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खिलाड़ियों को जन्म के दो साल के भीतर जारी किए गए जन्म प्रमाण पत्र जमा करने की आवश्यकता वाले नियम के बारे में समाधान खोजें: दिल्ली हाईकोर्ट ने बास्केटबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया से कहा
खिलाड़ियों को जन्म के दो साल के भीतर जारी किए गए जन्म प्रमाण पत्र जमा करने की आवश्यकता वाले नियम के बारे में समाधान खोजें: दिल्ली हाईकोर्ट ने बास्केटबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया से कहा

दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय बास्केटबॉल महासंघ को भारतीय खेल प्राधिकरण और केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्रालय के साथ एक बैठक आयोजित करने का निर्देश दिया है ताकि उन खिलाड़ियों के लिए एक समाधान खोजा जा सके, जिन्होंने बीएफआई नियम के अनुसार जन्म के वर्ष में या जन्म के दो वर्ष के भीतर जन्म प्रमाण पत्र नहीं प्राप्त कर पाए थे, और उन्हें आयोग्य करार दिया गया।जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने कहा,“यह संभव है कि बड़ी संख्या में खिलाड़ियों को उनके जन्म के तुरंत बाद या उसके बाद दो साल के भीतर प्रमाण पत्र जारी नहीं...

हम समझते हैं कि आप नहीं चाहते कि यह बेंच मामले की सुनवाई करे: सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो मामले में दोषियों की सुनवाई जुलाई तक के लिए स्थगित की
हम समझते हैं कि आप नहीं चाहते कि यह बेंच मामले की सुनवाई करे': सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो मामले में दोषियों की सुनवाई जुलाई तक के लिए स्थगित की

बिलकिस बानो के मामले में सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को अंतिम सुनवाई निर्धारित समय के अनुसार नहीं हो सकी।कुछ दोषियों के वकीलों ने नोटिस की तामील के संबंध में बानो के हलफनामे पर सवाल खड़ा किया। उल्लेखनीय है कि बानो ने 2002 के गुजरात दंगों के दौरान सामूहिक बलात्कार और हत्याओं के लिए उम्रकैद की सजा पाने वाले दोषियों की समय से पहले रिहाई की अनुमति देने के गुजरात सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने मामले को आज दोपहर 2...

वक्फ अधिनियम की धारा 52ए उन किरायेदारों पर लागू नहीं हो सकती जिन्होंने इस प्रावधान के लागू होने से पहले कब्जा कर लिया था : सुप्रीम कोर्ट
वक्फ अधिनियम की धारा 52ए उन किरायेदारों पर लागू नहीं हो सकती जिन्होंने इस प्रावधान के लागू होने से पहले कब्जा कर लिया था : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि वक्फ अधिनियम 1995 की धारा 52ए के तहत उन लोगों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही नहीं की जा सकती है, जिनका 2013 में उक्त प्रावधान पेश किए जाने के समय वक्फ संपत्ति पर कब्ज़ा था और पट्टे की अवधि समाप्त होने, बेदखली के लिए सिविल कार्यवाही के बाद भी कब्जे में बने हुए हैं। जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस दीपांकर दत्ता ने अवलोकन किया,"धारा 52A उन मामलों को कवर नहीं कर सकती है जहां वक्फ संपत्तियों के पट्टे अतीत में समाप्त हो गए थे और जहां किरायेदार या पट्टेदार, 2013 के संशोधन के लागू...

