क्या कोई शिक्षण संस्थान टैक्स छूट का दावा कर सकता है, अगर वह गैर-शैक्षणिक गतिविधियों में भी शामिल हो?
Himanshu Mishra
5 March 2025 3:14 PM

सुप्रीम कोर्ट ने New Noble Educational Society बनाम Chief Commissioner of Income Tax (2022) के मामले में आयकर अधिनियम, 1961 (Income Tax Act, 1961) की धारा 10(23C) की व्याख्या की। यह धारा उन शिक्षण संस्थानों को टैक्स छूट देती है, जो केवल शिक्षा (Education) के उद्देश्य से स्थापित होते हैं और मुनाफे (Profit) के लिए नहीं चलते।
इस फैसले में अदालत ने स्पष्ट किया कि कोई भी संस्थान टैक्स छूट का दावा तभी कर सकता है जब वह केवल शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से बनाया गया हो। यदि संस्थान का कोई भी उद्देश्य शिक्षा से अलग है, तो वह छूट के योग्य नहीं होगा। अदालत ने कहा कि यहां 'केवल' (Solely) शब्द का अर्थ 'पूरी तरह से' होता है, न कि 'मुख्य रूप से'।
आयकर अधिनियम की धारा 10(23C) (Section 10(23C) of Income Tax Act) आयकर अधिनियम की धारा 10(23C) के तहत कुछ संस्थानों की आय पर टैक्स छूट दी जाती है।
इसमें शामिल हैं:
1. वे विश्वविद्यालय (University) और शिक्षण संस्थान (Educational Institution) जो सरकार द्वारा वित्तपोषित (Substantially Financed) हैं।
2. वे शिक्षण संस्थान जिनकी वार्षिक प्राप्तियां (Annual Receipts) एक निर्धारित सीमा से कम हैं।
3. वे संस्थान जिन्हें प्राधिकृत अधिकारी (Prescribed Authority) द्वारा स्वीकृति दी गई है और जो केवल शिक्षा के उद्देश्य से संचालित होते हैं।
इस मामले में मुख्य मुद्दा यह था कि क्या कोई शिक्षण संस्थान, जिसके उद्देश्य केवल शिक्षा तक सीमित नहीं हैं, टैक्स छूट का दावा कर सकता है। अदालत ने कहा कि यदि संस्थान के उद्देश्य शिक्षा के अलावा कुछ और हैं, तो वह छूट का दावा नहीं कर सकता।
'केवल' (Solely) शब्द की व्याख्या (Interpretation of 'Solely') अदालत ने कहा कि 'केवल' का अर्थ 'पूरी तरह से' होता है, न कि 'मुख्य रूप से'। इसका मतलब यह है कि संस्थान का उद्देश्य शिक्षा के अलावा कोई और नहीं होना चाहिए। यदि संस्थान के उद्देश्यों में शिक्षा के साथ कोई और गतिविधि शामिल है, तो उसे टैक्स छूट नहीं दी जाएगी। यह व्याख्या कानून की भाषा की सादगी और स्पष्टता पर आधारित है।
लाभ और अधिशेष (Profit and Surplus) अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि कोई संस्थान शिक्षा के उद्देश्य से अधिशेष (Surplus) अर्जित करता है और इसे शिक्षा के विकास के लिए पुनः निवेश करता है, तो वह टैक्स छूट के लिए पात्र होगा। हालांकि, यदि संस्थान व्यवसायिक गतिविधियों (Commercial Activities) में शामिल होता है या शिक्षा से असंबंधित गतिविधियों से अधिशेष कमाता है, तो यह मुनाफे के उद्देश्य को दर्शाता है और संस्थान छूट के लिए अयोग्य हो जाएगा।
इस संबंध में अदालत ने Aditanar Educational Institution बनाम Addl. CIT (1997) और Queen's Education Society बनाम CIT (2015) के फैसलों का उल्लेख किया। इन फैसलों में कहा गया था कि शिक्षा के उद्देश्य से अर्जित अधिशेष टैक्स छूट के दायरे में आता है, लेकिन New Noble Educational Society मामले में अदालत ने यह स्पष्ट किया कि संस्थान के उद्देश्यों में शिक्षा के अलावा कोई अन्य उद्देश्य नहीं होना चाहिए।
राज्य पंजीकरण (State Registration) की अनिवार्यता एक और महत्वपूर्ण मुद्दा यह था कि क्या राज्य कानूनों के तहत पंजीकरण (Registration) टैक्स छूट के लिए आवश्यक है। अदालत ने कहा कि जहां राज्य कानूनों के तहत संस्थानों का पंजीकरण अनिवार्य है, वहां टैक्स छूट के लिए ऐसा पंजीकरण आवश्यक होगा। इससे कर प्राधिकरणों (Tax Authorities) को संस्थान की प्रामाणिकता (Genuineness) की जांच करने में सहायता मिलती है।
इस संदर्भ में अदालत ने Vanita Vishram Trust बनाम Chief CIT (2010) और Oxford University Press बनाम CIT (2001) के फैसलों का हवाला दिया।
फैसले का प्रभाव (Impact of the Judgment) इस फैसले का शिक्षण संस्थानों पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा-
1. संस्थानों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके संविधान (Governing Documents) में केवल शिक्षा का उद्देश्य ही उल्लिखित हो।
2. संस्थान किसी भी व्यवसायिक गतिविधि में शामिल नहीं हो सकते, चाहे वह अप्रत्यक्ष रूप से ही क्यों न हो।
3. राज्य कानूनों के तहत पंजीकरण और अनुपालन (Compliance) अनिवार्य होगा।
New Noble Educational Society मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला यह सुनिश्चित करता है कि केवल वही शिक्षण संस्थान टैक्स छूट का लाभ ले सकते हैं, जो पूरी तरह से शिक्षा के उद्देश्य से स्थापित हैं। इस फैसले ने 'केवल' शब्द की सख्त व्याख्या की है और स्पष्ट किया है कि गैर-शैक्षणिक उद्देश्यों की उपस्थिति से संस्थान टैक्स छूट के लिए अयोग्य हो जाएंगे। यह निर्णय शिक्षा के नाम पर टैक्स छूट का दुरुपयोग करने वाले व्यावसायिक संस्थानों को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।