धारा 354 और 9/10 POCSO अधिनियम के तहत पुलिस स्टेशन भूता, जिला बरेली में मामला पंजीकृत किया गया है।

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    (आपसी सहमति से तलाक) अन्य व्यक्ति से महिला की गर्भावस्था के मद्देनजर, बॉम्बे हाईकोर्ट ने कूलिंग ऑफ पीरियड से छूट दी

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार (26 अक्टूबर) को हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 बी के तहत निर्दिष्ट कूलिंग-ऑफ पीरियड से छूट देने के लिए दायर एक संयुक्त याचिका को स्वीकार कर लिया और फैमिली कोर्ट को निर्देश दिया है कि इस कपल की तरफ से दायर तलाक की अर्जी पर तत्काल आधार पर निर्णय करे। न्यायमूर्ति नितिन डब्ल्यू सैमब्रे की खंडपीठ ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 बी के तहत वैधानिक अवधि को इस आधार पर समाप्त कर दिया है क्योंकि महिला (पत्नी) किसी अन्य व्यक्ति से गर्भवती है, जिससे वह जल्द ही शादी करना चाहती है।

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    वकील का डोली समारोह रुका रहा, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने नवविवाहित वकील की प्रतिबद्धता की सराहना की और उनके मुवक्किल को जमानत दी

    पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने बुधवार (28 अक्टूबर) को अपने मुवक्किल के प्रति एक वकील की निष्ठा और प्रतिबद्धता की सराहना की, क्योंंकि उस वकील ने अपना डोली समारोह रुकवाकर कोर्ट में सुनवाई के लिए अपनी बारी का लंबा इंतजार किया। न्यायमूर्ति अरुण मोगा ने अभियोजन पक्ष द्वारा चालान फाइल करने में अत्यधिक देरी के आधार पर संबंधित वकील के मुवक्किल /याचिकाकर्ता की अग्रिम जमानत याचिका मंजूर कर ली। इसके अलावा, बेंच ने उस वकील के निवेदन को भी रिकॉर्ड में दर्ज किया कि किस तरह उसके मुवक्किल के केस के लिए उसकी डोली रुकी रही क्योंंकि उसने (वकील ने) अपने मुवक्किल के व्यापक हितों का ध्यान रखते हुए वीडियो कॉन्फ्रंसिंग के लिए अपनी बारी के वास्ते लंबा इंतजार किया।

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    मृतक की अवैध शादी से होने वाली संतान भी है पारिवारिक पेंशन लाभ की हकदार : गुवाहाटी हाईकोर्ट

    गुवाहाटी हाईकोर्ट ने माना है कि किसी मृतक के अवैध विवाह से होने वाली संतान भी इस मृतक की पारिवारिक पेंशन लाभ की हकदार होगी। न्यायमूर्ति अचिंत्य मल्ल बुजोर बरुआ की एकल पीठ ने कहा कि,'' मृतक की पत्नी की संतान भी,भले ही उनकी शादी वैध नहीं थी, ऐसे मृतक से संबंधित पारिवारिक पेंशन लाभ की हकदार होगी।'' यह आदेश मृतक चंद्र चेत्री सुतार की दूसरी पत्नी की नाबालिग बेटी निकिता सुतार द्वारा दायर एक रिट याचिका में पारित किया गया है। मामले के तथ्यों के अनुसार, मृतक ने अपनी पहली पत्नी के चले जाने के बाद, याचिकाकर्ता की मां के साथ विवाह कर लिया था।

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    जाति के कारण किया घर से बेदख़लः ‌शिकायतकर्ता के घर लौटने की व्यवस्‍था करने के लिए दिल्ली कोर्ट ने पुलिस और जिला मजिस्ट्रेट को दिया निर्देश

    रोहिणी कोर्ट्स (दिल्ली) ने मंगलवार (27 अक्टूबर) को रोहिणी के जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस को एक व्यक्ति को उसके घर लौटने के लिए आवश्यक व्यवस्था करने का निर्देश दिया, जिसे कथित तौर पर एक महिला पुलिस अधिकारी ने जाति पूर्वाग्रह के कारण उसके फ्लैट से निकाल दिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राकेश कुमार चतुर्थ, अनुसूचित जाति व अनुसूच‌ित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 15 ए के तहत दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें आवेदक / शिकायतकर्ता ने कहा था कि वह अनुसूचित जाति से संबंधित है और रोहिणी सेक्टर 6 [प्रथम तल] में एक फ्लैट का मालिक है और आरोपियों ने जबरन जातिगत पूर्वाग्रह के कारण शिकायतकर्ता और उसके परिवार को फ्लैट को कब्जाने के उद्देश्य से, वहां से भगाने की कोशिश की।

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    धारा 82 सीआरपीसी घोषित अपराधियों को अग्रिम जमानत दाखिल करने से न रोकती है , न राइडर लगाती हैः हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

