उत्तराखंड सरकार ने एक सिविल जज को 13 वर्षीय बच्ची को काम पर रखने और यातना देने के कारण सेवा से बर्खास्त किया
SPARSH UPADHYAY
28 Oct 2020 8:46 PM IST
Uttarakhand govt dismisses civil judge for torturing minor girl
उत्तराखंड उच्च न्यायालय के पूर्ण पीठ के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए और राज्य सरकार की सिफारिश पर, उत्तराखंड सरकार ने एक सिविल जज को, एक नाबालिग लड़की (13 वर्षीय), जो उनके घर पर घरेलू कामकाज करती थी, कथित रूप से यातना देने के चलते सेवा से बर्खास्त कर दिया है।
सरकार ने बुधवार (21 अक्टूबर) को एक अधिसूचना जारी की है जिसमें कहा गया है कि सरकार ने दीपाली शर्मा, सिविल जज (सीनियर डिवीजन) (अंडर सस्पेंशन) को सेवा से हटा दिया है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव, उत्तराखंड सरकार राधा रतूड़ी द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, उत्तराखंड उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ ने बुधवार (14 अक्टूबर) को एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें शर्मा को सेवा से हटाने की सिफारिश की गई थी और इसे राज्य सरकार को भेजा था।
उक्त अधिसूचना में कहा गया है कि उत्तराखंड राज्य की राज्यपाल, बेबी रानी मौर्य ने उच्च न्यायालय के उक्त प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगायी।
यह ध्यान दिया जा सकता है कि सिविल जज (सीनियर डिवीजन), हरिद्वार दीपाली शर्मा पर एक नाबालिग लड़की के साथ शारीरिक और मानसिक रूप से दुर्व्यवहार करने और लड़की को घरेलू मदद के रूप में रखने का आरोप है।
13 वर्षीय लड़की ने वर्ष 2015 से 2018 तक घरेलू मदद के रूप में हरिद्वार में शर्मा के निवास पर काम किया। लड़की को पुलिस ने बचाया और उसके पश्च्यात, दीपाली शर्मा के खिलाफ हरिद्वार के सिडकुल पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया।
विशेष रूप से, पुलिस ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के एक आदेश के अनुपालन में जनवरी 2018 में जज के हरिद्वार निवास पर छापा मारा था। पुलिस ने छापे के दौरान पाया कि लड़की के शरीर पर कई चोटों के निशान थे।
इसके बाद, लड़की को बचाया गया और शर्मा के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई जिसके कारण उन्हें लगभग एक महीने बाद निलंबित कर दिया गया। शर्मा फरवरी 2018 से इस मामले के सिलसिले में निलंबित चल रही थी।
उल्लेखनीय रूप से, उच्च न्यायालय ने हरिद्वार के जिला न्यायाधीश, राजेंद्र सिंह द्वारा शर्मा के निवास पर लड़की के कथित अत्याचार के बारे में अदालत को सौंपी गई एक रिपोर्ट के आधार पर इस मामले में हस्तक्षेप किया था।