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निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 30: लिखत के सबूतों से संबंधित प्रावधान (धारा 118)
परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) के अंतर्गत धारा 118 साक्ष्य से संबंधित है। इस धारा में कुछ उपधारणा का उल्लेख किया गया है जो प्रकरणों के निर्धारण में सहायक होते हैं। यह इस अधिनियम की महत्वपूर्ण धाराओं में से एक धारा है। प्रतिफल दिनांक इत्यादि के संबंध में यह धारा साक्ष्य का निर्धारण करती है और उससे संबंधित उपधारणा प्रस्तुत करती है। इस आलेख के अंतर्गत धारा 118 की विवेचना प्रस्तुत की जा रही है।धारा-118:-अधिनियम की धारा 188 साक्ष्य के विशेष नियमों का उपबन्ध करती है।...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 29: लिखत के अनादर की सूचना का युक्तियुक्त समय
परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) के अंतर्गत वचन पत्र और विनिमय पत्र के अनादर की सूचना से संबंधित प्रावधानों को धारा 105, 106, 107 में समाविष्ट किया गया है। सूचना का भी एक युक्तियुक्त समय होता ऐसे समय को इन धाराओं में बांधा गया है और युक्तियुक्तता की कसौटी को रचा गया है। इस आलेख के अंतर्गत इससे ही संबंधित निम्न धाराओं से संबंधित प्रावधानों पर प्रकाश डाला जा रहा है।युक्तियुक्त समय की कसौटी-धारा- 105:-अधिनियम में प्रस्तुत की गई धारा के शब्द कुछ इस प्रकार...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 28: अनादर के टिप्पण और प्रसाक्ष्य से संबंधित प्रावधान (Noting and protest) (धारा- 99, 100)
परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) के अंतर्गत धारा 99 और 100 में टिप्पन और प्रसाक्ष्य से संबंधित प्रावधान प्रस्तुत किए गए हैं। यह प्रावधान वचन पत्र और विनिमय पत्र से संबंधित हैं इनका संबंध चेक से नहीं है। यह प्रावधान एक प्रकार से सुरक्षात्मक प्रावधान है जो किसी विनिमय पत्र या वचन पत्र से संबंधित व्यवहार में इसके धारक को साक्ष्य संबंधी अधिकार देता है। न्यायालय में जाने के पूर्व वचन पत्र के लेखीवाल द्वारा भुगतान नहीं किए जाने पर जो सूचना धारक द्वारा दी जाती है उस सूचना...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 27: अनादर की सूचना से संबंधित प्रावधान
परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) के अंतर्गत अनादर की सूचना से संबंधित प्रावधान इस अधिनियम की धारा 91 से लेकर 98 तक प्रस्तुत किए गए हैं। हालांकि चेक के अनादर से संबंधित सूचना इस अधिनियम के अंत में दी गई धाराओं में प्रस्तुत की गई है जो अप्राप्त निधियों के कारण अनादर होने वाले चेक की सूचना कहलाती है। यह अधिनियम वचन पत्र, विनिमय पत्र और चेक से संबंधित नियमों को प्रस्तुत करता है इसलिए इस अधिनियम में इन तीनों के अनादर से संबंधित प्रावधानों का उल्लेख होना आवश्यक है। इस...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 26: परक्राम्य लिखत में तात्विक परिवर्तन (धारा 87)
परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) के अंतर्गत धारा 86 तात्विक परिवर्तन से संबंधित प्रावधानों पर प्रकाश डालती है तथा अपने नियमों को प्रस्तुत करती है। परक्राम्य लिखत में किसी प्रकार की कूटरचना न हो तथा कोई हेरफेर नहीं की जा सके इस उद्देश्य से परिवर्तन से संबंधित भी नियम प्रस्तुत किए गए है। कौन से परिवर्तन तात्विक परिवर्तन हो सकते हैं इसका उल्लेख इस धारा के अंतर्गत किया गया है। इस धारा का महत्व यही है कि यह धारा ऐसे परिवर्तनों का उल्लेख करती है जो किसी परक्राम्य लिखत को...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 25: लिखत के पक्षकारों का दायित्व से उन्मोचन कब होता है (धारा 82)
परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) के अंतर्गत धारा 82 पक्षकारों के दायित्व से उन्मोचन के संबंध में उल्लेख करती है जैसे कि पूर्व के आलेखों में पक्षकारों के दायित्व से संबंधित प्रावधानों का उल्लेख किया गया था। इस आलेख के अंतर्गत धारा 82 में उल्लेखित की गई उन परिस्थितियों का वर्णन किया जा रहा है जिनके अनुसार पक्षकारों के दायित्व का उन्मोचन हो जाता है।परक्राम्य लिखतों के सम्बन्ध में उन्मुक्ति निम्नलिखित दो तरह से प्रयुक्त की जाती है-1:- लिखत की स्वयं में उन्मुक्ति।2:-...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 24: संदाय(पेमेंट) किसे किया जाना चाहिए (धारा 78)
परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) के अंतर्गत धारा 78 में संदाय किसे किया जाए इससे संबंधित प्रावधानों को उल्लेखित किया गया है। जैसा कि पूर्व के आलेख में यह उल्लेख किया गया है कि परक्राम्य में लिखत अधिनियम मूल रूप से तीन प्रकार के लिखत से संबंधित है तथा उन लिखतों में संदाय किए जाने का वचन होता है न कि संदाय होता है। संदाय किसे किया जाएगा इससे संबंधित प्रावधानों का विस्तारपूर्वक उल्लेख अधिनियम की धारा 78 के अंतर्गत प्राप्त होता है। यह आलेख के अंतर्गत इसी धारा पर...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 23: उपस्थापन कब अनावश्यक होता है (धारा 76)
परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) इससे पूर्व के आलेख में उपस्थापन से संबंधित प्रावधानों पर चर्चा की गई थी। उपस्थापन कब आवश्यक नहीं होता है यह भी एक महत्वपूर्ण विषय है। पराक्रम लिखत अधिनियम की धारा 76 के अंतर्गत इस बात का उल्लेख किया गया है कि उपस्थापन कब आवश्यक नहीं होता है। इस आलेख के अंतर्गत उन सभी परिस्थितियों का उल्लेख किया जा रहा है जिन परिस्थितियों के अंतर्गत उपस्थापन आवश्यक नहीं होता है।परक्राम्य लिखत अधिनियम धारा 76 में उन परिस्थितियों को उपबन्धित किया गया है...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 22: संदाय (पेमेंट) के लिए उपस्थापन (धारा 64)
परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) के अंतर्गत उपस्थापन से संबंधित प्रावधान किए गए हैं। इससे पूर्व के आलेख में उपस्थापन शब्द का अर्थ प्रस्तुत किया गया था जो कि इस अधिनियम की धारा 61 से संबंधित है। उस आलेख के अंतर्गत यह स्पष्ट किया गया था कि उपस्थापन किन किन उद्देश्य से किए जा सकते हैं। इस आलेख के अंतर्गत इस अधिनियम की धारा 64 जो संदाय के लिए उपस्थापन से संबंधित है के प्रावधान प्रस्तुत किए जा रहे हैं।सभी लिखतों की संदाय के लिए उपस्थापन-अधिनियम की धारा 64 यह अपेक्षा करती...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 21: उपस्थापन क्या होता है (धारा 61)
परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) के अंतर्गत (धारा 61) उपस्थापन का अर्थ प्रस्तुत करती है। इस अधिनियम के अंतर्गत उपस्थापन के लिए विशेष रुप से एक अध्याय प्रस्तुत किया गया है जिसके अंतर्गत कुल 16 धाराओं में उपस्थापन से संबंधित नियमों को प्रावधानित किया गया है। अधिनियम की धारा 61 उपस्थापन का अर्थ प्रस्तुत करती है। इस आलेख के अंतर्गत उपस्थापन से संबंधित प्रथम धारा 61 पर विवेचना प्रस्तुत की जा रही है तथा इस धारा के अनुसार दिए गए प्रावधान जो उपस्थापन के अर्थ को स्पष्ट करते...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 20: संदाय या संतुष्टि तक किसी लिखत का परक्राम्य होना (धारा 60)
परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) के अंतर्गत धारा 60 किसी लिखत की परक्राम्यता निर्धारित करती है। जैसा कि इस अधिनियम से संबंधित आलेखों में पूर्व के आलेख में समझाया गया था कि परक्राम्य का अर्थ किसी लिखत के हस्तांतरण से है।अधिनियम की धारा 60 इस बात का उल्लेख करती है कि कोई भी लिखत कितना हस्तांतरित हो सकता है। वह कितना परक्रामित हो सकता है। इस धारा से संबंधित प्रावधानों पर सारगर्भित टिप्पणी इस आलेख के अंदर प्रस्तुत की जा रही है।परक्राम्य का काल :-परक्राम्य लिखत अधिनियम...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 19: अनादर के बाद प्राप्त की जाने वाली लिखत (धारा 59)
परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) के अंतर्गत धारा 59 अनादर के बाद प्राप्त की जाने वाली लिखित से संबंधित प्रावधानों को प्रस्तुत करती है। कभी-कभी लिखित अनादर के बाद प्राप्त होती है तथा इस प्रस्थिति से संबंधित नियमों की आवश्यकता इस अधिनियम में प्रतीत है। इस उद्देश्य से ही इस अधिनियम के अंतर्गत धारा 59 में अनादर के पश्चात प्राप्त होने वाली लिखत से संबंधित प्रावधानों को उल्लेखित किया गया है। इस आलेख के अंतर्गत धारा 58 की विवेचना प्रस्तुत की जा रही है।अनादूत लिखत का...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 18: विधि विरुद्ध साधनों से प्राप्त की गई लिखित ( धारा 58)
परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) के अंतर्गत विधि विरुद्ध साधनों से प्राप्त किए गए लिखित से संबंधित प्रावधानों पर भी प्रकाश डाला गया है। परक्राम्य लिखित एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हस्तांतरण हो जाता है तथा यह संभव है कि ऐसे लिखित की चोरी भी हो सकती है, इसकी कूट रचना भी की जा सकती है तथा इसे अवैध प्रतिफल के माध्यम से भी प्राप्त किया जा सकता है। इस विपदा से निपटने हेतु इस अधिनियम की धारा 58 के अंतर्गत प्रावधान किए गए हैं। इस आलेख के अंतर्गत इस धारा 58 से संबंधित...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 17: निरंक पृष्ठांकन का पूर्ण पृष्ठांकन में परिवर्तन (धारा 49)
परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) के अंतर्गत निरंक पृष्ठांकन से पूर्ण पृष्ठांकन में परिवर्तन से संबंधित प्रावधान इस अधिनियम की धारा 49 में समाहित किए गए हैं। यह इस अधिनियम की महत्वपूर्ण धाराओं में से एक धारा है। निरंक पृष्ठांकन के प्रकारों का भी उल्लेख इस धारा में मिलता है। इस आलेख के अंतर्गत इस अधिनियम की धारा 49 से संबंधित प्रावधानों पर चर्चा की जा रही है।निरंक पृष्ठांकनधारा 49 के अंतर्गत दिए गए निरंक पृष्ठांकन के प्रावधान को विधि विदानों के दिए इस उदाहरण से समझा...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 16: पृष्ठांकन द्वारा परक्रामण
परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) से संबंधित आलेखों में परक्रामण तथा परिदान द्वारा प्रक्रमण से संबंधित प्रावधानों पर चर्चा की जा चुकी है। परक्रामण से संबंधित आलेख में यह स्पष्ट किया गया था कि परक्रामण परिदान द्वारा किया जा सकता है और पृष्ठांकन द्वारा भी प्रक्रमण किया जा सकता है। इस आलेख के अंतर्गत इस अधिनियम के अत्यंत महत्वपूर्ण भाग पृष्ठांकन द्वारा प्रक्रमण से संबंधित प्रावधानों पर सारगर्भित टीका प्रस्तुत किया जा रहा है तथा साथ ही उससे संबंधित न्याय निर्णय भी...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 15 : परिदान और परिदान द्वारा परक्रमण
परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) के अंतर्गत इस आलेख पूर्व के आलेख में परक्रमण शब्द की परिभाषा को समझा था तथा उससे संबंधित प्रावधान पर प्रकाश डाला गया था कि प्रक्रमण क्या होता है। परक्रमण से संबंधित आलेख केे अंत में इस प्रावधान का उल्लेख किया गया था कि परक्रमण कुछ प्रकारों के द्वारा किया जा सकता है। इस आलेख के अंतर्गत परिदान द्वारा परक्रमण से संबंधित प्रावधानों पर संक्षिप्त टीका प्रस्तुत किया जा रहा है तथा इस सारगर्भित आलेख के अंतर्गत परिदान द्वारा प्रकरण को समझने का...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 14 : परक्रामण क्या होता है (Negotiation)
परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) के अंतर्गत अब तक पक्षकारों के दायित्व से संबंधित प्रावधानों पर चर्चा की जा चुकी है। परक्रामण इस अधिनियम का महत्वपूर्ण भाग है तथा इस अधिनियम के नाम से ही संबंधित है। परक्रामण के संबंध में इस अधिनियम के अंतर्गत पक्षकारों के दायित्व के प्रावधानों के बाद के प्रावधानों में उल्लेख किया गया है। प्रक्रमण का उल्लेख एक प्रकार से इस अधिनियम के मध्य में किया गया है। हालांकि परक्रामण की परिभाषा इस अधिनियम की धारा 14 में प्रस्तुत की गई है।...
पुनर्विलोकन (Review) से संबंधित कानून क्या है ?
पुनर्विलोकन से सम्बंधित प्रावधान सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 114 एवं आदेश 47 के अंतर्गत मौजूद है। पुनर्विलोकन यानी दुबारा अवलोकन संहिता के अंतर्गत दी गयी एक व्यवस्था है जिसके अंतर्गत परिस्थिति विशेष में अदालत द्वारा पारित निर्णय एवं इसके तथ्यों की जांच की जाती है। लैटिन सिद्धांत 'फ़ंक्टस ऑफ़िसियो' कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए किसी भी अदालत द्वारा पारित निर्णय के संबंध में लागू होता है। सिद्धांत का अर्थ है कि यदि मामले में उचित और निष्पक्ष सुनवाई और परीक्षण के बाद फैसला सुनाया गया...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 13 : बिना प्रतिफल के परक्राम्य लिखत की रचना (धारा 43)
परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) से संबंधित आलेखों में इससे पूर्व के आलेखों में पक्षकारों के दायित्व से संबंधित प्रावधानों पर प्रकाश डाला गया था, इस आलेख के अंतर्गत बगैर प्रतिफल के परक्राम्य लिखत की रचना से संबंधित प्रावधानों पर टीका किया जा रहा है। एक परक्राम्य लिखत के भुगतान के लिए यह आवश्यक नहीं है कि उसमे कोई प्रतिफल हो परन्तु यह आवश्यक है कि जब लिखत की रचना हो तब उसके पीछे न कोई प्रतिफल आवश्यक रूप से होना चाहिए। इस धारा से संबंधित कुछ उदाहरण भी प्रस्तुत किए जा...
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 12 : पक्षकारों के दायित्व- (धारा 30, 31, 32)
परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) के अंतर्गत इससे पूर्व के आलेखों में पक्षकारों के संबंध में उल्लेख किया जा चुका है। विदित रहे कि इस अधिनियम के अंतर्गत तीन प्रकार के लिखत के संबंध में उल्लेख किया गया है जो क्रमशः वचन पत्र, विनिमय पत्र और चेक है। इन लिखत के पक्षकारों कौन होते हैं इसका भी उल्लेख पूर्व के आलेखों में किया जा चुका है, पक्षकारों से संबंधित जानकारी के लिए पूर्व के आलेखों का अध्ययन किया जा सकता है। इस आलेख के अंतर्गत अधिनियम में प्रावधानित किए गए इन...