    हिमाचल प्रदेश ने ने स्पष्ट किया है कि सीआरपीसी की धारा 82 के तहत किसी अभियुक्त को "भगोड़ा" घोषित करना, उसे अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल करने से रोक नहीं सकता है। जस्टिस अनूप चिटकारा की एकल पीठ ने कहा, "सीआरपीसी की धारा 82 न कोई राइडर तय करती है, और न ही भगोड़े अपराधियों को अग्रिम जमानत दाखिल करने पर कोई रोक लगाती है।" मौजूदा मामले में याचिकाकर्ता ने अपने खिलाफ दर्ज की गई एक एफआईआर, जिसमें उस पर 15 साल की लड़की का बलात्कार करने का आरोप लगाया गया था, में गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत की अर्जी 19 जुलाई 2013 को डाली थी।

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    (ऑनर किलिंग)' एसआईटी द्वारा फास्ट ट्रैक इन्वेस्टिगेशन की जरूरत है', पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने लंबित मामलों का विवरण मांगा

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सोमवार (26 अक्टूबर) को हरियाणा के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को निर्देश दिया है कि वह एक हलफनामा दायर करके बताएं कि राज्य में दर्ज ऑनर किलिंग के कितने मामले ऐसे हैं, जिनमें अभी सुनवाई या जांच अभी लंबित है और इन मामलों को फास्ट-ट्रैक करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी की खंडपीठ ने राज्य के डीजीपी को यह भी निर्देश दिया है कि वह बताएं कि ऐसे मामलों में जीवित रहने वाली पत्नी या पति और अन्य महत्वपूर्ण गवाहों (जो परिस्थितिजन्य साक्ष्य की श्रृंखला को पूर करने और अभियुक्तों को ऐसे जघन्य अपराध के लिए जिम्मेदार ठहराने में मदद करते हैं।)की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।

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    महज शादी के उद्देश्य से धर्मांतरण अस्वीकार्य' : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शादीशुदा जोड़े की याचिका खारिज की

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस सुरक्षा की मांग को लेकर एक शादीशुदा जोड़े की ओर से दायर रिट याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने ऐसा तब किया जब उसे पता चला कि लड़की जन्म से मुस्लिम थी, लेकिन शादी होने से एक माह पहले उसने अपना धर्म परिवर्तन किया था। न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी ने कहा कि इससे स्पष्ट होता है कि धर्मांतरण केवल शादी के उद्देश्य से किया गया था। न्यायाधीश ने 'नूर जहां बेगम उर्फ अंजलि मिश्रा एवं अन्य बनाम उत्तर प्रदेश सरकार एवं अन्य' के मामले में 2014 में दिये गये एक फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि केवल शादी के उद्देश्य से धर्म परिवर्तन करना अस्वीकार्य है।

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    वकील ने नई लांच एमजी हेक्टर कार में मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट का आरोप लगाते हुए एमजी मोटर को कानूनी नोटिस भेजा

    एक वकील ने नयी लांच की गयी एमजी हेक्टर कार में अदृश्य मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट का आरोप लगाते हुए कार निर्माता कंपनी एमजी मोटर को कानूनी नोटिस भेजा है। यह विवाद सितम्बर 2019 में डिलीवर की गयी एक कार से संबंधित है। यह आरोप लगाया गया है कि जब कार को दूसरी सर्विसिंग के लिए भेजी गयी थी, तब कंपनी ने पहले तो दावा किया कि कार के विभिन्न पुर्जे पूरी तरह से फेल हो चुके हैं और खराब हो गये हैं, क्योंकि कार में रखे बोतल से पानी फैल गया था तथा नीचे के महत्वपूर्ण हिस्सों में प्रवेश कर गया था। ग्राहक द्वारा यह आपत्ति उठाये जाने के बाद कि एक लीटर पानी बोतल के मामूली रिसाव के कारण 20 लाख रुपये की कार को नुकसान हो गया, कंपनी ने अपना बयान बदल दिया और कहा कि कार के अंदर पाया जाने वाला पानी अत्यधिक था और ऐसा बारिश एवं जलभराव के कारण हो सकता है। ग्राहक एक सुप्रीम कोर्ट के वकील हैं, जो इस मामले में पीड़ित हैं। उन्होंने वकील शाश्वत आनंद के जरिये कार निर्माता कंपनी एमजी मोटर को कानूनी नोटिस भेजा है, जिसमें उन्होंने कार के कुल खरीद मूल्य 20 लाख रुपये के साथ ब्याज एवं हर्जाने / मुआवजे देने की मांग की है।

