जानिए हमारा कानून
The Hindu Succession Act में उत्तराधिकार में संपत्ति कब नहीं मिलती है?
Hindu Succession Act के अंतर्गत किसी संपत्ति में उत्तराधिकार रखने वाले वारिसों के बेदखल के संबंध में भी प्रावधान किए गए। कुछ परिस्थितियां ऐसी है जिनके आधार पर विधि वारिसों को उत्तराधिकार के हित से अयोग्य कर देती है। उत्तराधिकार के संबंध में जो योग्यता चाहिए होती है यदि उसमें कुछ कमियां रह जाती है तो ऐसी परिस्थिति में किसी संपत्ति के उत्तराधिकार का वारिस अयोग्य हो जाता है।इस अधिनियम के अंतर्गत धारा 25 और 26 में किसी हिंदू पुरुष और नारी की संपत्ति में उत्तराधिकार रखने वाले वारिसों को संपत्ति के...
क्या Linear Projects के लिए Environmental Clearance की छूट नागरिकों की भागीदारी और पर्यावरण सुरक्षा को नज़रअंदाज़ कर सकती है?
सुप्रीम कोर्ट ने Noble M. Paikada बनाम भारत संघ (2024) के फैसले में यह महत्वपूर्ण प्रश्न उठाया कि क्या केंद्र सरकार कुछ विकास परियोजनाओं को Environmental Clearance (EC) यानी पर्यावरणीय स्वीकृति से छूट दे सकती है, वह भी बिना सार्वजनिक सूचना और पर्याप्त सुरक्षा उपायों (safeguards) के?यह मामला एक सरकारी अधिसूचना (notification) पर आधारित था जिसमें Appendix IX के Item 6 के अंतर्गत "linear projects" जैसे सड़कों (roads), पाइपलाइनों (pipelines) आदि के लिए ordinary earth (साधारण मिट्टी) की खुदाई को EC से...
वायु अधिनियम, 1981 की धारा 11-14 के तहत राज्य बोर्डों की परिचालन संरचना : समितियां, विशेषज्ञ और स्टाफिंग
अपने मुख्य सदस्यों (Core Membership) के अलावा, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (State Pollution Control Boards - SPCBs) एक लचीले परिचालन ढाँचे (Flexible Operational Framework) से लैस हैं जो उन्हें विशेष विशेषज्ञता (Specialized Expertise) का लाभ उठाने, कार्यों को सौंपने (Delegate Tasks) और एक समर्पित स्टाफ (Dedicated Staff) बनाए रखने की अनुमति देता है।वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981, इन महत्वपूर्ण प्रावधानों (Provisions) को रेखांकित करता है, जिसमें बताया गया है कि SPCBs समितियाँ...
पंजीकरण अधिनियम, 1908 - धारा 34 और 35: पंजीकरण से पहले जांच और निष्पादन की प्रक्रिया
धारा 34. पंजीकरण अधिकारी द्वारा पंजीकरण से पहले जांच (Enquiry before registration by registering officer)यह धारा पंजीकरण अधिकारी के लिए कुछ अनिवार्य कदमों को सूचीबद्ध करती है जो किसी भी दस्तावेज़ को पंजीकृत करने से पहले उठाए जाने चाहिए। उपधारा (1) में कहा गया है कि कुछ विशेष मामलों (जैसे धारा 41, 43, 45, 69, 75, 77, 88 और 89) को छोड़कर, किसी भी दस्तावेज़ को इस अधिनियम के तहत तब तक पंजीकृत नहीं किया जाएगा जब तक कि उस दस्तावेज़ को निष्पादित करने वाले व्यक्ति, या उनके प्रतिनिधि (representatives),...
भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 6: संयोजनों का विनियमन - CCI की मंजूरी क्यों है ज़रूरी?
हमने पिछली बार भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम (Competition Act) की धारा 5 को समझा, जिसमें यह बताया गया है कि किन वित्तीय सीमाओं को पार करने वाले बड़े विलय (mergers) और अधिग्रहणों (acquisitions) को "संयोजन" (combination) माना जाएगा।अब, धारा 6 (Section 6) इस प्रक्रिया को आगे ले जाती है। यह बताती है कि एक बार जब किसी डील को "संयोजन" के रूप में पहचान लिया जाता है, तो कानून उसे कैसे नियंत्रित करता है। यह धारा सुनिश्चित करती है कि कोई भी बड़ा मर्जर या अधिग्रहण Competition (प्रतिस्पर्धा) को नुकसान न...
The Hindu Succession Act में हिन्दू नारी की संपत्ति अपने वारिसों को मिलना
इस धारा के अंतर्गत हिंदू नारी के उत्तराधिकार के संबंध में साधारण नियमों का उल्लेख किया गया है।हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के पारित होने के बाद किसी हिंदू नारी के पास तीन प्रकार की संपत्तियां होती हैं-पिता या माता से उत्तराधिकार में प्राप्त संपत्ति-पति या ससुर से उत्तराधिकार में प्राप्त संपत्ति-अन्य सभी प्रकार की संपत्ति-जैसा कि यह साधारण नियम है किसी भी हिंदू व्यक्ति को अपने को उत्तराधिकार में प्राप्त संपत्ति और अपने द्वारा अर्जित की गई संपत्ति वसीयत करने का अधिकार प्राप्त है। वह अपनी संपत्ति...
The Hindu Succession Act की धारा 9 के प्रावधान
हिंदू मृत पुरुष की संपत्ति का उत्तराधिकार उसके वसीयत नहीं किए जाने की परिस्थिति में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 की धारा 8 के अंतर्गत तय होता है। अधिनियम की धारा 8 उन वारिसों का उल्लेख करती है जिन्हें इस प्रकार से किसी हिंदू पुरुष की संपत्ति प्राप्त होती है। इसके बाद का प्रश्न आता है कि यदि यह संपत्ति धारा-8 में बताए गए वारिसों को प्राप्त होगी तो उन्हें प्राप्त होने का क्रम क्या होगा! इस प्रश्न का उत्तर हमें अधिनियम की धारा 8 में प्राप्त होता है। अधिनियम की धारा 9, 10, 11, 12 और 14 इस संबंध...
पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 32, 32A, 33: पंजीकरण के लिए दस्तावेज़ कौन प्रस्तुत करेगा और मुख्तारनामे के नियम
आइए, पंजीकरण अधिनियम, 1908 (Registration Act, 1908) के भाग V के तहत दस्तावेज़ों को पंजीकरण के लिए प्रस्तुत करने (Presenting Documents for Registration) से संबंधित महत्वपूर्ण धाराओं को समझते हैं। यह भाग बताता है कि कौन दस्तावेज़ प्रस्तुत कर सकता है और इसके लिए क्या विशेष आवश्यकताएँ हैं।32. पंजीकरण के लिए दस्तावेज़ प्रस्तुत करने वाले व्यक्ति (Persons to present documents for registration)यह धारा उन व्यक्तियों को परिभाषित करती है जो किसी दस्तावेज़ को पंजीकरण के लिए उचित पंजीकरण कार्यालय में...
वायु अधिनियम, 1981 की धारा 8-10 के तहत राज्य बोर्डों की अयोग्यताएँ, रिक्तियाँ और बैठकें
किसी भी नियामक निकाय (Regulatory Body) का प्रभावी कामकाज न केवल उसके गठन और शक्तियों (Powers) पर निर्भर करता है, बल्कि उसके सदस्यों की ईमानदारी (Integrity) और उसकी परिचालन प्रक्रियाओं (Operational Procedures) की दक्षता (Efficiency) पर भी निर्भर करता है।वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981, अपने बाद की धाराओं में इन पहलुओं को बारीकी से संबोधित करता है, विशेष रूप से राज्य बोर्ड (State Board) के सदस्यों के लिए अयोग्यताओं (Disqualifications), ऐसी अयोग्यताओं के उनकी सीटों पर तत्काल...
क्या अदालतें Habeas Corpus मामलों में LGBTQ+ व्यक्तियों की पहचान और इच्छा को प्रभावित कर सकती हैं?
प्रस्तावना: पहचान और पसंद की संवैधानिक सुरक्षा (Constitutional Protection of Identity and Choice)सुप्रीम कोर्ट ने Devu G Nair बनाम State of Kerala (2024) के ऐतिहासिक फ़ैसले में यह स्पष्ट किया कि हर व्यक्ति को अपनी पहचान, इच्छा और सम्मान के साथ जीने का पूरा संवैधानिक अधिकार (Constitutional Right) है खासकर LGBTQ+ समुदाय और ऐसे अंतरंग साथियों (Intimate Partners) को, जो पारिवारिक या सामाजिक दबाव के खिलाफ सुरक्षा मांगते हैं। मुख्य न्यायाधीश डॉ. डी.वाई. चंद्रचूड़ द्वारा लिखा गया यह निर्णय केवल एक...
भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 5: संयोजनों का विनियमन - कब मर्जर और अधिग्रहण पर लगेगी CCI की नज़र
हमने Competition (प्रतिस्पर्धा) को बनाए रखने के लिए Competition-विरोधी समझौतों और प्रमुख स्थिति के दुरुपयोग पर प्रतिबंधों के बारे में सीखा। लेकिन बाजार में एक और महत्वपूर्ण गतिविधि है जो Competition को काफी हद तक प्रभावित कर सकती है: संयोजन (Combinations)। संयोजन का मतलब होता है जब दो या दो से अधिक कंपनियां आपस में मिल जाती हैं, जैसे विलय (Merger) या अधिग्रहण (Acquisition)।ये अक्सर कंपनियों के लिए विकास और दक्षता बढ़ाने का एक तरीका होते हैं, लेकिन अगर वे बहुत बड़े हो जाएं, तो वे बाजार में...
The Hindu Succession Act में पुरुष की संपत्ति का अपने वारिसों को मिलना
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 की धारा 8 इस अधिनियम की सर्वाधिक महत्वपूर्ण धाराओं में से एक धारा है। इस धारा के माध्यम से भारत की संसद ने उन नियमों का प्रावधान किया है जिनके माध्यम से निर्वसीयती हिंदू पुरुष की संपत्ति का उत्तराधिकार तय किया जाता है। जहां एक पुरुष हिंदू निर्वसीयती के रूप में स्वर्गीय हो जाता है वहां साधारण रूप से कुछ प्रश्नों का जन्म होता है जैसे उस मरने वाले व्यक्ति के वारिस कौन है!उनका वर्गीकरण किस प्रकार किया जाना है, यदि अधिक वर्गों के वारिस या उत्तराधिकारी एक से अधिक विधमान...
The Hindu Succession Act का अन्य कानूनों को Overlap करना
जब भी Legislature किसी Act को प्रस्तुत करती है तो यह अधिनियम किन विधियों को अध्यारोही करेगा इस संबंध में भी स्पष्ट उल्लेख करती है। इसी प्रकार हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के अंतर्गत विधियों को अध्यारोही करने हेतु अधिनियम की धारा 4 के अंतर्गत प्रावधान किए गए है जिस से संबंधित विशेष बातें निम्न है-हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के पहले हिंदू पर्सनल लॉ के अंतर्गत उत्तराधिकार से संबंधित अनेक विधियां उपलब्ध थी। यह विधियां टीका, स्मृति, शास्त्र रीति रिवाजों, प्रथाओं के माध्यम से जन्म दी गई थी।हिंदू...
क्या POCSO कानून के तहत केवल बच्चे के बयान के आधार पर दोष सिद्ध किया जा सकता है?
सुप्रीम कोर्ट ने Navas @ Mulanavas बनाम राज्य केरल मामले में यह तय किया कि क्या POCSO कानून (Protection of Children from Sexual Offences Act, 2012) के तहत केवल पीड़ित बच्चे के बयान (Testimony) के आधार पर किसी आरोपी को दोषी ठहराया जा सकता है, जब उसके पक्ष में कोई अन्य पुख्ता सबूत (Corroborative Evidence) न हो।इस निर्णय में कोर्ट ने यह समझाया कि कैसे बच्चे के बयान की कानूनी दृष्टि से जांच की जानी चाहिए, और क्या केवल उस पर भरोसा करके किसी व्यक्ति को सज़ा दी जा सकती है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया...
