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विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम (Specific Relief Act) भाग 3: विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम के अंतर्गत संविदाओं का पालन क्या होता है (Performance of Contracts)
पिछले आलेखों में विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम 1963 के संदर्भ में मूल बातें तथा कब्जे को पुनः प्राप्त करने हेतु प्रावधानों पर चर्चा की गई है। विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम से संबंधित इस आलेख भाग 3 के अंतर्गत संविदाओं के विशेष पालन के संबंध में उल्लेख किया जा रहा है। संविदाओं का विनिर्दिष्ट पालन (Performance of Contracts)भारतीय संविदा अधिनियम 1872 के अंतर्गत संविदा से संबंधित प्रावधानों का उपबंध किया गया है। भारतीय संविदा अधिनियम के अंतर्गत ही इस अधिनियम से जुड़े हुए उपचारों का भी उल्लेख किया गया है...
विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम (Specific Relief Act) भाग 2: विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम के अंतर्गत संपत्ति के कब्ज़े का प्रत्युद्धरण (Recovery) क्या होता है
विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम 1963 संपत्ति के कब्जे का प्रत्युद्धरण के लिए व्यवस्था करता है। अधिनियम की धारा 5, 6 स्थावर संपत्ति के प्रत्युद्धरण के बारे में उपबंध करती है तथा धारा 7 धारा 8 जंगम संपत्ति के प्रत्युद्धरण के बारे में उपबंध करती है। विनिर्दिष्ट स्थावर संपत्ति का प्रत्युद्धरण विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम 1963 की धारा 5 के अनुसार जो व्यक्ति किसी विशेष संपत्ति के कब्जे का हकदार है वह सिविल प्रक्रिया संहिता 1960 द्वारा उपबंधित प्रकार से उसका प्रत्युद्धरण कर सकता है।स्थावर संपत्ति के...
संविदा विधि (Law of Contract ) भाग 22 : अभिकरण की संविदा के अंतर्गत अभिकर्ता के कर्तव्य और अधिकार क्या होतें हैं ( Rights and duties of Agent)
संविदा विधि से संबंधित सीरीज के अंतर्गत संविदा विधि के प्रावधानों पर सारगर्भित आलेख लेखक द्वारा लिखे जा रहे हैं। अब तक के आलेखों में संविदा विधि के आधारभूत सिद्धांतों का अध्ययन किया जा चुका है और उसके साथ उपनिधान, गिरवी, प्रत्याभूति,क्षतिपूर्ति तथा एजेंसी जैसे विषय का भी सारगर्भित अध्ययन किया जा चुका है। पिछले आलेख में एजेंसी की संविदा के अंतर्गत अभिकर्ता को प्राप्त प्राधिकार के संबंध में चर्चा की गई थी। इस आलेख में एक अभिकर्ता के अपने स्वामी के प्रति क्या अधिकार होते हैं और क्या कर्तव्य होते...
संविदा विधि (Law of Contract ) भाग 21 : अभिकरण की संविदा के अंतर्गत अभिकर्ता का प्राधिकार क्या होता है (Agent Authority)
संविदा विधि सीरीज के अंतर्गत पिछले आलेख में अभिकरण की संविदा के संबंध में विशेष बातों का उल्लेख किया गया था। अभिकरण की संविदा क्या होती है पिछले आलेख में इस संबंध में चर्चा की जा चुकी है इस आलेख में अभिकर्ता के प्राधिकार के संबंध में उल्लेख किया जा रहा है। अभिकर्ता के प्राधिकार ( Agent Authority)अभिकरण की संविदा के अंतर्गत मालिक अपने द्वारा किए जाने वाले कार्यों को किसी अभिकर्ता को सौंप देता है। इस प्रकार वह अपने कार्यों का प्रत्यारोपण कर देता है। मालिक के कार्य अभिकर्ता द्वारा किए जाते हैं तो...
संविदा विधि (Law of Contract ) भाग 20 : संविदा विधि के अंतर्गत अभिकरण की संविदा क्या होती है (Agency)
संविदा विधि के संदर्भ में लिखे जा रहे हैं आलेखों के अंतर्गत अब तक उपनिधान की संविदा तक समझा जा चुका है। पिछले आलेख में उपनिधान के रूप में गिरवी क्या होता है इस संदर्भ में उल्लेख किया गया था। संविदा विधि सीरीज के आलेखों में अब अंतिम आलेखों का समय चल रहा है, संविदा अधिनियम के सबसे अंत में एजेंसी का उल्लेख किया गया है, इस आलेख में एजेंसी की संविदा के संदर्भ में संविदा विधि के संदर्भ में लिखे जा रहे हैं आलेखों के अंतर्गत अब तक उपनिधान की संविदा तक समझा जा चुका है। पिछले आलेख में उपनिधान के रूप में...
