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साइबर क्राइम क्या है भाग 2: कौन से काम साइबर अपराध माने जाते हैं
प्रौद्योगिकी के इस युग में सारा विश्व सायबर अपराध से निपट रहा है। इससे पूर्व के आलेख में सायबर अपराध का परिचय प्रस्तुत किया गया था। इस आलेख के अंतर्गत उन कार्यों का उल्लेख किया जा रहा है जिन्हें सारे विश्व में सायबर अपराध की श्रेणी में रखा है। भारत में भी इन कामों को सायबर अपराध बनाया गया है और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 में उन्हें अपराध के रूप में उल्लेखित किया गया है जिसका उल्लेख अगले भाग में किया जाएगा।इस आलेख में अपराधों का एक सामान्य वर्गीकरण प्रस्तुत किया जा रहा है जिन्हें सारे विश्व...
साइबर क्राइम क्या है भाग 1: जानिए अधिनियम का परिचय
मनुष्यता के इतिहास के साथ अपराध भी जुड़े रहे हैं।एक सभ्य समाज के साथ-साथ अपराध भी निरंतर बने रहे है। समय और परिस्थितियों के अनुसार अपराधों में भी परिवर्तन होता रहा है। आज वर्तमान समय में साइबर अपराध जैसा शब्द सामने आता है। विश्व के लगभग सभी देशों ने साइबर अपराध से निपटने हेतु कानून बनाए हैं। इस आलेख के अंतर्गत उन जानकारियों को प्रस्तुत किया जा रहा है जो साइबर अपराध को स्पष्ट करती है।प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के विकास के बाद कंप्यूटर से संबंधित अपराधों का जन्म हुआ है जिसे आमतौर पर...
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 (NSA) भाग: 3 अधिनियम के महत्वपूर्ण प्रावधान
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (National Security Act) की धारा 3 के अंतर्गत व्यक्तियों के विरुद्ध निरोध का आदेश बनाने की शक्ति दी गई है। इस अधिनियम के अंतर्गत धारा 3 के अतिरिक्त कुछ और महत्वपूर्ण धाराएं हैं जो इस अधिनियम की प्रक्रिया से संबंधित है। इस आलेख के अंतर्गत उन सभी महत्वपूर्ण धाराओं को प्रस्तुत किया जा रहा है जो इस अधिनियम को संपूर्ण करती हैं।धारा 5:-अधिनियम में धारा 5 को इस प्रकार प्रस्तुत किया गया है-"निरोधादेश की परिस्थितियों और स्थान को नियंत्रित करने की शक्ति:-प्रत्येक व्यक्ति जिसके लिए...
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 (NSA) भाग:2 निरोध आदेश बनाने की शक्ति (धारा 3)
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (National Security Act) एक केंद्रीय कानून है। यह कानून भारत की सुरक्षा के उद्देश्य से बनाया गया है जिसके अंतर्गत यदि कार्यपालिका को कहीं भी यह प्रतीत होता है कि किसी व्यक्ति द्वारा भारत की सुरक्षा को खतरा है ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध निरोध का आदेश कार्यपालिका द्वारा किया जा सकता है। अलग-अलग राज्यों ने अपने राज्यों के लिए भी राज्य सुरक्षा अधिनियम बनाए हैं वे अधिनियम राज्य के भीतर होने वाले आपराधिक क्रियाकलापों को रोकने के उद्देश्य से बनाए गए हैं जैसे मध्य प्रदेश राज्य...
सुप्रीम कोर्ट ने समझाया 'मौन स्वीकृति' और 'विलंब' के बीच भेद
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (16 नवंबर 2021) को दिए एक फैसले में 'मौन स्वीकृति' (Acquiescence)और 'विलंब' (Delay and Laches) के बीच के अंतर को समझाया। अदालत ने कहा कि विलंब और स्वीकृति का सिद्धांत उन वादियों पर लागू होता है, जिन्होंने अनुचित विलंब के बाद कार्रवाई के लिए बिना किसी उचित स्पष्टीकरण के अदालत/अपील प्राधिकारियों से संपर्क किया है।जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने कहा, "मौन स्वीकृतियों जैसे विलंब न्यायसंगत विचारों पर आधारित होते हैं, जबकि ऐसे विलंब जिनमें मौन स्वीकृति...
