स्तंभ
निःशुल्क क़ानूनी सहायता आपका अधिकार है
भारतीय संविधान की उद्देशिका (Preamble) के तहत भारत के समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय की बात की गयी है। समाज के सभी वर्गों को भारतीय न्यायिक प्रणाली में न्याय पाने का समुचित एवं सामान अवसरमिले, इसलिए भारतीय संविधान का अनुच्छेद 39 A भारत देश के ग़रीब और पिछड़े वर्ग के लोगों को निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करता है। निःशुल्क क़ानूनी सहायता का मतलब है किअभियुक्त या प्रार्थी को वक़ील की सेवाएं मुहैया करवाना। सीधे शब्दों में कहा जाये तो अपने देश में ज़्यादातर लोग जो जेलों में...
समझिये जेनेवा कन्वेंशन के तहत प्रिजनर ऑफ़ वार की स्थिति: आखिर क्या हैं पाकिस्तान की भारतीय पायलट के प्रति जिम्मेदारियां?
जेनेवा कन्वेंशन (या जिनेवा कन्वेंशन) हाल ही में काफी चर्चा में है। भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे विवाद के बीच कल (27 फरवरी 2019) को विदेश मंत्रालय (MEA) ने पुष्टि की कि 27 फरवरी को पाकिस्तानी विमान के साथ संघर्ष के दौरान, भारत ने अपना एक मिग 21 खो दिया और एक भारतीय वायु सेना (IAF) पायलट को पड़ोसी देश द्वारा बंदी बना लिया गया। इस पायलट का नाम विंग कमांडर अभिनन्दन बताया जा रहा है, और कथित रूप से यह पायलट इस वक़्त भी पाकिस्तान सेना के पास मौजूद है। हालांकि, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने...
लोक अभियोजक कौन होता है एवं दंड प्रक्रिया संहिता में इससे सम्बंधित पदों की क्या है व्यवस्था?
जब बात आती है किसी अपराध की, तो यह कॉमन लॉ का एक सिद्ध प्रिंसिपल है कि एक अपराध हमेशा समाज के खिलाफ होता है। भले ही वह अपराध चोरी हो, हत्या हो, या किसी व्यक्ति को गंभीर रूप से चोट पहुंचना हो, घटना भले किसी एक व्यक्ति के खिलाफ अंजाम दी गयी हो लेकिन उस घटना से समाज को भी नुकसान होता है। लोगों के बीच भय, दहशत फैलता है और समाज की शांति भंग होती है। जब भी किसी अपराध को अंजाम दिया जाता है, तो किसी अभियुक्त के खिलाफ मामले को स्टेट के जरिये अदालत तक पहुंचाया जाता है। क्यूंकि एक स्टेट इस बात की...
मतदाता सूची में नहीं है नाम तो ऐसे कराएँ पंजीकरण
लोकतंत्र जनता का, जनता के लिए, जनता के द्वारा शासन है और इसलिए इस व्यवस्था में, चुनाव, बदलाव लाने का सबसे बड़ा अवसर होता है। हमारे देश में भी जल्द ही लोक सभा चुनाव होने वाले हैं और देश की सभी छोटी-बड़ी पार्टियाँ अपने चुनावी समीकरण बनाने में लग गयी हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि हम मतदाता, मतदान पंजीकरण की प्रक्रिया, और उससे जुडी मुख्य बातों को जाने. यह लेख उसी दिशा में एक प्रयास है. मतदान की प्रक्रिया भारत निर्वाचन आयोग के नियमों के अनुसार, प्रत्येक मतदाता को...
दंड संहिता में अदालतों की व्यवस्था: एक नजर
आपराधिक कानून की आवश्यक वस्तु अपराधियों और कानून तोड़ने वालों के खिलाफ समाज की रक्षा करना है। इस उद्देश्य के लिए कानून संभावित कानून तोड़ने वालों को दंड के खतरों के साथ-साथ वास्तविक अपराधियों को उनके अपराधों के लिए निर्धारित दंड भुगतने का प्रयास करता है। इसलिए, आपराधिक कानून, व्यापक अर्थ में, आपराधिक कानून और प्रक्रियात्मक (या विशेषण) आपराधिक कानून दोनों के होते हैं। पर्याप्त आपराधिक कानून अपराधों को परिभाषित करता है और उसी के लिए दंड निर्धारित करता है, जबकि प्रक्रियात्मक कानून मूल कानून का...
