हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

Shahadat

8 Jan 2023 4:30 AM GMT

  • हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (02 जनवरी, 2023 से 06 जनवरी, 2023) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

    पत्नी अपना और बच्‍चों का गुजारा करने में सक्षम ना हो तो भरण-पोषण पाने के बाद भी सीआरपीसी की धारा 125 के तहत मुकदमा दायर कर सकती है: पीएंडएच हाईकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि एक पत्नी सीआरपीसी की धारा 125 के तहत भरण-पोषण के लिए याचिका दायर कर सकती है, इस तथ्य के बावजूद कि उसे अपने पति से गुजारा भत्ता के रूप में एकमुश्त भुगतान मिल चुका है। मौजूदा मामले में दंपति का विवाह 1983 में हुआ था। दोनों के बीच वैवाहिक विवाद के बाद वे 1993 में अलग रहने लगे। 1993 में किए गए एक लिखित समझौते के तहत पति ने पत्नी और दो बच्चों के रखरखाव के पिछले, वर्तमान और भविष्य के दावों के संबंध में पूर्ण और अंतिम भरण-पोषण के रूप में 3 लाख रुपये जमा किए।

    केस टाइटल: सुनील सचदेवा बनाम रश्मि व अन्य

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    विधवा बहू के नाबालिग बच्चे हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम की धारा 19 के तहत भरण-पोषण के हकदार: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम, 1956 की धारा 19 के तहत "विधवा" शब्द में ससुर से भरण-पोषण के उद्देश्य से उसके साथ रहने वाले नाबालिग पोते शामिल हैं। इस प्रकार हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर एक पुनरीक्षण याचिका में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसमें याचिकाकर्ता (ससुर) के तीन पोते-पोतियों में से प्रत्येक को 2000 रुपये का भरण-पोषण दिया गया था।

    केस टाइटल: हरि राम हंस बनाम दीपाली व अन्य।

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    [संयुक्त वसीयत] केवल मृतक वसीयतकर्ता की संपत्ति ही वसीयत की व्यवस्‍‌‌था से बंधी; जीवित वसीयतकर्ता की संपत्ति पर उसकी मृत्यु तक लागू नहीं होगी: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाइकोर्ट ने हाल ही में निर्धारित किया कि वसीयतकर्ताओं में से एक की मृत्यु पर, संयुक्त वसीयत हो या पारस्परिक वसीयत, वसीयत में शामिल मृत वसीयतकर्ता की संपत्ति ही केवल, वसीयत में की गई व्यवस्‍‌थ से बंधी होगी। अन्य वसीयतकर्ताओं की संपत्ति पर यह लागू नहीं होगी।

    ज‌स्टिस पी सोमराजन ने कहा कि जहां वसीयत में एक क्लॉज शामिल किया गया है कि जीवित वसीयतकर्ता को वसीयत के तहत किए गए किसी भी प्रावधान को बदलने का अधिकार नहीं होगा, उसे पारस्परिक वसीयत की आवश्यकता के विकल्प के रूप में नहीं पढ़ा जाना चाहिए, जब तक कि यह पारस्परिक निधन द्वारा समर्थित न हो।

    केस टाइटल: जयदेवी बनाम नारायण पिला व अन्य।

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    धारा 311 सीआरपीसी यह सुनिश्चित करती है कि रिकॉर्ड पर मूल्यवान साक्ष्य लाने में पार्टियों की गलती के कारण न्याय की विफलता ना हो: जेकेएल हाईकोर्ट

    जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में निचली अदालत के एक आदेश को रद्द कर दिया, जिसके तहत उसने याचिकाकर्ता को कुछ गवाहों से पूछताछ करने की अनुमति नहीं दी थी। कोर्ट ने कहा कि जम्मू-कश्मीर सीआरपीसी की धारा 540 (सीआरपीसी की धारा 311 के साथ समान सामग्री) के पीछे विधायी मंशा यह सुनिश्चित करना है कि मूल्यवान साक्ष्य को रिकॉर्ड पर लाने में किसी भी पक्ष की गलती के कारण न्याय की विफलता ना हो।

