राज�थान हाईकोट
राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन ने सीमा पार की अस्थिर स्थिति के कारण 16 मई तक नो-वर्क अवधि की मांग करते हुए चीफ जस्टिस को पत्र लिखा
बाद के घटनाक्रमों के मद्देनजर एडवोकेट एसोसिएशन ने नो-वर्क के लिए अपना प्रतिनिधित्व वापस लेने का फैसला किया और आज से सामान्य रूप से काम करना जारी रखेगा।राजस्थान हाईकोर्ट अधिवक्ता संघ (एसोसिएशन) ने राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से अनुरोध किया कि वे 12 मई, 2025 से 5 दिनों की अवधि के लिए नो-वर्क अवधि घोषित करें क्षेत्र में मौजूदा संवेदनशील और अस्थिर स्थिति निरंतर ब्लैकआउट और अलगाववादी और विघटनकारी ताकतों द्वारा उत्पन्न आसन्न खतरे के मद्देनजर।चीफ जस्टिस को लिखे पत्र के अनुसार, यह अनुरोध तनावपूर्ण...
डॉक्टर संभवतः 'चिकित्सा लापरवाही' नहीं करेंगे, क्योंकि इससे उनकी पेशेवर और आर्थिक स्थिरता बर्बाद हो सकती है: राजस्थान हाईकोर्ट ने FIR रद्द की
राजस्थान हाईकोर्ट ने निजी डॉक्टरों के खिलाफ दर्ज एक FIR को रद्द कर दिया, जिन पर एक महिला मरीज का लापरवाही से इलाज करने का आरोप था, जिसमें उसकी मौत हो गई। हाईकोर्ट ने कहा कि यह मान लेना गलत होगा कि कोई डॉक्टर या संस्थान जानबूझकर लापरवाहीपूर्ण चिकित्सा पद्धतियों का इस्तेमाल कर अपनी प्रतिष्ठा को जोखिम में डालेगा। ऐसा करते हुए न्यायालय ने कहा कि "पेशेवर बर्बादी, आर्थिक गिरावट और अंततः संस्थागत पतन का जोखिम" ऐसे कारक हैं जो डॉक्टरों/चिकित्सा संस्थानों की ओर से देखभाल के मानक में किसी भी जानबूझकर...
न्यूनतम मजदूरी के आधार पर मुआवजा तय करना तर्कसंगत नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट ने मृतक MBBS स्टूडेंट के परिजनों को मुआवजा बढ़ाकर एक करोड़ किया
राजस्थान हाईकोर्ट ने एक मृतक द्वितीय वर्ष के MBBS स्टूडेंट के परिजनों को मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (MACT) द्वारा दिए गए लगभग 12 लाख के मुआवजे को बढ़ाकर ₹1 करोड़ से अधिक कर दिया। अदालत ने कहा कि मृतक की आय की संभावनाओं का आकलन कुशल श्रमिक की न्यूनतम मजदूरी के आधार पर करना पूरी तरह से अवास्तविक, अत्यधिक तकनीकी और सीमित सोच का परिणाम है।जस्टिस अरुण मोंगा ने टिप्पणी की कि युवा पेशेवरों से संबंधित मामलों में अदालतों को कठोर अंकगणितीय गणनाओं और आय प्रमाण की जिद से ऊपर उठना चाहिए। न्यूनतम मजदूरी...
राजस्थान हाईकोर्ट ने ई-सिगरेट की ऑनलाइन बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस के जवाब पर असंतोष व्यक्त किया, DGP को निवारक कदमों की जानकारी देने का आदेश दिया
ई-सिगरेट की ऑनलाइन बिक्री के खतरे पर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने पुलिस द्वारा दायर जवाब पर असंतोष व्यक्त किया। साथ ही राज्य के पुलिस महानिदेशक को इस तरह की बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए निवारक तंत्र के विकास और कार्यान्वयन पर विस्तृत हलफनामे के माध्यम से जानकारी देने का निर्देश दिया।अदालत ने पुलिस मुख्यालय के प्रभारी अधिकारी को अगली सुनवाई की तारीख पर अदालत में उपस्थित रहने और उठाए गए आवश्यक कदमों के बारे में जानकारी देने का भी निर्देश दिया।संदर्भ के लिए हाईकोर्ट ने निर्देश...