एटीएम कार्ड से पैसा गायब हुआ है तो अपनायें ये क़ानूनी उपाय
प्रकृति और अपराध के प्रकार कभी ठहर नहीं सकते। समय और प्रगति के साथ बदलते रहते हैं। जहाँ एक ओर आधुनिक विज्ञान और तकनीक ने समाज के फ़ायदे को बढ़ाया है , वहीं दूसरी ओर कुछ अवांछित तत्वों को इससे अपराध करने का नया तरीका भी मिला है। लेकिन समाज में बदलाव के साथ - साथ समाज की सुरक्षा व जरूरतों को पूरा करने के लिए क़ानून भी अपने में परिवर्तन को प्रोत्साहित करता है। इन्ही बातों को समझते हुए , भारतीय संसद ने सन २००२ में 'सूचना तकनीक अधिनियम २००२' को पारित किया। जिससे की इस प्रकार के साइबर अपराधों को रोका जा...
राम जन्मभूमि विवाद और कानूनी दांव-पेंच: पढ़िए सरकार और अदालत के क़दमों का अबतक का लेखा-जोखा
राम मंदिर पर विवाद का इतिहास आजाद भारत के इतिहास जितना ही विस्तृत है, कई मौकों पर यह मुद्दा या तो राजनीतिक या तो कानूनी लड़ाई में फंसा रहा है। हम आपको आज इस पुरे मुद्दे को संक्षेप में समझने का प्रयास करेंगे।आखिर यह पूरा मामला क्या है?यह विवाद उत्तर प्रदेश के अयोध्या शहर में एक जमीन के एक भूखंड को लेकर है। यह विशेष स्थल, हिंदुओं में भगवान राम की जन्मभूमि माना जाता है, लेकिन यहाँ बाबरी मस्जिद भी स्थित रही है। सवाल यह भी उठता रहा है कि क्या मस्जिद बनाने के लिए यहाँ स्थित पहले के एक हिंदू मंदिर को...
NRC, नागरिकता अधिनियम और सुप्रीम कोर्ट: जानिए कैसे इस मुद्दे पर दशकों से फंसा हुआ है पेंच
आजकल सुप्रीम कोर्ट से लेकर केंद्र सरकार और अख़बारों की सुर्ख़ियों से लेकर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में एक मसला काफी ज्यादा बहस का मुद्दा बना रहा है। यह मुद्दा एनआरसी (NRC) का है। एनआरसी, जिसके असम राज्य के सम्बन्ध को हम मुख्य तौर पर देख रहे हैं, नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजन्स के नाम से जाना जाता है। असं एक मात्रा ऐसा राज्य है, जहाँ ऐसा कोई रजिस्टर अस्तित्व में है। हम इस लेख के माध्यम से यह प्रयास करेंगे कि आपको इस पूरे मुद्दे के बारे में जानकारी दी जा सके।असम में पलायन की शुरुआत असम सरकार के...
बीते दिनों सीबीआई में हुई उठापटक की सारी जानकारी जानिए संक्षेप में
सीबीआई में पिछले 3 महीनों से उठापटक का दौर चलता रहा। इस पूरे प्रकरण को संक्षेप में समझाने का यह हमारा प्रयास है। आइये समझते हैं यह पूरा मामला। 12 जुलाई 2018: केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने एक मीटिंग बुलाई जिसमे सीबीआई के अंदर प्रमोशन पर विचार विमर्श होना था। उस मीटिंग में अस्थाना को सीबीआई के नंबर 2 के अधिकारी के रूप में बुलाया गया। इस समय अलोक वर्मा विदेश दौरे पर थे, जब उन्हें इस बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने सीवीसी को लिखा कि उन्होंने अस्थाना को अपनी ओर से इन बैठकों में भाग लेने के...
रफ़ाल जांच में साँच को आँच
आखिर सरकारी भ्रष्टाचार के मामले में जांच कब होनी चाहिए?भ्रष्टाचार के किसी भी मामले में जब इतने तथ्य मौजूद हों जिससे उस मामले पर संदेह गहरा होता जाए और हमे आरोप का कोई सीधा जवाब ना मिल पाए, तब न्यायिक जांच की ज़रूरत और बढ़ जाती है। जब रफ़ाल सौदे को लेकर वार्ता, कारगिल युद्ध के बाद से शुरू हुई हो और पिछली कई सरकारों के कार्यकाल के दौरान इस पर काम हुआ हो, उसमें हड़बड़ी में ‘ऑफ-सेट पार्टनर’ का चुना जाना, जहाज का दाम एकाएक बढ़ जाना और भारतीय वायु सेना द्वारा वर्षों से की जा रही 126 जहाज की मांग को दबाकर...
