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अनुसूचित जातियों की सूची: जानिए कौन सी जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा प्राप्त है
अनुसूचित जातियों की सूची: जानिए कौन सी जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा प्राप्त है

अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के अंतर्गत सभी महत्वपूर्ण धाराओं पर आलेख प्रस्तुत किए गए हैं। यह अधिनियम अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजातियों को संरक्षण प्रदान करता है तथा उन पर होने वाले अत्याचारों को रोकने का लक्ष्य निर्धारित करता है। यह एक निवारण विधि है।प्रश्न यह है कि किन जातियों को अनुसूचित जातियों का दर्जा प्राप्त है एवं किन जातियों को अनुसूचित जनजातियों का दर्जा प्राप्त है।अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति दो प्रकार की जातियां है।इस आलेख के अंतर्गत...

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC ST Act) भाग :11 एफआईआर के लिए किसी जांच की आवश्यकता न होना, अपराधी परिवीक्षा न, मिलना और अन्य अधिनियमों का प्रभावहीन होना
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC ST Act) भाग :11 एफआईआर के लिए किसी जांच की आवश्यकता न होना, अपराधी परिवीक्षा न, मिलना और अन्य अधिनियमों का प्रभावहीन होना

अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (Scheduled Caste and Scheduled Tribe (Prevention of Atrocities) Act, 1989) के अंतर्गत अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजातियों के न्याय हेतु कड़े कदम उठाए गए हैं। इस अत्याचार निवारण अधिनियम को भरसक प्रयासों के साथ इतना सशक्त बनाने के प्रयास किए गए हैं कि किसी भी स्थिति में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के विरुद्ध होने वाले अत्याचारों के मामलों में उन्हें पूर्ण रूप से न्याय मिले तथा अन्य लोग इन जातियों के प्रति अत्याचार...

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC ST Act) भाग :10 इस अधिनियम में उल्लेखित किए गए अपराधों के संबंध में अग्रिम जमानत के प्रावधान लागू नहीं होना (धारा-18)
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC ST Act) भाग :10 इस अधिनियम में उल्लेखित किए गए अपराधों के संबंध में अग्रिम जमानत के प्रावधान लागू नहीं होना (धारा-18)

अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (Scheduled Caste and Scheduled Tribe (Prevention of Atrocities) Act, 1989) के अंतर्गत धारा 18 अत्यंत महत्वपूर्ण धारा है जो इस अधिनियम के अंतर्गत घोषित किए गए अपराध के संबंध में आरोपी बनाए गए व्यक्तियों अभियुक्त को अग्रिम जमानत न दिए जाने संबंधित है। अर्थात इस कानून के अंतर्गत अभियुक्तों को अग्रिम जमानत का लाभ नहीं मिल सकता। इस आलेख के अंतर्गत इस अधिनियम की धारा 18 पर चर्चा की जा रही है।अग्रिम जमानत लागू नहीं होना:-दंड प्रक्रिया...

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC ST Act) भाग :8 अधिनियम के अंतर्गत विशेष न्यायालय क्या है (धारा-14)
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC ST Act) भाग :8 अधिनियम के अंतर्गत विशेष न्यायालय क्या है (धारा-14)

अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (Scheduled Caste and Scheduled Tribe (Prevention of Atrocities) Act, 1989) के अंतर्गत अधिनियम से संबंधित अपराध धारा 3 में उल्लेखित किए गए हैं उनके विचारण के लिए विशेष न्यायालय की व्यवस्था इस अधिनियम की धारा 8 के अंतर्गत दी गई है। इस आलेख के अंतर्गत विशेष न्यायालय पर न्याय निर्णय सहित टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।विशेष न्यायालय:-जैसा कि इस अधिनियम को अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति पर होने वाले अत्याचारों के निवारण के उद्देश्य...

