हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

Shahadat

7 May 2023 4:30 AM GMT

  • हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (01 मई, 2023 से 05 मई, 2023) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

    आर्बिट्रेटर की नियुक्ति और अयोग्यता के प्रावधान अनिवार्य, सेवानिवृत्त न्यायाधीशों पर भी लागू होंगे: मद्रास हाईकोर्ट

    मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में माना कि मध्यस्थता और सुलह अधिनियम (ए एंड सी एक्ट) की सातवीं अनुसूची के तहत आर्बिट्रेटर के रूप में नियुक्ति के लिए अयोग्यता के प्रावधान सेवानिवृत्त न्यायाधीश सहित किसी भी व्यक्ति पर लागू होंगे। अदालत ने कहा कि अपात्रता और अयोग्यता के संबंध में प्रावधान अनिवार्य और गैर-अपमानजनक हैं। जस्टिस कृष्णन रामासामी ने आर्बिट्रेटर निर्णय रद्द कर दिया, जिसे विवाद के लिए पक्ष द्वारा एकतरफा रूप से नियुक्त एकमात्र आर्बिट्रेटर द्वारा पारित किया गया।

    केस टाइटल: एम/एस. प्राइम स्टोर और अन्य बनाम सुगम वाणिज्य होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड और अन्य

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    भगोड़ा अपराधी' को अग्रिम जमानत आवेदन दाखिल करने से नहीं रोका जा सकता : इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि एक भगोड़ा अपराधी (Proclaimed Offender) को सीआरपीसी की धारा 438 के तहत अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल करने से नहीं रोका जा सकता। जस्टिस कृष्ण पहल की पीठ ने आगे कहा कि न तो सीआरपीसी की धारा 82 (फरार व्यक्ति के लिए उद्घोषणा) और न ही धारा 438 सीआरपीसी भगोड़ा अपराधी द्वारा अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल करने पर कोई प्रतिबंध लगाती।

    केस टाइटल - उदित आर्य बनाम यूपी राज्य [2023 का CRIMINAL MISC ANTICIPATORY BAIL APPLICATION U/S 438 CR.PC No. - 4560]

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    जमानत याचिकाओं पर दो सप्ताह में फैसला करें, सुप्रीम कोर्ट के 'सतेंदर कुमार अंतिल' फैसले का सख्ती से पालन सुनिश्चित करें: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला एवं सत्र न्यायाधीशों से कहा

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते उत्तर प्रदेश के सभी जिला और सत्र न्यायाधीशों को सतेंद्र कुमार अंतिल बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो और अन्य 2022 LiveLaw (SC)577 मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में जमानत याचिकाओं के निपटान के संबंध में प्रशासनिक पक्ष पर विभिन्न निर्देश जारी किए। हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा लिखे गए एक पत्र में उत्तर प्रदेश में जिला और सत्र न्यायाधीशों को निर्देश दिया गया है कि वे दो सप्ताह के भीतर जमानत आवेदनों का निस्तारण करें और सतेंद्र कुमार अंतिल (सुप्रा) में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सख्ती से पालन करें ।

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    संयुक्त उद्यम द्वारा निष्पादित मध्यस्थता समझौते को इसके घटकों द्वारा लागू नहीं किया जा सकता: पटना हाईकोर्ट

    पटना हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा ‌है कि एक संयुक्त उद्यम द्वारा निष्पादित एक मध्यस्थता समझौते को उक्त संयुक्त उद्यम के घटकों द्वारा लागू नहीं किया जा सकता है, क्योंकि उन्हें मध्यस्थता समझौते के पक्ष के रूप में नहीं माना जा सकता है।

    मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 (A&C अधिनियम) की धारा 11 के तहत मध्यस्थ की नियुक्ति की मांग करने वाली एक याचिका पर विचार करते हुए, चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि केवल संयुक्त उद्यम, एक अलग कानूनी इकाई और एक पक्ष होने के नाते मध्यस्थता समझौता, मध्यस्थता को आमंत्रित कर सकता है न कि याचिकाकर्ता को, जो उक्त संयुक्त उद्यम के घटकों में से केवल एक था।