मौलिक अधिकारों में द्वंद्व और लोकनीति की दुविधा
आधार अधिनियम, 2016 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका में संघ सरकार का पक्ष रखते हुए महान्यायवादी केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि निजता के मौलिक अधिकार तथा भूख, दरिद्रता व बेजारी रहित जीवन यापन के मौलिक अधिकार में यदि द्वंद्व हो तो बाद वाले अधिकार को प्रश्रय देना होगा. वेणुगोपाल का तर्क है कि अमरीकी सुप्रीम कोर्ट ने 1876 में मन बनाम इलिनाइस में प्राण तथा दैहिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का निर्वचन करते हुए कहा था कि इसके अंतर्गत मानवीय गरिमा के साथ जीने का अधिकार शामिल है और जीवन के...
केरल सरकार के अध्यादेश पर रोक से उपजे साख, औचित्य तथा संवैधानिकता के प्रश्न!
अभी हाल में सुप्रीम कोर्ट ने केरल प्राइवेट कॉलेज (रेगुलेशन ऑफ़ एड्मिसन इन मेडिकल कॉलेज) अध्यादेश, 2017 पर स्थगन आदेश देकर इसके क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है. सत्र 2016-17 में राज्य के कुछ प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों ने गैर कानूनी रूप से छात्रों का प्रवेश लिया था जिसे भारतीय आयुष परिषद् की प्रवेश अधिवीक्षण समिति ने निरस्त कर दिया था. केरल हाई कोर्ट ने भी इन प्रवेशों को कानून सम्मत नहीं माना था तथा अपील में सुप्रीम कोर्ट ने भी हाई कोर्ट के निर्णय पर मुहर लगा दी थी. लेकिन उच्चतर न्यायपालिका के स्पष्ट...
राज्य ध्वज की मांग अनुचित, अनैतिक और अखंडता पर आंच
कर्नाटक के मुख्य मंत्री ने केंद्र सरकार के पास अपने राज्य के लिए अलग ध्वज को मान्यता देने की मांग भेजी है। यह ध्वज पीले, लाल और श्वेत पट्टियों का है जिसमें राज्य के प्रतीक चिह्न को इसके मध्य में उकेरा गया है। कन्नड़ अस्मिता के प्रतीक "गंडा भेरुन्दी" ( दो सिरों वाली मिथकीय मछली ) का यह चिह्न हिंदी को तथाकथित रूप से जबरन लादे जाने के विरोध में वर्षों से आन्दोलन के रूप में प्रदर्शित किया जाता रहा है। राज्य के कतिपय राजनीतिक दलों ने श्वेत पट्टी को हटाने तथा पीली-लाल पट्टियों को ही राज्य ध्वज के रूप...
अप्रतिरोधी मृत्यु-वरण की वैधता के निहितार्थ
कॉमन कॉज बनाम भारत संघ की जनहित याचिका पर निर्णय देते हुए सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने गरिमा के साथ मृत्यु को एक मौलिक अधिकार मानते हुए अनिवारक/अप्रतिरोधी इच्छा मृत्यु को संविधान के अनुच्छेद 21 में शामिल माना है और इसको वैध बताया है। अपनी आसन्न मृत्यु की स्थिति में जिन्दगी को अनावश्यक रूप से लंबा करने के लिए कृत्रिम चिकित्सकीय सहायता को मना करने वाली वसीयत को भी इस फैसले में वैधता प्रदान की गयी है। इस संबंध में केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित मैनेजमेंट ऑफ़ पेशेंट विद टर्मिनल इलनेस, विड्रावल ऑफ़...
व्यक्ति की गरिमा से जुड़ा है प्रजनन का अधिकार
अभी हाल में मद्रास हाईकोर्ट ने हत्या के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 40 वर्षीय एक कैदी को पंद्रह दिन के लिए अपने घर जाने हेतु अवकाश स्वीकृत किया ताकि वह पत्नी के साथ रहकर संतान पैदा कर सके। उसकी 32 वर्षीया पत्नी की याचिका पर निर्णय सुनाते हुए न्यायमूर्ति एस बिमला तथा न्यायमूर्ति टी कृष्णा वल्ली की खण्डपीठ ने कहा कि पत्नी को कैद नहीं किया गया है, लेकिन प्रजनन की उसकी वैध अपेक्षा को अस्वीकार नहीं जा सकता है। यह कैदी पिछले 18 वर्ष से जेल में है तथा उसकी पत्नी में कुछ शारीरिक कमियाँ हैं...