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    अनुशासनात्मक कार्रवाई का मामला : बर्खास्तगी की गंभीर सजा देते समय सरकार को संवेदनशील होना चाहिएः इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट (डिवीजन बेंच) ने बुधवार (21 अक्टूबर) को सिंगल बेंच जज के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा कि ''अनुशासनात्मक कार्रवाई के परिणामस्वरूप बर्खास्तगी की गंभीर सजा को लागू करते समय सरकारी अधिकारियों को थोड़ा संवेदनशील होना चाहिए।'' मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ इस मामले में 25 अगस्त 2020 को पारित एक निर्णय के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी। यह आदेश रिट-ए नंबर 5210/2020 में एकल पीठ द्वारा पारित किया गया था।

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    'एफआईआर दर्ज होते ही आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो जाती', पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने दोहराया

    पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने आगाह किया है कि भले ही एक शिकायत में संज्ञेय अपराध का खुलासा होने पर एफआईआर अनिवार्य है, लेकिन "एफआईआर दर्ज होने पर अभियुक्त की गिरफ्तारी खुद-ब-खुद नहीं होती है।" जस्टिस राज मोहन सिंह की एकल पीठ ने कहा, "गिरफ्तारी अपराध के आरोप मात्र पर या सामान्य विषय के रूप में नहीं की जा सकती है। एक पुलिस अधिकारी के लिए विवेकपूर्ण होगा कि किसी शिकायत के बाद, वह शिकायत की वास्तविकता और सत्यता और अभियुक्त की संलिप्तता के संदर्भ में उचित विश्वास के बिना किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी न करे। व्यक्ति की गिरफ्तारी और एफआईआर का पंजीकरण प्रत्यक्ष रूप से संबंद्ध नहीं है, क्योंकि दोनों की दो अवधारणाएं हैं और विभिन्न मापदंडों के तहत संचालित होती हैं।"

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    तमिलानाडु सरकार ने युवा वकीलों के लिए लॉन्च की स्टाइपेंड स्कीम, दो वर्षों तक प्रतिमाह 3,000 रुपए की मदद मिलेगी

    तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ईके पलानीस्वामी ने बुधवार (28 अक्टूबर) को युवा वकीलों की सहायता के लिए लायर्स स्टाइपेंड स्कीम लॉन्च की। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने नौ युवा वकीलों को दो साल के लिए 3,000 प्रति माह दर स्टाइपेंड प्रदान किया। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम, कानून मंत्री सीवी शनमुगम, मुख्य सचिव के शनमुगम और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। योजना का उद्देश्य युवा कानून स्नातकों को प्रति माह रु 3,000 रुपए सहयता के रूप में प्रदान करना है। योजना का लाभ आर्थिक रूप से कमजोर युवा वकीलों को द‌िया जाएगा।

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    GHCAA ने गुजरात हाईकोर्ट से फिजिकल सुनवाई शुरू करने का अनुरोध किया

    गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन (GHCAA) ने एक प्रस्ताव पारित कर हाईकोर्ट से जल्द से जल्द और अधिमानतः फिजिकल मोड़ में अदालत की सुनवाई फिर से शुरू करने का आग्रह किया गया है। प्रस्ताव में दिवाली की छुट्टियों के बाद यानी 23 नवंबर, 2020 तक अदालत में फिज़िकल हियरिंग शुरू करने का आग्रह किया गया है। गुरुवार 28 अक्टूबर, 2020 को आयोजित प्रबंध समिति की एक वर्चुअल बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया गया। एसोसिएशन ने आश्वासन दिया है कि यदि उच्च न्यायालय के फिजिकल कामकाज को फिर से शुरू किया जाता है, तो बार के सभी सदस्य लागू किए जाने वाले एसओपी का सख्ती से पालन करेंगे।

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    IMA मनी लॉन्ड्रिंग मामले के मुख्य अभियुक्त मंसूर खान को कर्नाटक हाईकोर्ट ने जमानत दी

    कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा एक मामले में आईएमए घोटाले के प्रमुख अभियुक्त मोहम्मद मंसूर खान को जमानत दे दी। न्यायमूर्ति श्रीनिवास हरीश कुमार ने आरोपी को स्वास्थ्य आधार पर जमानत दी है। इसमें यह ध्यान में रखा गया कि खान वर्ष 2013 से डायबिटिक के मरीज़ है और वर्ष 2010 से हाइपर टेंशन से पीड़ित है और वह हृदय संबंधी समस्याओंं और अक्टूबर 2018 से स्पोंडिलोसिस से भी पीड़ित है।

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    पटना हाईकोर्ट ने चार न्यायिक अधिकारियों को निलंबित किया (पढ़ें अधिसूचना)