    केस टाइ‌टल: ख़ज़िर मोहम्मद नाइकू बनाम यूटी ऑफ़ जेएंडके

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    पूर्व पति का पुनर्विवाह तलाक की डिक्री के बाद जोड़े के बीच हुए समझौते पर सवाल उठाने का आधार नहीं हो सकता: कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने कहा कि पूर्व पति का पुनर्विवाह कोर्ट के समक्ष मुद्दों के निपटारे और तलाक की डिक्री के बाद जोड़े के बीच हुए समझौते पर सवाल उठाने का आधार नहीं हो सकता है।

    जस्टिस एम नागप्रसन्ना की एकल न्यायाधीश पीठ ने लता चूडिया द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कर्नाटक सिविल प्रक्रिया (मध्यस्थता) नियम, 2005 के नियम 24 और 25 के साथ पढ़े गए सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 89 के तहत समझौता ज्ञापन को अलग करने की मांग की गई थी। उसके और उसके पूर्व पति के बीच 07-08-2015 को समझौता हुआ।

    केस टाइटल: लता चूडिया बनाम बालाजी एच।

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    आम हड़ताल में भाग लेने वाले राज्य सरकार के कर्मचारी अनुच्छेद 19(1)(सी) के तहत संवैधानिक संरक्षण के हकदार नहीं: केरल हाईकोर्ट

    केरल ‌‌‌‌‌हाईकोर्ट ने केंद्र की आर्थिक नीतियों के खिलाफ पिछले साल 28 और 29 मार्च को हुई आम हड़ताल में शामिल सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ गुरुवार को कार्रवाई का आदेश दिया।

    चीफ ज‌स्टिस एस मणिकुमार और ज‌स्टिस शाजी पी चाली की एक खंडपीठ ने दोहराया कि सरकारी कर्मचारी जो आम हड़ताल में भाग लेते हैं, जनता के सामान्य जीवन को और सरकारी खजाने को प्रभावित करते हैं, वे संविधान के अनुच्छेद 19(1)(सी) के तहत सुरक्षा के हकदार नहीं हैं। यह प्रावधान एसो‌सिएशन या यूनियनों को बनाने के अधिकार की रक्षा करता है।

    केस टाइटल: चंद्र चूडेन नायर बनाम केरल राज्य और अन्य।

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    कोर्ट सीपीसी की धारा 92 के तहत ट्रस्ट पर मुकदमा करने की अनुमति मांगने वाले पक्षकारों को मंज़ूरी देने से पहले आवेदन में जुड़ने की अनुमति दे सकता है : दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि अदालतें किसी व्यक्ति को नागरिक प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) की धारा 92 के तहत ट्रस्ट के खिलाफ मुकदमा दायर करने के लिए अनुमति मांगने वाले आवेदन (Application Seeking Leave) में शामिल होने की अनुमति दे सकती हैं, क्योंकि उस स्तर पर मुकदमा शुरू किया जाना बाकी है।

    जस्टिस यशवंत वर्मा ने ऐसे मामले से निपटते हुए, जिसमें दो वादियों में से एक की मृत्यु अदालत द्वारा मुकदमा दायर करने की अनुमति देने से पहले ही हो गई, और इसलिए सह-वादी के रूप में दो और व्यक्तियों को पक्षकार बनाने की प्रार्थना की गई, कहा कि अदालत के पास पर्याप्त क्षमता नहीं है कि किसी ट्रस्ट पर मुकदमा करने के लिए अनुमति मांगने वाले आवेदन में शामिल होने के लिए व्यक्तियों को अनुमति देने की शक्ति है।

    केस टाइटल: राम सरूप लुगानी और अन्य बनाम निर्मल लुगानी व अन्य।

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    मुस्लिम महिला अधिनियम 1986| तलाकशुदा मुस्लिम महिला जब तक कि दोबारा शादी नहीं करती भरण-पोषण की हकदारः इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 3 के अनुसार, एक तलाकशुदा मुस्लिम महिला अपने पूर्व पति से न केवल 'इद्दत' की अवधि पूरी होने तक भरण-पोषण प्राप्त करने की हकदार है, बल्कि जब तक कि वह पुनर्विवाह नहीं कर लेती, शेष जीवन के लिए भी भरण-पोषण की हकदार है।