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 (NSA) भाग:1 अधिनियम का परिचय
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (National Security Act) एक निवारक अधिनियम है। इस आलेख के अंतर्गत इस अधिनियम का एक सारगर्भित परिचय दिया जा रहा है। अधिनियम को अपराध नामक रोग होने के पूर्व टीके के समान माना जा सकता है। यह अधिनियम एक वैक्सीन है जो अपराध को होने के पहले ही रोकने का प्रयास करती है। इस प्रकार के अधिनियम मूल अधिकारों के संबंध में खतरनाक तो होते हैं परंतु एक शांत समाज, स्वच्छ वातावरण हेतु इस प्रकार के अधिनियमों की आवश्यकता भी है।जब कोई व्यक्ति किसी समाज या राष्ट्र हेतु खतरा बनकर उभरता है,...
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) भाग: 12 यह अधिनियम कुछ संगठनों को लागू नहीं होना (धारा- 24)
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) के अंतर्गत कुछ संगठनों को इस अधिनियम से छूट प्रदान की गई है जिनका उल्लेख इस अधिनियम की दूसरी अनुसूची के अंतर्गत किया गया है। धारा 24 में इस बात का उल्लेख किया गया है कि कुछ संगठन ऐसे हैं जिन्हें इस अधिनियम से छूट प्रदान की गई। यह अधिनियम की महत्वपूर्ण धाराओं में से एक धारा है।यहां इस आलेख में इस धारा पर टिका प्रस्तुत किया जा रहा है और उससे संबंधित कुछ अदालतों के न्याय निर्णय भी प्रस्तुत किए जा रहे हैं।अधिनियम का कतिपय संगठनों को लागू न होना:-(1) इस अधिनियम...
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) भाग: 11 अधिनियम के अंतर्गत शास्ति (दंड) (धारा- 20)
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) के अंतर्गत धारा 20 शास्ति का उल्लेख करती है। इसका अर्थ है दंड। यह अधिनियम सूचना के अधिकार को अत्यधिक समृद्ध करता है। इस अधिनियम के अंतर्गत वे सभी व्यवस्था कर दी गई है जो सूचना प्राप्त करने में सहायक हो। नागरिकों को सूचना प्राप्त करने हेतु स्थान बताया गया है, वहां सुनवाई नहीं होने पर उसकी शिकायत करने का स्थान बताया गया है, वहां भी सुनवाई नहीं होने पर अपील करने का निर्देश दिया गया है। इस अधिनियम के अंतर्गत लोक अधिकारियों को सूचना नहीं देने यह सूचना मांगने...
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) भाग: 10 अधिनियम के अंतर्गत अपील (धारा- 19)
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) के अंतर्गत धारा 19 में अपील का प्रावधान दिया गया है। किसी भी अधिकार को दिए जाते समय इस बात का ध्यान रखना आवश्यक होता है कि यदि उस व्यक्ति को जिसे वह अधिकार दिया गया है अधिकार प्राप्त नहीं हो तब वे कहां और किसके समक्ष अपील कर सकता है और अपील का महत्व इसलिए भी है क्योंकि निचले स्तर से यदि कोई व्यक्ति व्यथित है तो उसे ऊपरी स्तर के अधिकारियों को इसका संज्ञान देकर न्याय प्राप्त करने का अधिकार होना चाहिए।सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 भारत के संविधान में उल्लेखित...
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) भाग: 9 सूचना आयोगों की शक्तियां (धारा- 18)
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) के अंतर्गत धारा 18 भी महत्वपूर्ण धाराओं में से एक है। इस धारा में सूचना आयोगों की शक्तियां और उनके कार्यों का उल्लेख किया गया है। जैसा कि पूर्व में उल्लेख किया गया है इस अधिनियम के अंतर्गत सूचना आयोगों का गठन किया गया है जो इस अधिनियम को नियंत्रण में रखते हैं तथा इस अधिनियम के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं इसलिए इस अधिनियम के अंतर्गत सूचना आयोग की शक्तियों का भी महत्वपूर्ण स्थान है और उनका उल्लेख किया जाना भी आवश्यक था।इस ही उद्देश्य से इस अधिनियम...