    पटना उच्च न्यायालय ने मंगलवार (20 अक्टूबर) और सोमवार (19 अक्टूबर) को एक आदेश जारी कर सूचित किया है कि इसने 4 न्यायिक अधिकारियों को निलंबित कर दिया है क्योंकि उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही लंबित है। पटना उच्च न्यायालय द्वारा जारी आदेश में उल्लिखित नाम इस प्रकार हैं: - 1. राम सुजान पांडे - उप-न्यायाधीश-सह-सचिव, डीएलएसए, शेहर 2. त्रिभुवन नाथ - एडीजे, शेहर 3. संजीव कुमार चंद्रियावी - प्रधान मजिस्ट्रेट, किशोर न्याय बोर्ड, पटना (सिविल जज सीनियर डिवीजन)

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    'जुवेनाइल ने समाज को भयभीत करते हुए बच्चों को असुरक्षित महसूस कराया है' इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 6 साल की बच्ची से बलात्कार करने वाले नाबालिग आरोपी को जमानत देने से इनकार किया

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में विशेष न्यायाधीश (पाॅक्सो), कानपुर नगर के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है,जिसके तहत एक जुवेनाइल (नाबालिग) की तरफ से दायर आपराधिक अपील संख्या 30/2019 को खारिज कर दिया गया था। इस नाबालिग पर एक छह साल की बच्ची से बलात्कार करने का आरोप है। (नोट- विशेष न्यायाधीश (पाॅक्सो) कानपुर नगर ने किशोर न्याय बोर्ड के 16 फरवरी 2019 के एक आदेश की पुष्टि की थी। जेजे बोर्ड ने जुवेनाइल को केस अपराध संख्या 530/2018 में जमानत देने से इनकार कर दिया था। यह केस आईपीसी की धारा 376 और पाॅक्सो एक्ट की धारा 3/4 के तहत पुलिस स्टेशन पनकी,जिला कानपुर नगर में दर्ज किया गया था।)

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    ''बीएमसी ने अपना अमानवीय चेहरा दिखाया है'', बॉम्बे हाईकोर्ट ने शारीरिक रूप से अक्षम कर्मचारियों का लॉकडाउन का वेतन देने का निर्देश दिया

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को बृहन्मुंबई महानगरपालिका को उस सर्कुलर के लिए फटकार लगाई है,जिसके तहत लाॅकडाउन के दौरान निगम के शारीरिक रूप से अक्षम कर्मचारियों को कार्यालय में उपस्थित होने से दी गई छूट को वापिस ले लिया गया था। इसके परिणामस्वरूप इन कर्मचारियों को लॉकडाउन के दौरान की अवधि के वेतन का भुगतान नहीं किया जाएगा क्योंकि इनके काम से अनुपस्थित रहने को अनुमेय छुट्टी के रूप में माना जाएगा। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की खंडपीठ ने कहा कि बीएमसी का 26 मई का सर्कुलर न्यायिक जांच के तहत सही नहीं पाया गया है। कोर्ट ने कहा-

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    असम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर में 'अयोग्य' व्यक्तियों को कैसे शामिल किया गया? गुवाहाटी हाईकोर्ट ने असम एनआरसी समन्वयक से पूछा

    गुवाहाटी हाईकोर्ट ने हाल ही के एक फैसले में, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के समन्वयक को यह बताने का निर्देश दिया है कि याचिकाकर्ता का नाम इस तथ्य के बावजूद रजिस्टर में कैसे शामिल हो गया कि प्रासंगिक समय पर, उसके खिलाफ कार्यवाही जारी थी। जस्टिस मनोजीत भुयन और जस्टिस सौमित्र सैकिया की खंडपीठ ने कहा, "असम राज्य समन्वयक, एनआरसी को एक व्यापक हलफनामा दायर करने दीजिए, और आवश्यक विवरणों के साथ स्थितियों को रिकॉर्ड पर लाने दीजिए, जिससे राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर में ऐसे व्यक्तियों ने जगह बना ली, जो कि अयोग्य थे और कानूनी रूप से राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर में शामिल होने के दावेदार नहीं थे।"

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    दिल्ली दंगे : "पुलिस दंगे के मामले में आरोपी की कथित भागीदारी पर गंभीर नहीं है", दिल्ली की अदालत ने 66 साल के व्यक्ति को जमानत दी

    कड़कड़डूमा कोर्ट (दिल्ली) ने बुधवार (28 अक्टूबर) को 66 वर्षीय व्यक्ति को अग्रिम जमानत दे दी, जिसे फरवरी 2020 में पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों के दौरान एक दुकान में कथित तौर पर तोड़-फोड करने के लिए गिरफ्तार किया गया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव की राय थी कि पुलिस मामले में उनकी कथित भागीदारी के बारे में गंभीर नहीं है। आवेदक के खिलाफ मामला आवेदक के वकील ने तर्क दिया कि 66 वर्षीय आवेदक को इस मामले में आवेदकर्ता को इस मामले में जांच एजेंसी शिकायतकर्ता याकूब के साथ मिलीभगत करके पैसे ऐंठने के लिए गलत तरीके से फंसाया।

