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भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग 18 : लापरवाही से मृत्यु कारित करना तथा दहेज मृत्यु का अपराध
पिछले आलेख में भारतीय दंड संहिता के अध्याय 16 के अंतर्गत जीवन के लिए संकटकारी अपराधों की श्रंखला में अपराधिक मानव वध तथा हत्या के अपराध पर विश्लेषण किया गया था इस आलेख में दंड संहिता के भाग 16 से ही तथा जीवन के लिए संकटकारी अपराधों में से ही अपराध लापरवाही से मृत्यु कारित करना तथा दहेज मृत्यु पर चर्चा की जा रही है। भारतीय दंड संहिता 1860 केवल अपराधिक मानव वध और हत्या के लिए ही दंडित नहीं करती है अपितु उपेक्षा द्वारा मृत्यु कारित करने पर अर्थात लापरवाही से कोई मृत्यु होने पर तथा वर्तमान समाज का...
भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग 17 : अपराधिक मानव वध और हत्या का अपराध
पिछले आलेख में भारतीय दंड संहिता के अध्याय 15 के अंतर्गत भारत में धर्म से संबंधित अपराधों का अध्ययन किया गया था इस आलेख में मानव शरीर पर प्रभाव डालने वाले अपराधों के संबंध में चर्चा की जा रही है। मानव शरीर पर प्रभाव डालने वाले अपराधभारतीय दंड संहिता 1860 के अध्याय 16 के अंतर्गत मानव शरीर पर प्रभाव डालने वाले अपराधों के संबंध में विस्तार से प्रावधान किए गए। यदि महत्ता दृष्टि से देखा जाए तो भारतीय दंड संहिता का अध्याय 16 संपूर्ण दंड संहिता का हृदय मालूम होता है। यूं तो हर एक अपराध समाज के लिए...
भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग 16 : भारत में धर्म से संबंधित अपराध
पिछले आलेख में भारतीय दंड संहिता के अध्याय 14 के अंतर्गत लोक स्वास्थ्य और सदाचार से संबंधित अपराधों का अध्ययन किया गया था। इस आलेख में भारतीय दंड संहिता के अध्याय 15 के अंतर्गत धर्म से संबंधित अपराधों के विषय में सारगर्भित चर्चा की जा रही है। धर्म व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, भारत के संविधान द्वारा अनुच्छेद 25 में धर्म की स्वतंत्रता का उल्लेख किया गया है। धर्म नितांत निजी मामला है हर व्यक्ति किसी भी धर्म और किसी भी पूजा पद्धति को मानने के लिए स्वतंत्र है परंतु धर्म केवल...
भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग 15 : भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत लोक सुविधा शिष्टाचार और सदाचार को प्रभावित करने वाले अपराध
पिछले आलेख में भारतीय दंड संहिता के अध्याय 14 के अंतर्गत लोक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले अपराधों के संबंध में चर्चा की गई थी इस आलेख में इस ही अध्याय से संबंधित लोक सुविधा, शिष्टता और सदाचार से संबंधित अपराधों पर सारगर्भित उल्लेख किया जा रहा है। लोक सुविधा को प्रभावित करने वाले अपराधभारतीय दंड संहिता, 1860 के अंतर्गत उन सभी कार्य या लोप को भी अपराध की श्रेणी में रखा गया है जो किसी न किसी प्रकार से लोक सुविधा और शेम को प्रभावित करते हैं। क्षेम का अर्थ है सुरक्षा होता है। भारतीय दंड संहिता की...
भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग 14 : भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत लोक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालने वाले अपराध
पिछले आलेख में झूठी गवाही देने के अपराधों के संदर्भ में चर्चा की गई थी इस आलेख में लोक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालने वाले अपराधों का उल्लेख किया जा रहा है।लोक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालने वाले अपराध-भारतीय दंड संहिता अपने उस उद्देश्य को प्राप्त करना चाहती है जिसमें वह एक स्वस्थ समाज, एक शांत समाज तथा एक सदाचारी समाज की स्थापना कर सके। सभी नागरिकों का तथा गैर नागरिकों का यह कर्तव्य है कि वह सभी भारत की सीमा के अंतर्गत आने वाले किसी भी भूभाग पर बसने वाले भारतीय समाज में किसी प्रकार के ऐसे अपराध को नहीं...
भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग 13 : झूठी गवाही देने और सबूत मिटाने के अपराध
पिछले आलेख में भारतीय दंड संहिता के अध्याय 10 के अंतर्गत लोक सेवकों के विधिपूर्ण प्राधिकार के अवमान के संबंध में चर्चा की गई थी। इस आलेख में झूठी गवाही अर्थात मिथ्या साक्ष्य के संबंध में चर्चा की जा रही है। भारतीय दंड संहिता सभी प्रकार के अपराधों का एक संग्रह है। मनुष्य द्वारा जितने भी अपराध किए जा सकते हैं किसी देश व समाज के लोगों के द्वारा जो भी अपराधों को किया जा सकता है उन सभी अपराधों को इस दंड संहिता में संकलित करने का प्रयास किया गया है। झूठी गवाही देना किसी भी न्यायिक प्रक्रिया को दूषित...
भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग 12 : लोक सेवकों तथा लोक सेवकों के विधि पूर्ण प्राधिकार के अवमान से संबंधित अपराध
पिछले आलेख में लोग शांति से संबंधित अध्याय के प्रावधानों पर चर्चा की गई थी। इस आलेख में लोक सेवकों से संबंधित अपराधों के संबंध में चर्चा की जा रही है। भारतीय दंड संहिता 1860 सभी प्रकार के अपराधों को संकलित करके एक संग्रह बनाया गया है। समय-समय पर इस संहिता में उल्लेखित अपराधों से संबंधित अन्य अधिनियम भी बना दिए गए हैं। उन अधिनियम के बनाए जाने के बाद इस सहिंता में उन अपराधों से संबंधित जो धाराएं दी गई थी उन धाराओं को निरसित कर दिया गया। जैसे कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम जब बनाया गया तो लोक सेवकों...
भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग 11: जानिए बलवा और दंगा क्या होता है
पिछले आलेख पर भारतीय दंड संहिता के अध्याय 8 लोक शांति के विरुद्ध अपराधों के संबंध में विधि विरुद्ध जमाव पर चर्चा की गई थी। इस आलेख में अध्याय 8 के दो महत्वपूर्ण विषय बलवा और दंगा के संबंध में चर्चा की जा रही है। बलवा और दंगा सामाजिक लोक शांति के लिए अत्यंत गंभीर अपराध है। बलवे और दंगे के पीछे कोई सामान्य उद्देश्य, सामान्य आचरण होता है। किसी विचार से बंध कर लोग राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते तथा सामाजिक द्वेष के चलते बलवा और दंगा कारित करते हैं। इस प्रकार के कार्य किए जातें कि बलवा दंगे के...
भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग 10 : लोक शांति के विरुद्ध अपराध और विधि विरुद्ध जमाव
पिछले आलेख में राज्य के विरुद्ध अपराधों के संबंध में चर्चा की गई थी इस आलेख में लोक शांति के विरुद्ध अपराधों के संबंध में सारगर्भित चर्चा की जा रही है तथा विशेष प्रावधानों का उल्लेख किया जा रहा है। किसी भी राष्ट्र के लिए शांति आवश्यक होती है। मनुष्य का विकास शांति के होते हुए ही संभव है यदि किसी समाज में शांति नहीं है तो समाज का विकास संभव ही नहीं है। राष्ट्र की प्रगति के लिए शांति अति आवश्यक होती है। भारत विविधताओं से भरा हुआ राष्ट्र है यहां विभिन्न प्रकार की संस्कृतियां और समाज एक साथ रहतें...
भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग 9 : जानिए राज्य के विरुद्ध अपराध क्या होते हैं?
पिछले आलेख में आपराधिक षड्यंत्र पर चर्चा की गई थी इस आलेख में राज्य के विरुद्ध अपराधों के संबंध में चर्चा की जा रही है तथा उन अपराधों का सारगर्भित उल्लेख किया जा रहा है जो राज्य के विरुद्ध किए जाते हैं। लोकतांत्रिक व्यवस्था तथा नेशन स्टेट के युग में राष्ट्रीय सर्वोच्च होता है। राष्ट्र का यह कर्तव्य होता है कि वह अपने नागरिकों तथा गैर नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करें तथा उन सभी अधिकारों को नागरिकों तथा व्यक्तियों को उपलब्ध कराएं जिनका उल्लेख संविधान तथा अन्य विधियों में किया गया है। मानव...
भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग 8 : आपराधिक षड्यंत्र क्या होता है?
पिछले आलेख में भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत दुष्प्रेरण के अपराध से संबंधित प्रावधानों पर चर्चा की गई है। इस आलेख में दुष्प्रेरण की ही तरह आपराधिक षड्यंत्र पर चर्चा की जा रही है। दुष्प्रेरण और आपराधिक षड्यंत्र में अंतर होता है। आपराधिक षड्यंत्र को पृथक रूप से भारतीय दंड संहिता के अध्याय 5 (ए) में परिभाषित किया गया है। इसके लिए एक पृथक धारा 120(ए) और 120(बी) में प्रावधान किए गए। षड्यंत्र शब्द प्राचीन शब्द है। षड्यंत्र से आशय लगाया जाता है किसी अवैध कार्य को करने की पूर्व योजना। षड्यंत्र किसी एक...
भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग 7 : जानिए दुष्प्रेरण क्या होता है?
पिछले आलेखों में साधारण अपवाद तथा निजी प्रतिरक्षा हेतु प्रावधानों पर चर्चा की गई थी, इस आलेख में दुष्प्रेरण के संबंध में चर्चा की जा रही है। दुष्प्रेरणप्रत्येक सांसारिक कार्य के पीछे कोई न कोई प्रेरणा होती है कहीं न कहीं से कोई न कोई विचार किसी भी नवाचार के लिए व्यक्ति को प्रेरित करता है। किसी भी कार्य से प्रेरणा को अलग नहीं किया जा सकता, बड़ी बड़ी लड़ाइयां किसी प्रेरणा से ही लड़ी गई है तथा बड़ी-बड़ी इमारतें किसी न किसी प्रेरणा के परिणामस्वरुप ही निर्माण की गई।जब कोई अच्छे कार्य के लिए कोई...
भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग: 6 भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत निजी प्रतिरक्षा का अधिकार
राज्य प्रत्येक व्यक्ति के शरीर और संपत्ति की रक्षा करने का कर्तव्य रखता है। एक राज्य का यह कर्तव्य होता है कि वह अपने नागरिकों तथा गैर नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करें उनके शरीर की रक्षा करें तथा उनकी संपत्ति की रक्षा करें। प्रत्येक व्यक्ति को अपने शरीर और संपत्ति की रक्षा करने का अधिकार भी प्रदान किया गया है। जिस प्रकार की सुरक्षा का अधिकार उपलब्ध नहीं होता तो शायद उसका शरीर संपत्ति हमेशा खतरे में पाए जाते, शरीर संपत्ति की रक्षा का अधिकार कानून द्वारा प्रदत है अर्थात शरीर और संपत्ति की रक्षा...
भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग: 5 ऐसे कौन से अपवाद हैंं जिन्हें भारतीय दंड संहिता से छूट प्राप्त है
भारतीय दंड संहिता सीरीज के अंतर्गत पिछले आलेख में सामान्य स्पष्टीकरण का अध्ययन किया गया था। इस आलेख में 'साधारण अपवाद' भारतीय दंड संहिता के अध्याय 4 का अध्ययन किया जा रहा है। भारतीय दंड संहिता 1860 के अध्याय 4 के अंतर्गत साधारण अपवाद दिए गए। साधारण अपवाद से तात्पर्य से वह अपवाद जिन्हें भारतीय दंड संहिता में वर्णित किए गए किसी अपराध से मुक्ति मिली है।कोई भी कार्य नैतिक दृष्टि से कितना भी बुरा क्यों न हो वह तब तक अपराध नहीं होता है जब तक किसी विधि के अंतर्गत उसे अपराध वर्णित न किया जाए।जब किसी...
भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग 4 : जानिए क्या होता है सामान्य आशय ?
पिछले आलेख में भारतीय दंड संहिता के अध्याय 2 साधारण स्पष्टीकरण के अंतर्गत संहिता के भीतर बताए गए कुछ विशेष शब्दों का उल्लेख किया गया है। इस आलेख में अध्याय 2 के ही एक महत्वपूर्ण विषय सामान्य आशय पर टिप्पणी की जा रही है। सामान्य आशय ( Common Intention) भारतीय दंड संहिता की धारा 34 सामान्य आशय का उल्लेख कर रही है। अनेक अपराध तत्कालिक रूप से नहीं होते हैं अपितु पूर्व योजना के अनुसार किए जाते हैं तथा उन अपराधों में अनेक लोग भी शामिल होते हैं।सभी लोगों का उस अपराध को करने में कुछ न कुछ...
