किरायेदार द्वारा किराये की जमा राशि की प्रक्रिया – हिमाचल प्रदेश किराया नियंत्रण अधिनियम, 2023 की धारा 21
Himanshu Mishra
4 March 2025 12:09 PM

हिमाचल प्रदेश किराया नियंत्रण अधिनियम, 2023 (Himachal Pradesh Rent Control Act, 2023) किरायेदारों (Tenants) और मकान मालिकों (Landlords) के अधिकारों की रक्षा के लिए बनाया गया कानून है। यह कानून दोनों पक्षों के हितों के बीच संतुलन (Balance) बनाने का काम करता है।
इस अधिनियम की धारा 21 (Section 21) एक बहुत महत्वपूर्ण प्रावधान (Provision) है, जो उस स्थिति में किरायेदारों की सुरक्षा करता है जब मकान मालिक किराया लेने से इनकार कर देता है या किराये की रसीद (Receipt) देने से मना करता है।
यह प्रावधान किरायेदारों को एक विधिक प्रक्रिया (Legal Process) के तहत किराये की राशि नियंत्रक (Controller) के पास जमा करने की अनुमति देता है।
इससे यह सुनिश्चित होता है कि किरायेदार ने अपनी ओर से किराया भुगतान की पूरी कोशिश की है और उसे बिना किसी गलती के किराया न देने के आरोप में बेदखल (Eviction) नहीं किया जा सकता। इस लेख में धारा 21 की सभी महत्वपूर्ण बातों को सरल हिंदी में समझाया गया है।
कब कर सकते हैं किरायेदार किराये की जमा राशि (When Can Tenant Deposit Rent)
धारा 21 के तहत किरायेदार कुछ विशेष परिस्थितियों में किराये की राशि नियंत्रक के पास जमा कर सकता है। यह प्रावधान किरायेदारों को मकान मालिकों के अनुचित व्यवहार (Unfair Conduct) से बचाने के लिए बनाया गया है।
पहली स्थिति तब होती है जब मकान मालिक किरायेदार द्वारा समय पर दिया गया किराया लेने से इनकार कर देता है। धारा 20 (Section 20) के अनुसार, किराये का भुगतान उस समय सीमा में किया जाना चाहिए जो किराये के समझौते (Agreement) में तय की गई हो।
अगर कोई समझौता नहीं है, तो किराया हर महीने की 15 तारीख तक दिया जाना चाहिए। अगर मकान मालिक समय पर किराया लेने से इनकार कर देता है, तो किरायेदार किराये की राशि नियंत्रक के पास जमा कर सकता है।
दूसरी स्थिति तब आती है जब मकान मालिक किराया तो ले लेता है लेकिन किराये की रसीद देने से इनकार कर देता है। बिना रसीद के किरायेदार के पास यह साबित करने का कोई तरीका नहीं होता कि उसने किराया अदा किया है। इस स्थिति में भी किरायेदार नियंत्रक के पास किराया जमा कर सकता है।
तीसरी स्थिति तब होती है जब किरायेदार को यह पता नहीं होता कि किराया किसे देना है। ऐसा तब होता है जब संपत्ति के मालिकाना हक (Ownership) को लेकर विवाद (Dispute) होता है। उदाहरण के लिए, मकान मालिक की मृत्यु के बाद अगर दो लोग खुद को संपत्ति का वारिस (Heir) बताते हैं, तो किरायेदार के लिए यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि किसे किराया देना चाहिए। ऐसी स्थिति में किरायेदार नियंत्रक के पास किराये की राशि जमा कर सकता है।
किराये की राशि जमा करने की प्रक्रिया (Procedure to Deposit Rent)
धारा 21 के तहत किरायेदार को नियंत्रक के पास किराया जमा करने के लिए एक आवेदन (Application) देना होता है। यह आवेदन एक निश्चित तरीके से तैयार किया जाना चाहिए, जिसे कानून में निर्धारित प्रक्रिया (Prescribed Manner) कहा गया है।
आवेदन में निम्नलिखित जानकारियां दी जानी चाहिए –
• वह इमारत (Building) या किराये की जमीन (Rented Land) जिसके लिए किराया जमा किया जा रहा है, उसका पूरा विवरण (Description)।
• जिस अवधि (Period) के लिए किराया जमा किया जा रहा है, वह समय सीमा।
• मकान मालिक का नाम और पता।
• अगर कोई अन्य व्यक्ति किराये का दावा कर रहा है, तो उसका नाम और पता।
• अन्य आवश्यक विवरण, जो नियमों के तहत निर्धारित किए गए हों।