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    उत्तराखंड सरकार ने एक सिविल जज को 13 वर्षीय बच्ची को काम पर रखने और यातना देने के कारण सेवा से बर्खास्त किया

    उत्तराखंड उच्च न्यायालय के पूर्ण पीठ के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए और राज्य सरकार की सिफारिश पर, उत्तराखंड सरकार ने एक सिविल जज को, एक नाबालिग लड़की (13 वर्षीय), जो उनके घर पर घरेलू कामकाज करती थी, कथित रूप से यातना देने के चलते सेवा से बर्खास्त कर दिया है। सरकार ने बुधवार (21 अक्टूबर) को एक अधिसूचना जारी की है जिसमें कहा गया है कि सरकार ने दीपाली शर्मा, सिविल जज (सीनियर डिवीजन) (अंडर सस्पेंशन) को सेवा से हटा दिया है।

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    RTI एक्टिविस्ट साकेत गोखले ने NCW चेयरपर्सन रेखा शर्मा को हटाने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया

    एक्टिविस्ट साकेत एस गोखले ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है जिसमें सुश्री रेखा शर्मा को मुस्लिम विरोधी बयान "लव जिहाद" को बढ़ावा देने के लिए चेयरपर्सन के रूप में हटाने के लिए महिला और बाल विकास मंत्रालय को निर्देश देने की प्रार्थना की गई है। सुश्री शर्मा के एक हालिया ट्वीट की पृष्ठभूमि में यह याचिका दायर की गई है, जिसमें उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल के साथ मिलकर महिला सुरक्षा और लव जिहाद के मामलों में वृद्धि के मुद्दों पर चर्चा करने का दावा किया है।

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    जम्मू कोर्ट ने अधिवक्ता दीपिका राजावत को नवरात्री ट्वीट मामले में दर्ज एफआईआर पर अग्रिम ज़मानत दी

    प्रधान सत्र न्यायाधीश, जम्मू की अदालत ने नवरात्रि के अवसर पर अपने ट्वीट के खिलाफ दर्ज एफआईआर के संबंध में अधिवक्ता दीपिका सिंह राजावत द्वारा दायर अग्रिम ज़मानत याचिका मंज़ूर कर ली है। राजावत के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता पीएन रैना और आलोक बम्ब्रो द्वारा दिए गए तर्कों के आधार पर न्यायाधीश संजीव गुप्ता ने देखा है कि राजावत अपनी गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण पाने की हकदार हैं। राजावत के वकीलों ने प्रस्तुत कि राजावत का ट्वीट "भारत में बढ़ते बलात्कार के मामलों के खिलाफ आवाज उठाने के उद्देश्य से किया गया था और उसमें महिलाओं पर अत्याचार करने वाले लोगों की निंदा की गई है।"

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    [दिल्ली दंगे] "उन्होंने पूरी साजिश में एक बहुत सक्रिय भूमिका निभाई": दिल्ली कोर्ट ने आसिफ इकबाल तन्हा को जमानत देने से इनकार किया

    कड़कड़डूमा कोर्ट (दिल्ली) ने सोमवार (26 अक्टूबर) को जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा की जमानत याचिका खारिज कर दी, जिसे दिल्ली दंगे के मामले में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया गया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने कहा कि फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगों के संबंध में बड़ी साजिश से जुड़ा एक प्रथम दृष्टया मामला तन्हा के खिलाफ बनाया गया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने कथित रूप से पूरी साजिश में सक्रिय भूमिका निभाई है।

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    गुजरात कोर्ट ने राहुल गांधी को मानहानि मामले में कोर्ट में व्यक्तिगत उपस्थिति से स्थायी छूट दी

    अहमदाबाद में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने मंगलवार (27 अक्टूबर) को कांग्रेस नेता और वायनाड (केरल) से संसद सदस्य राहुल गांधी को एक आपराधिक मानहानि मामले में उपस्थिति से स्थायी रूप से छूट दे दी गौरतलब है कि इस मामले में उन्हें केंद्रीय गृह मंत्री अमित पर टिप्पणी करने के चलते मुक़दमे का सामना करना पड़ रहा है। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट आर.बी. इतालिया ने गांधी की याचिका पर उन्हें आपराधिक मानहानि मामले में उपस्थिति से स्थायी छूट की अनुमति दी है।

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    उत्तराखंड हाईकोर्ट ने CBI को CM त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर FIR दर्ज करने और जांच करने का निर्देश दिया

    उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने मंगलवार (27 अक्टूबर) को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को एक पत्रकार द्वारा उत्तराखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की प्राथमिकी दर्ज करने और जांच करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति रवींद्र मैथानी की पीठ ने उस मामले में यह फैसला दिया जिसमें एक उमेश शर्मा (स्थानीय समाचार चैनल 'समचार प्लस' के मालिक) ने रावत से संबंधित एक वीडियो (जुलाई 2020 में) बनाया था जो वर्ष 2016 में गौ सेवा आयोग का नेतृत्व करने के लिए झारखंड में एक व्यक्ति (एएस चौहान) की नियुक्ति के लिए उनके रिश्तेदारों के खातों में रुपये ट्रांसफर करने में रावत (भाजपा के झारखंड प्रभारी के रूप में) की कथित भूमिका के लिए था।

