असमर्थ व्यक्ति को रिश्तेदार या मित्र की देखरेख में सौंपने की प्रक्रिया : धारा 378, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023
Himanshu Mishra
6 March 2025 11:27 AM

हमारा कानूनी तंत्र (Legal System) उन व्यक्तियों के लिए विशेष प्रावधान करता है जो मानसिक रूप से अस्थिर (Unsound Mind) हैं और जो अपने बचाव (Defence) के लिए सक्षम नहीं हैं। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 378 ऐसे व्यक्तियों को उनके रिश्तेदार (Relative) या मित्र (Friend) की देखरेख में सौंपने की प्रक्रिया को स्पष्ट करती है।
यह इस अध्याय की अंतिम धारा (Final Section of This Chapter) है, जो धारा 369 और धारा 374 जैसे प्रावधानों पर आधारित है, जिनमें मानसिक रूप से अस्थिर व्यक्ति की हिरासत (Custody) और सुरक्षित निगरानी (Safe Custody) का प्रावधान है।
इस धारा के तहत—
1. रिश्तेदार या मित्र कैसे आवेदन कर सकते हैं।
2. कौन-कौन सी शर्तें पूरी करनी होती हैं।
3. रिश्तेदार या मित्र की कानूनी ज़िम्मेदारियाँ क्या होंगी।
4. यदि व्यक्ति मानसिक रूप से ठीक हो जाता है, तो आगे की कानूनी प्रक्रिया क्या होगी।
यह लेख सरल भाषा में इन सभी प्रावधानों की व्याख्या करेगा और इसे समझाने के लिए उदाहरण (Illustration) भी देगा।
कब कोई व्यक्ति रिश्तेदार या मित्र को सौंपा जा सकता है? (When Can a Person Be Handed Over to a Relative or Friend?)
यदि कोई व्यक्ति धारा 369(2) (मानसिक रूप से अस्थिर होने के कारण मुकदमे से अस्थायी रूप से अलग किया गया व्यक्ति) या धारा 374 (सुरक्षित निगरानी में रखा गया व्यक्ति) के अंतर्गत हिरासत में है, तो उसे उसके रिश्तेदार या मित्र की देखरेख में सौंपा जा सकता है, बशर्ते—
• रिश्तेदार या मित्र राज्य सरकार (State Government) को आवेदन (Application) दे कि वह उस व्यक्ति की देखभाल करने के लिए तैयार है।
• राज्य सरकार को संतोष (Satisfaction) हो कि आवेदन करने वाला व्यक्ति उसे उचित देखभाल (Proper Care) प्रदान करेगा।
• रिश्तेदार या मित्र को यह सुरक्षा (Security) देनी होगी कि व्यक्ति खुद को या दूसरों को नुकसान नहीं पहुँचाएगा।
• राज्य सरकार द्वारा तय किए गए समय पर व्यक्ति को निरीक्षण (Inspection) के लिए पेश करना होगा।
• यदि व्यक्ति धारा 369(2) के तहत मुकदमे से अस्थायी रूप से अलग किया गया है, तो उसे कोर्ट (Court) के समक्ष पेश करने की ज़िम्मेदारी भी रिश्तेदार या मित्र की होगी।
इस प्रकार, यह धारा मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति को कठोर कारावास (Imprisonment) या मानसिक स्वास्थ्य संस्थान (Mental Health Institution) में रखने की बजाय, एक परिचित और सुरक्षित माहौल में रखने का अवसर प्रदान करती है।
रिश्तेदार या मित्र की कानूनी ज़िम्मेदारियाँ (Legal Responsibilities of the Relative or Friend)
जब कोई रिश्तेदार या मित्र मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति की देखरेख का दायित्व लेता है, तो उसके ऊपर कई कानूनी उत्तरदायित्व (Legal Responsibilities) आ जाते हैं—
1. उचित देखभाल (Proper Care) सुनिश्चित करना
o व्यक्ति को स्वास्थ्य सेवाएँ (Medical Attention) और सुरक्षित वातावरण (Stable Environment) मिलना चाहिए।
o यदि उसकी देखभाल में लापरवाही (Negligence) होती है, तो कानूनी कार्यवाही (Legal Action) की जा सकती है।
2. नुकसान से बचाव (Preventing Harm)
o व्यक्ति स्वयं को या किसी अन्य को नुकसान न पहुँचाए, इसकी गारंटी सुनिश्चित करनी होगी।
o यदि व्यक्ति हिंसक (Violent) हो जाता है, तो तुरंत प्रशासन (Authorities) को सूचित करना आवश्यक है।
3. निगरानी सहयोग (Cooperation with Inspection)
o राज्य सरकार किसी अधिकारी को निरीक्षण (Inspection) के लिए नियुक्त कर सकती है।
o रिश्तेदार या मित्र को यह सुनिश्चित करना होगा कि व्यक्ति निरीक्षण के समय उपलब्ध हो।
4. अदालत में पेश करना (Producing the Person in Court)
o यदि व्यक्ति पहले किसी अपराध का आरोपी था, लेकिन मानसिक रूप से अस्वस्थ होने के कारण मुकदमा नहीं चला, और बाद में ठीक हो गया, तो उसे अदालत में पेश करना होगा।
o ऐसा न करने पर, रिश्तेदार या मित्र के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
इसलिए, धारा 378 के तहत किसी व्यक्ति को सिर्फ मानवीय आधार पर नहीं, बल्कि कानूनी जिम्मेदारी के आधार पर भी सौंपा जाता है।
अगर व्यक्ति मानसिक रूप से ठीक हो जाए तो क्या होगा? (What Happens If the Accused Regains Mental Fitness?)
