जानिए हमारा कानून
बैंक से होम लोन लेने पर क्या लीगल बेनिफिट्स हैं?
होम लोन पर घर खरीदने से काफी सारे लीगल बेनिफिट्स हैं। घर या ज़मीन से जुड़े हुए सारे लीगल फायदे घर खरीदने वाले व्यक्ति को मिल जाते हैं। ऐसे मामले में कभी भी घर खरीदने वाले व्यक्ति के साथ चीटिंग जैसी घटना नहीं होती है क्योंकि बैंक ही सारी लीगल फॉरमैलिटी को चैक करता है।यह हैं बेनिफिट्स-जमीन या मकान के स्वामित्व का अनुसंधान-जब भी हम कोई जमीन या मकान खरीदते हैं तब जिस व्यक्ति से मकान यह जमीन खरीदी जा रही है उसके बारे में पूरी जानकारी जुटाई जाती है। एक आम आदमी के लिए ऐसी जानकारी जुटाना बहुत मुश्किल होता...
कोई भी प्रॉपर्टी सिर्फ पॉवर ऑफ अटॉर्नी पर खरीदना कैसा है? जानिए
कई दफा सिर्फ पावर ऑफ अटॉर्नी पर ही प्रॉपर्टी खरीद ली जाती है और उसकी सेल डीड नहीं करवायी जाती क्योंकि पॉवर ऑफ अटॉर्नी पर कोई विशेष ड्यूटी नहीं देनी पड़ती है जबकि सेल डीड में स्टांप ड्यूटी देनी होती है। अगर भारत के कानून की निगाह से देखें तो यह सरासर गलत है और इसका परिणाम यह हो सकता है कि किसी भी आदमी को बहुत बड़ी नुकसानी झेलनी पड़ सकती है। एक प्रॉपर्टी बड़ी धनराशि में खरीदी जाती है ऐसी धनराशि जब किसी प्रॉपर्टी खरीदने वाले द्वारा अदा की जाती है तब उसे सभी पुख्ता कानूनी इंतजाम भी करना चाहिए। थोड़ी...
सतींद्र कुमार अंतिल बनाम CBI: जमानत और मौलिक अधिकारों पर सुप्रीम कोर्ट का विस्तृत फैसला
सतींद्र कुमार अंतिल बनाम सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) केस सुप्रीम कोर्ट का एक महत्वपूर्ण फैसला है, जिसमें जमानत (Bail), आरोपी के अधिकारों और भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) के प्रावधानों पर ध्यान दिया गया। इस मामले में, अदालत ने जमानत आवेदनों में देरी और इससे जुड़े मौलिक अधिकारों, जैसे अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार), की व्याख्या की। कोर्ट ने कई महत्वपूर्ण दिशानिर्देश दिए ताकि न्यायिक प्रक्रिया में तेजी आए और आरोपी के अधिकारों की...
समाज में विभाजन और देश की एकता को खतरे में डालना : BNS, 2023 की धारा 196 और 197
भारतीय न्याय संहिता, 2023, जो कि भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की जगह लेकर आई है, ने कई ऐसे प्रावधान जोड़े हैं जो देश में सौहार्द और सुरक्षा के खिलाफ होने वाले अपराधों से निपटने के लिए हैं। इसमें धारा 196 और 197 विशेष रूप से उन अपराधों को कवर करती हैं, जो समाज में विभाजन और देश की एकता को खतरे में डालते हैं। ये प्रावधान 1 जुलाई 2024 से लागू हो चुके हैं। इस लेख में हम इन धाराओं के विस्तृत प्रावधानों को सरल हिंदी में समझेंगे और उनके उदाहरण भी देंगे।धारा 196: असामंजस्य (Disharmony) और घृणा...
BNSS 2023 के अंतर्गत धारा 187 (भाग (1): आरोपी की हिरासत और जांच के नियम
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023, जो 1 जुलाई 2024 से लागू हुई है, ने पुराने दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (Criminal Procedure Code) को प्रतिस्थापित किया है। इस संहिता की धारा 187 उन प्रावधानों को विस्तार से बताती है जो तब लागू होते हैं जब किसी आरोपी को गिरफ्तार करके हिरासत (Custody) में रखा जाता है और जांच (Investigation) 24 घंटे के भीतर पूरी नहीं हो पाती है। यह धारा पुराने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 167 के समान है, लेकिन इसमें कुछ अपडेट किए गए नियम और प्रक्रियाएँ शामिल हैं। इस लेख में हम धारा...
