स्पोर्ट्स कोटे में नौकरी के लिए बॉडीबिल्डिंग सर्टिफिकेट वैध: IBBF को खेल मंत्रालय की मान्यता, राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला

Amir Ahmad

7 Aug 2025 11:48 AM IST

  • स्पोर्ट्स कोटे में नौकरी के लिए बॉडीबिल्डिंग सर्टिफिकेट वैध: IBBF को खेल मंत्रालय की मान्यता, राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला

    राजस्थान हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि इंडियन बॉडी बिल्डर्स फेडरेशन (IBBF) द्वारा जारी किए गए प्रमाण पत्र वैध हैं। उन्हें खेल कोटे में भर्ती और अंकों की वेटेज के लिए मान्यता मिलनी चाहिए, क्योंकि यह फेडरेशन केंद्र सरकार के युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त है।

    जस्टिस कुलदीप माथुर और जस्टिस बलजिंदर सिंह संधू की खंडपीठ ने यह टिप्पणी उस विशेष अपील की सुनवाई के दौरान की, जिसमें एकल पीठ के उस आदेश को चुनौती दी गई, जिसमें IBBF के प्रमाण पत्र के आधार पर एक उम्मीदवार की खेल कोटे में चयन को बरकरार रखा गया।

    अपीलकर्ता का तर्क था कि IBBF को भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) की मान्यता प्राप्त नहीं है। इसलिए इसका प्रमाण पत्र वैध नहीं माना जा सकता और चयन समिति द्वारा दिए गए अंकों की वेटेज को खारिज किया जाना चाहिए।

    कोर्ट ने राज्य सरकार के जवाब और दस्तावेजों का अवलोकन करते हुए स्पष्ट किया कि IOA से जब अनुमोदित फेडरेशनों की जानकारी मांगी गई तो पता चला कि बॉडीबिल्डिंग के लिए कोई भी फेडरेशन IOA द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है।

    इसके बाद खेल मंत्रालय से जानकारी ली गई, जिसमें यह स्पष्ट हुआ कि IBBF भारत सरकार द्वारा बॉडीबिल्डिंग टूर्नामेंट आयोजित करने के लिए मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय संस्था है। इसे ऑल इंडिया पुलिस स्पोर्ट्स कंट्रोल बोर्ड द्वारा भी मान्यता प्राप्त है।

    कोर्ट ने टिप्पणी की,

    "जब कोई संस्था केंद्र सरकार के खेल मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त हो तो उसके द्वारा जारी किया गया प्रमाण पत्र अमान्य नहीं कहा जा सकता। IBBF राष्ट्रीय स्तर की मान्यता प्राप्त संस्था है। अतः इसके प्रमाण पत्र भर्ती प्रक्रिया में मान्य हैं और इन्हें वेटेज देने से इनकार नहीं किया जा सकता।"

    कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि यदि केवल IOA की मान्यता को ही मानक बनाया जाए तो फिर किसी भी बॉडीबिल्डिंग फेडरेशन को राष्ट्रीय स्तर पर वैध नहीं माना जा सकेगा, क्योंकि IOA ने किसी को मान्यता नहीं दी है।

    अंततः कोर्ट ने अपील खारिज करते हुए चयन समिति के निर्णय को सही ठहराया और कहा कि इसमें कोई त्रुटि नहीं हुई है।

    केस टाइटल: गर्वित व्यास बनाम राजस्थान राज्य एवं अन्य

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