स्वैच्छिक रिटायरमेंट के आवेदन की स्वीकृति के बाद वापसी पर पूर्ण प्रतिबंध अनुचित: राजस्थान हाईकोर्ट ने सिविल सेवा पेंशन नियमों के प्रावधान को सीमित किया
राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सिविल सेवा (पेंशन) नियमों के नियम 50(4) में दिए गए उस प्रावधान को पढ़कर सीमित किया, जिसमें स्वैच्छिक रिटायरमेंट के आवेदन की स्वीकृति के बाद उसे वापस लेने पर पूर्ण प्रतिबंध था। अदालत ने कहा कि किसी कर्मचारी को उसके रिटायरमेंट आवेदन को प्रभावी होने से पहले वापस लेने के विकल्प से वंचित करना इस योजना को स्पष्ट रूप से मनमाना और अनुचित बना देता है।अदालत ने यह भी माना कि स्वैच्छिक रिटायरमेंट के आवेदन की वापसी को मना करना विवेकपूर्ण विचार के बिना नहीं किया जा सकता।नियम 50(1)...
एक बार नकारात्मक पुलिस रिपोर्ट दाखिल होने के बाद नामांकन पत्र में प्रथम दृष्टया जानकारी प्रकट करने की जरूरत नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट ने विधायक के खिलाफ चुनाव याचिका खारिज की
राजस्थान हाईकोर्ट ने हनुमानगढ़ विधायक गणेशराज बंसल के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कुछ आपराधिक मामलों का खुलासा न करने का आरोप लगाया गया था। न्यायालय ने कहा कि एक बार पुलिस द्वारा प्रथम दृष्टया नकारात्मक अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दिए जाने के बाद सफल उम्मीदवार को नामांकन पत्र में उन मामलों का खुलासा करने की आवश्यकता नहीं है। जस्टिस दिनेश मेहता ने अपने आदेश में कहा, "इस न्यायालय को याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए मुद्दे की वैधता और स्थायित्व के बारे में अपनी आपत्ति...
राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्व MLA प्रमोद जैन भाया की FIR रद्द करने की मांग वाली याचिका खारिज की
राजस्थान हाईकोर्ट ने कांग्रेस (Congress) के पूर्व विधायक और राज्य कैबिनेट मंत्री प्रमोद जैन भाया, उनके मित्रों और रिश्तेदारों द्वारा दायर की गई याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें 13 FIR रद्द करने की मांग की गई थी। अपनी याचिकाओं में उन्होंने यह दावा किया था कि ये FIR राजनीतिक उद्देश्यों से दर्ज की गईं और सत्तारूढ़ दल के प्रभाव में जांच एजेंसियों द्वारा उनका संचालन किया गया।न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं की FIR को एक साथ जोड़ने की याचिका भी खारिज की, क्योंकि यह पाया गया कि 'समानता का परीक्षण' संतुष्ट...
Rajasthan Service Rules | हाईकोर्ट ने 'प्रतिक्षारत पोस्टिंग आदेश' जारी करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए, कहा- कर्मचारियों को कारण बताना होगा
राजस्थान हाईकोर्ट में जस्टिस अरुण मोंगा की पीठ ने बिना कोई कारण बताए या बताए “पोस्टिंग आदेशों की प्रतीक्षा” की श्रेणी में रखे गए सरकारी कर्मचारियों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए निम्नलिखित दिशा-निर्देश जारी किए: 1) एपीओ का उद्देश्य और औचित्यa. प्रशासनिक आवश्यकता या सार्वजनिक हित के आधार पर जारी किया जाना चाहिए, न कि दंडात्मक उपाय के रूप में।b. किसी कर्मचारी को एपीओ के तहत रखने का कारण लिखित रूप में स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए।c. एपीओ को अनुशासनात्मक कार्रवाई के विकल्प या बहाने के रूप में...
राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को 1979 से अब तक नियुक्त पात्र कर्मचारियों को नियमित करने और अनियमित नियुक्तियों को लाभ देने का आदेश दिया
यह देखते हुए कि कल्याणकारी राज्य में दशकों तक लगातार सेवा के बावजूद नियमितीकरण से लंबे समय तक इनकार करना संस्थागत शोषण की सीमा पर है, राजस्थान हाईकोर्ट ने 1979 में नियुक्त विभिन्न कर्मचारियों के संबंध में राज्य सरकार को कई निर्देश दिए, जिनकी प्रारंभिक नियुक्तियां अनियमित या अवैध थीं, लेकिन जिन्होंने लंबे समय तक सेवा की थी। जस्टिस अरुण मोंगा ने कहा कि संवैधानिक नैतिकता यह सुनिश्चित करती है कि रूप में अनियमित लेकिन सार में नहीं, स्वीकृत पदों और निरंतर सेवा के वर्षों द्वारा समर्थित नियुक्तियां...
राजस्थान समाज में लड़कियों की शिक्षा स्थिति से नाराज हाईकोर्ट, दी यह सलाह
राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकारी बालिका गृह की अधीक्षक को 11 वर्षीय बलात्कार पीड़िता को बालिका गृह के निकट स्थित किसी भी सरकारी स्कूल में दाखिला देने तथा उसके वयस्क होने तक उसकी पढ़ाई का खर्च उठाने की अनुमति दी।जस्टिस अनूप कुमार ढांड की पीठ ने बालिका गृह की अधीक्षक को पीड़िता के स्कूल में दाखिले के दस्तावेजी सबूत के साथ रिपोर्ट प्रस्तुत करने तथा उसके वयस्क होने तक जुलाई में वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया।न्यायालय सरकारी बालिका गृह की अधीक्षक द्वारा लिखे गए तीन पत्रों पर सुनवाई कर...
राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्व प्रोफेसर पर हमला करने के आरोपी स्टूडेंट के खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने से इनकार किया
राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्व प्रोफेसर पर हमला करने के आरोपी राजस्थान यूनिवर्सिटी के कुछ स्टूडेंट के बीच हुए समझौते के आधार पर दर्ज FIR रद्द करने की याचिका खारिज की। कोर्ट ने FIR खारिज करने से इनकार करते हुए कहा कि कथित अपराध गंभीर प्रकृति के हैं और समाज की शांति और सौहार्द को भंग करते हैं।जस्टिस समीर जैन ने अपने आदेश में कहा,"FIR में दर्ज आरोप स्टूडेंट/व्यक्तियों के एक समूह से संबंधित हैं, जिन्होंने किसी कारण से राजस्थान यूनिवर्सिटी के प्रशासनिक ब्लॉक के गेट को बंद कर दिया। शिकायतकर्ता पूर्व...
'राज्य सरकार द्वारा सार्वजनिक धन का दुरुपयोग': राजस्थान हाईकोर्ट ने 25 लाख रुपये से अधिक वार्षिक पारिवारिक आय वाले छात्रों को छात्रवृत्ति देने पर रोक लगाई
राजस्थान हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश में राज्य सरकार को उच्च शिक्षा के लिए स्वामी विवेकानंद छात्रवृत्ति (जिसे पहले राजीव गांधी छात्रवृत्ति के नाम से जाना जाता था) का लाभ E3 श्रेणी में आने वाले किसी भी उम्मीदवार को देने से रोक दिया है, जिसकी वार्षिक पारिवारिक आय 25 लाख से अधिक है। अदालत ने यह टिप्पणी तब की जब उसने पाया कि सरकारी खजाने से "लाखों रुपये" ऐसे उम्मीदवारों को छात्रवृत्ति के नाम पर दिए गए हैं जिनके माता-पिता अमीर और धनी हैं, जबकि जरूरतमंद, गरीब और विद्वान उम्मीदवार जो अपनी पढ़ाई में...