संविदा विधि (Law of Contract ) भाग 19 : संविदा विधि के अंतर्गत गिरवी रूपी उपनिधान क्या होता है (Contract of Bailment and Pledge)
संविदा विधि के पिछले आलेख के अंतर्गत उपनिधान के संदर्भ में चर्चा की गई है। उपनिधान का एक आम साधारण रूप और है जिसे गिरवी कहा जाता है। गिरवी बहुत साधारण अवधारणा है परंतु वैधानिक रूप से इस अवधारणा के अर्थ बड़े विस्तृत हैं। इस आलेख के अंतर्गत उपनिधान के अंतर्गत गिरवी की अवधारणा पर उल्लेख किया जा रहा है। गिरवीजैसा कि पूर्व ऊपर उल्लेख किया गया है गिरवी एक साधारण अवधारणा है जो आम जीवन में हमें देखने को मिलती है। कर्ज के लिए गिरवी किसी कीमती वस्तु को रखा जाता है तथा कर्ज के भुगतान के समय उसे पुनः वापस...
संविदा विधि (Law of Contract ) भाग 18 : उपनिधान की संविदा में उपनिहिती के क्या कर्तव्य होतें हैं (Duties of a Bailee)
संविदा विधि से संबंधित लाइवलॉ वेबसाइट पर उपलब्ध की जा रही इस सीरीज के आलेखों के अंतर्गत अब तक संविदा विधि के आधारभूत सिद्धांतों के साथ प्रत्याभूति की संविदा, क्षतिपूर्ति की संविदा तथा उपनिधान की संविदा के संदर्भ में सारगर्भित उल्लेख किया जाता चुका है। इस आलेख में उपनिधान की संविदा के अंतर्गत एक उपनिहिती के कर्तव्यों पर विवेचना की जा रही है। पिछले आलेख में उपनिधान की संविदा क्या होती है इस संदर्भ में विवेचना की गई थी तथा यह आलेख दूसरा आलेख है। यदि पाठकगण आलेख 18 का अध्ययन करना चाहते हैं तो इसके...
संविदा विधि (Law of Contract ) भाग 17 : उपनिधान की संविदा क्या होती है ( Bailment)
संविदा विधि के अब तक के आलेखों के अंतर्गत संविदा विधि के आधारभूत सिद्धांतों के साथ ही क्षतिपूर्ति की संविदा एवं प्रत्याभूति की संविदा के विषय में विस्तृत अध्ययन किया जा चुका है। आलेख 17 में उपनिधान की संविदा के विषय में उल्लेख किया जा रहा है। उपनिधान की संविदा, संविदा विधि की महत्वपूर्ण संविदा होती है। आज व्यापार व्यवसाय के युग में उपनिधान की संविदा का महत्व अत्यधिक हो चला है।उपनिधान की संविदा (Bailment) उपनिधान (Bailment) की संविदा का महत्व इस व्यापारिक युग में अत्यधिक है। भारतीय संविदा...
संविदा विधि (Law of Contract ) भाग 16 : प्रतिभू के दायित्व और अधिकार
अब तक के संविदा विधि से संबंधित आलेखों में संविदा विधि के आधारभूत नियमों के साथ प्रत्याभूति की संविदा का अध्ययन किया जा चुका है। पिछले आलेख में प्रत्याभूति की संविदा क्या होती है इस संदर्भ में उल्लेख किया गया था इस आलेख में प्रतिभू के दायित्व और उसके अधिकारों के संबंध में चर्चा की जा रही है।प्रतिभू के दायित्व (Surety Obligations)भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 128 प्रतिभूओं के दायित्वों से संव्यवहार करती है। इसके अनुसार प्रतिभू के दायित्व जब तक संविदा द्वारा अन्यथा उपबंधित न हो मुख्य ऋणी के...
