गांव में कागज़ पर दस्तख़त करने से शादी का अंत नहीं हो सकता: दिल्ली हाईकोर्ट

Amir Ahmad

29 Aug 2025 1:35 PM IST

  • गांव में कागज़ पर दस्तख़त करने से शादी का अंत नहीं हो सकता: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ़ किया कि वैध रूप से संपन्न हिंदू विवाह को केवल गांव के लोगों या सामाजिक गवाहों के सामने विवाह विच्छेद पत्र पर हस्ताक्षर कर समाप्त नहीं किया जा सकता।

    जस्टिस सी. हरि शंकर और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने यह टिप्पणी करते हुए कहा,

    “हम ऐसे किसी क़ानून या सिद्धांत से अवगत नहीं हैं, जिसके तहत विधिवत संपन्न हिंदू विवाह को गाँव के व्यक्तियों के सामने हस्ताक्षर करके समाप्त किया जा सके।”

    मामला केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के कांस्टेबल का था, जिसे दूसरी शादी करने पर सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। उस पर आरोप था कि उसकी पहली शादी अभी भी अस्तित्व में थी।

    याचिकाकर्ता का कहना था कि उसकी पहली शादी 15 अक्टूबर, 2017 को गांव के लोगों और गवाहों के सामने विवाह विच्छेद पत्र पर हस्ताक्षर कर समाप्त हो गई। अदालत ने इस तर्क को पूरी तरह खारिज कर दिया।

    खंडपीठ ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत केवल अदालत ही विवाह विच्छेद कर सकती है।

    अदालत ने आगे कहा कि CISF नियम 2001 के नियम 18(2) में भी यह स्पष्ट है कि सेवा में रहते हुए दूसरी शादी करना नियमों का उल्लंघन है।

    न्यायालय ने एक्स. हेड कांस्टेबल बाज़ीर सिंह बनाम संघ मामले का हवाला देते हुए कहा कि उस मामले में सज़ा अनिवार्य रिटायरमेंट की थी। हालांकि, याचिकाकर्ता की सेवा अवधि योग्य रिटायरमेंट के लिए पर्याप्त नहीं है, इसलिए उसकी सज़ा कम नहीं की जा सकती।

    अंततः अदालत ने याचिका खारिज कर दी।

    केस टाइटल: अश्विनी कुमार बनाम भारत संघ एवं अन्य

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