हाईकोर्ट
'हिंदू-मुस्लिम एक-दूसरे के त्योहार मनाते हैं, पूरे देश के लिए मिसाल': कर्नाटक हाईकोर्ट ने यादगिर जिले की साम्प्रदायिक एकता की सराहना की
हाल के एक आदेश में, कर्नाटक हाईकोर्ट ने यादगीर जिले में सांप्रदायिक सद्भाव की प्रशंसा की, जहां हिंदू और मुस्लिम एक-दूसरे के त्योहार मनाते हैं।यादगीर कर्नाटक के सीमावर्ती इलाके और तत्कालीन हैदराबाद रियासत में है। कोर्ट ने कहा कि यह जिला एक दूसरे के समुदाय के त्योहारों में हिंदुओं और मुसलमानों की भागीदारी के साथ सांप्रदायिक सद्भाव मनाता है। कोर्ट ने कहा कि शरणबसवेश्वर मंदिर, खाजा बंदनवाज दरगाह जैसे संस्थान सांप्रदायिक सद्भाव के उदाहरण हैं, जिनका पालन पूरा देश कर सकता है। सांप्रदायिक सद्भाव के...
[Bengaluru Stampede] राज्य द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों को सीलबंद लिफाफे में क्यों रखा जाना चाहिए? कर्नाटक हाईईकोर्ट ने सरकार से पूछा
कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकार से पूछा कि RCB की IPC विजेता परेड के दौरान बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर हुई भगदड़ के संबंध में उसके द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों को सीलबंद लिफाफे में क्यों रखा जाना चाहिए।एडवोकेट जनरल शशि किरण शेट्टी ने अदालत को बताया कि सभी दस्तावेज एमिक्स क्यूरी को उपलब्ध करा दिए गए हैं। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि मामले की सुनवाई 10 दिन बाद की जाए, क्योंकि जांच रिपोर्ट तब उपलब्ध होगी और अदालत के समक्ष रखी जाएगी।हालांकि, अदालत ने शेट्टी से पूछा कि...
S.173 BNSS | संज्ञेय अपराध होने पर विदेश से भेजी गई शिकायत पर पुलिस FIR दर्ज करने से इनकार नहीं कर सकती: केरल हाईकोर्ट
केरल हाईकोर्ट ने माना कि अगर संज्ञेय अपराध होने पर पुलिस FIR दर्ज करने से इनकार नहीं कर सकती, भले ही शिकायत विदेश से भेजी गई हो।मामले के तथ्ययाचिकाकर्ता भारतीय नागरिक है, जो ऑस्ट्रेलिया में रहती है। 2020 में उसने अपने पति के खिलाफ शिकायत भेजी थी (अनुलग्नक A7), जिसे केरल के पुलिस महानिदेशक (DGP) को ईमेल किया गया। भले ही DGP ने शिकायत को मुत्तोम पुलिस स्टेशन को भेज दिया था, जो कि अधिकार क्षेत्र वाला पुलिस स्टेशन है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।इसके बाद स्टेशन हाउस ऑफिस (SHO) ने याचिकाकर्ता को...
जज पर ₹1 करोड़ की रिश्वत मांगने का आरोप लगाकर मामला ट्रांसफर करने की याचिका खारिज, हाईकोर्ट ने कहा- 'झूठे हैं आरोप'
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में PMLA आरोपी द्वारा दायर आपराधिक रिट याचिका खारिज की, जिसमें उसके खिलाफ मामले को स्पेशल जज, CBI (पश्चिम)/स्पेश कोर्ट PMLA की अदालत से दूसरे कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की गई थी। आरोपी ने इसके लिए कहा था कि पीठासीन जज ने उससे 1 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी है।रिश्वतखोरी के आरोपों को झूठा और काल्पनिक बताते हुए जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने कहा कि ट्रांसफर याचिका स्पष्ट रूप से अदालत के समक्ष मुकदमे से बचने की एक चाल है, जिसने याचिकाकर्ता के खिलाफ कई न्यायिक आदेश...
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सामुदायिक मध्यस्थता-खाप पंचायत को मध्यस्थता अधिनियम के तहत लागू करने पर केंद्र और राज्य सरकारों से मांगा जवाब
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को मध्यस्थता अधिनियम, 2023 के तहत सामुदायिक मध्यस्थता को लागू न करने के संबंध में स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका (PIL) पर पंजाब हरियाणा और यूटी चंडीगढ़ से जवाब मांगा।चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस सुमीत गोयल की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 5 अगस्त तक के लिए स्थगित करते हुए कहा,"मध्यस्थता अधिनियम 2023 का अध्याय 10, जो सामुदायिक मध्यस्थता से संबंधित है...अब तक प्रभाव में नहीं लाया गया। रजिस्ट्री को निर्देशित किया जाता है कि वह भारत सरकार, पंजाब, हरियाणा और...
