स्तंभ
फैसला सुनाने में 17 महीने का विलंब: जब सुप्रीम कोर्ट ने त्वरित फैसला सुनाने के अपने ही निर्देशों की अनदेखी की
अवस्तिका दाससुप्रीम कोर्ट ने 4 मई को भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय और अन्य के खिलाफ सामूहिक बलात्कार और आपराधिक धमकी के एक आरोप की पुलिस जांच का निर्देश देने वाले कोलकाता के एक मजिस्ट्रेट के आदेश को रद्द करने का फैसला किया। दिलचस्प बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट, जिसने पूर्व में तर्कों के समापन के बाद हाईकोर्टों को शीघ्र निर्णय सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे, ने मौजूदा मामले में सुरक्षित रखने के लगभग 17 महीने बाद यह फैसला सुनाया।भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और दो अन्य पर एक महिला से...
एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट समय की आवश्यकता
- नमन शर्माहाल ही में जोधपुर में एक वकील की नृशंस हत्या के मामले ने एक बार फिर भारत में वकीलों की सुरक्षा पर सवाल खड़ा कर दिया है। हाल के वर्षों में भारत में वकीलों के खिलाफ अपराधों में अचानक वृद्धि हुई है। आगरा बार काउंसिल की पहली महिला अध्यक्ष दरवेश यादव की हत्या, गुजरात के कच्छ में वकील देवजी माहेश्वरी की उनके कार्यालय में हत्या, तेलंगाना के पेड्डापल्ली में हाईकोर्ट के वकील दंपती गट्टू वामनराव और गट्टू नागमणि की हत्या, जैसे कई उदाहरण हैं।मध्यप्रदेश के जबलपुर के वकील अक्षत सहगल पर हमला, मुंबई...
सीआरपीसी की धारा 161 और 162 की साक्षिक मूल्य का विश्लेषण (भाग 2)
पिछेल लेख में दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) की धारा 161 व 162 की विधिक प्रस्थिति का परीक्षण किया गया था। यहां एक बार पुनः उल्लेख करना उचित होगा कि इन दोनों धाराओं में अन्वेषण के क्रम में पुलिस अधिकारी द्वारा मामले से परिचित व्यक्तियों के कथन रिकॉर्ड करने के संबंध में प्रक्रिया का वर्णन किया गया है। जहां धारा 161 कथन कैसे रिकॉर्ड किए जाने के संदर्भ में बताती है, वहीं धारा 162 उनके कथनों के उपयोग के संबंध में चर्चा करता है। आइए; अब इस लेख में इनके साक्षिक मूल्य की परख की जाए।कथन का अर्थ- “विशेषतः...
जानिए नार्को टेस्ट और इसकी वैधानिकता के बारे में महत्वपूर्ण बातें
हम वर्तमान में देखते हैं कि अलग अलग मीडिया हाउसेस अपनी रिपोर्टिंग की समय और आम जनता भी किसी अपराध के संदिग्ध के पकड़ते ही न्यायालय के समक्ष उसके नार्को परीक्षण की गुहार लगाने लगते हैं। जैसा कि पिछले साल हुए श्रद्धा मर्डर केस में आफताब पूनावाला के लिए जनता द्वारा ऐसे परीक्षण की मांग की गई थी और बाद में माननीय दिल्ली हाईकोर्त ने इसे स्वीकार भी किया था। इसके पीछे आम जनता का ये मानना है कि इस परीक्षण के बाद सच्चाई सामने निश्चित ही आ जायेगी, जबकि ऐसा 100% सत्य नहीं है। इस कारण यह हमेशा से एक...
दंड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 161 और 162 का विधिक और संवैधानिक विश्लेषण (भाग 1)
अदालत में विचारण शुरू होने से पहले कुछ ऐसी प्रक्रियाएं होती हैं जिनका पालन किया जाना अतिआवश्यक होता है, जिन्हें सामान्य भाषा में विचारण पूर्व प्रक्रिया या प्री-ट्रायल प्रक्रिया कहा जाता है। मामले के विचारण प्रारंभ होने से पूर्व दो चरण मुख्य होते है, पहला पुलिस द्वारा अन्वेषण(investigation) और दूसरा मजिस्ट्रेट द्वारा की जाने वाली मामले की जांच। इसमें सबसे महत्वपूर्ण पुलिस द्वारा अन्वेषण के दौरान अपराध से संबंधित साक्ष्यों का एकत्रण है। क्योंकि सामान्यतः अपराध गुप्त व गोपनीय तरीकों से किया जाता है...
