भारतीय स्टांप अधिनियम की धारा 42 के तहत शुल्क चुकाने के बाद दस्तावेजों के प्रमाणीकरण की प्रक्रिया

Himanshu Mishra

6 March 2025 11:35 AM

  • भारतीय स्टांप अधिनियम की धारा 42 के तहत शुल्क चुकाने के बाद दस्तावेजों के प्रमाणीकरण की प्रक्रिया

    भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899 (Indian Stamp Act, 1899) विभिन्न प्रकार के दस्तावेज़ों (Legal Documents) पर स्टांप शुल्क (Stamp Duty) लगाने का कानूनी ढांचा प्रदान करता है ताकि उनकी वैधता (Legal Validity) सुनिश्चित की जा सके। अगर कोई दस्तावेज़ बिना उचित स्टांप शुल्क के निष्पादित (Executed) किया जाता है, तो उसे कोर्ट में सबूत के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता।

    हालांकि, कुछ परिस्थितियों में, अगर कोई व्यक्ति स्टांप शुल्क की कमी को पूरा करना चाहता है, तो उसे धारा 35, 40 या 41 के तहत स्टांप शुल्क और दंड (Penalty) का भुगतान करना होगा। धारा 42 यह सुनिश्चित करता है कि शुल्क चुकाने के बाद दस्तावेज़ पर एक आधिकारिक प्रमाण (Endorsement) किया जाए, जिससे वह पूरी तरह वैध हो जाए और कानूनी रूप से इस्तेमाल किया जा सके।

    इस लेख में हम धारा 42 का विस्तृत विश्लेषण करेंगे और इसके साथ जुड़े धारा 35, 40 और 41 को भी समझेंगे।

    धारा 42: जब स्टांप शुल्क चुका दिया जाए तो प्रमाणीकरण (Endorsement) की प्रक्रिया

    जब किसी दस्तावेज़ पर धारा 35, 40 या 41 के तहत आवश्यक स्टांप शुल्क और दंड (Penalty) चुका दिया जाता है, तो दस्तावेज़ को मान्य (Valid) बनाने के लिए एक आधिकारिक प्रमाण (Endorsement) किया जाता है।

    इस प्रमाण में निम्नलिखित जानकारी होती है:

    1. सही स्टांप शुल्क का भुगतान किया गया है या नहीं।

    2. दंड (Penalty) (यदि कोई लागू हो) का भुगतान किया गया है या नहीं।

    3. भुगतान की गई स्टांप शुल्क और दंड की सटीक राशि।

    4. शुल्क और दंड चुकाने वाले व्यक्ति का नाम और पता।

    प्रमाणीकरण (Endorsement) के बाद दस्तावेज़ का प्रभाव

    एक बार जब किसी दस्तावेज़ को धारा 42 के तहत प्रमाणित कर दिया जाता है, तो वह निम्नलिखित कानूनी स्थिति प्राप्त कर लेता है:

    1. कोर्ट में साक्ष्य (Evidence) के रूप में स्वीकार किया जा सकता है।

    2. पंजीकरण (Registration) और प्रमाणीकरण (Authentication) के लिए वैध हो जाता है।

    3. जिस व्यक्ति से दस्तावेज़ जब्त (Impound) किया गया था, उसे वापस दिया जा सकता है।

    धारा 42 में दिए गए विशेष प्रावधान (Proviso)

    1. दस्तावेज़ की शीघ्र वापसी पर प्रतिबंध (Clause a)

    o यदि किसी दस्तावेज़ को धारा 35 के तहत शुल्क और दंड चुकाने के बाद साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया गया है, तो उसे एक महीने से पहले वापस नहीं दिया जा सकता।

    o यदि कलेक्टर (Collector) प्रमाणित करता है कि दस्तावेज़ को अधिक समय तक रोके जाने की आवश्यकता है, तो उसे तब तक वापस नहीं किया जाएगा जब तक कि कलेक्टर इसे रद्द न कर दे।

    2. नागरिक प्रक्रिया संहिता (Civil Procedure Code) पर प्रभाव (Clause b)

    o यह धारा 1882 की सिविल प्रक्रिया संहिता (Code of Civil Procedure, 1882) की धारा 144, उपधारा 3 को प्रभावित नहीं करती।

    अब धारा 42 को पूरी तरह समझने के लिए, हमें धारा 35, 40 और 41 को भी विस्तार से जानना होगा।

    धारा 35: अनुचित रूप से स्टांप किए गए दस्तावेज़ों की साक्ष्य (Evidence) के रूप में स्वीकृति

    धारा 35 की व्याख्या

    यह धारा एक मूलभूत नियम निर्धारित करती है कि कोई भी दस्तावेज़ जो उचित रूप से स्टांप नहीं किया गया है, उसे अदालत में सबूत के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा और न ही उस पर कार्य किया जा सकता है या पंजीकृत किया जा सकता है।