सार्वजनिक उपद्रव (Public nuisance) के बारे में ख़ास बातें
उपद्रवों (Nuisances) को मुख्य रूप से दो भाग में विभाजित किया जा सकता है:- निजी उपद्रवों (Private Nuisance) और (ii) सार्वजनिक उपद्रवों (Public nuisance). निजी उपद्रवों (Private Nuisance) और सार्वजनिक उपद्रवों (Public Nuisance) को निम्न उदहारण से समझा जा सकता है कि कोई एक गतिविधि या चीज जो किसी समुदाय के स्वास्थ्य, सुरक्षा या नैतिकता को प्रभावित करता है यह एक निजी उपद्रव से अलग है , जो केवल एक पड़ोसी या कुछ व्यक्तियों को नुकसान पहुंचाता है। उदाहरण के लिए, एक कारखाना जो हानिकारक धुएं के बादलों को...
संविदा विधि (Law of Contract ) भाग 15 : प्रत्याभूति की संविदा क्या होती है? (Contract of Guarantee)
संविदा विधि से संबंधित अब तक के आलेखों में संविदा विधि सीरीज के अंतर्गत 14 आलेख लिखे जा चुके हैं तथा इस आलेख- 15 में प्रत्याभूति की संविदा क्या होती है, इस संदर्भ में उल्लेख किया जा रहा है अब तक के आलेखों में संविदा विधि की आधारभूत धाराओं तथा क्षतिपूर्ति की संविदा तक उल्लेख किया जा चुका है, क्षतिपूर्ति की संविदा क्या होती है इस संदर्भ में जानने के लिए इसके पूर्व के आलेख का अध्ययन करें।प्रत्याभूति की संविदा (धारा-126) (Contract of Guarantee)प्रत्याभूति हमारे आसपास का आम बोलचाल का शब्द है। अधिकांश...
संविदा विधि (Law of Contract ) भाग 14 : क्षतिपूर्ति क्या होती है, संविदा विधि में क्षतिपूर्ति की संविदा क्या होती है (Indemnity)
अब तक के संविदा विधि से संबंधित आलेखों के 13 भागों के अंतर्गत संविदा विधि के प्रारंभिक रूप को और उसकी अवधारणा को समझा गया है। आलेख 14 संविदा विधि के एक प्रकार से दूसरे भाग का प्रारंभ है, इस आलेख में लेखक क्षतिपूर्ति के संदर्भ में विशेष बातों का उल्लेख कर रहा है। संविदा विधि की अब तक की 75 धाराओं के अंतर्गत संविदा विधि के प्रारंभिक रूप को समझा गया है। भारतीय संविदा अधिनियम 1872 की प्रारंभिक 75 धाराएं आधारभूत धाराएं हैं, इन धाराओं के बाद अगली धाराओं का अध्ययन संविदा विधि का भाग-2 माना जाता...
संविदा विधि (Law of Contract ) भाग 13 : संविदा- सदृश्य क्या होता है, संविदा सदृश्य के संबंध में विशेष बातें (Quasi Contract)
किसी भी संविदा के होने के लिए करार की आवश्यकता होती है। प्रस्थापना और प्रस्थापना के प्रतिग्रहण के बाद करार का जन्म होता है तथा इसमें भी स्वतंत्र सहमति और वैध प्रतिफल तथा विधिपूर्ण उद्देश्य होना आवश्यक होता है। पूर्व के आलेखों में अब तक किसी संविदा के प्रस्ताव से लेकर उस संविदा के पालन तक चर्चा की जा चुकी है। इस आलेख में सदृश्य संविदा के विषय में चर्चा की जा रही है।संविदा होने के लिए करार की आवश्यकता होती है तब संविदा का निर्माण होता है परंतु सदैव ऐसा नहीं होता है। कुछ संविदाएं तो ऐसी होती हैं...
संविदा विधि (Law of Contract ) भाग 12 : संविदा का पालन कैसे किया जाता है? जानिए विशेष बातें (Performance of Contracts)
अब तक के आलेखों में हमने संविदा क्या होती है और संविदा का सृजन कैसे किया जाता है इसके संबंध में संपूर्ण जानकारियों को साझा किया है तथा समझाने का प्रयास किया है कि एक वैध संविदा का सृजन कैसे होता है। एक वैध संविदा जब अस्तित्व में आ जाती है तब इस संविदा के लिए सबसे सर्वोत्तम तो होगा की संविदा का पालन किया जाए इसलिए संविदा अधिनियम की धारा 37 अध्याय 4 के अंतर्गत यह स्पष्ट संविदा के पक्षकारों को कहा गया है कि वह अपने वचनों का पालन करें। धारा 37 के अंतर्गत एक प्रकार से नैतिक रूप से भी यह इशारा किया...