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    'आईएएस का चयन मनमौजी प्रक्रिया नहीं हो सकती', साक्षात्कार रद्द करने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने यूपीएससी को लगाई फटकार

    दिल्ली हाईकोर्ट ने 31 दिसंबर, 2019 को संघ लोक सेवा आयोग द्वारा जारी पत्र के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की है। संघ लोक सेवा आयोग ने उक्त पत्र जारी कर चयन समिति द्वारा आयोजित साक्षात्कार का रद्द कर दिया था। "सिविल सेवाओं के लिए चयन, विशेष रूप से आईएएस- एक प्रतिष्ठित सेवा, मनमौजी प्रक्रिया नहीं हो सकती है। इसे कुछ मानदंडों, प्रक्रियाओं और अनुशासन का पालन करना पड़ता है। जब राज्य या कोई भी साधन उक्त अनुशासन का पालन करने में विफल रहता है, तो यह निहित स्वार्थों द्वारा कुशासन और दुरुपयोग का कारण बन सकता है। वर्तमान मामले में साक्षात्कार को रद्द करने को एकाकी घटना के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। यह चयन प्रक्रिया में एक गहरी गड़बड़ी का प्रतिनिधित्व करता है, जो कि उचित रूप से और पारदर्शी तरीके से होना चाहिए। जब अदालत यह पाति है कि क्रमिक रूप से, चयन तंत्र को बाधित किया जाता है, तो वह आंख बंद नहीं कर सकता है। ऐसे मामले में रिट अधिकार क्षेत्र के प्रयोग द्वारा हस्तक्षेप की आवश्यकता होगी ताकि यह जांच की जा सके कि क्या चयन के लिए निर्धारित मानदंडों का पालन किया गया था, और यदि नहीं, तो उपचारात्मक उपायों पर विचार किया जाए। वर्तमान मामले में परिस्थितियां संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हस्तक्षेप की मांग करती हैं। इन परिस्थितियों में, यह न्यायालय मानती है कि वर्तमान रिट याचिका भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत सुनवाई योग्य है।"

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    बीसीआई के पास किसी व्यक्ति को अधिवक्ता के रूप में प्रैक्टिस करने की अनुमति देने से पहले शर्तें निर्धारित करने और नियम बनाने का अधिकार : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

    मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने हाल ही में कहा कि अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 24 के तहत पंजीकृत होने वाले अधिवक्ता को अदालत में अधिवक्ता के रूप में प्रैक्टिस करने की अनुमति देने से पहले आगे की शर्तों के अधीन किया जा सकता है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय यादव और न्यायमूर्ति राजीव कुमार दुबे की खंडपीठ रिट याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें ऑल इंडिया बार परीक्षा नियमावली, 2010 के नियम 9 को चुनौती दी गई थी और प्रार्थना की गई थी कि नियम 9 को Ultra vires (अधिकारातीत) घोषित किया जाए।

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    अधिवक्ता ने महाराष्ट्र के एडवोकेट जनरल को पत्र लिखकर कंगना रनौत के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करने की सहमति मांगी

    मुंबई स्थित एक वकील ने महाराष्ट्र के महाधिवक्ता एए कुंभकर्णी को पत्र लिखकर न्यायपालिका (मजिस्ट्रेट कोर्ट) को कथित तौर पर न्यायपालिका की छवि धूमिल करने वाले ट्वीट के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करने की सहमति मांगी है। एडवोकेट अली काशिफ खान देशमुख के अनुसार, बांद्रा की एक अदालत द्वारा आईपीसी की धारा 153 ए, 295 ए,124ए आर/डब्ल्यू 34 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए एफआईआर दर्ज करने का आदेश देने पर अभिनेत्री द्वारा किए गए ट्वीट पर अवमानना कार्रवाई की जानी चाहिए।

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    बॉम्बे हाईकोर्ट ने COVID ​​मरीज की मौत के बाद डॉक्टर पर हमला करने के आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता पर भारी जुर्माना लगाया

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में COVID ​​मरीज की मौत के बाद डॉक्टर पर हमला करने और अस्पताल स्टाफ को गाली देने के आरोपी एक सामाजिक कार्यकर्ता पर भारी जुर्माना लगाया। जस्टिस भारती डांगरे की खंडपीठ ने आवेदक/अभियुक्त को मुख्यमंत्री राहत कोष में एक लाख रुपए की राशि जमा करने का निर्देश दिया। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि राशि नहीं जमा करने की स्‍थति में उसे गिरफ्तारी की सुरक्षा से वंचित कर दिया जाएगा।