पुलिस सब-इंस्पेक्टर चयन - सुप्रीम कोर्ट ने सवालों पर उम्मीदवारों की आपत्तियों पर विचार नहीं करने पर हाईकोर्ट की गलती बताई
पुलिस सब-इंस्पेक्टर चयन - सुप्रीम कोर्ट ने सवालों पर उम्मीदवारों की आपत्तियों पर विचार नहीं करने पर हाईकोर्ट की गलती बताई

सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड में पुलिस की नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों के एक वर्ग को एक बड़ी राहत देते हुए हाईकोर्ट के एक आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें पुलिस सब-इंस्पेक्टर के पद के उम्मीदवारों को राहत देने से इनकार कर दिया गया था, जिन्होंने एक सीमित प्रतियोगी परीक्षा में न्यूनतम योग्यता अंक प्राप्त नहीं किए थे, लेकिन परिणाम घोषित होने से पहले नौ प्रश्नों पर आपत्ति जताई थी। खंडपीठ ने कहा:"हाईकोर्ट को योग्यता के आधार पर आपत्तियों पर विचार करना चाहिए था और/या नौ प्रश्नों पर विशेषज्ञ की राय मांगनी थी,...

आईबीसी के तहत कंपनी के परिसमापन के बाद श्रमिकों के बकाया के लिए कोई प्राथमिकता नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 327(7) को बरकरार रखा
आईबीसी के तहत कंपनी के परिसमापन के बाद श्रमिकों के बकाया के लिए कोई प्राथमिकता नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 327(7) को बरकरार रखा

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कंपनी अधिनियम 2013 के एक प्रावधान को बरकरार रखा, जिसमें कहा गया है कि इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड 2016 के प्रावधानों के अनुसार किसी कंपनी के परिसमापन (Liquidation) से गुजरने की स्थिति में श्रमिकों के बकाया को अधिमान्य भुगतान नहीं मिलेगा।जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 327(7) की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच को खारिज कर दिया।कंपनी अधिनियम की धारा 326 और 327 के अनुसार, कंपनी के समापन की स्थिति में कुछ...

जजमेंट में कही गई हर बात मिसाल नहीं बनती: सुप्रीम कोर्ट ने ओबिटर डिक्टा और रेश्यो डिसीडेनी के बीच के अंतर को समझाया
"जजमेंट में कही गई हर बात मिसाल नहीं बनती': सुप्रीम कोर्ट ने ओबिटर डिक्टा और रेश्यो डिसीडेनी के बीच के अंतर को समझाया

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में पारित एक आदेश में ओबिटर डिक्टा और रेश्यो डिसीडेन्डी के बीच के अंतर को संक्षेप "जजमेंट में कही गई हर बात मिसाल नहीं बनती': सुप्रीम कोर्ट ने ओबिटर डिक्टा और रेश्यो डिसीडेनी के बीच के अंतर को समझाया।जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने कहा,"जज द्वारा निर्णय देते समय जो कुछ कहा गया है वह सब कुछ नहीं है जो एक मिसाल का गठन करता है। एक जज के फैसले में कानूनी मिसाल के रूप में बाध्यकारी होने वाली एकमात्र चीज वह सिद्धांत है जिस पर मामले का फैसला किया जाता है और...

एआईएफएफ : सुप्रीम कोर्ट ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के संविधान के मसौदे पर विचार करने के लिए जस्टिस एल नागेश्वर राव को नियुक्त किया
एआईएफएफ : सुप्रीम कोर्ट ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के संविधान के मसौदे पर विचार करने के लिए जस्टिस एल नागेश्वर राव को नियुक्त किया

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के संविधान के मसौदे पर विचार करने की प्रक्रिया को संभालने के लिए और साथ ही उक्त संविधान में हितधारकों द्वारा किए गए सभी सुझावों, टिप्पणियों और आपत्तियों पर भी विचार करने के लिए अपने पूर्व जज जस्टिस एल नागेश्वर राव को नियुक्त किया।सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने 15 जुलाई 2023 तक संविधान के मसौदे पर विचार करने पर एक व्यापक रिपोर्ट देने का निर्देश दिया।इन कार्यवाहियों का पता दिल्ली हाईकोर्ट के 2017 के आदेश से...

सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक दलीलों के बिना पुनर्विचार याचिकाओं के निपटान की अनुमति देने वाले नियम को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक दलीलों के बिना पुनर्विचार याचिकाओं के निपटान की अनुमति देने वाले नियम को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुप्रीम कोर्ट नियम 2013 के आदेश XLVII के नियम 3 के प्रावधानों को चुनौती देने वाली एक याचिका को खारिज कर दिया, जो बिना किसी मौखिक दलीलों के पुनर्विचार याचिकाओं के निपटान का प्रावधान करता है।सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि पी एन ईश्वर अय्यर बनाम सुप्रीम कोर्ट में इस न्यायालय का निर्णय किसी भी पुनर्विचार का वारंट नहीं करता है।पी एन ईश्वर अय्यर में, चुनौती सुप्रीम कोर्ट नियम 1966 के प्रावधानों के खिलाफ थी, जो मौखिक दलीलों के बिना...

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली दंगों की साजिश मामले में तीन छात्र नेताओं को मिली जमानत के खिलाफ दिल्ली पुलिस की चुनौती खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली दंगों की साजिश मामले में तीन छात्र नेताओं को मिली जमानत के खिलाफ दिल्ली पुलिस की चुनौती खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली पुलिस की उस विशेष याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें दिल्ली दंगों की साजिश मामले में स्टूडेंट एक्टिविस्ट देवांगना कलिता, नताशा नरवाल और आसिफ इकबाल तन्हा को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत को चुनौती दी गई थी। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने अपने आदेश में कहा, "हमें इस मामले को जीवित रखने का कोई कारण नहीं मिला।"पीठ ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि आरोपी को जमानत देते समय गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के प्रावधानों के लिए...

फांसी पर लटकाने के बजाय अन्य तरीकों से मौत की सजा की मांग: केंद्र सरकार जांच के लिए एक्सपर्ट कमेटी बनाने पर विचार कर रही है, सुप्रीम कोर्ट में एजी ने बताया
फांसी पर लटकाने के बजाय अन्य तरीकों से मौत की सजा की मांग: केंद्र सरकार जांच के लिए एक्सपर्ट कमेटी बनाने पर विचार कर रही है, सुप्रीम कोर्ट में एजी ने बताया

सुप्रीम कोर्ट को केंद्र सरकार ने मंगलवार को सूचित किया कि वह यह निर्धारित करने के लिए एक्सपर्ट कमेटी बनाने पर विचार कर रही है कि क्या फांसी पर लटकाने से मृत्युदंड का निष्पादन आनुपातिक है और क्या मृत्युदंड को निष्पादित करने के लिए अन्य बेहतर अनुकूल विकल्प हैं।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की खंडपीठ उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मौत की सजा के दोषी को फांसी पर लटकाने की वर्तमान प्रथा को खत्म करने की मांग की गई, जिससे "लंबे समय तक दर्द और...

सुप्रीम कोर्ट ने द केरल स्टोरी मूवी की रिलीज रोकने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार किया
सुप्रीम कोर्ट ने 'द केरल स्टोरी' मूवी की रिलीज रोकने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार किया

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को फिल्म 'द केरल स्टोरी' की रिलीज को चुनौती देने वाली अर्जी पर विचार करने से मना कर दिया।जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की खंडपीठ ने कहा कि इंटरलोक्यूटरी आवेदन के माध्यम से फिल्म की रिलीज को चुनौती देना उचित उपाय नहीं है।वादकालीन आवेदन लंबित रिट याचिका में दायर किया गया, जो अभद्र भाषा के अपराधों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए दायर की गई। तत्काल लिस्टिंग के लिए आवेदन का उल्लेख करते हुए एडवोकेट निजाम पाशा ने कहा कि फिल्म "घृणित भाषण का सबसे खराब उदाहरण है"...