    जस्टिस सूर्य प्रकाश केसरवानी और जस्टिस मो अजहर हुसैन इदरीसी ने फैमिली कोर्ट के एक आदेश को रद्द करते हुए उक्त टिप्पणी की। फैमिली कोर्ट के फैसले में तलाकशुदा मुस्लिम महिला को केवल इद्दत की अवधि के लिए भरण-पोषण की हकदार पाया गया था।

    केस टाइटल: जाहिद खातून बनाम नुरुल हक खान [फर्स्ट अपील नंबर- 787/2022]

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    लोकल बॉडी से कानूनी रूप से देय राशि की वसूली के लिए दायर मुकदमे पर मध्य प्रदेश पंचायत राज अधिनियम की धारा 10(2) के तहत रोक लागू नहीं होगीः मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर स्थित खंडपीठ ने हाल ही में एक फैसले में कहा कि अगर राशि स्थानीय निकाय की ओर से कानूनी रूप से देय हो तो मध्य प्रदेश पंचायत राज अधिनियम, 1993 की धारा 108 (2) के तहत रिकवरी के लिए मुकदमा वर्जित नहीं होगा। अधिनियम की धारा 108(2) ग्रामीण स्थानीय निकाय या उसके अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के कथित कारण की प्राप्ति की तारीख से छह महीने के बाद मुकदमा चलाने पर रोक लगाती है।

    केस टाइटल: जनपद पंचायत कसरावद बनाम शकुंतला

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    विधवा बहू जो आश्रित है अनुकंपा नियुक्ति के लिए पात्र है: राजस्थान हाईकोर्ट

    राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने माना कि विधवा बहू भी राजस्थान मृतक सरकारी आश्रितों की अनुकंपा नियुक्ति नियम, 1996 के तहत आश्रित के रूप में अनुकंपा नियुक्ति के लिए पात्र हैं। इसके लिए पिंकी बनाम राजस्थान राज्य व अन्य (2012) मामले में डिवीजन बेंच के फैसले पर भरोसा किया। पीठ ने कहा, "1996 के नियम कानून का एक लाभकारी टुकड़ा हैं और इसलिए, हमें 'विधवा-बहू' को 'विधवा बेटी' के एक भाग और पार्सल के रूप में पढ़ने के लिए सामंजस्यपूर्ण ढंग से व्याख्या करनी चाहिए।"

    केस टाइटल: सुशीला देवी बनाम राजस्थान राज्य लोक निर्माण विभाग, लोक निर्माण विभाग, राज्य सचिवालय, जयपुर और अन्य

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    वैवाहिक विवादों में माता-पिता द्वारा नाबालिग बच्चों के भरण-पोषण के लिए आवेदन न करने की स्थिति में बच्चों के हितों की रक्षा करना न्यायालय का कर्तव्य : मद्रास हाईकोर्ट

    मद्रास हाईकोर्ट ने तलाक की याचिका पूनमल्ले से तिरुचिरापल्ली ट्रांसफर करने की मांग को लेकर दायर महिला की याचिका को अनुमति देते हुए कहा कि माता-पिता अपने नाबालिग बच्चों का भरण-पोषण करने के लिए बाध्य हैं और किसी औपचारिक आवेदन की गैर मौजूदगी में न्यायालय का कर्तव्य है कि वह नाबालिग बच्चों के हितों की रक्षा के लिए अंतरिम भरण-पोषण का आदेश देने पर विचार करे।

    जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम ने कहा कि हालांकि अंतरिम भरण-पोषण का आदेश इस शर्त पर है कि पत्नी या पति, जो दावा करता है, उसके पास उसके या उसके समर्थन के लिए पर्याप्त स्वतंत्र आय न हो, यह भरण-पोषण के दावे का कोई जवाब नहीं है कि पत्नी शिक्षित है और अपना भरण-पोषण कर सकती है।

    केस टाइटल: पी गीता बनाम वी. किरुभरण

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    अनुच्छेद 226| रिट कोर्ट वित्तीय विशेषज्ञ नहीं बन सकता व्यावसायिक विवेक न्यायिक जांच का विषय नहीं हो सकता: गुजरात हाईकोर्ट

