राज�थान हाईकोट
सिविल उपचार की उपलब्धता आपराधिक कार्यवाही को जारी रखने से इनकार करने का कोई आधार नहीं, दोनों उपचार सह-व्यापक: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि दीवानी उपाय उपलब्ध होने से आपराधिक कार्यवाही शुरू होने से नहीं रोका जा सकता। यह माना गया कि दोनों उपाय परस्पर अनन्य नहीं हैं, बल्कि सह-व्यापक हैं, जिनकी विषय-वस्तु और परिणाम अलग-अलग हैं। कोर्ट ने कहा,“यह मानना अभिशाप है कि जब दीवानी उपाय उपलब्ध है, तो आपराधिक मुकदमा पूरी तरह से वर्जित है। दोनों प्रकार की कार्रवाइयां विषय-वस्तु, दायरे और महत्व में बिल्कुल भिन्न हैं। कई धोखाधड़ी वाणिज्यिक और धन संबंधी लेन-देन के दौरान की जाती हैं।” जस्टिस राजेंद्र...
NDPS Act | बरामदगी के स्थान के अलावा अन्य स्थान पर जब्ती ज्ञापन तैयार करना जब्ती को दोषपूर्ण बनाता है: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि जब्ती अधिकारी द्वारा NDPS Act के तहत प्रतिबंधित सामग्री की बरामदगी के स्थान पर जब्ती ज्ञापन तैयार किया जाना चाहिए, जैसा कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा जारी स्थायी निर्देश के तहत निर्धारित किया गया है। ऐसा न करने पर जब्ती दोषपूर्ण हो जाती है, जिससे जब्ती के तरीके के संबंध में उचित संदेह पैदा होता है।जस्टिस राजेंद्र प्रकाश सोनी की पीठ NDPS Act के तहत आरोपित एक आरोपी द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसके पास कथित तौर पर 4 किलोग्राम से अधिक...
राजस्थान हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी से बचने के लिए पुलिस पर गोलीबारी करने वाले आरोपी को जमानत दी
राजस्थान हाईकोर्ट ने नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (NDPS Act) के तहत गिरफ्तार आरोपी को जमानत दी। उक्त आरोपी ने गिरफ्तारी के समय पुलिसकर्मियों पर कथित तौर पर गोलीबारी की थी।आरोप है कि छापेमारी के दौरान जब कमांडो ने आरोपी को घेरना शुरू किया तो गोलीबारी हुई, जिसके परिणामस्वरूप सह-आरोपी की मौत हो गई और आवेदक घायल हो गया। पुलिस ने उनके वाहन से हथियार और पोस्ता पुआल बरामद होने का आरोप लगाया।आवेदक के वकील ने तर्क दिया कि हथियार और पोस्त की बरामदगी की बात मनगढ़ंत है। उसने घटना के दौरान...
राजस्थान हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता की प्रेग्नेंसी टर्मिनेट करने की अनुमति दी
राजस्थान हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीडि़ता की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए उसके गर्भ समापन की अनुमति दी है। जस्टिस दिनेश मेहता की एकलपीठ ने अतिआवश्यक प्रकरण के रूप में याचिका की सुनवाई करते हुए राजकीय अस्पताल, सिरोही के अधीक्षक को तीन दिन में याचिकाकर्ता के प्रेग्नेंसी टर्मिनेशन की कार्रवाई करने के निर्देश दिए।याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए वकील मनीष व्यास ने कहा कि याचिकाकर्ता दुष्कर्म की शिकारहै। सुरक्षित टर्मिनेशन के सम्बन्ध में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रग्नेंसी संशोधन अधिनियम, 2021...
नए आपराधिक कानूनों के प्रवर्तन से पहले दर्ज FIR के लिए ट्रायल/ जांच CrPC द्वारा शासित होगी, न कि BNSS द्वारा: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि जहां 1 जुलाई, 2023 से पहले CrPC की धारा 154 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी, यह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023, की धारा 531 (2) (A) के तहत लंबित पूछताछ/जांच होगी। इसलिए, उस एफआईआर के संबंध में पूरी बाद की जांच प्रक्रिया और यहां तक कि परीक्षण प्रक्रिया सीआरपीसी द्वारा शासित होगी न कि बीएनएसएस द्वारा।पीठ ने कहा, 'हम यहां केवल उपधारा 531(2)(A) में निहित बचत उपबंध को लेकर चिंतित हैं। इसके अवलोकन से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि न केवल लंबित मुकदमे, बल्कि...