    हालांकि, इस नियम के तहत एक अपवाद (Exception) भी दिया गया है—

    यदि कोई पक्ष (Party) बिना स्टांप वाले दस्तावेज़ को साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत करना चाहता है, तो उसे पहले:

    1. बकाया स्टांप शुल्क (Deficient Stamp Duty) चुकानी होगी।

    2. दंड (Penalty) देना होगा, जो या तो बकाया शुल्क का दस गुना होगा या एक न्यूनतम निर्धारित राशि।

    उदाहरण (Illustration) - धारा 35

    मान लीजिए, एक कंपनी बिना स्टांप शुल्क चुकाए एक अनुबंध (Contract) पर हस्ताक्षर करती है। जब कानूनी विवाद होता है, तो एक पक्ष इस अनुबंध को अदालत में प्रस्तुत करता है।

    धारा 35 के अनुसार, अदालत इस दस्तावेज़ को तब तक स्वीकार नहीं करेगी जब तक कि स्टांप शुल्क और दंड चुकाया न जाए।

    धारा 42 से यह जुड़ता है क्योंकि शुल्क और दंड चुकाने के बाद दस्तावेज़ को प्रमाणित (Endorse) किया जाएगा, जिससे वह पूरी तरह कानूनी बन जाएगा।

    धारा 40: कलेक्टर (Collector) का अधिकार - जब्त किए गए दस्तावेज़ों पर स्टांप लगाने का अधिकार

    धारा 40 की व्याख्या

    अगर कोई दस्तावेज़ अपर्याप्त रूप से स्टांप किया गया है और उसे धारा 33 के तहत जब्त (Impound) किया गया है, तो कलेक्टर को यह अधिकार होता है कि:

    1. यदि वह मानता है कि दस्तावेज़ उचित रूप से स्टांप किया गया है, तो वह उसे प्रमाणित कर सकता है।

    2. यदि दस्तावेज़ अपर्याप्त रूप से स्टांप किया गया है, तो वह बकाया स्टांप शुल्क और दंड (Penalty) वसूल सकता है।

    3. यदि दस्तावेज़ धारा 13 या 14 का उल्लंघन करता है, तो कलेक्टर चाहे तो पूरे दंड को माफ कर सकता है।

    उदाहरण (Illustration) - धारा 40

    अगर एक साझेदारी समझौता (Partnership Deed) गलत स्टांप शुल्क पर लिखा गया है, तो रजिस्ट्रार ऑफ फर्म्स (Registrar of Firms) इसे जब्त कर सकता है और कलेक्टर को भेज सकता है।

    कलेक्टर इसे सत्यापित करेगा, बकाया शुल्क वसूलेगा, और फिर धारा 42 के तहत प्रमाणित करेगा, जिससे यह पूरी तरह वैध हो जाएगा।

    धारा 41: गलती से अपर्याप्त रूप से स्टांप किए गए दस्तावेज़ों को वैध बनाने की प्रक्रिया

    धारा 41 की व्याख्या

    अगर कोई व्यक्ति गलती, दुर्घटना या आवश्यक परिस्थितियों के कारण दस्तावेज़ पर उचित स्टांप शुल्क नहीं लगा पाता, तो उसे:

    1. दस्तावेज़ को एक वर्ष के भीतर कलेक्टर के पास स्वेच्छा से प्रस्तुत करना होगा।

    2. यह साबित करना होगा कि स्टांप शुल्क की कमी गलती, दुर्घटना या तत्काल आवश्यकता के कारण हुई थी।

    3. कलेक्टर बकाया स्टांप शुल्क स्वीकार कर सकता है और दस्तावेज़ को वैध घोषित कर सकता है।

    उदाहरण (Illustration) - धारा 41

    अगर किसी ने आपातकालीन परिस्थितियों में संपत्ति विक्रय समझौता (Sale Agreement) बिना सही स्टांप शुल्क के कर लिया और एक वर्ष के भीतर कलेक्टर के पास गया, तो कलेक्टर शुल्क स्वीकार कर सकता है और धारा 42 के तहत प्रमाणित कर सकता है।

    धारा 42 यह सुनिश्चित करता है कि जब किसी दस्तावेज़ पर बकाया स्टांप शुल्क और दंड (Penalty) चुका दिया जाए, तो उसे एक आधिकारिक प्रमाण (Endorsement) दिया जाए, जिससे वह पूरी तरह कानूनी रूप से मान्य हो जाए।

    यह धारा न केवल सरकारी राजस्व की रक्षा करती है बल्कि उन लोगों को भी राहत प्रदान करती है जो गलती से स्टांप शुल्क की चूक कर बैठते हैं। इससे व्यापारिक और कानूनी लेनदेन सुचारु रूप से संपन्न हो सकते हैं।

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