कैरिज बाय रोड एक्ट की धारा 16 अकेले खेप को हुए नुकसान/क्षति के संबंध में वाद/कानूनी कार्यवाही के लिए लागू: सुप्रीम कोर्ट
कैरिज बाय रोड एक्ट की धारा 16 अकेले खेप को हुए नुकसान/क्षति के संबंध में वाद/कानूनी कार्यवाही के लिए लागू: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सड़क मार्ग द्वारा वहन अधिनियम, 2007 (Carriage by Road Act, 2007) की धारा 16 केवल तभी लागू होती है, जब माल के किसी भी नुकसान या क्षति के लिए दावा किया जाता है, न कि नुकसान या क्षति के किसी अन्य दावे के संबंध में।जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यन और जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ ने देखा कि नए अधिनियम की धारा 16 का प्रावधान प्रतिष्ठा, व्यापार अवसर आदि की हानि के लिए नुकसान के दावों के संबंध में नोटिस देने की शर्त की तुलना में लागू नहीं होता है, क्योंकि इस तरह के दावे खेप को नुकसान या...

पूरी तरह समय की बर्बादी: सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद रिट याचिका दायर करने वाले वादी पर जुर्माना लगाया
'पूरी तरह समय की बर्बादी: सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद रिट याचिका दायर करने वाले वादी पर जुर्माना लगाया

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाया, जिसने अपने मामले को फिर से खोलने के लिए उसकी पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद रिट याचिका दायर की थी, जिसमें दावा किया गया कि उसके साथ अन्याय हुआ है।जस्टिस एसके कौल और जस्टिस अरविंद कुमार की खंडपीठ ने इसे 'न्यायिक समय की पूरी बर्बादी' बताते हुए रिट याचिका खारिज कर दी और जुर्माना लगाया। हालांकि, याचिकाकर्ता की वित्तीय बाधाओं को देखते हुए इसने जुर्माना राशि को 10,000 रुपये तक सीमित कर दिया।खंडपीठ इस बात से परेशान थी कि पुनर्विचार...

नागरिकों की स्वतंत्रता से संबंधित मामलों में न्यायालयों को शीघ्रता से कार्य करना चाहिए; जमानत याचिकाओं में साक्ष्य के विस्तृत विचार-विमर्श से बचें: सुप्रीम कोर्ट
नागरिकों की स्वतंत्रता से संबंधित मामलों में न्यायालयों को शीघ्रता से कार्य करना चाहिए; जमानत याचिकाओं में साक्ष्य के विस्तृत विचार-विमर्श से बचें: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका की अनुमति देते हुए आदेश में कहा कि किसी नागरिक की स्वतंत्रता से संबंधित आदेश पारित करने में अत्यधिक देरी संवैधानिक जनादेश के अनुरूप नहीं है। इस मामले में हाईकोर्ट ने आरोपी की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी थी।सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें यह देखते हुए अंतरिम संरक्षण दिया कि (i) यह दीवानी विवाद से उत्पन्न क्रॉस केस है, (ii) प्रथम दृष्टया यह दिखाने के लिए कोई सामग्री नहीं है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के प्रावधानों को लागू...

सुप्रीम कोर्ट ने नौकरी और एडमिशन में 58% आरक्षण देने वाले छत्तीसगढ़ सरकार के कानूनी संसोधन को रद्द करने वाले हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने नौकरी और एडमिशन में 58% आरक्षण देने वाले छत्तीसगढ़ सरकार के कानूनी संसोधन को रद्द करने वाले हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई

सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार को बड़ी राहत देते हुए सोमवार को हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें राज्य सरकार द्वारा 58 प्रतिशत आरक्षण देने के कदम को 'असंवैधानिक' घोषित किया गया था।जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसुचित जातियों, जन जातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) अधिनियम, 2011 को रद्द करने के छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।इस 2011 अधिनियम द्वारा, 1994 में अधिनियमित मूल...