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) भाग: 7 वह विषय जिन से संबंधित सूचनाओं को नहीं दिया जाएगा (धारा-8)
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) के अंतर्गत धारा 8 कुछ ऐसे विषय को उल्लेखित करती है जिन पर मांगी गई सूचनाओं को नहीं दिया जा सकता है। ऐसे विषय देश हित में और किसी व्यक्ति के हित में होते हैं जिन से संबंधित सूचनाओं को नहीं दिया जा सकता। यदि इन विषयों से संबंधित सूचनाओं को दे दिया जाए तो समस्या खड़ी हो सकती है और देश की एकता अखंडता तथा किसी व्यक्ति के अधिकारों को क्षति हो सकती है।इस उद्देश्य से इस अधिनियम के अंतर्गत धारा 8 को गढ़ा गया है। इस आलेख के अंतर्गत इस धारा 8 की व्याख्या प्रस्तुत की...
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) भाग: 8 पर व्यक्ति को सूचना (धारा-11)
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) के अंतर्गत धारा 8 पर व्यक्ति सूचना से संबंधित है। यह धारा पर व्यक्ति द्वारा सूचना लिए जाने संबंधित प्रावधानों को व्यवस्थित करती है। इस आलेख के अंतर्गत इस धारा 8 पर व्याख्या प्रस्तुत की जा रही है।यह इस धारा का अधिनियम में दिया गया मूल स्वरूप है:-पर व्यक्ति सूचना - (1) जहाँ, यथास्थिति, किसी केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी का, इस अधिनियम के अधीन किए गए अनुरोध पर कोई ऐसी सूचना या अभिलेख या उसके किसी भाग को प्रकट करने का आशय है, जो किसी...
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) भाग: 6 सूचना के अनुरोध का निपटारा करने संबंधित प्रक्रिया (धारा-7)
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) के अंतर्गत धारा 7 सूचना के अनुरोध का निपटारा करने से संबंधित प्रक्रिया को विहित करती है। यह अधिनियम अत्यंत विस्तृत अधिनियम है और आधुनिक समय का बनाया गया अधिनियम है। इस अधिनियम के अंतर्गत वे सभी समस्याओं का निराकरण कर दिया गया है जो आम जनमानस को समय-समय पर देखनी होती है। अत्यंत गहनता से अध्ययन के बाद भारत की संसद द्वारा इस अधिनियम को अधिनियमित किया गया जिससे नागरिकों को कोई भी सूचना प्राप्त करने में किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।जैसा कि...
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) भाग: 5 सूचना प्राप्त करने हेतु अनुरोध तथा उससे संबंधित प्रक्रिया (धारा-6)
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) के अंतर्गत धारा-6 सूचना अभिप्राप्त करने हेतु अनुरोध करने तथा उससे संबंधित प्रक्रिया को व्यवस्थित करती है। यह प्रावधान एक प्रक्रिया के समान हैं जो सूचना प्राप्त करने हेतु किसी आवेदक को अनुपालन करना होती है। यह धारा इस अधिनियम की महत्वपूर्ण धाराओं में से एक है जिस प्रकार से इस अधिनियम की धारा 3 सूचना के अधिकार का उल्लेख कर रही है वहीं धारा 6 उस अधिकार को व्यवहार में लाने हेतु प्रक्रिया विहित कर रही है। कोई भी व्यक्ति सूचना प्राप्त करने हेतु अनुरोध कर सकता...
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) भाग: 4 लोक प्राधिकारियों की सूचना देने की बाध्यता (धारा-4)
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) की धारा 4 के अंतर्गत लोक प्राधिकारियों को सूचना देने हेतु बाध्य किया गया है। उन्हें इस धारा के अंतर्गत सूचना देने हेतु बाध्यता दी गई है। जैसा कि पूर्व में उल्लेख किया गया है सूचना का अधिकार भारत के समस्त नागरिकों को प्राप्त है। कोई भी नागरिक किसी भी लोक प्राधिकारी से सरकारी कामकाज से जुड़ी हुई जानकारियों को प्राप्त कर सकता है। अधिनियम की धारा महत्वपूर्ण इसलिए हो जाती है क्योंकि इस धारा के माध्यम से लोक प्राधिकारी के ऊपर बाध्यता डाल दी गई है तथा आदेशात्मक...