    गुजरात हाईकोर्ट ने रिट कोर्ट की कार्य प्रणाली पर एक महत्वपूर्ण टिप्‍पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अधिकार क्षेत्र का प्रयोग कर रहीं अदालतें रिट अदालतें वित्तीय विशेषज्ञों नहीं बन सकती हैं और व्यावसायिक विवेक के मामलों का फैसला नहीं कर सकती हैं।

    चीफ जस्टिस अरविंद कुमार और ज‌‌स्टिस आशुतोष जे शास्त्री की खंडपीठ ने कहा कि वित्तीय और बैंकिंग मामलों में हस्तक्षेप केवल तभी किया जाएगा जब विवादित निर्णय स्पष्ट रूप से प्रतिकूल, अवैध, या मामले के स्वीकृत तथ्यों के विपरीत हो।

    केस टाइटल: कीर्तिलाल रवचंदभाई संघवी व अन्य बनाम भारतीय रिजर्व बैंक और अन्य।

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    जमानत का आधार यह तय करने के लिए महत्वपूर्ण कि अभियुक्त की निवारक हिरासत जरूरी या नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में दोहराया कि हिरासतकर्ता प्राधिकरण जब यह तय करे कि अभियुक्त को निवारक रूप से हिरासत में लेने की जरूरत है या नहीं, उसे जमानत के आधारों पर विचार करना होगा। जस्टिस सुनील बी शुकरे और जस्टिस एमडब्ल्यू चंदवानी की खंडपीठ ने एमपीडीए एक्‍ट की धारा 3 के तहत एक व्यक्ति की निवारक हिरासत के आदेश को रद्द कर दिया।

    केस नंबरः आपराधिक रिट याचिका संख्या 626/2022

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    अनुबंध में शामिल आर्बिट्रेशन क्लाज बाध्यकारी हैं, न कि पर्चेज ऑर्डर में निहित क्लाज: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि जहां पक्षकारों ने विस्तृत नियमों और शर्तों को निर्धारित करते हुए विस्तृत अनुबंध निष्पादित किया, पक्षकार अनुबंध में निहित आर्बिट्रेशन क्लाज द्वारा बाध्य होंगी, न कि पर्चेज ऑर्डर में निहित खंड द्वारा। भले ही पर्चेज ऑर्डर अनुबंध से पहले जारी किया गया।

    जस्टिस मिनी पुष्करणा की पीठ ने कहा कि पर्चेज ऑर्डर अनुबंध से स्वतंत्र नहीं है और पक्षकारों ने स्पष्ट रूप से अनुबंध को मुख्य समझौता बनाने का इरादा किया। इस प्रकार, न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि पक्षकारों को अनुबंध में निहित आर्बिट्रेशन क्लाज द्वारा शासित किया जाएगा, भले ही आर्बिट्रेशन क्लाज विशेष रूप से पर्चेज ऑर्डर में शामिल नहीं किया गया।

    केस टाइटल: संघवी मूवर्स लिमिटेड बनाम विविड सोलेयर एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड

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    पोक्सो एक्ट| घटना के संबंध में बच्‍चों का विवरण महत्वपूर्ण, क्योंकि उन्हें समझ नहीं कि यौन हमला क्या हैः मद्रास हाईकोर्ट

    मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि पोक्सो मामलों में यह तय करने के लिए कि क्या पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट किया गया है, घटना के संबंध में बच्‍चों की ओर से दिया गया वर्णन बहुत महत्वपूर्ण होता है। उक्त टिप्पणियों के साथ पीठ ने पोक्सो मामले में एक व्यक्ति पर लगे आरोपों को रद्द करने से मना कर दिया।

    जस्टिस पीएन प्रकाश और जस्टिस आनंद वेंकटेश की पीठ ने कहा कि बच्चे के दृष्टिकोण से यौन हमले को केवल शारीरिक हमले के रूप में नहीं देखा जा सकता है क्योंकि बच्चे को यह समझ नहीं होती कि यौन हमला क्या है। इसलिए अदालतों एक निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए अपराध के विवरण को देखना होगा।

