हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

Shahadat

4 Jun 2023 4:30 AM GMT

  • हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (29 मई, 2023 से 02 जून, 2023) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

    रेप के आरोपी ने पीड़िता को मांगलिक बता शादी करने से किया इनकार, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखनऊ विश्वविद्यालय को पीड़िता की कुंडली की जांच करने को कहा

    इलाहाबाद हाईकोर्ट में रेप से जुड़ा एक मामला आया। हाईकोर्ट ने लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के हेड ऑफ डिपार्टमेंट को निर्देश दिया कि वो कथित बलात्कार पीड़िता की कुंडली की जांच करके बताएं कि वो मांगलिक है या नहीं। जांच तीन सप्ताह के भीतर पूरी कर बताने का निर्देश दिया गया है।

    जस्टिस बृज राज सिंह की बेंच आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। मामले में आरोपी ने कथित तौर पर यौन संबंध बनाने के बाद पीड़िता से इस आधार पर शादी करने से इनकार कर दिया कि लड़की की कुंडली में मंगल दोष है। यानी वो मांगलिक है।

    केस टाइटल - गोबिंद राय @ मोनू बनाम यूपी राज्य

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    कॉपीराइट एक्ट | केवल इसलिए कि सिविल केस पक्षकारों के बीच लड़ा जा रहा है, आपराधिक कार्यवाही को रोका नहीं जा सकता: कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने यह देखते हुए कि कॉपीराइट एक्ट सिविल सूट और आपराधिक मुकदमा दायर करने दोनों के लिए प्रदान करता है, कहा कि केवल इसलिए कि पक्षकारों के बीच सिविल विवाद लड़ा जा रहा है, आपराधिक कार्यवाही को रोका नहीं जा सकता।

    जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा, “कॉपीराइट का उल्लंघन कार्रवाई के कारण को जन्म देता है, जिस पर निषेधाज्ञा सूट की तरह नागरिक कार्यवाही संरचित की जा सकती है; यह आपराधिक कार्यवाही की संस्था के लिए कार्रवाई के कारण को भी जन्म दे सकता है; पूर्व में यह निवारक, उपचारात्मक, प्रतिपूरक या अन्यथा है, जबकि बाद में यह मुख्य रूप से दंडात्मक है। इन कार्यवाहियों का उद्देश्य, प्रकृति और परिणाम, इस प्रकार समान नहीं हैं। इस प्रकार संसद द्वारा वैधानिक योजना अधिनियमित की जाती है। केवल इसलिए कि पक्षों के बीच एक दीवानी विवाद लड़ा जा रहा है, उस आधार पर आपराधिक कार्यवाही को नहीं रोका जा सकता है।”

    केस टाइटल: मैसर्स मैंगलोर न्यू सुल्तान बीड़ी वर्क्स और कर्नाटक राज्य और अन्य

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    POCSO अदालतों में कमजोर गवाह बयान केंद्र के बुनियादी ढांचे के लिए राज्य को अतिरिक्त बजट जारी करने की आवश्यकता: गुवाहाटी हाईकोर्ट

    गुवाहाटी हाईकोर्ट ने कहा कि असम सरकार को राज्य भर में POCSO न्यायालयों के लिए आवश्यक कमजोर गवाह बयान केंद्र (VWDC) के निर्माण के लिए अतिरिक्त बजट जारी करना चाहिए।

    संपूर्ण बेहुरा बनाम भारत संघ व अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट निर्देशों के कार्यान्वयन के लिए बचपन बचाओ आंदोलन और संपूर्ण बेहुरा द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस मिताली ठाकुरिया की खंडपीठ ने कहा, "हमें लगता है कि चूंकि VWDC सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत बनाई जा रही एक नई सुविधा है और POCSO अधिनियम के शासनादेश के लिए, राज्य सरकार को इस बुनियादी ढांचे के लिए अतिरिक्त बजट जारी करने की आवश्यकता है।"

    केस टाइटल: बचपन बचाओ आंदोलन और संपूर्ण बेहुरा बनाम असम राज्य और 4 अन्य।

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    ज्ञानवापी मामला | 'सिर्फ हिंदू देवी-देवताओं की पूजा का अधिकार मांगने से मस्जिद का चरित्र मंदिर में नहीं बदल जाता': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मस्जिद कमेटी की याचिका खारिज की