बिना पूर्व स्वीकृति के ड्यूटी छोड़ना 'माना हुआ इस्तीफा' नहीं, इसे सिविल सर्विस नियमों के तहत अनुशासनहीनता माना जाना चाहिए: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान स्वैच्छिक ग्रामीण शिक्षा सेवा नियमों के नियम 86 के तहत आदेश को चुनौती देने वाली याचिका आंशिक रूप से स्वीकार की। उक्त याचिका के अनुसार एक सरकारी कॉलेज के शिक्षक को "इस्तीफा दे दिया गया" माना गया, जिसमें कहा गया कि यद्यपि उसे जारी किया गया कारण बताओ नोटिस सही था, लेकिन ड्यूटी पर वापस न आने के उसके कृत्य को इस्तीफा नहीं माना जा सकता।न्यायालय ने कहा कि यद्यपि नियम 86 लागू नहीं है, लेकिन चूंकि याचिकाकर्ता बिना किसी छुट्टी या अनुमति के अनुपस्थित रहा, ऐसे मामलों में सरकारी...
छुट्टी के दिन जारी निलंबन आदेश और आरोप पत्र अवैध नहीं, सरकार 24 घंटे, सप्ताह के 7 दिन काम करती है: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने पंचायत समिति के प्रधान को जारी निलंबन आदेश और आरोप पत्र को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि आरोप पत्र और निलंबन आदेश को सिर्फ इस आधार पर अमान्य नहीं माना जा सकता कि ये दोनों आदेश छुट्टी के दिन जारी किए गए थे। जस्टिस अनूप कुमार ढांड ने अपने आदेश में कहा कि सरकारी कर्मचारियों को अपने सामान्य सरकारी कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए छुट्टियों पर काम करने से नहीं रोका जा सकता। यह माना गया कि छुट्टी के दिन काम करने का उद्देश्य काम का बोझ कम करना है और छुट्टी के...
राजस्थान हाईकोर्ट ने आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप खारिज किए, कहा- आरोपी के कार्यों और पीड़ित के निर्णय के बीच कोई 'प्रत्यक्ष संबंध' नहीं
राजस्थान हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को पलट दिया, जिसमें आरोपी-एक निजी क्रिकेट कोच पर साथी कोच को आत्महत्या के लिए उकसाने के साथ-साथ आपराधिक मानहानि का आरोप लगाया गया था, जिसमें मृतक को कथित तौर पर व्हाट्सएप ग्रुप के भीतर आरोपी द्वारा परेशान किया गया था। अदालत ने पाया कि मृतक के पास कोई सुसाइड नोट नहीं मिला और आरोपी द्वारा उत्पीड़न और यातना का आरोप गंभीर था, लेकिन यह पर्याप्त रूप से साबित नहीं हुआ कि आईपीसी की धारा 306 के तहत अपराध किया गया था। अदालत ने आगे कहा कि अभियोजन पक्ष को आरोपी...
विवाह एक रस्म से बढ़कर, इसका सांस्कृतिक महत्व अद्वितीय: राजस्थान हाईकोर्ट ने बलात्कार के आरोपी और पीड़िता के बीच विवाह के बाद दर्ज FIR खारिज की
शिकायतकर्ता और आरोपी के बीच विवाह पर आधारित बलात्कार के मामले को खारिज करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि विवाह एक पवित्र और दिव्य संस्था है, जो सांसारिक मामलों से परे है और संस्कृति में इसका अद्वितीय महत्व है।कोर्ट ने कहा,“विवाह को दो व्यक्तियों के बीच पवित्र मिलन माना जाता है- जो शारीरिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक बंधनों से परे है। प्राचीन हिंदू कानूनों के अनुसार विवाह और उसके अनुष्ठान धर्म (कर्तव्य), अर्थ (संपत्ति) और काम (शारीरिक इच्छा) को पूरा करने के लिए किए जाते हैं। ऐसी पवित्रता...