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    बालिग होने पर महिलाएं अपनी पसंद ज़ाहिर करने की हकदार, कोर्ट सुपर गार्जियन की भूमिका नहीं निभा सकता : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने बुधवार (14 अक्टूबर) को हैबियस कार्पस याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि बालिग महिलाएं, अपनी पसंद चुनने और ज़ाहिर करने की हक़दार हैं और वे जहां चाहें रह सकती हैं। न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी की खंडपीठ ने आगे कहा कि अदालतें उन पर कोई प्रतिबंध लगाने के लिए एक सुपर गार्जियन की भूमिका नहीं निभा सकती। न्यायालय के समक्ष मामला हैबियस कार्पस याचिका दो बेटियों के पिता (जो नाबालिग बताई गई थी) ने दायर की थी। जिसमें मांग की गई थी कि प्र तिवादी नंबर 1 से 3 को निर्देश दिया जाए कि वह डिटेन्यू 'ए' और 'बी' (पहचान छुपाने के लिए नामों का उल्लेख नहीं किया गया है) को प्रतिवादी नंबर 4 से 9 के घरों में खोजे और उन्हें उनकी अवैध हिरासत से मुक्त करवाए।

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    पुलिस पर हमला और लॉकडाउन का उल्लंघन करने वाले आरोपी को बॉम्बे हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत देने से इनकार किया

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने पिछले बुधवार को एक पिता और बेटे की जोड़ी द्वारा दायर की गई अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज कर दिया। उन पर एक पुलिसकर्मी की पिटाई का आरोप है। पुलिस वाले ने जून, 2020 में रात में लगभग 11 बजे उन्हें अपनी दुकान बंद करने के लिए कहा था। कोर्ट ने माना कि किसी लोक सेवक पर ड्यूटी के दौरान हमला बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति एसवी कोतवाल की बेंच आरोपी ख्वाजा कुरैशी और मलंग कुरैशी द्वारा दायर की गई अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिन पर आईपीसी की धारा 353, 332, 188, 269, 270, 504, 506 सहपठित आईपीसी की धारा 34 के तहत अपराध दर्ज किए गए थे।

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    केरल हाईकोर्ट ने बिलों का भुगतान न करने पर अस्पताल द्वारा कथित तौर पर बंधक बनाए गए रोगी को डिस्चार्ज करने का आदेश दिया

    केरल उच्च न्यायालय ने शुक्रवार (23 अक्टूबर) को अस्पताल को आदेश दिया कि वह मेडिकल बिलों का भुगतान न करने के कारण कथित तौर पर बंधक बना रखे गए रोगी को तुरंत डिस्चार्ज करे और उसकी मां (याचिकाकर्ता) को उसके बेटे को घर ले जाने दिया जाए। अस्पताल पर आरोप था कि उसने बिलों का भुगतान न होने के चलते मरीज को छुट्टी देने से इनकार कर दिया था। न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति टी. आर. रवि की खंडपीठ पीड़ित माँ की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उसने न्यायालय के समक्ष अस्पताल से अपने बेटे को छुट्टी दिए जाने की मांग की थी।

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    सार्वजनिक रूप से सरगर्मी पैदा करने वाले मामले अदालत के फैसले को प्रभावित नहीं कर सकतेः मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा, "न्याय प्रशासन के पदानुक्रम में, किसी भी स्तर पर, न्यायालयों को सार्वजनिक धारणा की कर्णवेधी ध्वनियों का बंधक नहीं बनाया जा सकता है। जिस दिन यह हो जाएगा, उस दिन के बाद यह नहीं कहा जाएगा कि अदालतों को प्रभावित नहीं होती हैं।" जस्टिस अतुल श्रीधरन की खंडपीठ ने उक्त टिप्‍पणी दो सगे भाइयों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए की। दोनों भाई एक अपराध के तथ्य के समक्ष कथित साजिशकर्ता या सहायक हैं, जिसमें एक अंडर ट्रायल ,इखलाक कुरैशी की जिला न्यायालय परिसर, छिंदवाड़ा में तीन हमलावरों ने हत्या कर दी थी। कुरैशी को रिमांड सुनवाई के तहत अदालत में पेश किया गया था।

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    एमजे अक़बर बनाम प्र‌िया रमानीः दिल्ली कोर्ट ने कहा, सांसदों/ विधायकों से जुड़े सभी मामलों में तेजी लाने का आदेश देता है सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