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 5 हिंदू महिला उपासकों के मुकदमे पर अपनी आपत्ति को खारिज करने वाले वाराणसी कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली ज्ञानवापी मस्जिद समिति द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए कहा कि केवल मां श्रीनगर गौरी, भगवान गणेश, भगवान हनुमान और अन्य देवताओं (मस्जिद परिसर के अंदर स्थित) की पूजा करने के अधिकार को लागू करने के लिए कह रहे हैं। यह ऐसा कार्य नहीं है, जो ज्ञानवापी मस्जिद के चरित्र को मंदिर में बदल देता है।

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    हिरासत में लिए गए व्यक्ति की अंतिम प्रतिकूल गतिविधि के बाद डिटेंशन ऑर्डर जारी करने में अस्पष्ट देरी रद्द करने का आधार: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि केरल विरोधी सामाजिक गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम, 2007 के अनुसार हिरासत में लिए गए व्यक्ति की अंतिम प्रतिकूल गतिविधि के बाद हिरासत आदेश जारी करने में अस्पष्ट देरी के आधार पर किसी व्यक्ति के खिलाफ जारी हिरासत आदेश को रद्द किया जा सकता है।

    जस्टिस पीबी सुरेशकुमार और जस्टिस सीएस सुधा की खंडपीठ ने कहा, "यह सामान्य बात है कि पूर्वाग्रहपूर्ण गतिविधि और हिरासत के आदेश के बीच एक सजीव जोड़ होना चाहिए और यदि उक्त जोड़ को तोड़ दिया जाता है, तो हिरासत का आदेश खराब हो जाता है। दूसरे शब्दों में, अंतिम प्रतिकूल गतिविधि के बाद हिरासत के आदेश जारी करने में अस्पष्ट देरी निश्चित रूप से निरोध के आदेश को खराब कर देगा, देरी प्रतिकूल गतिविधि और निरोध आदेश के बीच सजीव जोड़ को तोड़ देगा"।

    केस टाइटल: रसिया पीएम बनाम केरल राज्य और अन्य।

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    अदालतों को शादी के वादे के बारे में जमानत के चरण में निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए, इस तरह के निष्कर्ष के लिए मुकदमे में साक्ष्य के मूल्यांकन का इंतजार करना चाहिए: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि अदालतों के लिए यह न तो उचित है और न ही व्यवहार्य है कि वह किसी अभियुक्त की जमानत के चरण में किसी निष्कर्ष कि पीड़िता से शादी का वादा झूठा था या बदनीयती से किया गया था, पर पहुंचे। जस्टिस अनूप जयराम भंभानी ने कहा कि इस तरह के निष्कर्ष या निर्णय पर पहुंचने से पहले मुकदमे में पार्टियों की ओर से दिए गए "सबूतों के गहन मूल्यांकन " का इंतजार करना चाहिए।

    टाइटल: आरआर बनाम दिल्ली एनसीटी राज्य सरकार

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    धारा 446 सीआरपीसी | बांड के उल्लंघन के रूप में अदालत की संतुष्टि दर्ज करने से पहले अभियुक्त को अवसर दिया जाना चाहिए: जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट

    जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने धारा 446 सीआरपीसी के तहत बांड के उल्लंघन के मामलों में निष्पक्षता और उचित प्रक्रिया सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, कहा है कि यह अनिवार्य है कि अदालत आरोपी को किसी भी कथित उल्लंघनों की व्याख्या करने के लिए अवसर प्रदान करते हुए पहले नोटिस जारी करे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर अदालत अभियुक्त द्वारा प्रदान किए गए स्पष्टीकरण से असंतुष्ट रहती है, तभी वह इस तरह के उल्लंघन की संतुष्टि दर्ज करने के लिए आगे बढ़ सकती है।

    केस टाइटल: माखन लाल बनाम यूटी ऑफ जेएंडके

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    धारा 446 सीआरपीसी | बांड के उल्लंघन के रूप में अदालत की संतुष्टि दर्ज करने से पहले अभियुक्त को अवसर दिया जाना चाहिए: जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट

    जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने धारा 446 सीआरपीसी के तहत बांड के उल्लंघन के मामलों में निष्पक्षता और उचित प्रक्रिया सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, कहा है कि यह अनिवार्य है कि अदालत आरोपी को किसी भी कथित उल्लंघनों की व्याख्या करने के लिए अवसर प्रदान करते हुए पहले नोटिस जारी करे।

    कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर अदालत अभियुक्त द्वारा प्रदान किए गए स्पष्टीकरण से असंतुष्ट रहती है, तभी वह इस तरह के उल्लंघन की संतुष्टि दर्ज करने के लिए आगे बढ़ सकती है।

    केस टाइटल: माखन लाल बनाम यूटी ऑफ जेएंडके

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    किसी निर्दोष व्यक्ति को फंसाने के लिए महिला द्वारा यौन उत्पीड़न की झूठी कहानी पेश करना असामान्य: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 17 वर्षीय लड़की से बलात्कार के आरोपी व्यक्ति को जमानत देने से इनकार करते हुए मंगलवार को कहा कि किसी बेगुनाह व्यक्ति पर झूठा आरोप लगाने के लिए किसी महिला का यौन उत्पीड़न की शिकार होने की झूठी कहानी पेश करना असामान्य होगा।

    जस्टिस संजय कुमार सिंह की पीठ ने कहा कि हमारे देश में यौन उत्पीड़न की शिकार महिला किसी पर झूठा आरोप लगाने के बजाय चुपचाप सहती रहेगी, इसलिए जब तक वह वास्तव में यौन अपराध का शिकार नहीं होती, तब तक वह असली अपराधी के अलावा किसी और को दोष नहीं देगी।

    केस टाइटल- आशाराम बनाम यूपी राज्य और 3 अन्य 2023 LiveLaw (AB) 173 [CRIMINAL MISC. जमानत आवेदन नंबर- 57301/2022]

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    आर्बिट्रेटर द्वारा साझेदारी के किसी विवाद को सुलझाने की शक्ति पार्टनरशिप डीड के क्लाज में प्रवाह के रूप में होती है : कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पार्टनरशिप डीड में जो आर्बिट्रेटर की नियुक्ति का प्रावधान करता है, विवाद को हल करने के लिए आर्बिट्रेटर की शक्ति पार्टनरशिप डीड की धाराओं से प्रवाहित होती है।

    जस्टिस एस जी पंडित की एकल न्यायाधीश पीठ ने जमीला द्वारा दायर वह याचिका खारिज कर दी, जिसने मृतक साथी हाजी इब्राहिम की दूसरी पत्नी होने का दावा किया और फर्म के विघटन की मांग की और उस फर्म की संपत्ति में हिस्सा मांगा, जिसमें मृतक भागीदार था। उन्होंने इस संबंध में एकमात्र आर्बिट्रेटर की नियुक्ति की मांग की।

    केस टाइटल: जमीला और सुलिया अफसा और अन्य

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    यदि बीमा कंपनी देयता से मुक्त होती है तो दुर्घटना पीड़ित के परिजन अपील दायर कर सकते हैं: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीमा कंपनी को निर्देश दिया कि चालक का लाइसेंस समाप्त होने के बावजूद वाहन दुर्घटना में उसकी मृत्यु के लिए चालक के परिजनों को इस आधार पर मुआवजा दिया जाए कि एक्सपायर्ड लाइसेंस उसे "अकुशल चालक" नहीं बना देगा।

    जस्टिस शिवकुमार डिगे ने मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल का वह आदेश रद्द कर दिया, जिसमें एक्सपायर्ड ड्राइविंग लाइसेंस के कारण बीमा कंपनी को किसी भी देनदारी से मुक्त किया गया था। अदालत ने आगे ऐसे मामले में अपील करने के मूल दावेदार के अधिकार को बरकरार रखा।

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    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने राजस्व न्यायालयों द्वारा व्हाट्सएप, अन्य मैसेजिंग ऐप के माध्यम से सम्म‍न की तामील के लिए दिशानिर्देश जारी किए