MP हाईकोर्ट ने कहा, अवैध बर्खास्तगी के लिए बहाली स्वतः उपाय नहीं; एकमुश्त मुआवजा देने का आदेश
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जस्टिस मिलिंद रमेश फड़के की एकल पीठ ने मध्य प्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण (MPMKVV) में कार्यरत एक संविदा कर्मचारी को बहाल करने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अवैध बर्खास्तगी का स्वतः परिणाम बहाली नहीं है, खासकर यदि यह दैनिक वेतनभोगी या संविदा कर्मचारी से संबंधित हो। पृष्ठभूमिसुरेंद्र कुमार 2007 में MPMKVV में स्टेनो-टाइपिस्ट के रूप में शामिल हुए थे। हालांकि, 2009 में, मौखिक आदेश के माध्यम से उनकी सेवाएं अचानक समाप्त कर दी गईं। छह साल बाद (2015 में)...
औद्योगिक विवाद अधिनियम; धारा 33(सी)(2) केवल तभी लागू होती है जब निर्विवाद साक्ष्य के माध्यम से अधिकार स्थापित किया जाता है: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट (औरंगाबाद बेंच) की एकल पीठ ने श्रम न्यायालय के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी, जिसमें सेवानिवृत्त कर्मचारियों को ब्याज सहित ओवरटाइम वेतन देने का प्रावधान था। जस्टिस प्रफुल्ल खुबलकर ने माना कि फैक्ट्रीज एक्ट, 1948 की धारा 59 के तहत कर्मचारियों को ओवरटाइम वेतन पाने का अधिकार पहले से ही वैधानिक अधिकार है और इसे औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 33(सी)(2) के तहत लागू किया जा सकता है। पृष्ठभूमिमहाराष्ट्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (MSEDCL) के तीन पूर्व कर्मचारी...
संविदा कर्मचारी को मातृत्व लाभ से वंचित करना नारीत्व के लिए 'घृणास्पद': उड़ीसा हाईकोर्ट
उड़ीसा हाईकोर्ट ने माना कि किसी महिला कर्मचारी को केवल इस आधार पर मातृत्व अवकाश/लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता कि उसकी नियुक्ति संविदा पर है। इस बात पर जोर दिया गया कि ऐसा कोई भी इनकार मानवता और नारीत्व की मूल धारणा के लिए 'घृणास्पद' होगा। एकल पीठ के फैसले के खिलाफ रिट अपील को खारिज करते हुए जस्टिस दीक्षित कृष्ण श्रीपाद और जस्टिस मृगांका शेखर साहू की खंडपीठ ने आगे कहा - "रोजगार की प्रकृति के आधार पर मातृत्व लाभ से इनकार करना मानवता और नारीत्व की धारणा के लिए घृणित है। हमारे स्मृतिकारों ने...
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद दागी उम्मीदवारों को दोबारा आवेदन करने की अनुमति क्यों? कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा सवाल
कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल सरकार से यह सवाल किया कि जब सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से दागी उम्मीदवारों को दोबारा आवेदन करने से रोकने के आदेश दिए हैं, तब भी उन्हें राज्य द्वारा 30 मई 2025 को अधिसूचित नई भर्ती प्रक्रिया के तहत आवेदन करने की अनुमति क्यों दी जा रही है?जस्टिस सौगात भट्टाचार्य ने कहा,"सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद दागी उम्मीदवारों को अनुमति क्यों दी जा रही है? आपकी 30 मई की अधिसूचना में दागी उम्मीदवारों को आवेदन करने से रोकने के लिए कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं...
गुजरात हाईकोर्ट ने UIDAI को बांग्लादेशी नागरिक बताए जा रहे पांच आरोपियों के आधार विवरण का खुलासा करने का निर्देश दिया
गुजरात हाईकोर्ट ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) को राज्य सरकार को पांच व्यक्तियों के आधार कार्ड विवरण का खुलासा करने का निर्देश दिया, जिनके बारे में दावा किया जा रहा है कि वे बांग्लादेशी नागरिक हैं। उन पर 15,000 रुपये के बदले जाली 100 रियाल के नोटों के कथित आदान-प्रदान से संबंधित मामले में धोखाधड़ी और जालसाजी का आरोप है।अदालत ने यह आदेश राज्य सरकार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया, जिसमें अदालत को प्रतिवादी अधिकारियों को जांच एजेंसी द्वारा मांगी गई आधार कार्ड धारकों के...