हिंदू देवता उस जमीन को 'जागीर' के रूप में नहीं रख सकते, जिस पर काश्तकार द्वारा या उसके माध्यम से खेती की गई हो: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने पुष्टि की है कि राजस्थान भूमि सुधार एवं जागीर पुनर्ग्रहण अधिनियम, 1952 के अनुसार, हिंदू मूर्तियां (देवता) केवल तभी जागीर के रूप में भूमि रख सकती हैं, जब ऐसी भूमि पर शेबैत/पुजारी द्वारा स्वयं या उनके द्वारा रखे गए भाड़े के मजदूर या नौकर के माध्यम से खेती की जाती है, ताकि अधिनियम के तहत पुनर्ग्रहण/अधिग्रहण से उसे बचाया जा सके। कोर्ट ने कहा,यदि भूमि काश्तकार को खेती के लिए दी गई थी या काश्तकार के माध्यम से खेती की गई थी, तो यह काश्तकार की खातेदारी बन जाती है, जिस पर काश्तकार...
अवैध, मनमाना और असंवैधानिक: राजस्थान हाईकोर्ट ने बिना जांच के सेवा से बर्खास्त कांस्टेबल को राहत दी
राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1958 की धारा 19 (ii) के तहत पुलिस अधीक्षक द्वारा पारित आदेश को पूरी तरह से अवैध, मनमाना और असंवैधानिक मानते हुए रद्द कर दिया है। नियमों के नियम 19 (ii) में प्रावधान है कि जहां अनुशासनात्मक प्राधिकारी को लगता है कि नियमों में निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना उचित रूप से व्यावहारिक नहीं है, तो वह जांच करने की आवश्यकता को समाप्त करते हुए ऐसे आदेश पारित कर सकता है, जो उसे उचित लगे।जस्टिस गणेश राम मीना की पीठ एक कांस्टेबल...
राजस्थान हाईकोर्ट ने कथित ड्रग तस्कर को बहन की शादी में शामिल होने के लिए जमानत देने से किया इनकार
राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस अधिनियम (NDPS Act) के तहत आरोपी को अंतरिम जमानत देने से इनकार किया, जिसने अपनी बहन की शादी में शामिल होने के लिए 40 दिनों के लिए रिहा होने की मांग की थी।अंतरिम जमानत आवेदन यह कहते हुए दायर किया गया कि बहन की शादी के लिए याचिकाकर्ता का घर पर मौजूद होना जरूरी है और उसके भागने की कोई संभावना नहीं है।सरकारी अभियोजक ने रिहाई का विरोध करते हुए तर्क दिया कि बहन की शादी की आड़ में याचिकाकर्ता के फरार होने और हिरासत से बचने की...
धारा 31 राज्य वित्तीय निगम अधिनियम केवल देनदार, ज़मानत के खिलाफ दावों के प्रवर्तन के लिए प्रक्रिया प्रदान करता है, कोई डिक्री पारित नहीं की जा सकती: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने माना है कि राज्य वित्तीय निगम अधिनियम 1951 की धारा 31 के तहत एक सफल आवेदन के संबंध में कोई भी स्वतंत्र निष्पादन याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि धारा 31 के तहत आवेदन को एक मुकदमे में वाद नहीं कहा जा सकता है जिसमें अदालत द्वारा मनी डिक्री पारित की जा सकती है।अधिनियम की धारा 31 में वित्तीय निगम द्वारा दावों के प्रवर्तन के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। राजस्थान वित्तीय निगम ने ऋण मंजूर किया था जिसे ऋणी चुकाने में विफल रहा। राशि की वसूली के लिए आरएफसी ने धारा 31 (1) (AA) के...
वैध ऋण के विरुद्ध चेक का अनादर धारा 138 एनआई अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त, आहर्ता के पास पैसे उधार देने का लाइसेंस होना आवश्यक नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि चेक डिसऑनर के मामले में यह देखा जाना चाहिए कि क्या चेक वैध ऋण के संबंध में जारी किया गया था और नोटिस दिए जाने के बाद भी भुगतान किए बिना अनादरित किया गया था। जस्टिस अरुण मोंगा की पीठ ने कहा कि चेक डिसऑनर के मामले में यह बात प्रासंगिक नहीं है कि शिकायतकर्ता, यानी चेक के आहर्ता के पास ब्याज पर ऋण देने का लाइसेंस था या नहीं।इस प्रकार, न्यायालय ने धारा 91 सीआरपीसी के तहत आहर्ता की याचिका को खारिज करने वाले ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें शिकायतकर्ता...
