आंसर की ((key) की शुद्धता के संबंध में संदेह का लाभ एग्जाम अथॉरिटी के पक्ष में जाता है, उम्मीदवार के पक्ष में नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

Shahadat

2 Jan 2023 2:27 PM GMT

  • आंसर की ((key) की शुद्धता के संबंध में संदेह का लाभ एग्जाम अथॉरिटी के पक्ष में जाता है, उम्मीदवार के पक्ष में नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

     Allahabad High Court

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह देखते हुए कि एग्जाम की आंसर की (key) की शुद्धता के बारे में हमेशा एक धारणा होती है, कहा कि आंसर की की शुद्धता पर संदेह की स्थिति में लाभ उम्मीदवार के बजाय एग्जाम अथॉरिटी को जाना चाहिए।

    जस्टिस जे जे मुनीर की पीठ ने ज्ञान प्रकाश सिंह की वह रिट याचिका खारिज कर दी, जिसमें उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा संस्थान शिक्षा सेवा आयोग (UPHESC) द्वारा आयोजित कंपीटिशन एग्जाम में सहायता प्राप्त गैर-सरकारी कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर (कैमिस्ट्री) के रूप में उनका चयन न करने के निर्णय को चुनौती दी गई थी।

    संक्षेप में मामला

    याचिकाकर्ता का मामला है कि लिखित परीक्षा के बाद आयोग द्वारा लास्ट आंसर की जारी की गई और याचिकाकर्ता ने उसे आवंटित प्रश्न पुस्तिका के प्रश्न नंबर 37, 38 और 44 (श्रृंखला 'ए') के दिखाए गए उत्तरों के संबंध में आपत्ति दर्ज की। हालांकि, जब लास्ट आंसर की जारी की गई तो उसके द्वारा आपत्ति की गई 3 में से 2 उत्तरों को नहीं हटाया गया।

    हालांकि याचिकाकर्ता को रिटन एग्जाम में सफल घोषित किया गया, लेकिन आयोग द्वारा रिटन एग्जाम और उसके बाद इंटरव्यू में अर्जित अंकों को जोड़कर तैयार की गई लास्ट लिस्ट में उसका नाम नहीं आया।

    इस पृष्ठभूमि के खिलाफ उसकी यह प्राथमिक शिकायत है कि संपूर्ण चयन गलत की आंसर को सुधारे बिना किया गया और यदि विवादित उत्तरों को सुधारा गया है तो विशेषज्ञों द्वारा उचित निर्धारण पर उन्हें तीन अंक अतिरिक्त दिये जाएंगे। अगर ऐसा किया गया तो उसका चयन हो जाएगा।

    दूसरी ओर, इस मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करते हुए राज्य ने प्रस्तुत किया कि आयोग के पास पुनर्मूल्यांकन करने या अपनी स्वयं की आंसर की में बदलाव करने की शक्ति नहीं है, क्योंकि यह विशेषज्ञों के आकलन के बाद ही संभव है।

    यह आगे प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता की आपत्तियों को आयोग द्वारा नियुक्त विशेषज्ञों के पैनल द्वारा खारिज कर दिया गया, इसलिए, 3 में से 2 प्रश्नों को हटाया नहीं गया।

    हाईकोर्ट की टिप्पणियां

    दोनों पक्षों के वकीलों को सुनने के बाद न्यायालय ने पाया कि जहां तक मैन आंसर की शुद्धता का संबंध है, उनकी शुद्धता के बारे में अनुमान है और मैन आंसर्स के संबंध में संदेह का लाभ एग्जाम अथॉरिटी को दिया जाएगा, उम्मीदवार को नहीं।

    इस संबंध में न्यायालय ने रण विजय सिंह और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य, (2018) 2 SCC 357, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और अन्य बनाम राहुल सिंह और अन्य, (2018) 7 एससीसी 254 और त्रिपुरा हाईकोर्ट बनाम तीर्थ सारथी मुखर्जी और अन्य, (2019) 2 स्केल 708 के मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों को ध्यान में रखा कि जहां सार्वजनिक एग्जाम के मामलों में विशेषज्ञ राय के आधार पर मैन आंसर्स की शुद्धता का सवाल हो, वहां न्यायालय को आम तौर पर अपने हाथों को बंद रखना चाहिए।

    अदालत ने टिप्पणी की,

    "मैन आंसर्स को सही माना जाना चाहिए, विशेष रूप से जब विषय में निपुण विशेषज्ञों के पैनल द्वारा आपत्ति की पुष्टि करने के बाद चयन प्राधिकरण द्वारा नियुक्त किया गया, जो क़ानून द्वारा चयन की शक्ति रखता हो। न्यायालय को आंसर की के संबंध में विशेषज्ञ की राय पर अपील नहीं की जा सकती, जिस पर पब्लिक एक्ज़ाम का मूल्यांकन किया जाना है। यह प्रासंगिक विषय में तकनीकी तर्क की विस्तृत प्रक्रिया के बिना स्पष्ट बेतुकापन या प्रकट त्रुटि के मामलों में बहुत ही दुर्लभ मामलों हैं, जहां आश्वस्त हो कि आंसर की को सुधारने के लिए स्वतंत्र विशेषज्ञ की राय ले सकती है।"

    इसके अलावा, न्यायालय ने यह भी कहा कि रिट याचिका में तीन विवादित मैन आंसर्स पर आपत्तियों का कोई आधार या स्रोत याचिकाकर्ता द्वारा प्रकट नहीं किया गया।

    यह संदेह करने के लिए कि वे अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं और उनका ध्यान लास्ट आंसर की में गिरावट की ओर आकर्षित होने पर गलत और साथ ही अस्पष्ट उत्तरों को बाहर करने के लिए आपत्तियों की सावधानीपूर्वक जांच की होगी।

    नतीजतन, कोर्ट ने यह देखा कि आयोग द्वारा उनकी आंसर की की सत्यता की जांच में पर्याप्त सुरक्षा उपायों का पालन किया गया है और इसी आधार पर चयन किए गए हैं। इस प्रकार रिट याचिका खारिज कर दी।

    उपस्थिति: याचिकाकर्ता के वकील: प्राणेश कुमार मिश्रा और अमित कुमार तिवारी, प्रतिवादी के वकील: गगन मेहता

    केस टाइटल- ज्ञान प्रकाश सिंह बनाम यूपी राज्य और अन्य [WRIT - A No. - 8892/2022]

    केस साइटेशन: लाइवलॉ (एबी) 1/2023

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