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC ST Act) भाग :7 इस अधिनियम के अंतर्गत अपराधों के बारे में उपधारणा (धारा-8)
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC ST Act) भाग :7 इस अधिनियम के अंतर्गत अपराधों के बारे में उपधारणा (धारा-8)

अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (Scheduled Caste and Scheduled Tribe (Prevention of Atrocities) Act, 1989) के अंतर्गत धारा 8 इस अधिनियम के अंतर्गत अपराध करार दिए गए कार्यों के संबंध में उपधारणा की व्यवस्था करती है। उपधारणा का अर्थ यह होता है कि न्यायालय किसी कार्य या लोप के संबंध में कोई विचार बना कर चलता है और जब तक उस विचार को अभियुक्त द्वारा साबित नहीं कर दिया जाता तब तक न्यायालय यह मानकर चलता है कि जो शिकायतकर्ता ने कहा है वह सच ही होगा और उसके लगाए गए आरोप...

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC ST Act) भाग :6 लोक सेवकों के कर्तव्य की उपेक्षा करने पर दंड का प्रावधान (धारा 4)
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC ST Act) भाग :6 लोक सेवकों के कर्तव्य की उपेक्षा करने पर दंड का प्रावधान (धारा 4)

अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (Scheduled Caste and Scheduled Tribe (Prevention of Atrocities) Act, 1989) के अंतर्गत धारा 4 लोक सेवकों पर अधिरोपित किए गए कर्तव्यों की उपेक्षा करने के परिणामस्वरूप उन्हें दंडित करने का प्रावधान प्रस्तुत करती है। यह धारा इस अधिनियम को लागू करने में बल देती है। इस आलेख के अंतर्गत संसद द्वारा बनाई गई धारा के मूल स्वरूप को प्रस्तुत किया जा रहा है तथा उससे संबंधित न्याय निर्णय प्रस्तुत किए जा रहे हैं।धारा-4अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित...

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC ST Act) भाग :5 अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के अपमान से संबंधित अपराध (धारा-3)
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC ST Act) भाग :5 अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के अपमान से संबंधित अपराध (धारा-3)

अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (Scheduled Caste and Scheduled Tribe (Prevention of Atrocities) Act, 1989) के अंतर्गत अधिनियम की धारा 3 अत्यंत विस्तृत धारा है। इस धारा को किसी एक आलेख में समाहित कर पाना अत्यंत दूभर है इस कारण इस धारा से संबंधित चार आलेख प्रस्तुत किए गए हैं। भाग 5 में इस धारा से संबंधित अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के अपमान से संबंधित अपराधों का वर्णन किया।साशय अपमान और आपराधिक अभित्रास पर विधि:-जहाँ तक भारतीय दण्ड संहिता की धारा 504 के अधीन...

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC ST Act) भाग :4 अधिनियम के अंतर्गत दण्डादेश की आनुपातिकता, दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) और दोषमुक्ति के विरुद्ध पुनरीक्षण (धारा-3)
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC ST Act) भाग :4 अधिनियम के अंतर्गत दण्डादेश की आनुपातिकता, दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) और दोषमुक्ति के विरुद्ध पुनरीक्षण (धारा-3)

अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (Scheduled Caste and Scheduled Tribe (Prevention of Atrocities) Act, 1989) के अंतर्गत इससे पूर्व के भाग में धारा तीन से संबंधित कुछ विशेष बातों को उल्लेखित किया गया था। इस आलेख के अंतर्गत दण्डादेश की आनुपातिकता, दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3), दोषमुक्ति के विरुद्ध पुनरीक्षण और साथ ही अन्य विशेष बातें को भी प्रस्तुत किया जा रहा है जो इस धारा- 3 से संबंधित है।दण्डादेश की आनुपातिकता:- दण्डादेश की आनुपातिकता के पक्ष पर उसे...

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC ST Act) भाग :3 एकपक्षीय अभिकथन, अपराध का संज्ञान लेने की अधिकारिकता और अश्लील कृत्य (धारा-3)
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC ST Act) भाग :3 एकपक्षीय अभिकथन, अपराध का संज्ञान लेने की अधिकारिकता और अश्लील कृत्य (धारा-3)

अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (Scheduled Caste and Scheduled Tribe (Prevention of Atrocities) Act, 1989) के अंतर्गत इससे पूर्व के भाग में धारा तीन से संबंधित कुछ विशेष बातों को उल्लेखित किया गया था तथा धारा 3 का मूल स्वरूप प्रस्तुत किया गया था। इस आलेख के अंतर्गत अन्य विशेष बातें को भी प्रस्तुत किया जा रहा है जो इस धारा से संबंधित है।न्यूनतम दण्डादेश पर विधि अधिनियम की धारा 3 (1) ऐसी अवधि के लिए दण्ड का प्रावधान करती है, जो 6 मास से कम की नहीं होगी, परन्तु जो...