एक देश-एक चुनाव : सरकार इसके लिए पहले जनमत बनाए और पूरा होमवर्क करके ही इस पर कोई निर्णय ले
बजट सत्र की शुरुआत के मौके पर संसद के संयुक्त अधिवेशन में राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में एक बार पुनः लोकसभा तथा विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की आवश्यकता पर बल दिया. प्रधानमंत्री ने भी पिछले कई मौकों पर “एक देश-एक चुनाव” के लिए जनमत बनाने की अपील की है. कहा जा रहा है कि 28 राज्यों वाले देश में हमेशा कहीं न कहीं चुनाव होते रहते हैं,जिससे दैनिक कार्यों में रुकावट आती है और विकास बाधित होता है. सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों एलेक्शन मोड में रहते हैं, आरोपों-प्रत्यारोपों का सतत दौर चला करता है तथा...
यह सुप्रीम कोर्ट का आतंरिक मामला नहीं, न्यायालय की अस्मिता, स्वतंत्रता और स्वायत्तता का प्रश्न है
बारह जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायाधीशों द्वारा प्रेस कांफ्रेंस करने की घटना जितनी अप्रत्याशित है उतनी ही विस्मयकारक और दुर्भाग्यपूर्ण। वरिष्ठ जज जब विकल्पहीन हो गए तो उन्हें अपना चैम्बर छोड़, जनता की अदालत में गुहार लगानी पड़ी। गनीमत रही कि उन्होंने मर्यादा बनाये रखी और आरोप-प्रत्यारोप की बजाय व्हिस्ल-ब्लोअर तक ही अपने को सीमित रखा।वरिष्ठ जजों के इस कदम पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं आई हैं-आ रही हैं । कुछ ने सराहा, कुछ ने इसी बहाने न्यायपालिका में कथित मनमानेपन पर रोष-क्षोभ व्यक्त किया और...
जज लोया केस में तथाकथित 'ट्विस्ट' पर टाइम्स नाऊ रिपोर्ट पूरी तरह से गुमराह करने वाली
'टाइम्स नाउ' ने कैप्शन # जेजे लोया ट्विस्ट साथ एक कहानी चलायी है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने तहसीन पूनावाला पर मामला वापस लेने के लिए दबाव डाला था। समाचार चैनल द्वारा एक 'सनसनीखेज मोड़' के रूप में प्रस्तुत किया गया और इस तरह कहानी को स्पिन दिया गया कि विशेष परिणाम प्राप्त करने के लिए पर्दे के पीछे एक लॉबी काम कर रही है। जज लोया मामले को इससे प्रासंगिक माना जा रहा है क्योंकि यह व्यापक रूप से माना जाता है कि इस मामले के आवंटन के संबंध में शिकायत...
2G घोटाला : वैधता बनाम अपराधिता
2 जी "घोटाले" के फैसले ने टेक्नोक्रेटों का वर्चस्व रखने वाले भारतीय मध्यमवर्ग को चौंका दिया है। इसका उत्तर वैधता और अपराधीकरण के बीच के बीच के अंतर को समझने में उनकी असफलता में छिपा है।सुप्रीम कोर्ट ने अपने रिट क्षेत्राधिकार के तहत 2 जी लाइसेंस आवंटन की वैधता का परीक्षण किया और अंत में 2012 में इस आधार पर आवंटन को रद्द कर दिया कि उक्त आवंटन मनमाना था क्योंकि इसमें सार्वजनिक कार्रवाई की पारदर्शी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था। दूसरी ओर, अपराध एक अलग प्रक्रिया है जिसके तहत दंड कानून के...
भारत के लोग आजादी के 70 वर्ष बाद भी अपनी भाषा में न्याय पाने से क्यों हैं वंचित ?
भारत दुनिया का अनोखा देश है इस बात को आप ऐसे समझ सकते हैं कि आज़ादी के 70 वर्ष बाद भी भारतीय अपनी भाषा में न्याय पाने से वंचित हैं। क्यों? आज भी भारत के सुप्रीम कोर्ट एवं हाई कोर्ट की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी ही है।पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने दो बड़े फैसले दिए हैं जिनमे से एक है ‘तीन तलाक’ के मुद्दे पर और दूसरा ‘निजता के अधिकार’ पर। दोनों ही फैसले भारत के सामाजिक और राजनीतिक चिंतन पर महत्वपूर्ण और दूरगामी प्रभाव डालेंगे। लेकिन जिस तरह से इन फैसलों को अकादमिक क्षेत्रों में लिया जायेगा, क्या...