    केस टाइटल: मणिकंदन बनाम राज्य

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    श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद : मथुरा मस्जिद कमेटी ने कोर्ट के 'सर्वे' आदेश के खिलाफ आपत्ति दाखिल की

    शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी ने सोमवार को मथुरा कोर्ट के समक्ष एक आवेदन दायर कर श्री कृष्ण जन्मस्थान-शाही ईदगाह विवाद मामले में मस्जिद परिसर के 'सर्वेक्षण' करने के पिछले महीने के कोर्ट के आदेश पर आपत्ति जताई। अपने आदेश में सिविल जज III सोनिका वर्मा ने सिविल कोर्ट अमीन (जिसे अदालत का अधिकारी भी कहा जाता है) को विवादित स्थल का दौरा करने और सर्वेक्षण करने और 20 जनवरी तक अदालत के समक्ष एक रिपोर्ट (नक्शे के साथ) जमा करने का निर्देश दिया था।

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    कानून पति को पत्नी की सहमति और जानकारी के बिना उसका घरेलू सामान और ज्वैलरी ले जाने की अनुमति नहीं देता: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि कानून पति को पत्नी की सहमति और जानकारी के बिना उसकी ज्वैलरी सहित घरेलू सामान ले जाने की अनुमति नहीं देता। जस्टिस अमित महाजन ने यह देखते हुए कि किसी भी व्यक्ति को इस बहाने से कानून अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती कि पक्षकार मुकदमेबाजी कर रहे हैं, कहा, "सिर्फ इसलिए कि स्त्रीधन के संबंध में पत्नी की शिकायत लंबित है, इसका मतलब यह नहीं कि पति को चुपके से पत्नी को वैवाहिक घर से बाहर फेंकने और सामान ले जाने की अनुमति दी जा सकती है।"

    केस टाइटल: अक्षय ढींगरा बनाम राज्य (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार)

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    मकोका | मुकदमा चलाने की अनुमति से इनकार न्यायिक हिरासत के विस्तार के आदेश को अमान्य नहीं करता: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में एक मामले में कहा कि अदालत जब किसी आरोपी की न्यायिक हिरासत बढ़ा देती है तो मुकदमा चलाने की मंजूरी से इनकार हिरासत के बढ़ाने को अमान्य नहीं कर देता। उक्त टिप्पणी के साथ कोर्ट ने महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम, 1999 के तहत एक मामले में डिफॉल्ट जमानत देने से इनकार कर दिया।

    केस टाइटलः नरेश पुत्र नेतराम नागपुरे व अन्य बनाम महाराष्ट्र राज्य

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    आंसर की ((key) की शुद्धता के संबंध में संदेह का लाभ एग्जाम अथॉरिटी के पक्ष में जाता है, उम्मीदवार के पक्ष में नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह देखते हुए कि एग्जाम की आंसर की (key) की शुद्धता के बारे में हमेशा एक धारणा होती है, कहा कि आंसर की की शुद्धता पर संदेह की स्थिति में लाभ उम्मीदवार के बजाय एग्जाम अथॉरिटी को जाना चाहिए।

    जस्टिस जे जे मुनीर की पीठ ने ज्ञान प्रकाश सिंह की वह रिट याचिका खारिज कर दी, जिसमें उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा संस्थान शिक्षा सेवा आयोग (UPHESC) द्वारा आयोजित कंपीटिशन एग्जाम में सहायता प्राप्त गैर-सरकारी कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर (कैमिस्ट्री) के रूप में उनका चयन न करने के निर्णय को चुनौती दी गई थी।

    केस टाइटल- ज्ञान प्रकाश सिंह बनाम यूपी राज्य और अन्य [WRIT - A No. - 8892/2022]

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    यदि देयता स्वीकार की जाती है, तो बकाया भुगतान न करने के संबंध में विवाद को आर्बिट्रेशन के लिए नहीं भेजा जा सकता: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि जहां अनुबंध के तहत देय राशि का भुगतान पक्षकारों द्वारा स्वीकार किया जाता है, उनके बीच भुगतान न करने से संबंधित विवाद को विवाद नहीं कहा जा सकता है, जो 'से उत्पन्न' या 'संबंध में' अनुबंध के तहत हुआ है। इस प्रकार इसे आर्बिट्रेशन के लिए नहीं भेजा जा सकता है।