मासूमों के लिए अपनी जान कुर्बान करने वाले वकील बहादुर शाहिद आजमी की 13वीं पुण्यतिथि
"मैं सौ बार मर चुका हूं और अगर मौत दस्तक दे रही है, तो मैं इसे आंखों में देखूंगा।“ये बात मासूमों के लिए अपनी जान कुर्बान करने वाले वकील स्वर्गीय बहादुर शाहिद आजमी ने कही थी।साल 2010 में उनके चैंबर में गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी।लगभग सात वर्षों के अपने प्रैक्टिस में, आज़मी ने कई केस लड़े और उन लोगों का प्रतिनिधित्व किया जिनके बारे में उनका मानना था कि मुंबई में कई हाई-प्रोफाइल "आतंकवादी मामलों" में गलत तरीके से अभियुक्त थे।लगभग सात सालों की अपनी छोटी सी अवधि में, हमारी क्रीमिनल ट्रायल...
वकालत के महायोद्धा केजी कन्नाबीरन और उनके लोकतांत्रिक मूल्य
केयूर पाठक रंधीर कुमार गौतम “दूसरों की असहमति पर क्रोधित नहीं होना चाहिए।हर किसी के पास ह्रदय है और हर ह्रदय का अपना एक झुकाव।उनके सच हमारे लिए गलत हैं, और हमारे सच उनके लिए।”“सावधान हो जाएं, ऐसा न हो कि बाजार राज्य की तरह कार्य करने लगे और राज्य बाजार की तरह।”1991 के आर्थिक उदारीकरण के दौर में पूर्व केन्द्रीय मंत्री जयपाल रेड्डी की यह पंक्ति काफी चर्चित हुई थी। इसमें संदेह नहीं कि बाजार और राज्य के बीच का फासला काफी हद तक घट गया है। इसे ऐसे महसूस किया जा सकता है कि पहले समाज में बाजार हुआ...
वो संविधान संशोधन जिन्होंने देश और नागरिकों की दिशा और दशा बदल दी
हमारे भारत के संविधान में, संविधान के भाग XX (20) में अनुच्छेद 368 संविधान और उसके प्रावधानों में अमेंडमेंट अर्थात् संशोधन करने के लिए संसद की विशेष शक्तियों के बारे में बात करता है। हमारी संसद उक्त अनुच्छेद में उल्लिखित प्रक्रिया के अनुसार संविधान के किसी भी प्रावधान को हटाने या जोड़ने, बदलने या निरस्त करने के माध्यम से संविधान में संशोधन और बदलाव कर सकती है। दरअसल हमारे संविधान निर्माताओं के पास यह मानने के कारण थे कि भविष्य में इसे सामाजिक परिवर्तनों के साथ-साथ जनसंख्या की आकांक्षाओं को भी...
शमनाद बशीर स्मृति व्याख्यान : भेदभाव के तीन लक्षण
सोशियो लीगल लिटरेरी द्वारा तृतीय शमनाद बशीर मेमोरियल लेक्चर का आयोजन जोधपुर में हुआ। इस अवसर पर राजस्थान हाईकोर्ट के वकील भीम जी और एडवोकेट सुरभि करवा ने जोधपुर की सिविल सोसाइटी के सदस्यों और लॉ स्टूडेंट्स ने हिस्सा लिया।एडवोकेट सुरभि करवा ने इस पर ज़ोर दिया कि किस प्रकार जोधपुर में भी ऐसी संस्थाएं है जो संविधान और बराबरी के मुद्दों पर काम कर रही हैं। जाति आधारित भेदभाव के विरुद्ध काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी ने हाल ही में अपने एक इंटरव्यू में यह चर्चा की थी कि हमारे राजस्थान में...
घरेलू हिंसा से स्त्री का संरक्षण अधिनियम, 2005 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न भाग- 4)
1. किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यह तय किया गया कि “धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत की जाने वाली कार्यवाही और घरेलू हिंसा अधिनियम के उपबंधो के अनुसार की जाने वाली कार्यवाही, दोनों ही स्वतंत्र कार्यवाहियां है।(a) कमलेश देवी बनाम जयपाल, 9320 (2019) नामक मामले में(b) संजय भारद्वाज बनाम राज्य, 2010 के मामले में (c) विजय वर्मा बनाम स्टेट एनसीटी ऑफ दिल्ली एंड एएनआर,2010 नामक मामले में (d) आदिल व अन्य बनाम राज्य और अन्य, 2010 के मामले मे उत्तर- (a) 2. किस मामले में यह तय किया गया...