    केस टाइटल: मैसर्स आरईडब्ल्यू कॉन्ट्रैक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड बनाम बिहार स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड और अन्य।

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    सीआरपीसी की धारा 320(9) की रोक हो तो भी एनआई एक्ट की धारा 138 के तहत अपराधों को किसी भी स्तर पर कंपाउंड किया जा सकता है: सिक्किम हाईकोर्ट

    सिक्किम हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 320 (9) के प्रावधानों के बावजूद, निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के तहत अपराधों को किसी भी स्तर पर कंपाउंड किया जा सकता है। धारा 320(9) सीआरपीसी में प्रावधान है कि धारा में दिए गए प्रावधान के अलावा किसी भी अपराध को कंपाउंड नहीं किया जाएगा। दूसरे शब्दों में, यह कंपाउंडिंग अपराधों की शक्ति को उन अपराधों तक सीमित करता है जो सीआरपीसी की धारा 320 के तहत सूचीबद्ध हैं और अन्यथा कंपाउंड नहीं किया जा सकता है।

    केस टाइटल: अल्पेश नरेंद्र शाह और अन्य बनाम मनोज अग्रवाल

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    केरल हाईकोर्ट ने "द केरल स्टोरी" पर रोक लगाने से इनकार किया; निर्माता विवादित टीज़र, जिसमें 32,000 महिलाओं के धर्मांतरण का दावा किया गया है, हटाने पर सहमत

    केरल हाईकोर्ट ने विवादित फिल्म 'द केरल स्टोरी' की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। हालांकि, जस्टिस एन नागेश और जस्टिस सोफी थॉमस की खंडपीठ ने निर्माता की दलील दर्ज किया है ‌कि फिल्म का टीज़र, जिसमें दावा किया गया था कि केरल की 32,000 से अधिक महिलाओं को आईएसआईएस में भर्ती किया गया था, को सोशल मीडिया से हटा दिया जाएगा। फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कोर्ट ने कहा कि फिल्म केवल कहती है कि यह 'सच्ची घटनाओं से प्रेरित' है।

    केस टाइटल: एडवोकेट अनूप वीआर वी केरल राज्य और अन्य संबंधित मामले

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    आदेश XIV नियम 5 सीपीसी- ‘कोर्ट दलीलों से परे मुद्दों को फ्रेम नहीं कर सकता’: जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट

    जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में स्पष्ट किया कि नागरिक प्रक्रिया संहिता के आदेश XIV नियम 5 के तहत अदालतों को दी गई शक्ति का दायरा संशोधित करने, जोड़ने, हटाने या मुद्दों को समाप्त करने के लिए पूर्ण नहीं है और आदेश XIV का नियम 3 के प्रावधानों के अधीन है जो मुद्दों के निर्धारण को सामग्री तक सीमित करता है जिसमें याचिकाओं में लगाए गए आरोप, पूछताछ के उत्तर, प्रस्तुत दस्तावेज, या शपथ पर किए गए बयान शामिल हैं।

    केस टाइटल: फारूक अहमद मीर बनाम निसार अहमद वानी और अन्य

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    'हत्या का आरोपी-बीजेपी अध्यक्ष' वाला बयान - झारखंड हाईकोर्ट ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि के मामले में शिकायतकर्ता को काउंटर दायर करने का आखिरी मौका दिया

    झारखंड हाईकोर्ट ने कांग्रेस नेता और अयोग्य सांसद राहुल गांधी के खिलाफ भाजपा और उसके तत्कालीन अध्यक्ष नेता अमित शाह की कथित रूप से बदनामी करने के लिए दायर मानहानि के मामले में शिकायतकर्ता को मामले में अपना जवाबी हलफनामा दायर करने का आखिरी मौका दिया।

    गांधी के खिलाफ भाजपा नेता नवीन झा द्वारा दायर मामला गांधी द्वारा 2018 में दिए गए एक बयान से संबंधित है जिसमें उन्होंने कथित तौर पर (तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का जिक्र करते हुए) कहा था कि लोग हत्या के आरोपी व्यक्ति को भाजपा के अध्यक्ष के रूप में स्वीकार करेंगे, लेकिन वे कांग्रेस पार्टी में कभी भी इसे स्वीकार नहीं करेंगे, क्योंकि वे कांग्रेस को सर्वोच्च सम्मान देते हैं।