दहेज मृत्यु-धारा 304 बी के तहत दोष नहीं हो सकता, यदि यह स्थापित ना हो कि मृत्यु का कारण अप्राकृतिक थाः सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 304 बी के तहत दहेज हत्या का अपराध नहीं बनाया जा सकता है, यदि यह स्थापित नहीं हो पाता है कि मृत्यु का कारण अप्राकृतिक था। अदालत ने यह भी कहा कि यह भी दिखाया जाना चाहिए कि मृतक पत्नी को मृत्यु से पहले दहेज की मांग के संबंध में क्रूरता या उत्पीड़न का शिकार होना पड़ रहा था।यह मानते हुए कि इन कारकों को स्थापित नहीं किया गया था, सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा तीन व्यक्तियों (मृतक पत्नी के पति, ससुर और सास) को धारा 304 बी आईपीसी के तहत...
भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग: 3 भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत विशेष शब्दों की परिभाषा (General Explanation)
भारतीय दंड संहिता से संबंधित आलेखों की सीरीज में अब तक दंड संहिता का सामान्य परिचय तथा इस संहिता के विस्तार पर चर्चा की जा चुकी है। भारत के भीतर और भारत के बाहर किए जाने वाले अपराधों पर भी प्रकाश डाला जा चुका है। इस आलेख में भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत प्रयुक्त उन शब्दों पर चर्चा की जा रही है जिनका उल्लेख इस संहिता के अध्याय 2 'साधारण स्पष्टीकरण' में किया गया है।भारतीय दंड संहिता 1860 के विशेष शब्द-भारतीय दंड संहिता समस्त भारतवर्ष के लिए एक साधारण दंड विधि है। इस संहिता के अध्याय 2 के अंतर्गत...
भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग: 2 भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत भारत के भीतर और भारत के बाहर होने वाले अपराध
दंड संहिता से संबंधित पहले आलेख में भारतीय दंड संहिता का सामान्य परिचय लेखक द्वारा दिया गया है। इस आलेख में भारतीय दंड संहिता के सबसे पहले अध्याय पर चर्चा की जा रही है। इस अध्याय के अंतर्गत भारतीय दंड संहिता के विस्तार और भारत के भीतर तथा भारत के बाहर होने वाले अपराधों के संबंध में उल्लेख किया गया है।भारतीय दंड संहिता का विस्तार और भारत के भीतर तथा भारत के बाहर किए गए अपराध-भारतीय दंड संहिता समस्त भारत के लिए एक सामान्य दंड संहिता है तथा अपराधों तथा उनके दंड के उल्लेख के लक्ष्य से भारतीय दंड...
भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग:1 भारतीय दंड संहिता का सामान्य परिचय
लेखक द्वारा लाइव लॉ पर यह भारतीय दंड संहिता सीरीज प्रस्तुत की जा रही है जिसका यह प्रथम भाग है। इस भाग में लेखक द्वारा भारतीय दंड संहिता का सामान्य परिचय दिया जा रहा है, भारतीय दंड संहिता भारत की दंड विधि का सर्वाधिक महत्वपूर्ण संहिता है। इस पर लेखक द्वारा सारगर्भित आलेखों के माध्यम से प्रकाश डाला जाएगा तथा प्रयास किया होगा कि कुछ ऐसे आलेखों को लिखा जाए जिन लेखों के माध्यम से ही पाठकगण संपूर्ण दंड संहिता का सारगर्भित अध्ययन कर सकें अर्थात बहुत कम समय में ऐसा अध्ययन हो जाए जिससे भारतीय दंड संहिता...
चेक बाउंस का नोटिस क्या होता है? जानिए स्वयं कैसे भेज सकते हैं नोटिस
चेक बाउंस (चेक का अनादर) आज के व्यापारिक युग में आम प्रचलन हो चुका है। समय-समय पर व्यापारियों को उधार माल देने पर या कोई अन्य व्यवहार करने पर चेक की आवश्यकता होती है। कभी इस प्रकार के चेक बांउस Cheque Dishonour) हो जाते हैं उस चेक को प्राप्त करने वाले व्यक्ति को भुगतान नहीं हो पाता है।चेक बाउंस का मुकदमा लगाने हेतु पूरी प्रक्रिया को एक आलेख में उल्लेखित किया गया है।इस आलेख में आम साधारण पाठकों को अपने चेक बाउंस होने पर स्वयं द्वारा नोटिस भेजने की प्रक्रिया और उसके नियमों का उल्लेख किया जा...











