सुप्रीम कोर्ट
CBI जांच के लिए राज्य की सहमति न होने की याचिका पर FIR दर्ज होने के तुरंत बाद विचार किया जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 की धारा 6 के तहत CBI द्वारा राज्य की सहमति न लेने के संबंध में आपत्तियां जल्द से जल्द आमतौर पर FIR दर्ज होने के तुरंत बाद उठाई जानी चाहिए। इसने स्पष्ट किया कि एक बार जांच पूरी हो जाने आरोप पत्र दाखिल हो जाने और मजिस्ट्रेट द्वारा संज्ञान ले लिए जाने के बाद ऐसी आपत्तियों का इस्तेमाल कार्यवाही को अमान्य करने के लिए देर से नहीं किया जा सकता, सिवाय इसके कि जहां संज्ञान लेने से पहले ही रद्द करने की याचिका लंबित हो।अदालत ने कहा,"हम ऐसा...
सेरोगेसी एक्ट उन जोड़ों के निहित अधिकारों को प्रभावित नहीं कर सकता, जिन्होंने कानून लागू होने से पहले भ्रूण फ्रीज कराए: जस्टिस विश्वनाथन का समवर्ती निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि जिन दंपतियों ने सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम 2021 के 25 जनवरी, 2022 को लागू होने से पहले सरोगेसी के लिए भ्रूण फ्रीज कराए थे, उन्होंने सरोगेसी का निहित अधिकार अर्जित कर लिया था, जिसे यह अधिनियम पूर्वव्यापी रूप से नहीं छीन सकता।जस्टिस के.वी. विश्वनाथन ने अपने समवर्ती निर्णय में कहा कि वैधानिक कट-ऑफ तिथि से पहले निषेचन प्रक्रिया पूरी करके दंपतियों ने पहले ही कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त सीमा को पार कर लिया था और अधिनियम की धारा 4(iii)(c)(I) के तहत बाद में शुरू की गई...
सशस्त्र बल न्यायाधिकरण को कोर्ट-मार्शल दोषसिद्धि को संशोधित करने और कम दंड लगाने का अधिकार: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (10 अक्टूबर) को कहा कि सशस्त्र बल न्यायाधिकरण अधिनियम, 2007 (Armed Forces Tribunal Act) के तहत सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (AFT) को कोर्ट मार्शल के निष्कर्षों को प्रतिस्थापित करने का अधिकार है यदि इसके निष्कर्ष अत्यधिक, अवैध या अन्यायपूर्ण है।अदालत ने कहा,"इस प्रकार, 2007 अधिनियम की धारा 15 (6) (ए) और (बी) के तहत ट्रिब्यूनल को कोर्ट मार्शल के निष्कर्ष को प्रतिस्थापित करने का अधिकार है, जिसमें अधिनियम के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही शामिल है। यदि यह अत्यधिक, अवैध या अन्यायपूर्ण...
JJ Act 2000 पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू: सुप्रीम कोर्ट ने 1981 में अपराध के समय किशोर रहे दोषी को रिहा करने का आदेश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (9 अक्टूबर) को किशोर न्याय अधिनियम, 2000 (JJ Act) के तहत हत्या के दोषी को रिहा करने का आदेश दिया, क्योंकि कोर्ट ने पाया कि 1981 में अपराध के समय वह किशोर था। कोर्ट ने कहा कि किशोर न्याय अधिनियम पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू होता है और JJ Act, 2000 के लागू होने से पहले के अपराधों पर लागू होता है।कोर्ट ने राज्य के इस तर्क को खारिज कर दिया कि चूंकि अपराध 1981 में किया गया था, इसलिए किशोर न्याय अधिनियम, 2000 के प्रावधान लागू नहीं होंगे और अपराध के समय प्रचलित कानून लागू...
District Judge Direct Appointment के लिए 7 साल की प्रैक्टिस 'निरंतर' होनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिला जज के रूप में सीधी नियुक्ति के लिए संविधान के अनुच्छेद 233(2) के तहत निर्धारित वकील के रूप में 7 साल की प्रैक्टिस के आदेश पर विचार करते समय प्रैक्टिस में ब्रेक को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।अदालत ने स्पष्ट किया कि आवेदन की तिथि तक 7 साल की प्रैक्टिस "निरंतर" होनी चाहिए।यह टिप्पणी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस अरविंद कुमार, जस्टिस एससी शर्मा और जस्टिस के विनोद चंद्रन की 5 जजों की पीठ ने की।पीठ ने यह निष्कर्ष निकालते हुए कहा कि...