पट्टाली मक्कल काची बनाम ए. मयिलेरुम्पेरुमल केस में संवैधानिक प्रावधानों का व्यापक विश्लेषण
परिचय (Introduction)पट्टाली मक्कल काची बनाम ए. मयिलेरुम्पेरुमल मामला, जो 31 मार्च 2022 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किया गया, तमिलनाडु विशेष आरक्षण अधिनियम, 2021 की संवैधानिक वैधता पर आधारित था। सुप्रीम कोर्ट ने यह जांचा कि क्या राज्य द्वारा विशेष पिछड़े वर्गों (MBCs) में आंतरिक आरक्षण (Internal Reservation) देना संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 का उल्लंघन करता है। इस केस में मुख्य मुद्दे थे कि क्या 102वें और 105वें संवैधानिक संशोधनों के बाद राज्य के पास पिछड़े वर्गों में आरक्षण देने का अधिकार है...
सार्वजनिक स्थानों पर झगड़ा और लोक सेवकों का अवरोध: धारा 194 और 195, भारतीय न्याय संहिता, 2023
भारतीय न्याय संहिता, 2023 ने 1 जुलाई 2024 से प्रभावी होकर भारतीय दंड संहिता को प्रतिस्थापित कर दिया। इस नई संहिता में कई प्रावधान हैं जो सार्वजनिक शांति को भंग करने वाले कृत्यों और लोक सेवकों (Public Servants) के कर्तव्यों को पूरा करते समय उनके साथ होने वाली बाधाओं से संबंधित हैं। धारा 194 और धारा 195 दो महत्वपूर्ण प्रावधान हैं, जो सार्वजनिक स्थानों पर झगड़े (Affray) और लोक सेवकों के अवरोध के मामलों से संबंधित हैं।धारा 194: सार्वजनिक झगड़ा (Affray) धारा 194(1) के अनुसार, जब दो या अधिक व्यक्ति...
न्यायाधीश द्वारा सवाल पूछने या दस्तावेज़ प्रस्तुत करने का आदेश देने की शक्ति - धारा 168, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023, जो 1 जुलाई 2024 से लागू हुआ और जिसने पुराने Indian Evidence Act, 1872 की जगह ली, न्यायाधीशों को मुकदमों के दौरान महत्वपूर्ण अधिकार प्रदान करता है। धारा 168 के तहत, न्यायाधीश को साक्ष्य (evidence) की खोज और प्रासंगिक तथ्यों (relevant facts) को स्थापित करने के लिए सवाल पूछने और दस्तावेज़ों (documents) को पेश करने का आदेश देने की शक्ति दी गई है। यह धारा इस बात को सुनिश्चित करती है कि अदालत को सभी महत्वपूर्ण तथ्य प्रस्तुत किए जाएं।धारा 168, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023...
अलग-अलग पुलिस थानों के बीच किस प्रकार से तलाशी की प्रक्रिया को संचालित किया जाए : धारा 186 BNSS 2023
धारा 186 (Section 186) की गहन जानकारी: पुलिस थानों के बीच जांच और तलाशी का समन्वयभारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की एक महत्वपूर्ण धारा 186 है, जो पुलिस थानों के बीच तलाशी (Search) और ज़ब्ती (Seizure) से संबंधित है। धारा 186 यह स्पष्ट करती है कि अलग-अलग पुलिस थानों के बीच किस प्रकार से तलाशी की प्रक्रिया को संचालित किया जाए ताकि पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित हो सके। यह धारा विशेष रूप से धारा 185 और धारा 103 के प्रावधानों (Provisions) से जुड़ी हुई है, जो तलाशी और ज़ब्ती की बुनियादी प्रक्रियाओं...
अवैध हिरासत और मुआवजे पर भोलाराम कुम्हार बनाम छत्तीसगढ़ राज्य केस में संवैधानिक विश्लेषण
भोलाराम कुम्हार बनाम छत्तीसगढ़ राज्य मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2022 को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। यह मामला एक बलात्कार के दोषी की अवैध हिरासत (Illegal Detention) से संबंधित था, जिसे उसकी कानूनी सजा से अधिक समय तक जेल में रखा गया था।कोर्ट को यह तय करना था कि गलत तरीके से हुई इस कैद में संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है या नहीं, खासकर अनुच्छेद 19(1)(d) (आंदोलन की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) के तहत। कोर्ट ने माना कि दोषी को सजा पूरी करने के बाद भी...