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में राजस्व न्यायालयों के समक्ष कार्यवाही के निपटारे में देरी से बचने के लिए सम्मन, नोटिस और याचिकाओं को तेजी से और आसान तरीके से तामील करने के लिए कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

    जस्टिस अरविंद स‌िंह सांगवान ने निर्देश दिया कि नोटिस, सम्‍मन और दलीलों के आदान-प्रदान की सेवाएं ई-मेल, फैक्स और मैसेजिंग ऐप जैसे व्हाट्सएप, टेलीग्राम, सिग्नल आदि द्वारा की जा सकती हैं। अदालत ने कहा है कि सभी राजस्व न्यायालय पक्षों और उनकी ओर से पेश वकीलों को अपना ई-मेल एड्रेस, फोन नंबर व्हाट्सएप आदि प्रदान करने का निर्देश देंगे।

    केस टाइटल: अमर सिंह बनाम संजीव कुमार COCP-959/2023 (O&M)

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    ट्रायल कोर्ट विदेशी नागरिकों को जमानत देते समय डिटेंशन सेंटर में भेजने का निर्देश नहीं दे सकते: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में कहा कि निचली अदालतें विदेशी नागरिकों को यहां दर्ज मामलों में जमानत देते समय उन्हें हिरासत में भेजने का निर्देश नहीं दे सकती हैं।

    जस्टिस अनीश दयाल ने कहा, “किसी भी स्थिति में जो स्पष्ट किया जाना चाहिए वह यह है कि एक अदालत या मजिस्ट्रेट या एक सत्र न्यायालय विदेशी नागरिक को जमानत देने के हिस्से के रूप में उक्त व्यक्ति को डिटेंशन सेंटर में भेजने का निर्देश नहीं दे सकता है। जमानत देते समय अदालत इस तरह का निर्देश पारित करने में सक्षम नहीं है, जैसा कि विभिन्न निर्णयों में निर्णायक रूप से आयोजित किया गया है।"

    टाइटल: एमेचेरे मदुबुचक्वु बनाम राज्य राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और अन्य।

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    महिला के शव पर बलात्कार धारा 376 आईपीसी को आकर्षित नहीं करेगा: कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने माना है कि महिला के शव पर यौन हमला भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत दंडनीय बलात्कार का अपराध नहीं होगा। कोर्ट ने एक 21 वर्षीय लड़की की हत्या के बाद उसके शव पर यौन हमला करने के लिए बलात्कार के आरोप से एक व्यक्ति को बरी कर दिया।

    जस्टिस बी वीरप्पा और जस्टिस वेंकटेश नाइक टी की खंडपीठ ने दोषी रंगराजू उर्फ वाजपेयी द्वारा दायर अपील को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया, जिससे संहिता की धारा 376 के तहत सजा को रद्द कर दिया गया। हालांकि अदालत ने हत्या के लिए उसकी सजा को बरकरार रखा और ट्रायल कोर्ट द्वारा लगाए गए आजीवन कारावास की सजा की पुष्टि की।

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    भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) और अनुच्छेद 21 के आधार पर नाम रखने या बदलने का मौलिक अधिकार प्रत्येक नागरिक में निहित है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) और अनुच्छेद 21 के आधार पर नाम रखने या बदलने का मौलिक अधिकार प्रत्येक नागरिक में निहित है। कोर्ट ने ये भी कहा कि मानव जीवन और एक व्यक्ति के नाम की अंतरंगता निर्विवाद है। जस्टिस अजय भनोट की पीठ ने समीर राव की रिट याचिका स्वीकार की।

    याचिका में हाई स्कूल और इंटरमीडिएट शिक्षा के यूपी बोर्ड की उस कार्रवाई को चुनौती दी गई थी जिसमें हाई स्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा प्रमाण पत्र में अपना नाम बदलने की प्रार्थना करने वाले याचिकाकर्ता के आवेदन को खारिज कर दिया गया था।

    केस टाइटल - मोहम्मद समीर राव बनाम यूपी राज्य और 2 अन्य [WRIT - C No. - 3671 of 2022]