Stamp Act | स्टाम्प ड्यूटी का निर्धारण दस्तावेज़ के कानूनी स्वरूप से होता है, न कि उसके नामकरण से: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्टाम्प ड्यूटी की प्रभार्यता का निर्धारण करते समय निर्णायक कारक दस्तावेज़ के वास्तविक कानूनी स्वरूप का पता लगाना है, न कि दस्तावेज़ को दिए गए नामकरण से।जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने एक कंपनी द्वारा दायर अपील खारिज की, जिसने कम स्टाम्प ड्यूटी आकर्षित करने के लिए बंधक विलेख को सुरक्षा बांड की तरह रंगने का प्रयास किया और विलेख पर स्टाम्प ड्यूटी की उच्च मांग की पुष्टि की।अपीलकर्ता ने बाहरी विकास शुल्क के भुगतान और सुविधाओं के...
S.138 NI Act | ट्रस्ट को आरोपी बनाए बिना ट्रस्टी के खिलाफ चेक अनादर की शिकायत सुनवाई योग्य: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (9 अक्टूबर) को कहा कि ट्रस्ट की ओर से चेक पर हस्ताक्षर करने वाले ट्रस्टी के खिलाफ चेक अनादर की शिकायत ट्रस्ट को आरोपी बनाए बिना सुनवाई योग्य होगी। कोर्ट ने तर्क दिया कि चूंकि ट्रस्ट कोई न्यायिक व्यक्ति नहीं है। न तो मुकदमा करता है और न ही उस पर मुकदमा चलाया जाता है, इसलिए ट्रस्ट के दिन-प्रतिदिन के कार्यों के लिए जिम्मेदार ट्रस्टी, विशेष रूप से चेक पर हस्ताक्षर करने वाले ट्रस्टी, उत्तरदायी होंगे।अदालत ने कहा,"जब चेक के कथित अनादर के कारण वाद का कारण उत्पन्न होता है। NI...
Bihar SIR | ECI को बताना होगा कि फाइनल वोटर लिस्ट से कितने विदेशियों के नाम हटाए: योगेंद्र यादव ने सुप्रीम कोर्ट में कहा
बिहार की मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर सुनवाई के दौरान, एक्टिविस्ट योगेंद्र यादव ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि वह भारत के चुनाव आयोग (ECI) को यह बताने का निर्देश दे कि इस प्रक्रिया के बाद कितने लोग विदेशी पाए गए।उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग को उन लोगों की संख्या का खुलासा करने का निर्देश देकर "राष्ट्र की महान सेवा" करेगा, जिनके नाम इस आधार पर हटाए गए हैं कि वे नागरिक नहीं हैं।बता दें, जून में SIR कराने के निर्णय की घोषणा करते हुए ECI ने मतदाता सूची में...
जिला जजों की सीधी भर्ती में केवल वकीलों का विशेष कोटा नहीं हो सकता: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने आज यह फैसला दिया कि जिला न्यायाधीशों के पदों पर सीधी भर्ती के लिए निर्धारित 25% कोटा केवल वकीलों (बार के उम्मीदवारों) के लिए आरक्षित नहीं है।चीफ़ जस्टिस बी.आर. गवई, जस्टिस एम.एम. सुंदरेश, जस्टिस अरविंद कुमार, जस्टिस एस.सी. शर्मा और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने कहा — “हम प्रतिवादियों की इस दलील से सहमत नहीं हैं कि 25% सीधी भर्ती का कोटा केवल प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं के लिए आरक्षित है। यदि इस तर्क को स्वीकार किया जाए तो यह सात वर्ष की प्रैक्टिस वाले...
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: सरोगेसी एक्ट की आयु सीमा उन दंपतियों पर लागू नहीं, जिन्होंने कानून आने से पहले भ्रूण जमा किए
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 लागू होने से पहले ही सरोगेसी की प्रक्रिया शुरू कर चुके दंपतियों पर इस कानून में निर्धारित आयु सीमा लागू नहीं होगी, भले ही वे अब वैधानिक आयु सीमा से अधिक क्यों न हो गए हों। यह कानून महिला के लिए 23 से 50 वर्ष और पुरुष के लिए 26 से 55 वर्ष की आयु सीमा अनिवार्य करता है।जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि ऐसे दंपतियों का सरोगेसी का अधिकार जिसे प्रजनन स्वायत्तता...