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) भाग: 3 सूचना का अधिकार (धारा-3)
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) के अंतर्गत धारा- 3 अत्यंत महत्वपूर्ण धारा है। यह धारा सूचना के अधिकार का उल्लेख करती है। यह वही धारा है तथा वही अधिकार है जिसके लिए भारत में वर्षों तक संघर्ष किया गया और इस अधिकार हेतु हुई इस अधिनियम को गढ़ा गया है। इस आलेख के अंतर्गत धारा 3 की व्याख्या अदालतों के न्याय निर्णय के सहित प्रस्तुत की जा रही है।यह धारा सभी भारतीय नागरिकों को लोक प्राधिकारियों से सूचना प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करती है। अधिनियम के अधीन नागरिक का तात्पर्य केवल प्राकृत से है...
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) भाग: 2 अधिनियम के अंतर्गत परिभाषाएं
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) के अंतर्गत धारा- 2 में इस अधिनियम से संबंधित महत्वपूर्ण शब्दों की परिभाषा प्रस्तुत की गई है। इन परिभाषाओं के माध्यम से इस अधिनियम के प्रावधानों को समझा जाता है और उनका ठीक निर्वचन किया जाता है।जैसा कि किसी भी अधिनियम के प्रारंभ में उसके विस्तार और उसके नाम के बाद उस अधिनियम से संबंधित विशेष शब्दों की परिभाषा ठीक अगली धारा में प्रस्तुत की जाती है इसी प्रकार इस अधिनियम में भी किया गया है।इस आलेख के अंतर्गत धारा 2 पर टीका प्रस्तुत किया जा रहा है और परिभाषा से...
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) भाग 1: जानिए अधिनियम का परिचय
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) जिसे 'आरटीआई एक्ट' के नाम से जाना जाता है। यह अधिनियम भारतीय लोकतंत्र को सशक्त करने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रखता है। समय के साथ संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों का विस्तार होता चला गया। एक समय वह भी आया जब सूचना के अधिकार को एक मौलिक अधिकार माना गया। जानने का अधिकार किसी भी व्यक्ति का मानव अधिकार है तथा भारत के संविधान में उल्लेखित किए गए मौलिक अधिकारों में एक मौलिक अधिकार भी है जिसे अनुच्छेद 19 का हिस्सा बनाया गया है।यह अधिकार केवल एक मौलिक अधिकार...
अनुसूचित जनजातियों की सूची: जानिए कौन सी जातियों को अनुसूचित जनजातियों का दर्जा प्राप्त है
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के अंतर्गत सभी महत्वपूर्ण धाराओं पर आलेख प्रस्तुत किए गए हैं। यह अधिनियम अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजातियों को संरक्षण प्रदान करता है तथा उन पर होने वाले अत्याचारों को रोकने का लक्ष्य निर्धारित करता है। यह एक निवारण विधि है।इससे ठीक पूर्व के आलेख में अनुसूचित जातियों के संबंध में उल्लेख किया गया था। इस आलेख के अंतर्गत अनुसूचित जनजातियों के संबंध में उल्लेख किया जा रहा है तथा उनसे संबंधित सूची प्रस्तुत की जा रही है। यह सूची भी...
जानिए सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 के दाण्डिक प्रावधान
अस्पृश्यता भारत की प्रमुख समस्या रही है। भारतीय समाज जातियों में बंटा हुआ समाज है। जहां अलग-अलग जातियां निवास करती हैं। सभी जातियों के क्रियाकलाप भी अलग-अलग हैं। अनेक मौकों पर उनकी संस्कृति में भी पृथकता प्रतीत होती है। जातियों में ऊंची जाति तथा नीची जाति का भेद रहा है। इस भेद के परिणाम स्वरुप ही अस्पृश्यता का जन्म हुआ। एक मनुष्य को छूने तथा उससे संबंधित वस्तुओं को छूने से धर्म के भ्रष्ट हो जाने जैसी अवधारणा भी भारत में रही है।संविधान में स्पष्ट उल्लेख कर छुआछूत को खत्म करने के लिए प्रावधान किए...