घरेलू हिंसा से स्त्री का संरक्षण अधिनियम, 2005 [वस्तुनिष्ठ प्रश्न भाग 3]
1. मजिस्ट्रेट द्वारा धारा 12 के अंतर्गत सुनवाई की प्रथम तारीख नियत की जाएगी-(a) समन तामील किए जाने की तारीख से 30दिन के भीतर(b) आवेदन पेश किए जाने की तारीख से 30 दिन के भीतर (c) समन तामील किए जाने की तारीख से 60 दिन के भीतर (d) आवेदन पेश किए जाने की तारीख से 30 दिन के भीतर उत्तर- (d) [धारा 12(4)] 2. धारा 12 के अंतर्गत फाइल किए आवेदन का निपटारा किसी मजिस्ट्रेट द्वारा कितनी अवधि के भीतर किया जायेगा?(a) 60 दिनों के भीतर(b) 6 माह के भीतर (c) 30 दिनों के भीतर (d) 30 दिनों के भीतरउत्तर- (a)...
घरेलू हिंसा से स्त्री का संरक्षण अधिनियम, 2005 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न भाग- 2)
1. इस अधिनियम की क्रमांक संख्या क्या है?(a) 2005 का स. 43 (b) 2005 का स. 44 (c) 2005 का स. 45 (d) 2005 का स. 46 उत्तर- (a) 2. इस अधिनियम के अनुसार “व्यथित व्यक्ति” से अभिप्रेत है-(a) उस स्त्री से है जो पारिवारिक रिश्तेदारी में है (b) रिश्तेदारी में रही है तथा (c) जो घरेलू हिंसा के किसी कार्य के अधीन रही है, ऐसा उसका अभिकथन है (d) उपरोक्त सभी उत्तर- (d) [धारा 2(a)] 3. अधिनियम के अनुसार प्रत्यर्थी से अभिप्रेत है, कोई वयस्क पुरुष (गलत कथन इंगित कीजिए)-(a) जो दुखी व्यक्ति के साथ...
घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न भाग– 1)
“घरेलू हिंसा” एक सामाजिक बुराई है। मध्ययुग से आधुनिक काल तक महिलाओं के संरक्षण के संबंध में यह एक आम मुद्दा रहा है, की कैसे मानव समाज में महिलाओं को भी समान अधिकार दिलाए जाए और स्वतंत्र वातावरण प्रदान किया जाए, जो उनके मानसिक और शारीरिक विकास हेतु अतिउत्तम हो। अब वर्ष 2005 में सरकार द्वारा ऐसे कृत्य को कानूनी प्रक्रियात्मक रूप देते हुए घरेलू हिंसा और क्रूरतापूर्ण आचरण पर विधिक रोक लगाने के लिए इस अधिनियम को अस्तित्व प्रदान किया गया है। इसके चलते अधिनियम की धारा 12 के अंतर्गत कोर्ट के समक्ष कोई...
जमानत के संबंध में महत्वपूर्ण सवाल और उनके जवाब : भाग एक
प्रश्न. ज़मानत का अर्थ और उद्देश।इंग्लिश और अमेरिकी कानून में जमानत की संकल्पना का एक लंबा इतिहास रहा है। इंग्लैंड में, मध्यकाल के दौरान जमानत/Bail प्रथा का उद्भव हुआ, जिसके चलते जेल में बंद कैदियों के लिए किसी तीसरे पक्षकार द्वारा उसकी रिहाई और अदालत में उसकी पेशी की जिम्मेदारी ली जाती थी। इसकारण मध्ययुग में कई सारे कैदियों को इसी तर्ज पर जेलों से छोड़ा (bailout) जाने लगा। यद्यपि, अभियुक्त पश्चतवर्ती अवसर पर अदालत में पेश नहीं होता तो विचारण में जमानत दिलवाने वाले को उसके स्थान पर उपस्थित रहना...
संभावित जजों की सिफारिश के लिए कोलेजियम प्रोसेस में सरकार शामिल होने की कोशिश कर रही है, यह न्यायिक प्रधानता को कमजोर कर सकती है
वी वेंकटेशनमीडिया की कई रपटों के अनुसार, केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर सुझाव दिया है कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों के लिए संभावित नामों को सूचीबद्ध करने के लिए एक सच कमेटी गठित की जाए और कमेटी में एक केंद्र सरकार की ओर से नामित एक व्यक्ति को भी शामिल किया जा सकता है।उल्लेखनीय है कि कॉलेजियम द्वारा संभावित अनुशंसाओं का चयन करने के लिए "सर्च कमेटी" या "मूल्यांकन समिति" का विचार- जिसमें सरकार का एक प्रतिनिधि शामिल है -कुछ ऐसा है,...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण, अधिनियम, 2012 : सवाल जवाब भाग 3
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 से संबंधित कुछ सवाल जो आपकी कानूनी जानकारी बढ़ाएंगे। [वस्तुनिष्ठ प्रश्न, भाग—3]1. पॉक्सो अधिनियम के तहत धारा 12 के अंतर्गत लैंगिक उत्पीड़न का अपराध है-(a) संज्ञेय और अजमानतीय (b) असंज्ञेय और जमानतीय (c) संज्ञेय और जमानतीय (d) असंज्ञेय और अजमानतीय उत्तर- (a) 2. पॉक्सो अधिनियम के अंतर्गत अपराध को रिपोर्ट नहीं किए जाने के संदर्भ में धारा 21 के अधीन गठित होने वाला अपराध है-(a) एक अजमानतीय अपराध (b) एक जमानतीय अपराध (c) या तो (a) या (b) ...
