मृतक की अवैध शादी से होने वाली संतान भी है पारिवारिक पेंशन लाभ की हकदार : गुवाहाटी हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

31 Oct 2020 10:59 AM GMT

  • मृतक की अवैध शादी से होने वाली संतान भी है पारिवारिक पेंशन लाभ की हकदार : गुवाहाटी हाईकोर्ट

    गुवाहाटी हाईकोर्ट ने माना है कि किसी मृतक के अवैध विवाह से होने वाली संतान भी इस मृतक की पारिवारिक पेंशन लाभ की हकदार होगी।

    न्यायमूर्ति अचिंत्य मल्ल बुजोर बरुआ की एकल पीठ ने कहा कि,'' मृतक की पत्नी की संतान भी,भले ही उनकी शादी वैध नहीं थी, ऐसे मृतक से संबंधित पारिवारिक पेंशन लाभ की हकदार होगी।''

    यह आदेश मृतक चंद्र चेत्री सुतार की दूसरी पत्नी की नाबालिग बेटी निकिता सुतार द्वारा दायर एक रिट याचिका में पारित किया गया है। मामले के तथ्यों के अनुसार, मृतक ने अपनी पहली पत्नी के चले जाने के बाद, याचिकाकर्ता की मां के साथ विवाह कर लिया था।

    कोर्ट के सामने सवाल यह था कि क्या इस तरह की शादी से पैदा हुआ बच्चा मृतक की पारिवारिक पेंशन का हकदार होगा?

    खंडपीठ ने उल्लेख किया कि यह मुद्दा अब पूर्ण नहीं रहा है और रामेश्वरी देवी बनाम बिहार राज्य व अन्य (2000) 2 एससीसी 431 के मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस पर चर्चा की गई थी।

    इस मामले में, सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष विवाद दो पत्नियों रामेश्वरी देवी और योगमाया देवी के बीच था। जहां उनके दिवंगत पति नारायण लाल की पेंशन का लाभ पहली पत्नी रामेश्वरी देवी, उनकी दूसरी पत्नी योगमाया देवी और उनके बच्चों को दिया गया था, जिन्होंने पटना हाईकोर्ट के समक्ष एक रिट याचिका दायर की थी, जिसे एकल न्यायाधीश ने स्वीकार कर लिया था और कहा था कि योगमाया देवी के नाबालिग बच्चे भी पारिवारिक पेंशन लाभ के हिस्से के हकदार होंगे।

    एकल न्यायाधीश के फैसले के खिलाफ दायर अपील विफल हो गई थी और तदनुसार, सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक और अपील दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचा था कि यद्यपि योगमाया देवी को मृतक की विधवा के रूप में वर्णित नहीं किया जा सकता है, क्योंकि उसकी शादी वैध नहीं थी, लेकिन नारायण लाल और योगमाया देवी के बीच हुए विवाह के बाद पैदा हुए पुत्र, नारायण लाल के वैध पुत्र माने जाएंगे। इसलिए नारायण लाल की संपत्ति में वह पहली पत्नी रामेश्वरी देवी और रामेश्वरी देवी के अन्य बच्चों के साथ समान हिस्से के हकदार होंगे।

    इस प्रकार माना गया था कि,

    ''यह विवादित नहीं हो सकता है कि नारायण लाल और योगमाया देवी के बीच विवाह हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 5 के खंड (i) के उल्लंघन में किया गया था और एक अमान्य विवाह था।

    इस अधिनियम की धारा 16 के तहत, अमान्य विवाह के तहत पैदा हुए बच्चे वैध हैं। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के तहत, यदि एक हिंदू पुरूष अगर बिना वसीयत किए ही मर जाता है तो उसकी संपत्ति सबसे पहले खंड (1) में शामिल उत्तराधिकारियों को मिलती है, जिसमें विधवा और पुत्र शामिल होते हैं। विधवा और पुत्र को ऐसी संपत्ति का हिस्सा दिया जाता है।

    योगमाया देवी को नारायण लाल की विधवा नहीं कहा जा सकता क्योंकि उसका नारायण लाल के साथ विवाह अमान्य था। परंतु नारायण लाल और योगमाया देवी के बीच के विवाह के बाद पैदा हुए पुत्र, नारायण लाल के वैध पुत्र होने के कारण, रामेश्वरी देवी और नारायाण लाल के साथ रामेश्वरी देवी के विवाह से पैदा हुए पुत्र के समान ही नारायण लाल की संपत्ति के हकदार होंगे।''

    इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून के मद्देनजर, हाईकोर्ट ने माना कि याचिकाकर्ता मृतक के पेंशन लाभ की हकदार होगी। इसलिए संबंधित प्राधिकारी को निर्देश दिया गया है कि वह पारिवारिक पेंशनरी लाभ में अन्य प्रतिवादियों के साथ-साथ याचिकाकर्ता के शेयर को भी तय करें।

    केस का शीर्षक-निकिता सुतार नाबालिग बनाम असम राज्य व अन्य।

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