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    रिज्वाइंडर में दी गई अतिरिक्त प्रार्थनाएं वाद का हिस्सा नहीं हो सकती और न ही इसके आधार पर कोई साक्ष्य जोड़ा जा सकता है: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में माना कि प्रत्युत्तर में दी गई अतिरिक्त दलीलें वाद का हिस्सा नहीं बन सकती हैं। सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के तहत एक पक्ष केवल आदेश VI नियम 17 के तहत एक संशोधन के माध्यम से वादी में अतिरिक्त दलीलें शामिल कर सकता है।

    जस्टिस मैरी जोसेफ की एकल पीठ ने कहा, "...यह स्पष्ट है कि जो पक्षकार शिकायत दायर करके राहत प्राप्त करना चाहता है, उसके द्वारा बाद के समय में रिजॉइंडर के रूप में वाद के हिस्से के रूप में उठाए गए दलीलों पर विचार करने का हकदार नहीं है। संहिता इस तरह के आश्रय के लिए प्रदान नहीं करती है। सुप्रा को संदर्भित आदेश VI और VII से यह स्पष्ट है कि मुकदमे में राहत की मांग करने वाले पक्ष को वाद में सभी प्रासंगिक और भौतिक दलीलों को शामिल करना चाहिए। यदि निरीक्षण के कारण कोई पक्ष वाद में किसी भी प्रासंगिक या भौतिक अभिवचन को शामिल करने में विफल रहता है तो वह इसे आदेश VI नियम 17 के तहत आवेदन दाखिल करके शामिल कर सकता है।

    केस टाइटल: पी नानिकुट्टी बनाम के यू कल्पकादेवी

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    पुलिस आरोपी के खिलाफ और नई धाराएं नहीं जोड़ सकती और नए रिमांड पेपर के बिना केवल अदालत को पत्र लिखकर हिरासत की अवधि बढ़ाने की मांग नहीं कर सकती : बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि पुलिस रिमांड के कागजात जमा किए बिना और आरोपी के संज्ञान में नई धाराओं को लाए बिना केवल न्यायाधीश को पत्र द्वारा अतिरिक्त धाराएं जोड़ने और न्यायिक हिरासत के विस्तार की मांग नहीं कर सकती है।

    औरंगाबाद खंडपीठ के जस्टिस एसजी मेहारे ने कहा कि आरोपी को उसके खिलाफ लगाए गए अतिरिक्त आरोपों का विरोध करने का अवसर दिया जाना चाहिए। इसने क्रिप्टो करंसी धोखाधड़ी के आरोपी चार व्यक्तियों को डिफ़ॉल्ट जमानत दे दी।

    केस टाइटल- इरफान मोइउद्दीन सैय्यद व अन्य बनाम महाराष्ट्र राज्य

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    क्षेत्राधिकार रखने वाले मजिस्ट्रेट आरोपी के आत्मसमर्पण करने की अनुमति से इनकार नहीं कर सकते : केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 436 और 437 के तहत मजिस्ट्रेट अपराध के आरोपी व्यक्ति को अपने अधिकार क्षेत्र में आत्मसमर्पण करने की अनुमति देने से इनकार नहीं कर सकते।

    जस्टिस के बाबू की एकल पीठ ने कहा, "जब संहिता किसी अपराध के अभियुक्त को विषय वस्तु पर अधिकार क्षेत्र वाले न्यायालय के समक्ष आत्मसमर्पण करने की अनुमति देती है तो वह अनुमति से इनकार नहीं कर सकता है। जब कोई अभियुक्त न्यायालय के समक्ष पेश होता है और समर्पण के लिए आवेदन करता है तो उसकी प्रार्थना स्वीकार की जाएगी।"

    केस टाइटल: जोसेफ थॉमस बनाम केरल राज्य

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    कम CIBIL स्कोर के आधार पर स्टूडेंट को एजुकेशन लोन देने से इनकार नहीं किया जा सकता: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने कहा कि कम CIBIL (क्रेडिट इंफॉर्मेशन ब्यूरो (इंडिया) लिमिटेड) स्कोर के आधार पर एक स्टूडेंट को एजुकेशन लोन देने से इनकार नहीं किया जा सकता है। जस्टिस पी.वी. कुन्हीकृष्णन ने बैंकों को एजुकेशन लोन के लिए किए गए आवेदनों पर विचार करते समय 'मानवीय दृष्टिकोण' अपनाने को कहा।