    दिल्ली की एक कोर्ट ने प्रिया रमानी के खिलाफ एमजे अक़बर के आपराधिक मानहानि के मुकदमे को किसी अन्य अदालत में स्थानांतरित करने से इनकार करते हुए कहा है कि अश्विनी उपाध्याय मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश, न केवल विधायकों के खिलाफ दर्ज मामलों, बल्‍कि उनसे जुड़े सभी मामलों में तेजी लाने का उल्लेख करते हैं। जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुजाता कोहली ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों में 'शामिल' शब्द की व्याख्या न केवल उन मामलों को शामिल करने के लिए की जाएगी जो विधायकों के खिलाफ दायर किए गए हैं, बल्कि उन सभी मामले के लिए की जाएगी, जिनमें सांसद/ विधायक शामिल हैं।

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    28 अक्टूबर तक अंतरिम स्कूल फीस के भुगतान के संबंध में दिशा-निर्देश जारी करे सरकार: राजस्थान हाईकोर्ट

    स्कूल की फीस घटाने की मांग के बीच निजी स्कूलों को हो रही कठिनाइयों को देखते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर बेंच ने राज्य सरकार को 28 अक्टूबर, 2020 तक अंतरिम फीस के भुगतान के बारे में निर्देश जारी करने का आदेश दिया है। COVID-19 महामारी के कारण फिजिकल कक्षाओं के निलंबन के बीच निजी स्कूलों द्वारा स्कूल फीस के भुगतान के मुद्दे पर मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती और न्यायमूर्ति सतीश कुमार शर्मा की खंडपीठ द्वारा यह आदेश पारित किया गया है।

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    उत्तर प्रदेश गोहत्या निरोधक कानून का दुरुपयोग हो रहा है, किसी भी मांस को गोमांस बता दिया जाता है : इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को निर्दोष व्यक्तियों को फंसाने के लिए उत्तर प्रदेश गोहत्या निरोधक कानून, 1955 के प्रावधानों के लगातार दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त की। उक्त अधिनियम की धारा 3, 5 और 8 के तहत गोहत्या और गोमांस की बिक्री के आरोपी एक रहमुद्दीन की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सिद्धार्थ की एकल पीठ ने कहा, "कानून का निर्दोष व्यक्तियों के खिलाफ दुरुपयोग किया जा रहा है। जब भी कोई मांस बरामद किया जाता है, तो इसे सामान्य रूप से गाय के मांस (गोमांस) के रूप में दिखाया जाता है, बिना इसकी जांच या फॉरेंसिक प्रयोगशाला द्वारा विश्लेषण किए बगैर। अधिकांश मामलों में, मांस को विश्लेषण के लिए नहीं भेजा जाता है। व्यक्तियों को ऐसे अपराध के लिए जेल में रखा गया है जो शायद किए नहीं गए थे और जो कि 7 साल तक की अधिकतम सजा होने के चलते प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट द्वारा ट्रायल किए जाते हैं। "

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    भारत में पहली बार गुजरात हाईकोर्ट ने यूट्यूब पर कोर्ट की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग शुरू की

    गुजरात उच्च न्यायालय ने घोषणा की है कि हाईकोर्ट वर्चुअल सुनवाई के दौरान भी ओपन कोर्ट की अवधारणा को लागू करने और इसे व्यापक बनाने के उद्देश्य से आज से 26 अक्टूबर, 2020 से YouTube पर कोर्ट की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग शुरू करेगा। हाईकोर्ट की ओर से जारी की गई अधिसूचना में कहा गया कि यह सूचित किया जाता है कि उच्च न्यायालय की कार्यवाही अर्थात् मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ की सुनवाई का "बार के सदस्यों के लाभ के लिए" YouTube पर सीधा प्रसारण किया जाएगा।

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    इंटरमीडिएट वर्ष की परीक्षा पर बीसीआई के दिशानिर्देशों के खिलाफ लॉ स्टूडेंट की याचिका; बॉम्बे हाईकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र और गोवा से मांगा जवाब

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया के 27 मई और 9 जून के दिशा-निर्देशों को चुनौती देते हुए एक लॉ स्टूडेंट की याचिका पर सुनवाई करते हुए शैक्षणिक वर्ष शुरू होने के बाद अपने इंटरमीडिएट वर्ष के छात्रों के लिए परीक्षा आयोजित करने को कहा और याचिकाकर्ता से कहा कि वह इस मामले में बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र और गोवा को पक्षकार के रूप में पेश करे । न्यायमूर्ति एए सैयद और न्यायमूर्ति एसपी तावड़े की खंडपीठ ने गुरुवार को समरवीर सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई की, जिन्होंने बार काउंसिल ऑफ इंडिया को निर्देश देने की मांग की कि वह अपने इंटरमीडिएट वर्ष के छात्रों के लिए परीक्षा आयोजित करने के अपने दिशा-निर्देशों को वितरित करे कि यूजीसी और बीसीआई के दिशा-निर्देशों के बीच एक नितांत विरोधाभास है। कोर्ट ने स्टेट बार काउंसिल को भी नोटिस जारी किया।

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