न्यायालय में साक्ष्य और दस्तावेज़ प्रस्तुत करने के नियम (धारा 165-167) - भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 ने भारतीय साक्ष्य अधिनियम को बदल दिया है और 1 जुलाई, 2024 से प्रभाव में आ गया है। यह कानून न्यायालय में साक्ष्य (Evidence) प्रस्तुत करने की प्रक्रिया को संचालित करता है, जिसमें दस्तावेज़ों (Documents) का उत्पादन भी शामिल है। यह सुनिश्चित करता है कि महत्वपूर्ण दस्तावेज़ न्यायालय में प्रस्तुत किए जाएं, चाहे उनकी प्रस्तुत करने पर आपत्ति हो या नहीं। धारा 165 से 167 दस्तावेज़ों को बुलाने, उनके उत्पादन पर आपत्तियों के निपटान और उन्हें प्रस्तुत करने में विफल रहने के...
अवैध सभा या दंगा होने पर भूमि के मालिक आदि की जिम्मेदारी: BNSS, 2023 की धारा 193
भारतीय न्याय संहिता, 2023, जो 1 जुलाई 2024 से लागू हो गई है, ने भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) को प्रतिस्थापित कर दिया है। इसमें कई महत्वपूर्ण प्रावधान (Provisions) जोड़े गए हैं, जिनमें से एक है धारा 193, जो अवैध सभाओं और दंगों के मामले में भूमि के मालिक (Owner), कब्जाधारी (Occupier) और उन लोगों की जिम्मेदारी तय करती है जो उस भूमि में रुचि रखते हैं। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि जिन लोगों का भूमि पर अधिकार (Control) है, वे ऐसी घटनाओं को रोकने और उनकी सूचना देने के लिए आवश्यक कदम...
BNSS, 2023 के तहत पुलिस अधिकारियों द्वारा तलाशी और जब्ती: धारा 185 और 103 का सरल विश्लेषण
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Bhartiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) ने 1 जुलाई 2024 से आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code) को बदल दिया है। इस संहिता की धारा 185 और 103 पुलिस अधिकारियों द्वारा तलाशी और जब्ती (Search and Seizure) की प्रक्रिया से संबंधित हैं। ये धाराएँ स्पष्ट रूप से बताती हैं कि किन परिस्थितियों में पुलिस अधिकारी तलाशी कर सकते हैं और इसमें पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करने के लिए कौन-कौन सी प्रक्रियाएँ अपनानी चाहिए। इस लेख में हम इन धाराओं को सरल भाषा में...
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: वैक्सीन अनिवार्यता और संवैधानिक अधिकारों पर जैकब पुलियेल बनाम भारत संघ
जैकब पुलियेल बनाम भारत संघ मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने 2 मई 2022 को वैक्सीन अनिवार्यता (Vaccine Mandates) और इससे जुड़े संवैधानिक मुद्दों पर फैसला सुनाया। डॉ. जैकब पुलियेल, जो नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन (NTAGI) के पूर्व सदस्य हैं, ने वैक्सीन अनिवार्यता को चुनौती दी थी।उन्होंने COVID-19 वैक्सीन के ट्रायल डेटा में अधिक पारदर्शिता (Transparency) की मांग की और बिना जानकारी के सहमति (Informed Consent) के वैक्सीन अनिवार्यता की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाया। यह मामला मुख्य रूप से...
दंगों और उसकी सज़ा: भारतीय न्याय संहिता, 2023 के धारा 190, 191, और 192 के अंतर्गत प्रावधान
भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023), जो 1 जुलाई 2024 से लागू हुई है, ने भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) को प्रतिस्थापित कर दिया है। इस नए कानून में ग़ैर-क़ानूनी सभा (Unlawful Assembly) और दंगों (Rioting) से जुड़े कई प्रावधान हैं।धारा 190, 191, और 192 का उद्देश्य ऐसे मामलों में अपराधों और उनकी सज़ा को परिभाषित करना है। इन धाराओं को समझने के लिए धारा 189 का भी संदर्भ देना ज़रूरी है, जिसमें ग़ैर-क़ानूनी सभा की परिभाषा दी गई है। धारा 190: ग़ैर-क़ानूनी सभा के सदस्य द्वारा...