सेवा से लंबे समय तक निलंबन दंड को प्रतिबिंबित करता है: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि भले ही निलंबन कानूनी रूप से जुर्माना नहीं है, लेकिन एक अंतरिम उपाय है, लेकिन जब लंबे समय तक घसीटा जाता है तो सजा या "प्रच्छन्न" सजा दिखाई देती है।ऐसा करने में अदालत ने कार्मिक विभाग के सचिव के माध्यम से राजस्थान राज्य को एक परमादेश जारी किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी सक्षम प्राधिकारी सरकारी कर्मचारियों को निलंबित करने की शक्ति के साथ निहित हैं, लंबित आपराधिक कार्यवाही के कारण पारित निलंबन आदेश के बाद आगे की कार्रवाई करने के लिए उचित समय-सीमा का...
राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य विद्युत वितरण कंपनी और NTPC के संयुक्त उद्यम के खिलाफ जनहित याचिका पर 1.5 लाख का जुर्माना लगाया
राजस्थान हाईकोर्ट ने बिजली विभाग के एक रिटायर मुख्य अभियंता पर 1,50,000 का जुर्माना लगाते हुए उनकी जनहित याचिका (PIL) खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड और नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (NTPC) के संयुक्त उद्यम (JV) को रद्द करने की मांग की थी।न्यायालय ने इस याचिका को स्वार्थ प्रेरित और कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग बताया।याचिकाकर्ता का तर्क था कि बिजली उत्पादन के क्षेत्र में उनके अनुभव के आधार पर यह संयुक्त उद्यम भविष्य में बिजली की महंगी दरों की ओर ले...
हस्ताक्षर न करने के कारण चयन वेतनमान से वंचित पात्र सरकारी लेक्चरर को राजस्थान हाईकोर्ट से राहत
राजस्थान हाईकोर्ट ने एक सरकारी लेक्चरर को चयन वेतनमान (Selection Scale) देने से इनकार करने के राज्य सरकार का निर्णय खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता से यह लाभ केवल इसलिए छीना गया था, क्योंकि उसने आवेदन पत्र भरने के बाद उस पर हस्ताक्षर नहीं किए, जबकि शेष विवरण सही तरीके से भरे गए थे।जस्टिस विनीत कुमार माथुर ने अपने आदेश में कहा,"केवल इस आधार पर कि आवेदन पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए गए, यदि उसमें भरी गई जानकारी सही है और याचिकाकर्ता अन्यथा चयन वेतनमान के लिए पात्र है तो उसे इस लाभ से वंचित नहीं किया जा...
हाईकोर्ट से परामर्श के बाद एएजी की नियुक्ति न करना अवमानना नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य के खिलाफ स्वप्रेरणा से आपराधिक कार्यवाही बंद की
राजस्थान हाईकोर्ट ने हाईकोर्ट की सहमति के बावजूद राज्य द्वारा ब्रमानंद संदू को अधिवक्ता सह अतिरिक्त महाधिवक्ता नियुक्त करने का आदेश जारी न करने पर एकल न्यायाधीश द्वारा दर्ज की गई स्वप्रेरणा से दायर आपराधिक याचिका को बंद करते हुए कहा कि यह अवमानना नहीं है और न ही इसे आपराधिक मामला माना जा सकता है। मुख्य न्यायाधीश मनींद्र मोहन श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति आनंद शर्मा की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा,"केवल इसलिए कि यह मामला हाईकोर्ट से परामर्श के बाद सरकारी अधिवक्ता की नियुक्ति से संबंधित है, जैसा कि...
