'हत्या का कोई इरादा नहीं था': एमपी हाईकोर्ट ने पत्नी पर ईंट से हमला करने वाले व्यक्ति की हत्या की सजा को गैर इरादतन हत्या में बदला
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हत्या के मामले में एक व्यक्ति की सजा को इस आधार पर संशोधित किया कि दोषी का मृतक को मारने का कोई इरादा नहीं था। उस व्यक्ति पर अपनी पत्नी पर ईंट से हमला करने का आरोप था, जिसके कारण उसकी मृत्यु हो गई थी।महिला के पति (अपीलकर्ता) ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित फैसले को चुनौती दी, जिसमें उसे हत्या का दोषी ठहराया गया और 1,000 रुपये के जुर्माने के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।जस्टिस विजय कुमार शुक्ला और जस्टिस प्रेम नारायण सिंह की पीठ ने अपने आदेश...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कथित पाकिस्तान समर्थक फेसबुक पोस्ट मामले में जमानत देने से किया इनकार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फेसबुक पर पाकिस्तान समर्थक पोस्ट शेयर करने के आरोपी 62 वर्षीय व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने कहा कि उदार और सहिष्णु न्यायिक दृष्टिकोण के कारण इस तरह के राष्ट्र विरोधी कृत्य आम बात हो गई है।जस्टिस सिद्धार्थ की पीठ ने अंसार अहमद सिद्दीकी नामक व्यक्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। सिद्दीकी पर फेसबुक पर जिहाद का प्रचार करने, पाकिस्तान जिंदाबाद कहने और पाकिस्तानी भाइयों का समर्थन करने की अपील करने के आरोप में भारतीय न्याय संहिता (BNS)...
दिल्ली हाईकोर्ट ने उस आदेश पर रोक लगाई, जिसमें ट्रेडमार्क उल्लंघन पर अमेजन को 'बेवर्ली हिल्स पोलो क्लब' को 339.25 करोड़ रुपये का भुगतान करना था
दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को एकल न्यायाधीश के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें अमेजन टेक्नोलॉजीज इंक को लग्जरी लाइफस्टाइल ब्रांड बेवर्ली हिल्स पोलो क्लब के ट्रेडमार्क उल्लंघन के लिए 339.25 करोड़ रुपये का हर्जाना और लागत चुकाने को कहा गया था। जस्टिस सी हरि शंकर और जस्टिस अजय दिगपॉल की खंडपीठ ने आज अमेजन की इस फैसले पर रोक लगाने की याचिका पर यह आदेश सुनाया। सात मई को दोनों पक्षों की विस्तृत सुनवाई के बाद पीठ ने आदेश सुरक्षित रख लिया था। अमेजन की मुख्य अपील 09 अक्टूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की...
'राज्य की स्थानांतरण नीति के बावजूद राजनीतिक संपर्क रखने वाले सरकारी कर्मचारियों को कठोर/आदिवासी इलाकों की पोस्टिंग नहीं दी जा रही': हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि स्थानांतरण हिमाचल प्रदेश सरकार की स्थानांतरण नीति के अनुसार ही किए जाएं। न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि प्रत्येक सरकारी कर्मचारी को अपनी सेवा के दौरान एक बार दुर्गम क्षेत्र में तैनात किया जाना चाहिए और ऐसी पोस्टिंग राजनीतिक संबंधों से प्रभावित नहीं होनी चाहिए।जस्टिस संदीप शर्मा ने कहा, “हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा तैयार की गई स्थानांतरण नीति से स्पष्ट है कि प्रत्येक कर्मचारी को अपने जीवन के दौरान...
दिल्ली हाईकोर्ट ने नाबालिग बलात्कार पीड़िता को 27 सप्ताह का गर्भ गिराने की अनुमति दी
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक नाबालिग बलात्कार पीड़िता को लगभग 27 सप्ताह पुरानी प्रेगनेंसी को खत्म करने की अनुमति दी है और एम्स के चिकित्सा अधीक्षक को इसके लिए आवश्यक व्यवस्था करने का निर्देश दिया है। अवकाशकालीन न्यायाधीश जस्टिस मनोज जैन ने कहा कि 16 वर्षीय लड़की यौन उत्पीड़न की शिकार थी और वह गर्भावस्था जारी रखने में रूचि नहीं रखती थी।कोर्ट ने कहा,“गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए नाबालिग की शारीरिक फिटनेस पर बहस नहीं हो रही है, क्योंकि ऐसी शारीरिक फिटनेस को एम्स के मेडिकल बोर्ड द्वारा प्रमाणित भी...
प्रियदर्शिनी मट्टू मामला : दिल्ली हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा काट रहे दोषी में पाया पुनर्वास का तत्व, समयपूर्व रिहाई की याचिका पर नए सिरे से विचार का आदेश
दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली जेलों की सजा समीक्षा बोर्ड (SRB) के उस निर्णय को रद्द कर दिया, जिसमें 1996 में राष्ट्रीय राजधानी में कानून की स्टूडेंट प्रियदर्शिनी मट्टू के साथ बलात्कार और हत्या मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे दोषी संतोष कुमार सिंह की समयपूर्व रिहाई की याचिका खारिज कर दी गई थी।जस्टिस संजीव नरूला ने यह आदेश सुनाया, जिसका निर्णय 14 मई को सुरक्षित रखा गया था।कोर्ट ने कहा,“कोर्ट ने पाया कि दोषी (सिंह) में सुधार के तत्व मौजूद हैं। मैंने SRB का निर्णय रद्द कर दिया है और मामले को...
