जानिए मास्क और सैनिटाइज़र को 'आवश्यक वस्तु' घोषित करने के क्या हैं मायने? इससे क्या बदल जाएगा?

SPARSH UPADHYAY

16 March 2020 11:15 AM GMT

  • जानिए मास्क और सैनिटाइज़र को आवश्यक वस्तु घोषित करने के क्या हैं मायने? इससे क्या बदल जाएगा?

    COVID-19 (नॉवेल कोरोनावायरस) के फैलने पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार ने बीते शुक्रवार को मास्क और हैंड सैनिटाइज़र को 30 जून, 2020 तक "आवश्यक वस्तुएं" घोषित किया था।

    केंद्र सरकार और राज्य सरकार (प्रतिनिधिमंडल द्वारा) को मास्क (2 प्लाई और 3 प्लाई सर्जिकल मास्क, एन 95 मास्क और सैनिटाइज़र) के उत्पादन, गुणवत्ता और वितरण को विनियमित करने के लिए इन्हें आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत रखा गया था।

    बीते समय में हम सभी अपने निजी अनुभव से इस बात का एहसास कर पा रहे थे कि बाज़ार में मास्क और सैनिटाइज़र के दामों में तेज़ी से बढ़ोतरी हुई है, जो बात अपने आप में उचित मालूम नहीं पड़ रही थी। इस लेख में हम जानेंगे कि आखिर सरकार के इस कदम के मायने क्या हैं और कैसे इस कदम से आम जन के जीवन पर सकारात्मक असर पड़ेगा।

    क्या है इस कदम के पीछे का मुख्य कारण?

    अक्सर ऐसा होता है कि जब किसी चीज़ की बाज़ार में मांग बढती है तो दुकानदार या व्होल्सेलर उस वस्तु का भण्डारण कर लेते हैं और बाद में उसे मनचाहे दाम पर बेचने की शुरुआत करते हैं।

    ऐसे में यह जरुरी हो जाता है कि सरकार अपने हस्तक्षेप के जरिये कुछ वस्तुओं को इन चीज़ों से बचाए और यह कोशिश करे कि जनता को सजहता से यह वस्तुएं उपलब्ध हो सकें। पिछले साल ऐसा ही सितम्बर महीने में प्याज़ के साथ देखने को मिला था।

    इस बार COVID-19 (नॉवेल कोरोनावायरस) के बीच मास्क और सैनिटाइज़र के साथ यह देखने को मिल रहा है, जब इन्हें काफी ज्यादा दाम पर बाज़ार में बेचा जा रहा है। इसलिए, COVID-19 (नॉवेल कोरोनावायरस) के फैलने के साथ ही हैण्ड सैनिटाइज़र और मास्क की कमी और तर्कहीन मूल्य निर्धारण की रिपोर्टों के बाद, केंद्र सरकार ने यह कदम उठाया है। जाहिर है कि उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है।

    अधिनियम की मुख्य बातें

    आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के अंतर्गत उपभोक्ताओं को आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में तर्कहीन स्पाइक (उछाल) से सुरक्षा मिलती है। किसी भी वस्तु को "आवश्यक" के रूप में नामित करने का उद्देश्य, असाधारण मांग के समय मुनाफाखोरी को रोकना है।

    अधिनियम के अंतर्गत सरकार को मिलने वाली शक्ति

    आवश्यक वस्तुओं को उचित मूल्य पर उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराने के लिए 1955 में आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 लागू किया गया था। अधिनियम के तहत, केंद्र सरकार किसी भी पैकेज्ड उत्पाद की अधिकतम खुदरा कीमत (MRP) तय कर सकती है जिसे वह "आवश्यक वस्तु" घोषित करती है।

    केंद्र सरकार को आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 2 ए के तहत एक वस्तु को "आवश्यक वस्तु" घोषित करने का अधिकार है, जिससे उचित मूल्य पर उसका समान वितरण और उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।

    यह अधिनियम, जरूरत पड़ने पर, केंद्र सरकार को आवश्यक वस्तुओं की सूची में नई वस्तुओं को जोड़ने का अधिकार देता है, और जब संकट खत्म हो जाए या स्थिति में सुधार हो जाए तो उन वस्तुओं को सूची से हटा देने की शक्ति भी इस अधिनियम में मौजूद है।

    वर्तमान स्थिति में, सरकार मास्क और हैंड सैनिटाइज़र की आपूर्ति और मूल्य को विनियमित करने के लिए हस्तक्षेप कर सकती है, और उनकी स्टॉक-होल्डिंग सीमा को भी अधिसूचित कर सकती है।

    आवश्यक वस्तु घोषित होने के बाद क्या होता है?

    राज्य/केंद्र शासित सरकारें, केंद्र द्वारा जारी अधिसूचना (किसी वस्तु को आवश्यक वस्तु घोषित करती हुई) पर कार्रवाई करती हैं, और नियमों को लागू करती हैं। इसके अंतर्गत, थोक व्यापारी, खुदरा विक्रेताओं, निर्माताओं और आयातकों एवं वस्तु का व्यापार या सौदा करने वाले अन्य सभी लोगों को निर्दिष्ट मात्रा से परे स्टॉक रखने एवं इसका व्यापार करने से रोक दिया जाता है।

    गौरतलब है कि इस प्रकार से गैरकानूनी रूप से चीज़ों का भण्डारण करने वाले कालाबाजारों पर मुक़दमा चलाया जा सकता है। धारा 3 के तहत किए गए किसी भी निर्देश का उल्लंघन एक संज्ञेय अपराध है जो 7 साल तक के कारावास के दंड को आकर्षित कर सकता है।

    राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों की एजेंसियों को उल्लंघनकर्ताओं को पकड़ने के लिए छापेमारी करने का अधिकार भी दिया गया है। सरकार, खुदरा विक्रेताओं/व्यापारियों/निर्माताओं द्वारा जमा किए गए अतिरिक्त स्टॉक को जब्त कर सकती है, या तो इसे नीलामी कर सकती है या उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से बेच सकती है।

    सरकार के अन्य कदम

    इसके अलावा, केंद्र सरकार ने लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट के तहत एक एडवाइजरी भी जारी की है। जहाँ आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत, राज्य सरकारें वस्तु निर्माताओं से आपूर्ति बढ़ाने के लिए इन वस्तुओं की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए कह सकती हैं, वहीँ राज्य सरकारें, लीगल मेट्रोलॉजी अधिनियम के तहत दोनों वस्तुओं की बिक्री एमआरपी पर सुनिश्चित कर सकती हैं।

    जाहिर है कि यह निर्णय, सरकार और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को इन वस्तुओं के सुचारू बिक्री और उपलब्धता के लिए मास्क और हैंड सैनिटाइज़र के उत्पादन, गुणवत्ता और वितरण को विनियमित करने के लिए सशक्त करेगा। यह सट्टेबाजों और ओवरप्रिलिंग और ब्लैक मार्केटिंग में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का भी अधिकार देने में सरकारों को सशक्त बनाएगा।

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