    कोर्ट ने कहा, "छात्र कल के राष्ट्र निर्माता हैं। उन्हें भविष्य में इस देश का नेतृत्व करना है। केवल इसलिए जिस स्टूडेंट ने एजुकेशन लोन के लिए आवेदन किया है, उसका सिबिल स्कोर कम, इस आधार पर बैंक को एजुकेशन लोन के लिए किए गए आवेदन को खारिज नहीं करना चाहिए।“

    केस टाइटल: नोएल पॉल फ्रेडी बनाम स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और अन्य।

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    ट्रायल कोर्ट आरोप तय करने के चरण में "मिनी ट्रायल" आयोजित करके अभियुक्त को डिस्चार्ज नहीं कर सकता: जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट

    जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने दोहराया कि अभियुक्त के खिलाफ आरोप तय करने के स्तर पर अदालत न तो रिकॉर्ड पर लाई गई सामग्री की विस्तार से जांच कर सकती है और न ही अभियुक्त के खिलाफ अपराध को स्थापित करने के लिए सामग्री की पर्याप्तता की जांच कर सकती है।

    जस्टिस राजेश ओसवाल विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार-विरोधी) के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें प्रतिवादी को उसके खिलाफ जम्मू-कश्मीर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, संवत, 2006 की धारा 5 (1) (डी) और धारा 5(2) सपठित आरपीसी की धारा 120-बी, 161 के तहत लगाए गए आरोपों के संबंध में आरोपमुक्त कर दिया गया था।

    केस टाइटल: केंद्रीय जांच ब्यूरो, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो बनाम हाजरा खान

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    महिलाओं को शिक्षा के अधिकार और प्रजनन स्वायत्तता के बीच चयन करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने मातृत्व अवकाश से वंचित होने के बाद मास्टर ऑफ एजुकेशन (एमईडी) पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए अटेंडेंस में छूट की मांग करने वाली एक महिला उम्मीदवार को राहत दी है। और कहा कि महिलाओं को शिक्षा के अधिकार और प्रजनन स्वायत्तता के अधिकार के बीच चयन करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।

    जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने कहा, "संविधान ने एक समतावादी समाज की परिकल्पना की है जहां नागरिक अपने अधिकारों का प्रयोग कर सकते हैं, और समाज के साथ-साथ राज्य भी अपने अधिकारों की अभिव्यक्ति की अनुमति देगा। तब संवैधानिक योजना में कोई समझौता नहीं मांगा गया था। नागरिकों को शिक्षा के अपने अधिकार और प्रजनन स्वायत्तता के अधिकार के बीच चयन करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।”

    केस टाइटल: रेणुका बनाम विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और अन्य।

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    मोटर एक्सीडेंट ट्रिब्यूनल के पास कोर्ट के सामान सभी शक्तियां हैं, हालांकि सीपीसी और साक्ष्य अधिनियम की कठोर प्रक्रियाओं से बंधे नहीं हैं: जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय

    जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने दोहराया कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत गठित ट्रिब्यूनल गवाहों को बुलाने और उनकी जांच करने, उनसे क्रॉस एक्जामिनेशन करने और दस्तावेजों के प्रकटीकरण का आदेश देने की क्षमता के साथ अदालत की तरह सभी शक्तियां रखता है। हालांकि, यह सिविल प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य अधिनियम में उल्लिखित कठोर प्रक्रियाओं से बाध्य नहीं है।

    जस्टिस जावेद इकबाल वानी ने मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल द्वारा बीमा कंपनी द्वारा उल्लिखित कुछ गवाहों को सम्मन किए बिना दावा याचिका की अनुमति देने के फैसले के खिलाफ निर्देशित अपील पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणियां कीं।

    केस टाइटल: यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम अशोक कुमारी और अन्य।