    केस टाइटल राहुल गांधी बनाम झारखंड राज्य और अन्य।

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    गुड़गांव स्कूल मर्डर: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने किशोर पर वयस्क के रूप में मुकदमा चलाने के फैसले को बरकरार रखा

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने 2017 में गुड़गांव के स्कूल के स्टूडेंट की हत्या के मामले में कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चे पर वयस्क के रूप में मुकदमा चलाने के गुरुग्राम के प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट, किशोर न्याय बोर्ड के फैसले को बरकरार रखा। जस्टिस अनूप चितकारा ने कहा कि यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप है और किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधानों के आलोक में पारित किया गया है और "कोई हस्तक्षेप नहीं" करने का आह्वान करता है।

    केस टाइटल: भोलू 'जुविनाइल इन कॉन्फ्लिक्ट विद लॉ' बनाम सीबीआई

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    एनडीपीएस एक्ट की धारा 37 की कठोरता स्थाई रूप से शीघ्र ट्रायल के अधिकार को कमज़ोर नहीं कर सकती : हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

    हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने दोहराया कि शीघ्र ट्रायल की संवैधानिक गारंटी को नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (NDPS Act) की धारा 37 की कठोरता को स्थायी रूप से लागू करके कमजोर नहीं किया जा सकता।

    जस्टिस सत्येन वैद्य उस याचिका पर सुनवाई कर रहे थे जिसके संदर्भ में एनडीपीएस एक्ट की धारा 20 और 29 के तहत दर्ज एफआईआर में आरोपी याचिकाकर्ता ने इस आधार पर जमानत देने की प्रार्थना की कि मुकदमे के शीघ्र निपटान के उनके संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन किया गया।

    केस टाइटल: विकास @ विक्की बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य।

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    मप्र आवास नियंत्रण अधिनियम की धारा 10 के तहत किराया निर्धारण के लिए दिया गया आदेश निष्पादन योग्य नहीं; बकाया वसूलने के लिए मकान मालिक दीवानी मुकदमा दायर करें : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही एक फैसले में कहा कि मध्य प्रदेश आवास नियंत्रण अधिनियम, 1961 की धारा 10 के तहत पारित एक आदेश निष्पादन योग्य नहीं है और बकाया राशि की वसूली के लिए मकान मालिक को मुकदमा दायर करना होगा। मध्य प्रदेश आवास नियंत्रण अधिनियम, 1961 की धारा 10 में किराया नियंत्रण प्राधिकारी को मानक किराया आदि निर्धारित करने का प्रावधान है।

    केस टाइटल: विपिन कुमार मेहता बनाम राज कुमार जैन [एम.पी. 4844/2021]

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    धारा 64 उचित मुआवजे का अधिकार अधिनियम| कलेक्टर भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आपत्तियों को उचित प्राधिकारी को सौंपने के लिए बाध्यः हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

    हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम, 2013 में उचित मुआवजे और पारदर्शिता के अधिकार की धारा 64 के संदर्भ में, कलेक्टर का कर्तव्य है कि वह भूमि अधिग्रहण अवॉर्ड के खिलाफ उठाई गई आपत्तियों को उपयुक्त प्राधिकारी को संदर्भित करे।

    जस्टिस सत्येन वैद्य ने कहा, "अधिनियम 2013 की धारा 64 का प्रावधान भूमि अधिग्रहण कलेक्टर के पास इस मुद्दे को स्वयं निर्धारित करने का कोई विवेक नहीं छोड़ता है। उपरोक्त किसी भी आधार पर आपत्ति के साथ एक आवेदन प्राप्त होने पर, कलेक्टर को मामले को प्राधिकारण को संदर्भित करना होगा।"

    केस टाइटलः रेता राम बनाम भूमि अधिग्रहण कलेक्टर

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    बिहार में जातीय जनगणना पर पटना हाईकोर्ट ने अंतरिम रोक लगाई

    बिहार में जातीय जनगणना पर रोक लगाने की मांग को लेकर दायर याचिका पर पटना हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने राज्य में जातीय जनगणना कराने के बिहार सरकार के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस मधुरेश प्रसाद की बेंच ने ये फैसला सुनवाया है। बेंच तीन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इसमें एक याचिका यूथ फॉर इक्वैलिटी नाम के संगठन की तरफ से दायर की गई थी। मामले में अगली सुनवाई 3 जुलाई को होगी।

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    जब तक कोई नाबालिग पीड़िता स्पष्ट रूप से शारीरिक संबंध के अस्तित्व से इनकार नहीं करती है, तब तक ये माना जा सकता है कि पीड़िता और आरोपी ने विवाह किया है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि जब तक कोई नाबालिग पीड़िता स्पष्ट रूप से शारीरिक संबंध के अस्तित्व से इनकार नहीं करती है, तब तक यह माना जा सकता है कि पीड़िता और आरोपी, जो पति-पत्नी के रूप में रहते हैं या उन्होंने विवाह किया है, ने शारीरिक संबंध स्थापित किए हैं।

    जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की खंडपीठ ने उन मामलों में आगे कहा, जहां नाबालिग पीड़िता और आरोपी के बीच शारीरिक संबंध होने का अनुमान लगाया जा सकता है, फिर बलात्कार का मामला बनाया जा सकता है क्योंकि सहमति दी गई थी या नहीं, यह तथ्य महत्वहीन है।

    केस टाइटल - अजय दिवाकर बनाम स्टेट ऑफ यूपी और 3 अन्य के साथ जुड़ी जमानत याचिकाएं

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    हिरासत में मौत: मेघालय हाईकोर्ट ने राज्य को मुआवजा 25% तक बढ़ाने पर विचार करने का निर्देश दिया

    मेघालय हाईकोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार को हिरासत में हिंसा पीड़ितों के शोक संतप्त परिवारों को प्रदान किए जाने वाले मुआवजे को 25% तक बढ़ाने पर विचार करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि "या, कम से कम हिरासत में मरने वाले व्यक्ति की उम्र के आधार पर मुआवजा की राशि में अंतर किया जाए।"

    चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी और जस्टिस एचएस थांगखिव की खंडपीठ हिरासत में हिंसा को रोकने और जेल की स्थिति में सुधार करने के लिए वर्ष 2017 में शुरू की गई स्वत: संज्ञान जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

    केस टाइटल: इन रे सू मोटू कस्टोडियल वायलेंस एंड अदर मैटर्स रिलेटेड फ्रॉम जेल कंडीशंस बनाम मेघालय राज्य व अन्य।

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    POCSO एक्ट नाबालिगों के सहमति से बनाए गए रोमांटिक संबंधों के लिए उन्हें दंडित करने और अपराधी साबित करने के लिए नहीं बना है: हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) में पॉक्सो से जुड़ा एक केस आया। कोर्ट ने कहा कि नाबालिगों के सहमति से बनाए गए रोमांटिक संबंधों के लिए उन्हें दंडित करने और अपराधी साबित करने के लिए पॉक्सो कानून नहीं बना है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी पॉक्सो केस में आरोपी को जमानत देते हुए की। मामले में आरोपी 22 साल का एक युवक है, जिसे एक नाबालिग से दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

    जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई की सिंगल बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी। बेंच ने कहा कि ये सच है कि मामले में पीड़िता नाबालिग थी, लेकिन उसके बयान से प्रथम दृष्टया ये पता चलता है कि संबंध दोनों की सहमति से बने थे। वैसे भी POCSO एक्ट बच्चों को यौन उत्पीड़न के अपराधों से बचाने के लिए बनाया गया है, न कि सहमति से संबंध बनाने वालों को दंडित करने के लिए।

    केस टाइटल: इमरान इकबाल शेख बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य

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    जब आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल पहले से ही बंद है तो न्यायालय ए एंड सी एक्ट की धारा 9(3) के तहत धोखाधड़ी/जालसाजी के आरोपों की जांच नहीं कर सकता है: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने माना कि न्यायालय एं&सी एक्ट की धारा 9(3) के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए धोखाधड़ी या जालसाजी के आरोपों की जांच नहीं कर सकता है, जब आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल पहले से ही मौजूद है और मामले को अपने कब्जे में ले चुका है। जस्टिस चंद्र धारी सिंह की खंडपीठ ने कहा कि एक बार आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल का गठन हो जाने के बाद अदालत एक्ट की धारा 9 के तहत किसी भी आवेदन पर विचार नहीं करेगी, सिवाय असाधारण परिस्थितियों के मामलों में जिसमें न्यायाधिकरण के समक्ष उपचार प्रभावी नहीं होगा।

    केस टाइटल: फेडर्स इलेक्ट्रिक एंड इंजीनियरिंग बनाम सृष्टि कंस्ट्रक्शन, OMP(I)(COMM) 389/2022

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    सीपीसी की धारा 115 | अंतरिम निषेधाज्ञा देने के आदेश के विरुद्ध सिविल पुनर्विचार नहीं होगा: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने हाल ही में पाया कि सीपीसी आदेश 39 नियम 1 और 2 के तहत न्यायालय द्वारा पारित अंतरिम निषेधाज्ञा के आदेश के खिलाफ कोई भी सिविल पुनर्विचार नहीं होगा। जस्टिस सत्येंद्र कुमार सिंह की पीठ ने कहा, सीपीसी की धारा 115 के पहले परंतुक के संशोधित प्रावधानों के केवल अवलोकन से यह स्पष्ट है कि सीपीसी के आदेश 39 नियम 1 और 2 के तहत पारित अंतरिम निषेधाज्ञा के आदेश के खिलाफ सिविल पुनर्विचार गलत नहीं होगा ... वर्तमान मामले में चूंकि सीपीसी के आदेश 43 नियम 1 के तहत प्रथम अपीलीय अदालत, यानी 10वें जिला न्यायाधीश, ग्वालियर की अदालत द्वारा पारित आक्षेपित आदेश के खिलाफ याचिकाकर्ताओं के लिए कोई वैकल्पिक उपाय उपलब्ध नहीं है, इसलिए प्रतिवादियों के वकील द्वारा आपत्ति उठाई गई इस आधार पर याचिका की सुनवाई योग्यता के बारे में भी कोई बल नहीं है।

    केस टाइटल: सिल्की जैन व अन्य बनाम यादराम शिवहरे और अन्य। [एमपी। 2682/2023]

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    एनआईए अधिनियम के तहत आरोप तय करने, बदलाव या बदलाव से इनकार करने का आदेश अंतर्वर्ती आदेश और अपील योग्य नहीं: जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट

    जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि एक विशेष अदालत का राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम के तहत आरोप तय करने या बदलने या बदलने से इनकार करने का आदेश एक अंतर्वर्ती आदेश है और धारा 21 के तहत अपील योग्य नहीं है।

    इस आशय की घोषणा जस्टिस संजीव कुमार और जस्टिस पुनीत गुप्ता की पीठ ने आरोप तय करने के आदेश को चुनौती देने वाली अपील और एनआईए अधिनियम के तहत आरोप बदलने से इनकार करने वाले आदेश की सुनवाई करते हुए की।

    केस टाइटल: अयाज अहमद बनाम यूटी ऑफ जेएंडके

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    धारा 87 एनआई एक्ट | आहर्ता की सहमति से परिवर्तन किए जाने पर चेक अमान्य नहीं होगा: कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में दोहराया कि यदि आदाता या धारक ने चेक पर आहर्ता की सहमति से परिवर्तन किया है तो ऐसा परिवर्तन आदाता या धारक के अधिकार का विरोध करने का आधार नहीं हो सकता है। उक्त टिप्पणियों के साथ ज‌स्टिस राजेंद्र बदामीकर की एकल पीठ ने आरोपी डीबी जट्टी की पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी, जिन्होंने निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के तहत अपराध के लिए ट्रायल कोर्ट की ओर से पारित दोषसिद्धि के आदेश को चुनौती दी थी और अपीलीय अदालत ने इसे बरकरार रखा था।