हम किसी का करियर खत्म कर सकते हैं: सुप्रीम कोर्ट ने याचिका के लंबित रहने के दौरान जिला न्यायाधीशों की पदोन्नति की अधिसूचित जारी करने के लिए गुजरात सरकार की खिंचाई की
'हम किसी का करियर खत्म कर सकते हैं': सुप्रीम कोर्ट ने याचिका के लंबित रहने के दौरान जिला न्यायाधीशों की पदोन्नति की अधिसूचित जारी करने के लिए गुजरात सरकार की खिंचाई की

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हाईकोर्ट द्वारा अनुशंसित नामों को चुनौती देने वाली याचिका के लंबित रहने के दौरान मार्च में सरकारी अधिसूचना द्वारा गुजरात में जिला न्यायाधीशों को दी गई पदोन्नति पर कड़ी आपत्ति जताई।जस्टिस एमआर शाह ने कहा,'ऐसी कौन-सी असाधारण जल्दबाजी थी कि राज्य सरकार पदोन्नति की अधिसूचना जारी करने से पहले दस दिन इंतजार नहीं कर सकी? क्या आपका सचिव कानून से ऊपर है? यह और कुछ नहीं बल्कि इस अदालत और वर्तमान कार्यवाही को खत्म करने का प्रयास है। हम इस मामले को बेहद गंभीरता से ले रहे हैं। हम...

अंतिम समय में जांच के लिए समय बढ़ाने की मांग न करें, आरोपी डिफ़ॉल्ट जमानत के हकदार होंगे : सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए, पुलिस से कहा
अंतिम समय में जांच के लिए समय बढ़ाने की मांग न करें, आरोपी डिफ़ॉल्ट जमानत के हकदार होंगे : सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए, पुलिस से कहा

सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसियों को अंतिम समय में जांच पूरी करने के लिए समय बढ़ाने की मांग करने वाले आवेदन दाखिल करने के प्रति आगाह किया है।भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने यह टिप्पणी यह देखने के बाद की कि पंजाब पुलिस (जांच बाद में एनआईए द्वारा हाथ में ले ली गई) ने यूएपीए की धारा 43 डी (2) (बी ) के अनुसार जांच के लिए समय बढ़ाने की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया था, जब केवल 90 दिनों का समय समाप्त होने के लिए दो दिन शेष थे। कोर्ट ने 101वें दिन समय...

यह कैसे तय किया जाए कि विवाह असाध्य रूप से टूट गया है? सुप्रीम कोर्ट ने कारकों को चिन्हित किया
यह कैसे तय किया जाए कि विवाह असाध्य रूप से टूट गया है? सुप्रीम कोर्ट ने कारकों को चिन्हित किया

सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में माना है कि वह संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत शक्तियों को लागू करके 'विवाह को असाध्य रूप से टूटने' के आधार पर उसे भंग कर सकता है, जिसके अनुसार सुप्रीम कोर्ट ऐसा करने के लिए पूर्ण न्याय के लिए असाधारण निर्देश जारी कर सकता है।यह ध्यान दिया जा सकता है कि "विवाह का असाध्य रूप से टूटना" तलाक के लिए वैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त आधार नहीं है। इसलिए, इस मुद्दे को एक संविधान पीठ को यह तय करने के लिए भेजा गया था कि क्या अनुच्छेद 142 के तहत शक्तियों को एक ऐसे आधार...

सुप्रीम कोर्ट ने सभी अदालतों से रितु छाबरिया के फैसले के आधार पर डिफॉल्ट जमानत के लिए आवेदनों को टालने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने सभी अदालतों से 'रितु छाबरिया' के फैसले के आधार पर डिफॉल्ट जमानत के लिए आवेदनों को टालने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को रितु छाबरिया बनाम भारत संघ और अन्य में शीर्ष अदालत की दो-न्यायाधीशों की पीठ के हालिया फैसले को वापस लेने की मांग करने वाली केंद्र की याचिका पर विचार करने के लिए 4 मई को तीन-न्यायाधीशों की पीठ गठित करने पर सहमति व्यक्त की। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि छबड़िया फैसले के आधार पर डिफॉल्ट जमानत की मांग करने वाली किसी भी अदालत के समक्ष दायर किसी भी आवेदन को 4 मई के बाद की तारीख तक टाल दिया जाना चाहिए। रितु छाबरिया मामले में जस्टिस कृष्णा मुरारी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ...