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मजिस्ट्रेट की शक्ति - हस्ताक्षर, हस्तलिपि या आवाज़ के नमूने देने का आदेश : धारा 349, BNSS 2023
किसी भी अपराध की जांच (Investigation) में साक्ष्य (Evidence) की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अपराधी को पहचानने और उसके अपराध को साबित करने के लिए कई प्रकार के वैज्ञानिक तरीकों (Forensic Methods) का उपयोग किया जाता है।इन तरीकों में हस्ताक्षर (Signature), हस्तलिपि (Handwriting), आवाज़ (Voice Sample), और उंगलियों के निशान (Finger Impressions) शामिल हैं। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023 - BNSS, 2023) की धारा 349 के तहत प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट (First-Class...
अगर किसी अपराध का ट्रायल किसी अन्य राज्य में हुआ हो तो किस राज्य सरकार को दोषी की Remission याचिका पर निर्णय लेने का अधिकार होगा?
सुप्रीम कोर्ट ने राधेश्याम भगवंदास शाह बनाम गुजरात राज्य (2022) मामले में एक महत्वपूर्ण कानूनी सवाल पर फैसला दिया कि क्या किसी दोषी (Convict) को उसी Remission नीति (Premature Release Policy) के तहत रिहाई का अधिकार है, जो उसकी सजा (Conviction) के समय लागू थी, या उसे बाद में बदली गई नीति के अनुसार देखा जाएगा।कोर्ट ने स्पष्ट किया कि दोषी की Remission याचिका (Application) पर उसी नीति के अनुसार विचार किया जाना चाहिए, जो उसके सजा सुनाए जाने (Conviction) के समय प्रभावी थी। इस फैसले ने सजा और सजा के...
कानूनी मामलों, सार्वजनिक राय और कलात्मक समीक्षा में मानहानि के अपवादों की गहरी पड़ताल : BNS 2023 की धारा 356 भाग III
पिछले भागों में, हमने मानहानि (Defamation) की परिभाषा, इसके प्रकार, और उन परिस्थितियों को समझा था जिनमें कोई बयान मानहानि नहीं माना जाता है।इस भाग में, हम धारा 356 (Section 356) के दो और महत्वपूर्ण अपवाद (Exceptions) को विस्तार से समझेंगे, जो न्यायिक निर्णयों (Court Judgments) और सार्वजनिक प्रदर्शन (Public Performances) से जुड़े हैं। अपवाद 5: न्यायिक मामलों और अदालती कार्यवाही पर राय (Opinion on Court Judgments and Legal Proceedings)कानून यह स्वीकार करता है कि लोग न्यायिक मामलों (Legal Cases),...
धारा 19 राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 के तहत निर्धारित सीमा से अधिक नशीले पदार्थों रखने पर प्रतिबंध
राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 (Rajasthan Excise Act, 1950) एक कानूनी ढांचा है जो राज्य में मदिरा (Liquor) और अन्य नशीले पदार्थों (Intoxicating Substances) के निर्माण (Manufacture), बिक्री (Sale) और कब्जे (Possession) को नियंत्रित करता है।इस अधिनियम की धारा 19 (Section 19) में यह प्रावधान किया गया है कि कोई भी व्यक्ति, जिसे कानून के तहत मदिरा बनाने, इकट्ठा करने, बेचने या खेती करने का लाइसेंस (License) नहीं दिया गया है, वह निर्धारित सीमा से अधिक मात्रा में मदिरा अपने पास नहीं रख सकता। यह सीमा...
धारा 52 और 53 राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 के तहत पुलिस अधिकारियों के कर्तव्य और सार्वजनिक शांति के लिए दुकानों को बंद करने की शक्ति
राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 (Rajasthan Excise Act, 1950) एक कानून है जो राज्य में शराब और नशीले पदार्थों (Intoxicating Drugs) के उत्पादन, बिक्री और नियंत्रण को नियमित करता है। इस अधिनियम के तहत विभिन्न सरकारी अधिकारियों को कुछ विशेष ज़िम्मेदारियाँ सौंपी गई हैं ताकि अवैध गतिविधियों (Illegal Activities) पर प्रभावी रूप से रोक लगाई जा सके। इस अधिनियम की धारा 52 (Section 52) पुलिस अधिकारियों को जब्त किए गए सामानों (Seized Articles) को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी देती है, जबकि धारा 53 (Section 53)...
मानहानि के उदाहरण और अपवादों की समझ और उनके व्यावहारिक प्रभाव : भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 356 भाग 2
पहले भाग में, हमने भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita - BNS), 2023 की धारा 356 के तहत मानहानि (Defamation) की परिभाषा को समझा।हमने देखा कि जब कोई व्यक्ति बोले गए या लिखित शब्दों, संकेतों (Signs) या दृश्य प्रस्तुतियों (Visible Representations) के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति की प्रतिष्ठा (Reputation) को नुकसान पहुँचाने के इरादे से कोई आरोप (Imputation) लगाता है, तो इसे मानहानि कहा जाता है। इस भाग में, हम धारा 356 के अंतर्गत दिए गए उदाहरणों (Illustrations) को विस्तार से समझेंगे, जो यह...
गवाह को बुलाने , पुनः जाँच करने की अदालत की शक्ति: BNSS, 2023 की धारा 348 और पुराने Crpc, 1973 की धारा 311
किसी भी अपराध जांच (Inquiry) या न्यायिक प्रक्रिया (Judicial Proceedings) के दौरान, साक्ष्य (Evidence) और गवाहों (Witnesses) की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। अदालत (Court) का यह अधिकार कि वह किसी भी समय किसी व्यक्ति को गवाह के रूप में बुला सके, या पहले से जाँच किए गए गवाह को फिर से बुला कर पूछताछ कर सके, न्याय (Justice) सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) की धारा 348 (Section 348) अदालत को यह शक्ति देती है कि वह किसी भी...
क्या Dying Declaration से धारा 498A IPC के तहत क्रूरता साबित की जा सकती है?
सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्रन बनाम केरल राज्य (2022) मामले में एक महत्वपूर्ण सवाल पर फैसला दिया कि क्या मृतक (Deceased) व्यक्ति के बयान को भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (Indian Evidence Act, 1872) की धारा 32(1) के तहत स्वीकार किया जा सकता है, खासकर जब आरोपी (Accused) को उसकी मृत्यु से संबंधित आरोपों से बरी कर दिया गया हो। यह मामला धारा 498A IPC (भारतीय दंड संहिता, 1860) के तहत क्रूरता (Cruelty) के आरोपों से जुड़ा था।इस फैसले में कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि किसी मृतक पत्नी के बयान को किस हद तक सबूत के...
Transfer Of Property में Mortgage के टाइप्स
Mortgage कई तरह के होते हैं और उन सभी में नियम भी अलग अलग हैं। धारा 58 में ही उनके प्रकार भी दिए गए हैं। इस धारा में निम्नलिखित प्रकार के बन्धकों का उल्लेख किया गया है:-सादा बन्धक (Simple Mortgage) धारा 58 (ख)सशर्त विक्रय द्वारा बन्धक (Mortgage by Conditional sale)भोग बन्धक (Usufructuary Mortgage) धारा 58 (घ)इंग्लिश बन्धक (English Mortgage) धारा 58 (ग)हक विलेखों के निक्षेप द्वारा बन्धक (Mortgage by deposit of title deeds) धारा 58 (च)विलक्षण बन्धक (Anomalous mortgage) धारा 58 (छ)सादा बन्धक- सादा...
Transfer Of Property में Mortgage के प्रावधान
Transfer Of Property, 1882 की धारा 58 संपत्ति अंतरण अधिनियम के अंतर्गत बंधक की परिभाषा और उसकी अवधारणा को प्रस्तुत करती है। खण्ड 'क' बन्धक की परिभाषा प्रतिपादित करता है। इसके अनुसार, बन्धक किसी सुनिश्चित स्थावर सम्पत्ति में से किसी हित का वह अन्तरण है जो उधार के तौर पर दिये गये या दिये जाने वाले धन के संदाय को या वर्तमान या भावी ऋण के संदाय को या ऐसे वचनबन्ध के पालन को, जिससे धन सम्बन्धी दायित्व पैदा हो सकता है, प्रतिभूत करने के उद्देश्य से किया जाता है।Mortgage की परिभाषा का अर्थ1. यह किसी...
अपराध स्थल का निरीक्षण और न्याय प्रक्रिया में इसका महत्व : धारा 347, BNSS 2023
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) की धारा 347 न्यायालयों को यह अधिकार देती है कि वे किसी अपराध से जुड़े स्थान का निरीक्षण (Inspection) करें।इसका उद्देश्य यह है कि न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट अपराध स्थल का प्रत्यक्ष निरीक्षण करके साक्ष्य (Evidence) को बेहतर तरीके से समझ सकें। यह प्रावधान न्याय प्रक्रिया में पारदर्शिता (Transparency) और निष्पक्षता (Fairness) सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है। अपराध स्थल निरीक्षण का महत्व अपराध स्थल का निरीक्षण एक ऐसा साधन...
मानहानि की परिभाषा: भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 356
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 356 मानहानि (Defamation) के नियमों को स्पष्ट करती है। यह धारा व्यक्तियों के सम्मान (Reputation) की रक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Expression) के बीच संतुलन बनाने का प्रयास करती है।मानहानि क्या है? (What is Defamation?) मानहानि तब होती है जब कोई व्यक्ति जानबूझकर ऐसे शब्द बोलता या प्रकाशित करता है जो किसी अन्य व्यक्ति की प्रतिष्ठा (Reputation) को नुकसान पहुंचा सकते हैं। यह शब्द, संकेत (Signs), या किसी दृश्य प्रस्तुति (Visible Representation) के...
धारा 50 और 51 राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 के तहत पुलिस, अधिकारियों और भूमि मालिकों की जिम्मेदारी
राजस्थान उत्पाद शुल्क अधिनियम, 1950 (Rajasthan Excise Act, 1950) का उद्देश्य राज्य में उत्पाद शुल्क योग्य वस्तुओं (Excisable Goods) के निर्माण, वितरण और नियंत्रण को नियमित करना है।इस अधिनियम की धारा 50 और 51 में कुछ सरकारी विभागों के अधिकारियों, भूमि मालिकों और ग्राम प्रतिनिधियों की जिम्मेदारी निर्धारित की गई है। इन प्रावधानों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अवैध गतिविधियों की पहचान और रोकथाम में सभी की भागीदारी हो।धारा 50: कुछ विभागों के अधिकारियों का अपराधों की सूचना देना और उत्पाद शुल्क...
क्या घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के तहत महिला का साझा घर में रहना अनिवार्य है?
सुप्रीम कोर्ट ने प्रभा त्यागी बनाम कमलेश देवी (2022) मामले में यह स्पष्ट किया कि घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 (D.V. Act) के तहत शिकायत दर्ज करने के लिए क्या महिला का साझा घर (Shared Household) में रहना अनिवार्य है। इस निर्णय ने अधिनियम के कई पहलुओं को स्पष्ट किया और महिलाओं के संरक्षण के दायरे को व्यापक बनाया।घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005: एक परिचय (Domestic Violence Act, 2005: An Overview) घरेलू हिंसा अधिनियम महिलाओं को घरेलू संबंधों (Domestic Relationship) में हिंसा का शिकार होने पर प्रभावी सुरक्षा...
Transfer Of Property के तहत किसी प्रॉपर्टी को खरीदे जाने के पहले पर्चेसर के राइट्स और ड्यूटी
इस एक्ट में किसी प्रॉपर्टी को खरीदने वाले व्यक्ति के पास प्रॉपर्टी खरीदने के पहले भी कुछ ड्यूटी और राइट्स हैं।पर्चेसर की ड्यूटीसम्पत्ति के मूल्य में सारवान वृद्धि करने वाले तथ्यों को प्रकट करने का दायित्व [ धारा ( 55 ) 5 (क) ] -जिस प्रकार विक्रेता पर इस धारा के अन्तर्गत यह दायित्व है कि वह अन्तर्निहित दोषों को स्पष्ट करे उसी प्रकार इस खण्ड के अन्तर्गत क्रेता पर यह दायित्व है कि वह उन तथ्यों को, जो सम्पत्ति के मूल्य में सारवान वृद्धि करने वाले हैं, विक्रेता को सुस्पष्ट करे, किन्तु क्रेता का...
Transfer Of Property के तहत किसी प्रॉपर्टी को बेचे जाने के पहले सेलर के राइट्स और ड्यूटी
ट्रांसफर का प्रॉपर्टी एक्ट एक सेलर को किसी भी प्रॉपर्टी को बेचे जाने के पहले कुछ राइट्स देती है और इसी के साथ कुछ ड्यूटीज भी देती है ट्रांसफर का प्रॉपर्टी एक्ट इसके संबंध में स्पष्ट प्रावधान करता है।विक्रय की जाने वाली सम्पत्ति एवं विक्रेता के अधिकार के विषय में सारवान एवं महत्वपूर्ण कमियों का प्रकटीकरण- [ धारा 55 (1) (क)]विक्रय की जाने वाली सम्पत्ति के विषय में विक्रेता के दो महत्वपूर्ण दायित्व हैं-(क) सम्पत्ति से सम्बन्धित दायित्व तथा(ख) स्वामित्व से सम्बन्धित दायित्व ।इन दोनों विषयों के...
धारा 48 राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 के तहत गिरफ्तारी, तलाशी और जांच की प्रक्रिया
राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 (Rajasthan Excise Act, 1950) का उद्देश्य राज्य में मादक पदार्थों (Intoxicants) के उत्पादन, भंडारण और बिक्री को नियंत्रित करना है। इस अधिनियम के धारा 48 में गिरफ्तारी, तलाशी और जांच से संबंधित प्रक्रिया (Procedure) को स्पष्ट किया गया है।इसमें आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 (Code of Criminal Procedure, 1973 या CrPC) के प्रावधानों को शामिल किया गया है, ताकि कानूनी मानकों के अनुसार कार्यवाही सुनिश्चित हो सके। गिरफ्तारी, तलाशी और जांच में CrPC के प्रावधानों का समावेश...
कोर्ट की कार्यवाही को स्थगित या Adjournment की शक्ति : धारा 346 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) की धारा 346 अदालतों को यह अधिकार देती है कि वे आवश्यकता पड़ने पर न्यायिक प्रक्रिया (Judicial Process) को स्थगित या टाल सकें।यह प्रावधान न्यायिक प्रक्रिया को कुशल और न्यायपूर्ण बनाए रखने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह कानून समय पर न्याय सुनिश्चित करने और न्याय प्रक्रिया में लचीलापन प्रदान करने के बीच संतुलन स्थापित करता है। प्रतिदिन चलने वाली कार्यवाही का नियम (Day-to-Day Proceedings)धारा 346(1) यह स्पष्ट करती है कि सभी...
सार्वजनिक स्थान पर नशे में अनुचित व्यवहार: धारा 355 भारतीय न्याय संहिता, 2023
सार्वजनिक व्यवस्था (Public Order) और शिष्टाचार किसी भी सभ्य समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 355 सार्वजनिक स्थान पर नशे में अनुचित (Misconduct) व्यवहार को रोकने के लिए बनाई गई है।यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि नशे में व्यक्तियों का आचरण (Conduct) सार्वजनिक शांति (Public Peace) को भंग न करे और अन्य व्यक्तियों के अधिकारों का उल्लंघन न हो। इस लेख में हम धारा 355 के प्रावधानों, उनके महत्व, कानूनी परिणाम, और इससे जुड़े उदाहरणों का विस्तार से विश्लेषण करेंगे। धारा 355 का...
क्या आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं 1972 अधिनियम के तहत ग्रेच्युटी पाने की हकदार हैं?
भारत के सुप्रीम कोर्ट ने मनीबेन मगनभाई भरिया बनाम डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट ऑफिसर, दाहोद एवं अन्य (2022) मामले में यह तय किया कि क्या आंगनवाड़ी कार्यकर्ता (Anganwadi Workers - AWWs) और सहायिकाएं (Helpers - AWHs) 1972 के ग्रेच्युटी अधिनियम (Gratuity Act, 1972) के तहत ग्रेच्युटी पाने की हकदार हैं।यह निर्णय न केवल इन कार्यकर्ताओं के अधिकारों को स्पष्ट करता है, बल्कि उन कानूनी प्रावधानों पर भी प्रकाश डालता है जो इन पर लागू होते हैं। ग्रेच्युटी अधिनियम, 1972: एक सामाजिक कल्याण कानून (Gratuity Act,...