यदि हिरासत में दिया गया व्यक्ति मानसिक रूप से ठीक हो जाता है, तो राज्य सरकार द्वारा नियुक्त निरीक्षण अधिकारी (Inspecting Officer) उसका परीक्षण कर सकता है।
• यदि अधिकारी यह प्रमाणित करता है कि व्यक्ति अब मुकदमे के लिए सक्षम (Mentally Fit for Trial) है, तो अदालत (Court) रिश्तेदार या मित्र को व्यक्ति को पेश करने के लिए नोटिस (Notice) जारी करेगी।
• जब व्यक्ति अदालत के समक्ष पेश किया जाएगा, तो मुकदमा धारा 371 के तहत आगे बढ़ेगा।
• निरीक्षण अधिकारी का प्रमाण पत्र (Certificate of Inspecting Officer) अदालत में साक्ष्य (Evidence) के रूप में मान्य होगा।
इस प्रावधान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी व्यक्ति केवल मानसिक अस्वस्थता का बहाना बनाकर कानूनी प्रक्रिया से बच न सके।
उदाहरण (Illustrations for Better Understanding)
उदाहरण 1: रमेश का मामला
रमेश पर चोरी (Theft) का आरोप था, लेकिन उसे मानसिक रूप से अस्वस्थ मानते हुए धारा 369(2) के तहत मुकदमे से अलग कर दिया गया और एक मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में भेज दिया गया।
बाद में, उसके बड़े भाई ने धारा 378 के तहत आवेदन (Application under Section 378) देकर रमेश को अपनी देखभाल में लेने की अनुमति मांगी। राज्य सरकार ने आवश्यक सुरक्षा (Security) लेने के बाद अनुमति दी।
एक साल बाद, निरीक्षण अधिकारी ने प्रमाणित किया कि रमेश अब मुकदमे के लिए मानसिक रूप से सक्षम (Mentally Fit for Trial) है। उसके भाई को अदालत में पेश करने का आदेश दिया गया, और मुकदमा धारा 371 के अनुसार फिर से शुरू हुआ।
उदाहरण 2: सुनील का मामला
सुनील पर हमले (Assault) का आरोप था, लेकिन उसे मानसिक रूप से अस्वस्थ घोषित कर धारा 374 के तहत सुरक्षित हिरासत में रखा गया।
उसके बचपन के दोस्त ने धारा 378 के तहत उसे अपनी देखरेख में लेने का आवेदन दिया। लेकिन कुछ महीनों बाद, सुनील फिर से हिंसक हो गया और पड़ोसी पर हमला कर दिया।
राज्य सरकार ने तुरंत उसकी हिरासत को रद्द कर (Custody Revoked) उसे वापस मानसिक स्वास्थ्य संस्थान भेज दिया।
इससे यह स्पष्ट होता है कि धारा 378 के तहत व्यक्ति को सौंपने से पहले सावधानी और सुरक्षा की आवश्यकता होती है।
धारा 378 इस अध्याय की अंतिम धारा है, और यह सुनिश्चित करती है कि मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति की देखभाल एक जिम्मेदार व्यक्ति के हाथों में दी जाए।
• यह व्यक्तिगत अधिकारों (Individual Rights) और सार्वजनिक सुरक्षा (Public Safety) के बीच संतुलन बनाती है।
• यह सुनिश्चित करती है कि मानसिक बीमारी का दुरुपयोग न हो और अगर व्यक्ति ठीक हो जाए, तो मुकदमे का सामना करे।
• यह निगरानी (Monitoring) और कानूनी जवाबदेही (Legal Accountability) के साथ मानवीय दृष्टिकोण (Humanitarian Approach) को जोड़ती है।
इस प्रकार, धारा 378 मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्तियों के लिए संरक्षण (Protection), देखभाल (Care) और न्याय (Justice) के बीच संतुलन बनाती है।