पंजीकरण अधिनियम, 1908 - धारा 28 -31: पंजीकरण का स्थान और विशेष परिस्थितियाँ
धारा 28. भूमि से संबंधित दस्तावेजों के पंजीकरण का स्थान (Place for registering documents relating to land)यह धारा अचल संपत्ति (immovable property) से संबंधित दस्तावेजों के पंजीकरण के स्थान के लिए एक सामान्य नियम स्थापित करती है। इस भाग में अन्यथा प्रदान किए गए को छोड़कर, धारा 17 (section 17) की उपधारा (1) के खंड (a), (b), (c), (d), और (e), धारा 17 की उपधारा (2) (जहाँ तक ऐसा दस्तावेज़ अचल संपत्ति को प्रभावित करता है), और धारा 18 (section 18) के खंड (a), (b), (c), और (cc) में उल्लिखित प्रत्येक...
वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 6-7 : भारत में वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए संस्थागत ढाँचा
केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों (State Pollution Control Boards) के बुनियादी ढाँचों (Foundational Structures) पर आधारित, वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981, इन निकायों की भूमिकाओं को और स्पष्ट करता है, विशेष रूप से केंद्र शासित प्रदेशों (Union Territories) में, और राज्य बोर्ड (State Board) के सदस्यों की सेवा को नियंत्रित करने वाले विशिष्ट नियम और शर्तें (Terms and Conditions) निर्धारित करता है।ये प्रावधान (Provisions) वायु प्रदूषण प्रबंधन (Air Pollution Management) के...
भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 4: प्रमुख स्थिति के दुरुपयोग पर प्रतिबंध
हमने प्रतिस्पर्धा (Competition) की अहमियत समझी, और यह भी देखा कि कैसे कंपनियां आपस में मिलकर इस Competition को खत्म कर सकती हैं। लेकिन क्या होगा अगर कोई एक कंपनी इतनी बड़ी और ताकतवर हो जाए कि वह बाजार में लगभग अकेले ही राज करे?ऐसा नहीं है कि बड़ी होना या मजबूत होना गलत है, लेकिन जब कोई कंपनी अपनी इस ताकत का गलत फायदा उठाकर दूसरों या ग्राहकों को नुकसान पहुंचाती है, तो उसे "प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग" (Abuse of Dominant Position) कहते हैं। भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम (Competition Act), 2002 की धारा...
The Hindu Succession Act में विशेष शब्दों की परिभाषा
परिभाषा से अधिनियम के मतलब को समझा जाता है। अधिनियम के कुछ ऐसे शब्द जो बार बार काम आते है उन्हें परिभाषा खंड में दे दिया जाता है। यह एक प्रकार की अधिनियम की प्रस्तावना होती है जो कोर्ट को कानूनों के निर्वचन के संबंध में कोई विशेष कठिनाई नहीं आने देती है। यह परिभाषाएं कानून को उनके वही रूप में प्रस्तुत करती हैं जिस रूप में विधायिका अधिनियम को प्रस्तुत करना चाहती है। परिभाषाएं विधायिका के आशय से संबंधित होती हैं। परिभाषाओं के माध्यम से विधायिका के आशय को समझा जा सकता है। हिन्दू उत्तराधिकार...
The Hindu Succession Act की धारा 2 के प्रावधान
इस अधिनियम की धारा दो अधिनियम की धाराओं में महत्वपूर्ण धारा है। यह धारा इस बात का प्रावधान कर रही है कि यह अधिनियम किन लोगों पर लागू होगा। इस अधिनियम का नाम हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम है। इस अधिनियम के नाम के प्रारंभ में हिंदू शब्द का उल्लेख होता है परंतु समस्या यह है कि हिंदू कौन है इस संबंध में स्पष्ट प्रावधान किए जाने की नितांत आवश्यकता थी। अधिनियम की धारा 2 के अंतर्गत इस हेतु समस्त प्रावधान कर दिए गए है।धारा में यह प्रावधान किया गया है कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख धर्म...
भारत में वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए संस्थागत ढाँचा: वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 3
वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981, भारत के पर्यावरण कानूनों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे विशेष रूप से हवा की गुणवत्ता में गिरावट की बढ़ती चिंता को दूर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस अधिनियम के अध्याय II में इसका एक केंद्रीय पहलू, केंद्र और राज्य स्तर पर नियामक निकायों (Regulatory Bodies) की स्थापना और उन्हें शक्ति देना है।इन निकायों को, मुख्य रूप से केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों (State Pollution Control...
















