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फैसला सुनाने में 17 महीने का विलंब: जब सुप्रीम कोर्ट ने त्वरित फैसला सुनाने के अपने ही निर्देशों की अनदेखी की
फैसला सुनाने में 17 महीने का विलंब: जब सुप्रीम कोर्ट ने त्वरित फैसला सुनाने के अपने ही निर्देशों की अनदेखी की

अवस्तिका दाससुप्रीम कोर्ट ने 4 मई को भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय और अन्य के खिलाफ सामूहिक बलात्कार और आपराधिक धमकी के एक आरोप की पुलिस जांच का निर्देश देने वाले कोलकाता के एक मजिस्ट्रेट के आदेश को रद्द करने का फैसला किया। दिलचस्प बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट, जिसने पूर्व में तर्कों के समापन के बाद हाईकोर्टों को शीघ्र निर्णय सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे, ने मौजूदा मामले में सुरक्षित रखने के लगभग 17 महीने बाद यह फैसला सुनाया।भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और दो अन्य पर एक महिला से...

दंड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 161 और 162  का विधिक और संवैधानिक विश्लेषण (भाग 1)
दंड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 161 और 162 का विधिक और संवैधानिक विश्लेषण (भाग 1)

अदालत में विचारण शुरू होने से पहले कुछ ऐसी प्रक्रियाएं होती हैं जिनका पालन किया जाना अतिआवश्यक होता है, जिन्हें सामान्य भाषा में विचारण पूर्व प्रक्रिया या प्री-ट्रायल प्रक्रिया कहा जाता है। मामले के विचारण प्रारंभ होने से पूर्व दो चरण मुख्य होते है, पहला पुलिस द्वारा अन्वेषण(investigation) और दूसरा मजिस्ट्रेट द्वारा की जाने वाली मामले की जांच। इसमें सबसे महत्वपूर्ण पुलिस द्वारा अन्वेषण के दौरान अपराध से संबंधित साक्ष्यों का एकत्रण है। क्योंकि सामान्यतः अपराध गुप्त व गोपनीय तरीकों से किया जाता है...

Shahid Azmi
मासूमों के लिए अपनी जान कुर्बान करने वाले वकील बहादुर शाहिद आजमी की 13वीं पुण्यतिथि

"मैं सौ बार मर चुका हूं और अगर मौत दस्तक दे रही है, तो मैं इसे आंखों में देखूंगा।“ये बात मासूमों के लिए अपनी जान कुर्बान करने वाले वकील स्वर्गीय बहादुर शाहिद आजमी ने कही थी।साल 2010 में उनके चैंबर में गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी।लगभग सात वर्षों के अपने प्रैक्टिस में, आज़मी ने कई केस लड़े और उन लोगों का प्रतिनिधित्व किया जिनके बारे में उनका मानना था कि मुंबई में कई हाई-प्रोफाइल "आतंकवादी मामलों" में गलत तरीके से अभियुक्त थे।लगभग सात सालों की अपनी छोटी सी अवधि में, हमारी क्रीमिनल ट्रायल...

संभावित जजों की सिफारिश के लिए कोलेजियम प्रोसेस में सरकार शामिल होने की कोश‌िश कर रही है, यह न्यायिक प्रधानता को कमजोर कर सकती है
संभावित जजों की सिफारिश के लिए कोलेजियम प्रोसेस में सरकार शामिल होने की कोश‌िश कर रही है, यह न्यायिक प्रधानता को कमजोर कर सकती है

वी वेंकटेशनमीडिया की कई रपटों के अनुसार, केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर सुझाव दिया है कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों के लिए संभावित नामों को सूचीबद्ध करने के लिए एक सच कमेटी गठित की जाए और कमेटी में एक केंद्र सरकार की ओर से नामित एक व्यक्ति को भी शामिल किया जा सकता है।उल्लेखनीय है कि कॉलेजियम द्वारा संभावित अनुशंसाओं का चयन करने के लिए "सर्च कमेटी" या "मूल्यांकन समिति" का विचार- जिसमें सरकार का एक प्रतिनिधि शामिल है -कुछ ऐसा है,...

लोक सेवक द्वारा कर्तव्य निर्वहन के क्रम में किसी रिकॉर्ड में की प्रविष्ठि की ग्राहता के विषय में जानिए
लोक सेवक द्वारा कर्तव्य निर्वहन के क्रम में किसी रिकॉर्ड में की प्रविष्ठि की ग्राहता के विषय में जानिए

भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 35, किसी लोक सेवक या विधि द्वारा प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा पब्लिक रिकॉर्ड, अन्य रिकॉर्ड या रजिस्टर के अंतर्गत की जाने वाली प्रविष्टि के साक्ष्य की सुसंगता के सिद्धांत पर आधारित है। जो कि अधिकारी द्वारा अपने पदीय कर्तव्यों के निर्वहन में की गई है और वे प्रविष्टियां उनकी सत्यता का प्रथम दृष्टाया साक्ष्य होती हैं। यह उपबंध लॉ कमिशन की 69वीं रिपोर्ट के अध्याय 14 में संदर्भित किया गया था तथा उसी की सिफारिशों के आधार पर इसे अधिनियम के अंतर्गत शामिल किया गया है। जो कि इस...