लोक सेवक द्वारा कर्तव्य निर्वहन के क्रम में किसी रिकॉर्ड में की प्रविष्ठि की ग्राहता के विषय में जानिए
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 35, किसी लोक सेवक या विधि द्वारा प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा पब्लिक रिकॉर्ड, अन्य रिकॉर्ड या रजिस्टर के अंतर्गत की जाने वाली प्रविष्टि के साक्ष्य की सुसंगता के सिद्धांत पर आधारित है। जो कि अधिकारी द्वारा अपने पदीय कर्तव्यों के निर्वहन में की गई है और वे प्रविष्टियां उनकी सत्यता का प्रथम दृष्टाया साक्ष्य होती हैं। यह उपबंध लॉ कमिशन की 69वीं रिपोर्ट के अध्याय 14 में संदर्भित किया गया था तथा उसी की सिफारिशों के आधार पर इसे अधिनियम के अंतर्गत शामिल किया गया है। जो कि इस...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण, अधिनियम, 2012 : सवाल जवाब भाग 2
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 से संबंधित कुछ सवाल जो आपकी कानूनी जानकारी बढ़ाएंगे।[वस्तुनिष्ठ प्रश्न, भाग— 2]1. किस मामले में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तय किया गया कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) नियम, 2007 में वर्णित कानून का उल्लंघन करने वाले बालक की उम्र निर्धारित करने वाली प्रक्रिया ही पॉक्सो अधिनियम में प्रयुक्त की जा सकेगी-(a) जरनैल सिंह बनाम हरियाणा राज्य, 2013 में(b) कर्नाटक राज्य बनाम शिवन्ना,2014 में (c) इंडिपेंडेंट थॉट बनाम भारत संघ, 2017 में ...
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (खास सवाल जवाब)
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 से संबंधित कुछ सवाल जो आपकी कानूनी जानकारी बढ़ाएंगे। [वस्तुनिष्ठ प्रश्न, हिंदी में]1. पॉक्सो अधिनियम प्रवर्तन में आया-(a) 14 जनवरी 2012 को (b) 14 जुलाई 2012 को (c) 14 सितंबर 2012 को (d) 14 नवम्बर 2012 को उत्तर- (d) 2. वे शब्द और पद जो इस अधिनियम में प्रयुक्त हुए है परंतु परिभाषित नहीं है, वही अर्थ होगा जो-(a) भारतीय दण्ड संहिता,1860 में प्रयुक्त है। (b) जो दंड प्रक्रिया संहिता,1973 में प्रयुक्त है। (c) जो सूचना प्रौद्योगिकी...
उपभोक्ता संबंधित अधिकारों और प्रक्रिया के बारे में जानिए
"A market without consumers will be a night sky without the stars and moon. Protect their rights and serve them the best for greater reputation and fame."भारत एक बड़ी अर्थव्यवस्था हैं और यह करोड़ों लोगों का निवास स्थान भी है। व्यापारिक दृष्टि से यहां हर दिन कई प्रकार के क्रय–विक्रय संबंधित संव्यवहार किए जाते है या यूं कहा जा सकता है कि यह हमारी आम दिनचर्या का हिस्सा भी हैं।इसमें यदि कोई व्यक्ति धन का संदाय कर कुछ माला या सेवा ली हैं और बाद में उसे धोखे का सामना करना पड़ जाए, तब अवश्य ही खरीददार...











![घरेलू हिंसा से स्त्री का संरक्षण अधिनियम, 2005 [वस्तुनिष्ठ प्रश्न भाग 3] घरेलू हिंसा से स्त्री का संरक्षण अधिनियम, 2005 [वस्तुनिष्ठ प्रश्न भाग 3]](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2022/04/06/500x300_414135-domesticviolenceactsc.jpg)