अभियोक्ता के द्वारा पति से छुटकारा पाने के लिए मामला गढ़ने का पता चलने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने बलात्कार के आरोपी को जमानत दी
राजस्थान हाईकोर्ट ने IPC के साथ-साथ पॉक्सो अधिनियम (POCSO Act) के तहत बलात्कार के आरोपी को जमानत दे दी है मुख्य रूप से अभियोक्ता द्वारा पुलिस अधीक्षक को दिए गए अभ्यावेदन पर गौर करते हुए, जिसमें खुलासा हुआ कि बलात्कार का मामला केवल उसकी खुद की छवि खराब करने के लिए बनाया गया, एक दिखावा था, जिससे उसका पति उसे छोड़ दे।धारा 161 सीआरपीसी के तहत बयान दर्ज करने के बाद अभियोक्ता और उसके माता-पिता द्वारा पुलिस अधीक्षक के समक्ष अभ्यावेदन दायर किया गया था। इस अभ्यावेदन में यह पता चला कि अभियोक्ता की शादी एक...
राजस्थान हाईकोर्ट ने बर्खास्त किए गए कांस्टेबल को 24 साल बाद बहाल करने का निर्देश दिया, कहा- सह-अपराधियों को अलग-अलग सजा देना अनुच्छेद 14 का उल्लंघन
राजस्थान हाईकोर्ट ने 24 साल पहले सेवा से बर्खास्त किए गए कांस्टेबल को बहाल करने का निर्देश दिया। इसमें कहा गया कि जब दोनों व्यक्तियों के खिलाफ आरोप समान हैं तो अन्य आरोपियों की तुलना में सह-अपराधी को अधिक कठोर सजा देना संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन है।जस्टिस गणेश राम मीना की पीठ पुलिस अधीक्षक द्वारा पारित बर्खास्तगी आदेश और पुनर्विचार याचिका खारिज करने वाले आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता कांस्टेबल था, जिसके खिलाफ 4 अन्य कांस्टेबलों के साथ...
वादी और प्रतिवादी के पास समान रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क होने पर भी पारित होने के खिलाफ मुकदमा सुनवाई योग्य: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकौइर्ट ने माना है कि पासिंग ऑफ के लिए एक मुकदमा समान पंजीकृत ट्रेडमार्क वाले दो मालिकों से प्रभावित नहीं होता है और इसलिए, इसे ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999 की धारा 28 (3) के कारण खारिज नहीं किया जा सकता है।अधिनियम की धारा 28(3) में प्रावधान है कि जब दो या दो से अधिक व्यक्ति समान व्यापार चिन्ह के पंजीकृत स्वामी होते हैं तो कोई भी पंजीकृत स्वामी उस व्यापार चिन्ह के उल्लंघन के लिए दूसरे के विरुद्ध मामला दर्ज नहीं कर सकता है। जस्टिस विनीत कुमार माथुर की पीठ ने यह भी कहा कि अधिनियम की धारा...
राजस्थान हाईकोर्ट ने गवाहों को धमकाने के मामले में पूर्व विधायक की जमानत रद्द की, कहा- सत्ता और प्रभाव कभी भी कानून की सर्वोच्चता को नहीं छीन सकते
राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्व विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा (प्रतिवादी) की जमानत रद्द की, जो JVVNL के सहायक अभियंता हर्षधिपति (शिकायतकर्ता) द्वारा 2022 में उनके खिलाफ दायर मारपीट के मामले में है। न्यायालय ने पाया कि जमानत पर रिहा होने के तुरंत बाद रैली आयोजित करके और गवाहों और शिकायतकर्ता को डराने या धमकाने के लिए उन्होंने अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया।कहा गया,“शक्ति, प्रभाव, पद, धन और भावनाएं चाहे कितनी भी ऊंची क्यों न हों, कभी भी कानून की सर्वोच्चता को ग्रहण नहीं लगा...
राजस्थान हाईकोर्ट ने 28 साल पहले सेवा से बर्खास्त किए गए कांस्टेबल को दी राहत, सरकार को सभी सेवानिवृत्ति लाभ देने का निर्देश दिया
राजस्थान हाईकोर्ट ने 28 साल पहले सेवा से बर्खास्त किए गए एक कांस्टेबल को उसकी नियुक्ति के समय उसकी उम्र के संबंध में जाली दस्तावेज बनाने के आधार पर राहत दी है।सक्षम प्राधिकारी के अनुसार, याचिकाकर्ता की नियुक्ति के समय (जैसा कि लागू नियमों के तहत आवश्यक है) 25 वर्ष से कम आयु का नहीं हो सकता था क्योंकि वह शादीशुदा था और उसके तीन बच्चे थे। इस प्रकार उन्हें 1996 में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। जस्टिस गणेश राम मीणा की पीठ ने इस तर्क को अस्वीकार्य पाया, जिसमें कहा गया था कि ऐसी स्थिति उस समय...
भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम के तहत प्रशासन पत्र जारी करने की कार्यवाही में किरायेदार को पक्षकार बनाने की अनुमति नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने माना कि भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 की धारा 278 की कार्यवाही के संबंध में सीपीसी के आदेश 1 नियम X के तहत किरायेदार को पक्षकार नहीं बनाया जा सकता। अधिनियम की धारा 278 अनिवार्य रूप से किसी संपत्ति के संबंध में प्रशासन का पत्र जारी करने से संबंधित है, यदि मालिक की कानूनी वसीयत के बिना मृत्यु हो जाती है। जस्टिस दिनेश मेहता की पीठ ट्रायल कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अधिनियम की धारा 278 की कार्यवाही में उदयपुर मिनरल डेवलपमेंट, सिंडिकेट...
लोक अदालत पक्षकारों की गैर-हाजिरी के आधार पर मामला खारिज नहीं कर सकती: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि लोक अदालत के पास पक्षकारों की गैर-हाजिरी के आधार पर मामला खारिज करने का अधिकार नहीं है।न्यायालय ने विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 की धारा 20(5) पर प्रकाश डाला, जिसके अनुसार जहां पक्षकारों के बीच कोई समझौता नहीं होने के कारण लोक अदालत कोई निर्णय देने में सक्षम नहीं है तो मामले का रिकॉर्ड लोक अदालत द्वारा न्यायालय को वापस किया जाना चाहिए।जस्टिस अरुण मोंगा की पीठ एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसका मामला अधिनियम के तहत लोक अदालत के समक्ष...
संविदा कर्मचारियों का लगातार काम करना स्थायी रोजगार के लिए कोई निहित अधिकार नहीं बनाता: राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया
राजस्थान हाईकोर्ट ने पुष्टि की कि प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से संविदा के आधार पर काम पर रखे गए व्यक्तियों का सरकार द्वारा नियोजित होने में कोई निहित स्वार्थ नहीं है। न्यायालय ने इस स्थिति पर पहुंचने के लिए के.के. सुरेश और अन्य बनाम भारतीय खाद्य निगम के सुप्रीम कोर्ट के मामले पर भरोसा किया।इसके अलावा गणेश दिगंबर झांभरुंडकर और अन्य बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य के मामले पर भी भरोसा किया गया, जिसमें यह माना गया कि लंबे समय तक सेवाएं प्रदान करने से संविदा कर्मचारियों को उनके पक्ष में रोजगार का...
राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकार को गोवंश अधिनियम के तहत कलेॣॣक्टर द्वारा उल्लंघनकारी वाहन जब्त करने के खिलाफ अपील का प्रावधान जोड़ने की सिफारिश की
राजस्थान गोजातीय पशु अधिनियम की धारा 6ए के तहत जिला कलेक्टर द्वारा पारित आदेशों का अवलोकन करते हुए, बिना परमिट के गोजातीय पशुओं के परिवहन के लिए उपयोग किए जाने वाले वाहन को जब्त करने के लिए, राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य विधानमंडल से अपील का प्रावधान शुरू करने का आह्वान किया है। राजस्थान गोजातीय पशु (वध का प्रतिषेध और अस्थायी प्रवास या निर्यात का विनियमन) अधिनियम, 1995 का उद्देश्य गाय और उसके गोवंश के वध को प्रतिबंधित करना और राजस्थान से अन्य राज्यों में उनके अस्थायी प्रवास या निर्यात को विनियमित...
सरकार किसी उम्मीदवार को नौकरी के विज्ञापन में उल्लेख न किए गए आधार पर अयोग्य घोषित नहीं कर सकती: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने चिकित्सा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, राजस्थान सरकार का आदेश रद्द कर दिया, जिसमें उम्मीदवार को सरकारी पद के लिए इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि अयोग्यता के कारण को पद के लिए विज्ञापन में अयोग्यता मानदंड के रूप में उल्लेख नहीं किया गया। न्यायालय ने आदेश को पूरी तरह से अवैध, मनमाना और अनुचित करार दिया। उन्होंने कहा:"याचिकाकर्ता की उम्मीदवारी खारिज करने का आधार पूरी तरह से अवैध और मनमाना प्रतीत होता है, क्योंकि विज्ञापन की शर्तों और नियमों में कहीं भी किसी विशेष बोर्ड से...