न्यायिक फैसले रेत के टीले नहीं, जिन्हें हल्के में डगमगाया जा सके : राजस्थान हाईकोर्ट ने निष्पादित निर्णयों को दोबारा खोलने पर पक्षकारों की आलोचना की
राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया कि न्यायिक निर्णयों की पहचान उनकी स्थिरता और अंतिमता है और इन्हें हल्के में अस्थिर नहीं किया जाना चाहिए।न्यायिक फैसले रेत के टीले नहीं हैं, जो हवा और मौसम की मार से बदल जाएं, जस्टिस अनुप कुमार ढांड ने यह टिप्पणी शारीरिक प्रशिक्षण अनुदेशक (Physical Training Instructor) पद पर नियुक्ति रद्द किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए की।याचिकाकर्ता ने 19 सितंबर 2022 को पात्रता परीक्षा दी थी जिसमें वह एक विषय में असफल हो गई थी और उस पेपर को पुनर्मूल्यांकन के लिए...
गुजरात हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करने और '300 साल पुरानी' दरगाह को ध्वस्त करने के लिए जूनागढ़ नगर आयुक्त को अवमानना नोटिस जारी किया
गुजरात हाईकोर्ट ने जूनागढ़ के नगर आयुक्त और वरिष्ठ नगर नियोजक को अवमानना नोटिस जारी किया है। न्यायालय ने प्रथम दृष्टया पाया कि अधिकारियों ने हजरत जोक अलीशा दरगाह को ध्वस्त करके सुप्रीम कोर्ट के आदेश और राज्य सरकार की नीति की “अवहेलना” की है। दरगाह 300 साल पुरानी बताई जाती है। जस्टिस एएस. सुपेहिया और जस्टिस आरटी वच्छानी ने कहा,“इस स्तर पर, प्रथम दृष्टया, हमारा मानना है कि प्रतिवादियों ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों और 19.04.2024 की नीति की अवहेलना की है। चूंकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किए...
संदिग्ध अवैध प्रवासियों को कथित रूप से निर्वासित करने के लिए असम सरकार की 'पुश-बैक नीति' को हाईकोर्ट में चुनौती
असम सरकार की संदिग्ध अवैध अप्रवासियों को वापस भेजने की 'पुश-बैक नीति' को चुनौती देने वाली जनहित याचिका गुवाहाटी हाईकोर्ट में छात्र संघ द्वारा दायर की गई। इस याचिका में मांग की गई कि कथित अवैध अप्रवासियों के संबंध में असम सरकार द्वारा अपनाई गई 'पुश-बैक' नीति को असंवैधानिक घोषित किया जाए, क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 22 का उल्लंघन है।27 जून को जब मामले की सुनवाई हुई तो जस्टिस मनीष चौधरी और जस्टिस मिताली ठाकुरिया की खंडपीठ को याचिकाकर्ता-ऑल बीटीसी माइनॉरिटी स्टूडेंट्स एसोसिएशन के वकील...
नियमितीकरण के लिए 'निरंतर सेवा' आवश्यक, कृत्रिम अवकाश या केवल नियोक्ता द्वारा रोका जाना ही अपवाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि नियमितीकरण के लिए पात्र होने के लिए किसी कर्मचारी को लंबे समय तक लगातार काम करना चाहिए और इस आवश्यकता का एकमात्र अपवाद 'कृत्रिम अवकाश' है या जहां नियोक्ता द्वारा कर्मचारी को काम करने से रोका जाता है। जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस प्रवीण कुमार गिरि की खंडपीठ ने कहा,“जब तक लगातार काम करने की आवश्यकता को नियमों में नहीं पढ़ा जाता है, तब तक नियमितीकरण नियम को इस आधार पर चुनौती दी जा सकती है कि यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 16 का उल्लंघन करता है। एकमात्र अपवाद...


![[Bengaluru Stampede] राज्य द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों को सीलबंद लिफाफे में क्यों रखा जाना चाहिए? कर्नाटक हाईईकोर्ट ने सरकार से पूछा [Bengaluru Stampede] राज्य द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों को सीलबंद लिफाफे में क्यों रखा जाना चाहिए? कर्नाटक हाईईकोर्ट ने सरकार से पूछा](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2025/06/10/500x300_604048-750x450603249-chinnaswamy-stadium-stampede.jpg)
