    जस्टिस निधि गुप्ता की पीठ ने यह मानते हुए कि यह अनुबंध के तहत देय अंतिम राशि का भुगतान न करने का साधारण मामला है, फैसला सुनाया कि सिविल जज ने मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 (ए एंड सी एक्ट) की धारा 8 के तहत इसके समक्ष दायर वसूली मुकदमे में याचिकाकर्ता के आवेदन को खारिज कर दिया।

    केस टाइटल: मैसर्स सिम्पलेक्स इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और अन्य बनाम मेसर्स जेपी सिंगला इंजीनियर्स एंड कॉन्ट्रैक्टर

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    जब प्राइवेट एंटिटी रिट क्षेत्राधिकार के अधीन होती है तो न्यायिक पुनर्विचार सार्वजनिक कार्यों तक सीमित होता है: जम्मू एंड कश्मीर एंड एल हाईकोर्ट

    जम्मू एंड कश्मीर एंड एल हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि जिन मामलों में प्राइवेट एंटिटी रिट क्षेत्राधिकार के अधीन है, न्यायिक पुनर्विचार की शक्तियां उन कार्यों तक सीमित हैं, जिनमें सार्वजनिक कर्तव्य का तत्व शामिल है।

    जस्टिस संजय धर ने उस याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिसके संदर्भ में याचिकाकर्ता प्रतिवादी जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का घटक) को निर्देश देने के लिए प्रार्थना कर रहा है कि वह छह करोड़ रुपये की अपनी स्वीकृत देयता को जारी करे।

    केस टाइटल: एम/एस आइशा कंस्टीट्यूशन बनाम जेकेसीए

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    सर्विस प्रोवाइडर के बीच विवाद को आर्बिट्रेशन के लिए नहीं भेजा जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण अधिनियम, 1997 (ट्राई एक्ट) स्व-निहित कोड है, जिसका उद्देश्य देश में प्रोवाइड की गई दूरसंचार सर्विसेज से उत्पन्न होने वाले सभी विवादों से निपटना है। इसलिए सर्विस प्रोवाइडर के बीच उपभोक्ताओं/सब्सक्राइबरों को प्रभावित कर सकने वाले विवाद को आर्बिट्रेशन के लिए नहीं भेजा जा सकता। इस प्रकार, न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि ट्राई एक्ट की धारा 14(ए)(ii) के मद्देनजर सर्विस प्रोवाइडर के बीच विवाद दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण (टीडीसैट) के तहत आता है।

    केस टाइटल: वर्ल्ड फोन इंटरनेट सर्विसेज प्रा. लिमिटेड बनाम वन ओटीटी इंटरटेनमेंट लिमिटेड केंद्र में

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    प्रोविजनल एंटी-डंपिंग ड्यूटी की अधिसूचना और फाइनल एंटी-डंपिंग ड्यूटी की अधिसूचना की समाप्ति के बीच की अवधि के दौरान किए गए आयात पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी नहीं लगेगी: गुजरात हाईकोर्ट

    गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) ने कहा कि प्रोविजनल एंटी-डंपिंग ड्यूटी (एडीडी) लगाने की अधिसूचना की समाप्ति और फाइनल एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाने वाली अधिसूचना के बीच की अवधि के दौरान किए गए आयात पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी नहीं लगेगी। कोर्ट ने राजस्व विभाग द्वारा किए गए तर्क को खारिज कर दिया कि चूंकि फाइनल एंटी-डंपिंग ड्यूटी की अधिसूचना, प्रोविजनल एंटी-डंपिंग ड्यूटी की अधिसूचना के दिन से लागू की गई थी इसलिए आयातित माल पर प्रोविजनल एंटी-डंपिंग ड्यूटी के रेट की ड्यूटी ही लागू होगी।

    केस टाइटल: परफेक्ट इम्पोर्टर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड बनाम भारत सरकार

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