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    विलंबित भुगतान पर ब्याज के भुगतान पर रोक लगाने वाला क्लॉज आर्बिट्रेटर को एक्ट की धारा 31(7) के तहत ब्याज देने की मंजूरी पर रोक नहीं लगाता: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि अनुबंध में जो क्लॉज विलंबित भुगतानों पर ब्याज के भुगतान पर रोक लगाता है, आर्बिट्रेटर को मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 (ए&सी एक्ट) की धारा 31(7) के तहत ब्याज देने से प्रतिबंधित नहीं करता।

    जस्टिस मनोज कुमार ओहरी की पीठ ने कहा कि उक्त शर्त केवल अनुबंधित पक्ष पर विलंबित भुगतान पर ब्याज का दावा करने के लिए प्रतिबंध लगाती है। चूंकि ब्याज प्रकृति में प्रतिपूरक है, इसलिए अनुबंध में इस तरह के क्लॉज द्वारा आर्बिट्रेटर की शक्तियों को कम नहीं किया जाता।

    केस टाइटल: मेसर्स महेश कंस्ट्रक्शन बनाम दिल्ली नगर निगम और अन्य।

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    बच्चों के खिलाफ यौन हमले बढ़ रहे हैं, सभी मामलों की रिपोर्ट नहीं की जा सकती; अपराधियों को सख्त सजा दी जानी चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में देखा कि बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन अपराधों में खतरनाक और चौंकाने वाली वृद्धि हुई है। जस्टिस संजय कुमार सिंह की पीठ ने यह देखते हुए कि सभी यौन हमले रिपोर्ट नहीं किए जा रहे हैं, इस प्रकार कहा, "...यह इस कारण से है कि बच्चे बलात्कार के कृत्य से अनभिज्ञ हैं और प्रतिरोध करने में सक्षम नहीं हैं। इसलिए वे 'लालची जानवरों' के लिए आसान शिकार बन जाते हैं, जो लड़कियों और बच्चियों को लुभाने की बेईमान, धोखेबाज और कपटी कला का प्रदर्शन करते हैं।"

    केस टाइटल- राजेश बनाम यूपी राज्य और 3 अन्य [आपराधिक विविध जमानत आवेदन नंबर- 10336/2022]

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    बीमा पॉलिसी को आर्बिट्रेशन के लिए तभी भेजा जा सकता है, जब क्लेम का एक सिरा विवादित हो, न कि संपूर्ण देयता : दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने माना कि आमतौर पर जब बीमा पॉलिसी के दावों के तहत मुआवजे की मात्रा बीमाकर्ता विवादों की देनदारी तक सीमित हो तो विवाद को आर्बिट्रेशन के लिए नहीं भेजा जाएगा।

    जस्टिस प्रतीक जालान की पीठ ने ऐसी स्थिति के बीच अंतर किया, जिसमें बीमाकर्ता ने पूरी देनदारी से इनकार किया और जहां पूरी देनदारी विवादित नहीं है, लेकिन केवल टाइटल के तहत दावा विवादित है, क्योंकि यह संदर्भ के दायरे से बाहर है।

    केस टाइटल: शिवालय कंस्ट्रक्शन कंपनी प्राइवेट लिमिटेड बनाम नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, एआरबी 542/2023

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    आत्मनिर्णय, गरिमा और स्वतंत्रता के सबसे बुनियादी पहलुओं में से एक जेंडर चुनने का मानव का अधिकार: राजस्थान हाईकोर्ट

    राजस्थान हाईकोर्ट ने शारीरिक प्रशिक्षण प्रशिक्षक को सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी के बाद सेवा रिकॉर्ड में अपना नाम और जेंडर बदलने की अनुमति देते हुए कहा कि मनुष्य का अपना जेंडर पहचान चुनने का अधिकार उसके व्यक्तित्व का अभिन्न अंग है और आत्मनिर्णय, गरिमा और स्वतंत्रता के सबसे बुनियादी पहलुओं में से एक है।

    जस्टिस अनूप कुमार ढांड ने कहा कि यौन अभिविन्यास या लैंगिक पहचान के आधार पर भेदभाव के बिना हर कोई सभी मानवाधिकारों का आनंद लेने का हकदार है, जो जीवित रहने के लिए बुनियादी आवश्यकता है।

    केस टाइटल: चिंदर पाल सिंह बनाम मुख्य सचिव एस.बी. सिविल रिट याचिका नंबप 14044/2021

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