BREAKING | आवेदन की तिथि पर 7 वर्षों का संयुक्त अनुभव रखने वाले न्यायिक अधिकारी जिला जज के रूप में सीधी नियुक्ति के पात्र: सुप्रीम कोर्ट
एक महत्वपूर्ण फैसले में, सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने आज कहा कि एक न्यायिक अधिकारी, जिसके पास न्यायिक अधिकारी और वकील के रूप में संयुक्त रूप से सात वर्षों का अनुभव है, जिला न्यायाधीश के रूप में सीधी नियुक्ति के लिए आवेदन करने के पात्र हैं। पात्रता आवेदन की तिथि के अनुसार देखी जाएगी।समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए, न्यायालय ने कहा कि जिला न्यायाधीशों की सीधी भर्ती के लिए आवेदन करने वाले सेवारत उम्मीदवारों की न्यूनतम आयु 35 वर्ष होनी चाहिए।न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकारों को सेवारत उम्मीदवारों...
यौन शिक्षा को छोटी उम्र से ही स्कूली कोर्स में शामिल किया जाना चाहिए, न कि कक्षा 9 से 12 तक सीमित: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (8 अक्टूबर) को कहा कि यौन शिक्षा को छोटी उम्र से ही स्कूली कोर्स में शामिल किया जाना चाहिए, न कि कक्षा 9 से 12 तक।अदालत ने कहा,"हमारा मानना है कि बच्चों को यौन शिक्षा छोटी उम्र से ही दी जानी चाहिए, न कि कक्षा 9 से आगे।"जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आलोक अराधे की खंडपीठ ने यह टिप्पणी उस किशोर की ज़मानत याचिका पर सुनवाई करते हुए की, जिसने भारतीय दंड संहिता, 1860 (IPC) की धारा 376 (बलात्कार) और 506 (आपराधिक धमकी) के साथ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (POCSO...
Motor Accident Claims | चालक द्वारा फर्जी लाइसेंस जारी करने पर बीमा कंपनी को तब तक दोषमुक्त नहीं किया जा सकता, जब तक...: सुप्रीम कोर्ट
एक वाहन मालिक को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (8 अक्टूबर) को कहा कि बीमा कंपनी केवल इसलिए वाहन मालिक से मुआवज़ा राशि नहीं वसूल सकती, क्योंकि चालक फर्जी लाइसेंस का इस्तेमाल करता पाया गया।जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एन. वी. अंजारिया की खंडपीठ ने कहा कि वाहन मालिक से यह अपेक्षा नहीं की जाती कि वह जारीकर्ता प्राधिकारी से ड्राइविंग लाइसेंस की प्रामाणिकता की पुष्टि करे कि वह फर्जी है या नहीं। केवल तभी जब बीमा कंपनी यह साबित कर दे कि चालक की नियुक्ति या वाहन सौंपने में उचित सावधानी नहीं...
रेलवे दुर्घटना के दावे, उचित संदेह से परे सबूत के लिए क्रिमिनल ट्रायल नहीं; अति-तकनीकी दृष्टिकोण से बचें: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने रेल यात्रा के दौरान हुई मौतों या चोटों - "अप्रिय घटनाओं" - के लिए मुआवजे की मांग करते हुए रेलवे अधिनियम की धारा 124A के तहत दावों में अति-तकनीकी दृष्टिकोण अपनाने के प्रति आगाह किया।अदालत ने कहा कि एक बार जब आधारभूत तथ्य - (i) वैध टिकट का होना या जारी होना, और (ii) ट्रेन से दुर्घटनावश गिरना - विश्वसनीय सामग्री के माध्यम से स्थापित हो जाते हैं तो यह वैधानिक रूप से मान लिया जाना चाहिए कि पीड़ित एक वास्तविक यात्री था।यह पुष्टि करते हुए कि रेलवे अधिनियम की धारा 124A के तहत कार्यवाही...
बेटे ने की थी माँ की हत्या, सुप्रीम कोर्ट ने बरी करते हुए कहा- आत्महत्या की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (8 अक्टूबर) को एक व्यक्ति को बरी कर दिया, जिसे अपनी माँ की हत्या (मातृहत्या) के लिए दोषी ठहराया गया था। कोर्ट ने यह देखते हुए कि पूरा मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित है और अभियोजन पक्ष संदेह से परे अपराध साबित करने में विफल रहा।जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस के विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने पाया कि अपीलकर्ता-आरोपी को झूठा फंसाया गया, क्योंकि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा कि मृतक की मृत्यु किसी भी तरह से हत्या की प्रकृति की थी, जबकि मेडिकल साक्ष्य से पता...