संविदा विधि (Law of Contract ) भाग 11: समाश्रित संविदा (Contingent Contracts) क्या होती है
संविदा विधि से संबंधित अब तक के आलेखों में संविदा विधि के आधारभूत सिद्धांतों का अध्ययन किया गया है। भाग 11 से संविदा विधि के अगले विषयों का अध्ययन किया जा रहा है।भारतीय संविदा अधिनियम 1872 के अध्याय 3 के अंतर्गत धारा 31 से लेकर 36 तक समाश्रित संविदा (Contingent Contracts) के विषय में उल्लेख किया गया है।इस अधिनियम की धारा 30 के अंतर्गत पंधम के तौर पर अर्थात सट्टे वाले करार संविदा नहीं होते हैं क्योंकि उन में में एक पक्षकार जीतता है तथा दूसरा पक्षकार हारता है। इस ही से मिलता-जुलता रूप एक और है...
संविदा विधि (Law of Contract ) भाग 10 : संविदा अधिनियम के अंतर्गत शून्य करार (Void Agreements) क्या होते हैं और कौन से करारों का कोई अस्तित्व ही नहींं होता
यह आलेख संविदा विधि के भाग- 9 का शेष भाग है तथा इसके अंतर्गत उन करारों का उल्लेख किया जा रहा है जिन करारों को विधि द्वारा सीधे शून्य घोषित किया गया है। अब तक हमने धारा 26 के अंतर्गत विवाह अवरोधक करार धारा 27 के अंतर्गत व्यापार अवरोधक करारों के संबंध में चर्चा की है। अभी इस आलेख में उन करारों के संबंध में चर्चा की जा रही है जिन्हें विधि द्वारा सीधे शून्य घोषित किया गया है। पाठकगण यदि इस आलेख को समझना चाहते हैं तो उन्हें इस आलेख के पूर्व भाग- 9 का भी अध्ययन करना चाहिए यदि भाग-9 का अध्ययन किया...
संविदा विधि (Law of Contract ) भाग 9 : संविदा अधिनियम के अंतर्गत शून्य करार (Void Agreements) क्या होते हैं और कौन से करारों को विधि द्वारा सीधे शून्य घोषित किया गया है
भारतीय संविदा अधिनियम 1872 की धारा 10 के अंतर्गत विधिपूर्ण प्रतिफल और विधिपूर्ण उद्देश्य के साथ कोई भी करार के संविदा होने के लिए आवश्यक योग्यता यह भी है कि उन करारों को विधि द्वारा सीधे शून्य घोषित न किया गया हो। समाज और देश को बनाए रखने के लिए जनता के हित के लिए कुछ करार ऐसे हैं जिन्हें विधि द्वारा सीधे ही शून्य घोषित कर दिया गया है।पिछले आलेख भाग-8 में प्रतिफल के कारण शून्य होने वाले करारों के संबंध में चर्चा की गई है। इस आलेख में उन करारों के संबंध में चर्चा की जा रही है जिन्हें विधि द्वारा...
संविदा विधि (Law of Contract ) भाग 8 : संविदा अधिनियम के अंतर्गत शून्य करार (Void Agreements) क्या होते हैं और प्रतिफल के संबंध में करार कब शून्य होता है?
जिस प्रकार हमने पूर्व के आलेखों में यह समझा है कि भारतीय संविदा अधिनियम 1872 के अंतर्गत धारा 10 सर्वाधिक महत्वपूर्ण धारा है। इस धारा के अंतर्गत जिन बातों का उल्लेख किया गया है उन बातों को अगली 20 धाराओं में विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है। धारा 10 के अनुसार किसी भी करार के संविदा होने के लिए उस में सक्षम पक्षकार, स्वतंत्र सहमति, विधिपूर्ण प्रतिफल और विधिपूर्ण उद्देश तथा करार विधि द्वारा सीधे शून्य घोषित नहीं किया गया हो यह सभी बातों का समावेश होना चाहिए तब ही कोई करार संविदा का रूप लेता है।पूर्व...