साक्षी द्वारा याद ताजा करने और दस्तावेज़ों से गवाही देने के प्रावधान: BSA 2023 के अंतर्गत धारा 162 और धारा 163
भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 (Bhartiya Sakshya Adhiniyam, 2023) ने भारतीय साक्ष्य अधिनियम को बदल दिया है और यह 1 जुलाई 2024 से लागू हो गया है। इसमें दो महत्वपूर्ण प्रावधान हैं - धारा 162 और धारा 163। ये प्रावधान साक्षी (Witness) को गवाही के दौरान अपनी याददाश्त ताजा करने और दस्तावेज़ों (Documents) का उपयोग करने की अनुमति देते हैं। ये अदालत में गवाही की सटीकता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, खासकर जब साक्षी किसी विशेष घटना को याद करने में असमर्थ हो, लेकिन लिखित...
बलात्कार पीड़िता के मेडिकल जांच की प्रक्रिया - भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 184 का विश्लेषण
परिचय: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023), जो 1 जुलाई 2024 से लागू हुई और जिसने आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code) को बदल दिया है, धारा 184 के अंतर्गत बलात्कार या बलात्कार के प्रयास से संबंधित मामलों में पीड़िता के चिकित्सा परीक्षण (Medical Examination) की प्रक्रिया निर्धारित करती है। इस धारा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पीड़िता के अधिकारों और गरिमा का सम्मान करते हुए जांच हो और उसे न्याय मिल सके। यहां हम धारा 184 के सभी...
सुप्रीम कोर्ट का “होटल प्रिया” केस पर फैसला: व्यवसाय के अधिकार और जेंडर आधारित प्रतिबंधों पर कानूनी विश्लेषण
होटल प्रिया, ए प्रॉप्रीटर्शिप बनाम महाराष्ट्र राज्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 18 फरवरी 2022 को एक अहम फैसला सुनाया। यह मामला महाराष्ट्र सरकार द्वारा मनोरंजन स्थलों (Entertainment Venues) पर लगाए गए जेंडर आधारित प्रतिबंधों से संबंधित था, खासकर जहां कलाकारों की संख्या और उनके जेंडर को सीमित किया गया था। अदालत ने इस मामले में सार्वजनिक नैतिकता (Public Morality), महिलाओं की गरिमा (Dignity of Women), और संविधान के तहत दिए गए अधिकारों का संतुलन बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित किया, खासकर संविधान के...
धारा 183, BNSS 2023 : मजिस्ट्रेट द्वारा अपराध की जांच के दौरान कबूलनामा (Confession) और बयान दर्ज करने के प्रावधान
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita 2023), जो कि भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code) का स्थान ले चुकी है, 1 जुलाई 2024 से लागू हो गई है। इस संहिता की धारा 183 में मैजिस्ट्रेट (Magistrate) द्वारा अपराध की जांच के दौरान कबूलनामा (Confession) और बयान दर्ज करने के प्रावधान शामिल हैं। ये प्रावधान पहले दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 में थे, लेकिन अब इन प्रावधानों में कुछ सुधार और स्पष्टता लाई गई है। आइए इसे सरल भाषा में समझते हैं।मैजिस्ट्रेट...
BSA 2023 की धारा 161 : धारा 26 और 27 के अंतर्गत आने वाले बयानों का उपयोग किस प्रकार कानूनी प्रक्रिया में किया जा सकता है
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 (Bhartiya Sakshya Adhiniyam) ने भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) को प्रतिस्थापित (Replaced) किया है और यह 1 जुलाई 2024 से प्रभावी (Effective) हो गया है। इस कानून की एक महत्वपूर्ण धारा 161 है, जो बताती है कि धारा 26 और 27 के अंतर्गत आने वाले बयानों (Statements) का उपयोग किस प्रकार कानूनी प्रक्रिया (Legal Proceedings) में किया जा सकता है।धारा 161 को समझना इसलिए जरूरी है क्योंकि यह स्पष्ट करती है कि गवाही (Testimony) देने के लिए उपस्थित न हो सकने वाले...