जब किरायेदार आवेदन और किराये की राशि जमा कर देता है, तो नियंत्रक मकान मालिक को इसकी सूचना भेजता है। यह सूचना एक लिखित प्रति (Copy) के रूप में दी जाती है, जिस पर जमा करने की तारीख दर्ज होती है।
मकान मालिक द्वारा राशि की निकासी (Withdrawal of Rent by Landlord)
मकान मालिक नियंत्रक से आवेदन देकर जमा राशि को निकाल सकता है। हालांकि, नियंत्रक बिना जांच के मकान मालिक को पैसा नहीं देता। मकान मालिक को यह साबित करना होता है कि वह वास्तव में किराये की राशि पाने का हकदार (Entitled) है। अगर नियंत्रक संतुष्ट हो जाता है, तो वह मकान मालिक को राशि भुगतान करने का आदेश देता है।
अगर किरायेदार के आवेदन में दो या अधिक व्यक्तियों को किराये का दावा करने वाला बताया गया है, तो नियंत्रक सभी पक्षों को सुनवाई का अवसर (Opportunity of Hearing) देता है। इससे पहले कि कोई आदेश पारित किया जाए, सभी दावेदारों को अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाता है।
झूठा आवेदन देने पर जुर्माना (Penalty for False Statements by Tenant)
अगर मकान मालिक को लगता है कि किरायेदार ने झूठे कारणों से किराये की राशि जमा की है, तो वह नियंत्रक के पास शिकायत दर्ज करा सकता है। यह शिकायत किरायेदार को नोटिस मिलने के 30 दिन के भीतर दर्ज करनी होती है।
नियंत्रक दोनों पक्षों को सुनवाई का मौका देता है। अगर नियंत्रक पाता है कि किरायेदार ने झूठे कारणों से किराया जमा किया था, तो वह किरायेदार पर दो महीने के किराये के बराबर जुर्माना (Fine) लगा सकता है। जुर्माने की राशि का एक हिस्सा मकान मालिक को क्षतिपूर्ति (Compensation) के रूप में दिया जा सकता है।
मकान मालिक द्वारा किराया लेने से इनकार करने पर जुर्माना (Penalty for Refusal by Landlord)
अगर मकान मालिक बिना किसी उचित कारण के किराये की राशि लेने से इनकार करता है, तो किरायेदार नियंत्रक के पास शिकायत कर सकता है। अगर नियंत्रक संतुष्ट होता है कि मकान मालिक ने जानबूझकर किराया लेने से इनकार किया, तो वह मकान मालिक पर दो महीने के किराये के बराबर जुर्माना लगा सकता है।
जुर्माने की राशि का कुछ हिस्सा किरायेदार को क्षतिपूर्ति के रूप में दिया जा सकता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि मकान मालिक बिना कारण किराये की राशि लेने से इनकार करके किरायेदारों को परेशान न करें।
बेदखली के मामलों में असर (Effect on Eviction Cases)
कई बार मकान मालिक गैर-भुगतान (Non-Payment) के आधार पर किरायेदारों को बेदखल करने की कोशिश करते हैं। लेकिन धारा 21 के तहत यदि किरायेदार नियंत्रक के पास किराया जमा कर देता है, तो उसे ऐसा माना जाएगा जैसे किराया सीधे मकान मालिक को दिया गया हो।
इससे मकान मालिक बिना भुगतान (Non-Payment) के आधार पर किरायेदार को बेदखल नहीं कर सकता।
महत्व (Importance)
धारा 21 एक संतुलित प्रावधान है जो किरायेदार और मकान मालिक दोनों के हितों की रक्षा करता है। यह मकान मालिकों को झूठे आरोपों से बचाता है और किरायेदारों को अनुचित बेदखली से सुरक्षित रखता है।
यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि किरायेदार हमेशा अपनी कानूनी जिम्मेदारी पूरी कर सके, चाहे मकान मालिक सहयोग करे या नहीं।
हिमाचल प्रदेश किराया नियंत्रण अधिनियम, 2023 की धारा 21 एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो किरायेदारों को अनुचित बेदखली से बचाने के लिए बनाया गया है। यह प्रावधान एक न्यायसंगत (Fair) प्रणाली बनाता है, जहां किरायेदार बिना किसी डर के अपना किराया समय पर जमा कर सकता है।
यह कानून दोनों पक्षों के बीच विश्वास को मजबूत करता है और विवादों को कम करने में मदद करता है। अगर इस प्रावधान को सही तरीके से लागू किया जाए, तो यह किरायेदारों और मकान मालिकों के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंध (Harmonious Relationship) बनाने में मदद कर सकता है।