क्रिमिनल कोर्ट लिपिकीय त्रुटियों को सुधारने के अलावा अपने फैसले पर पुनर्विचार नहीं कर सकता: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि आपराधिक क्षेत्राधिकार का प्रयोग करने वाला कोई भी हाईकोर्ट, विशुद्ध रूप से लिपिकीय या आकस्मिक त्रुटि को सुधारने के अलावा, अंतर्निहित शक्तियों की आड़ में अपना न्यायिक आदेश वापस नहीं ले सकता या उस पर पुनर्विचार नहीं कर सकता। खनन संबंधी विवाद में जांच CBI को ट्रांसफर करने का राजस्थान हाईकोर्ट का निर्देश खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि CrPC की धारा 482 (अब BNSS की धारा 528) का प्रयोग करके पूर्व के आदेश को वापस लेना क्षेत्राधिकार से बाहर है।कोर्ट ने कहा,"इस कोर्ट के कई...
सुप्रीम कोर्ट ने मुहम्मदन कानून के तहत मौखिक उपहार की आवश्यक शर्तें बताईं
सुप्रीम कोर्ट ने मुहम्मदन कानून (Mohammedan Law) के तहत वैध मौखिक उपहार (oral gift/हिबा) के लिए आवश्यक तीन प्रमुख शर्तों को दोहराया:(i) दाता की उपहार देने की स्पष्ट इच्छा का घोषणापत्र, (ii) प्राप्तकर्ता द्वारा उपहार की स्वीकृति, और (iii) उपहार की वस्तु का संपत्ति का वास्तविक या निरूपक (constructive) कब्जा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वैध मौखिक उपहार के लिए किसी लिखित दस्तावेज़ की आवश्यकता नहीं होती और केवल इसे लिखित रूप में दर्ज करना उपहार की प्रकृति को नहीं बदलता और न ही पंजीकरण (registration)...
अल्पवयस्क बड़ा होने पर अभिभावक की बिक्री अपने काम से रद्द कर सकता है, मुकदमा जरूरी नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब कोई अल्पवयस्क बड़ा हो जाता है, तो वह अपने अभिभावक द्वारा की गई बिक्री, जिसे बाद में चुनौती दी जा सकती है (voidable sale), को सिर्फ मुकदमा दायर करके ही नहीं, बल्कि अपने स्पष्ट कार्यों या व्यवहार से भी रद्द कर सकता है, जैसे कि उस संपत्ति को किसी तीसरे व्यक्ति को बेच देना।कोर्ट ने कहा, “अल्पवयस्क के अभिभावक द्वारा की गई बिक्री को अल्पवयस्क वयस्क होने पर समय रहते या तो मुकदमा दायर करके या अपने स्पष्ट व्यवहार से रद्द किया जा सकता है।” कोर्ट ने यह भी कहा, “हमेशा जरूरी नहीं...
Order XLI Rule 5 CPC | धन डिक्री पर रोक के लिए जमा राशि अनिवार्य नहीं, असाधारण मामलों में बिना शर्त रोक लगाई जा सकती है: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (7 अक्टूबर) को लंबे समय से चली आ रही इस बहस का समाधान कर दिया कि क्या धन डिक्री पर रोक लगाने के लिए जमा राशि या प्रतिभूति एक अनिवार्य पूर्व शर्त है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 ("सीपीसी") के आदेश XLI नियम 5 के तहत निष्पादन पर रोक लगाने के लिए अपीलीय न्यायालय के लिए विवादित राशि जमा करने की शर्त लगाना अनिवार्य नहीं है।दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के फैसले की पुष्टि करते हुए, न्यायालय ने कहा कि सीपीसी के आदेश XLI नियम 1(3) और नियम 5(5) के...
S. 27 Evidence Act | केवल हथियार की बरामदगी से संबंधित प्रकटीकरण स्वीकार्य, उसके उपयोग के बारे में बयान स्वीकार्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (7 अक्टूबर) को हत्या के अपराध (IPC की धारा 302) से तीन व्यक्तियों को बरी कर दिया। न्यायालय ने यह देखते हुए कि अभियोजन पक्ष ने साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 के तहत उनके प्रकटीकरण बयानों पर भरोसा किया, जहां उन्होंने स्वीकार किया कि बरामद हथियार ही अपराध का हथियार है।जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की खंडपीठ ने कहा कि धारा 27 के तहत प्रकटीकरण बयानों का केवल वही हिस्सा स्वीकार्य होगा, जो किसी वस्तु की बरामदगी का समर्थन करता है, न कि वह हिस्सा जो अपराध में वस्तु...




