एक्सप्लेनर: सीमावर्ती राज्यों में सीमा सुरक्षा बल की बढ़ी हुई शक्तियों पर कानून
एक्सप्लेनर: सीमावर्ती राज्यों में सीमा सुरक्षा बल की बढ़ी हुई शक्तियों पर कानून

गृह मंत्रालय ने हाल ही में पश्चिम बंगाल, असम और पंजाब में सीमा सुरक्षा बल (बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स, बीएसएफ) के अधिकार क्षेत्र का विस्तार किया। मंत्रालय के फैसले ने संघीय ढांचे के उल्लंघन और राज्य पुलिस के अधिकारों के हनन के कारण पंजाब और पश्चिम बंगाल सरकार की आलोचनाओं को न्योता दिया।राज्यों ने तर्क दिया कि चूंकि कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है, इसलिए बीएसएफ अधिकार क्षेत्र में बढ़ोतरी राज्य सरकार की शक्तियों का उल्लंघन है। मौजूदा आलेख में चर्चा की गई है कि गृह मंत्रालय की शक्तियों का स्रोत...

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC ST Act) भाग :1 अधिनियम का परिचय
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC ST Act) भाग :1 अधिनियम का परिचय

भारत में अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजातियों पर अत्याचार स्वतंत्रता पूर्व से दिखाई पड़ते हैं। यह समाज भारतवर्ष का अत्यंत दीन हीन समाज है तथा अनेक सामाजिक परिस्थितियों में इस समाज को पीड़ित और प्रताड़ित भी अन्य समुदायों द्वारा किया जाता रहा है। इस समुदाय को समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के उद्देश्य से भारत के संविधान में आरक्षण की व्यवस्था की गई है।संविधान में दिए गए आरक्षण के अधिकार अनुसूचित जनजाति के सिविल अधिकार हैं इसी प्रकार दांडिक विधि में अनुसूचित जनजाति तथा अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण...

निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 35: चेक के अनादरण के मुकदमे से संबंधित प्रक्रिया (अपराधों का संज्ञान) (धारा 142)
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 35: चेक के अनादरण के मुकदमे से संबंधित प्रक्रिया (अपराधों का संज्ञान) (धारा 142)

परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) के अंतर्गत धारा 142 धारा 138 में उल्लेखित किए गए अपराध के संज्ञान के संदर्भ में प्रक्रिया विहित करती है। जिस प्रकार धारा 138 एक सहिंता के समान प्रसिद्ध धारा है जो मूल विधि का उल्लेख कर रही है। इस ही प्रकार यह धारा 142 उस अपराध के संज्ञान से संबंधित विस्तृत प्रक्रिया निर्धारित करती है। इस आलेख के अंतर्गत इस ही प्रक्रिया को समझाने का प्रयास किया जा रहा है।धारा 142:- यह धारा 142 धारा 138 के अंतर्गत गठित अपराध के संबंध में प्रस्तुत किए...

निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 33: चेक का संदाय (पेमेंट) प्राप्त करने वाले बैंक का अदायित्व (धारा 131)
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 33: चेक का संदाय (पेमेंट) प्राप्त करने वाले बैंक का अदायित्व (धारा 131)

परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) के अंतर्गत धारा 131 चेक का संदाय करने वाले बैंक के अदायित्व के संबंध में प्रावधान प्रस्तुत करती है। परक्राम्य लिखत अधिनियम चेक के व्यवहार में अधिकांश दायित्व लेखीवाल और उसके धारक को सौंपता है और यह अधिनियम एक प्रकार से धारक के अधिकारों की सुरक्षा पर ही अधिक बल देता है। धारा 131 बैंक के अदायित्व का विशेष रूप से उल्लेख कर रही है। इस आलेख के अंतर्गत संदाय करने वाले बैंक के अदायित्व को समझा जा रहा है।संग्राहक बैंक को संरक्षण: [ धारा 131...