    केस टाइटल: डीबीजत्ती और मेसर्स जमनादास देवीदास

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    अगर कोई कर्मचारी हाथ से मैला ढोने के काम में लगा है तो नगर पालिका कमिश्नर, मुख्य अधिकारी, सरपंच जिम्मेदार होंगे: गुजरात हाईकोर्ट

    गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि अगर कोई कर्मचारी सीवर की सफाई के काम में लगा है तो निगम के नगर आयुक्त, संबंधित नगर पालिका के मुख्य अधिकारी और संबंधित ग्राम पंचायत के सरपंच को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

    एक्टिंग चीफ जस्टिस ए.जे. देसाई और जस्टिस बीरेन वैष्णव ने कहा, "हम ये स्पष्ट करते हैं कि सुनवाई की अगली तिथि तक अगर कोई कर्मचारी जिसकी सेवा नगर निगम, किसी नगर पालिका या किसी ग्राम पंचायत द्वारा संबंधित क्षेत्र में सीवरेज की सफाई के लिए ली गई है तो संबंधित निगम के नगर आयुक्त कार्रवाई के लिए संबंधित नगर पालिका के मुख्य अधिकारी और संबंधित ग्राम पंचायत के सरपंच जिम्मेदार होंगे क्योंकि सरकार के संकल्प दिनांक 21.06.2014 द्वारा ऐसी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।"

    केस टाइटल: मानव गरिमा बनाम गुजरात राज्य

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    भूमि अधिग्रहण अधिनियम | अधिसूचना के बाद की बिक्री पर बाजार मूल्य के आकलन से बचना चाहिए: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

    हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मंगलवार को भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा 54 के तहत दायर अपीलों की श्रृंखला पर सुनवाई करते हुए कहा कि अधिनियम की धारा 4 के तहत अधिसूचना जारी होने के बाद होने वाले अनुकरणीय बिक्री लेनदेन पर बाजार मूल्य के आकलन से बचा जाना चाहिए।

    जस्टिस सत्येन वैद्य इन अपीलों की सुनवाई कर रहे थे, जो 2011 में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश, मंडी द्वारा सरोरी-रिसा रोड के निर्माण के लिए ग्राम अलयाना, तहसील सरकाघाट, जिला मंडी में भूमि के अधिग्रहण के लिए पारित सामान्य निर्णय से उत्पन्न हुई थी।

    केस टाइटल: प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी बनाम मेहर चंद

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    अंडरट्रायल कैदी को एक जेल से दूसरी जेल में ट्रांसफर करने का अधिकार सिर्फ कोर्ट के पास: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

    जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि विचाराधीन कैदी को एक जेल से दूसरी जेल में ट्रांसफर करने का निर्देश देने की शक्ति केवल मजिस्ट्रेट/न्यायालय के पास है, जिसने हिरासत में लिए गए कैदी को निश्चित जेल में भेज दिया है, न कि जेल अधिकारियों के पास।

    केस टाइटल: नईम रसूल बनाम यूटी ऑफ जेएंडके

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    सीआरपीसी की धारा 220 | ट्रायल कोर्ट के पास यह निर्णय लेने का विवेक है कि जॉइंट ट्रायल का आदेश दिया जाए या नहीं: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में माना कि सीआरपीसी की धारा 220 के तहत जॉइंट ट्रायल करना अदालत के लिए अनिवार्य नहीं है, क्योंकि यह अदालत के विवेक पर है कि वह जॉइंट ट्रायल की अनुमति दे या नहीं।

    जस्टिस वी जी अरुण की एकल पीठ एक फर्म के भागीदारों के बीच उठे कुछ विवादों से संबंधित मामले पर विचार कर रही थी। अदालत ने पक्षों को आर्बिट्रेशन के लिए भेजा था। इस मामले को इस शर्त पर तय किया गया कि भागीदारों में से एक (द्वितीय याचिकाकर्ता) 32 किश्तों में पूर्ण और अंतिम निपटान के रूप में प्रतिवादी को 2 करोड़ रुपये का भुगतान करेगा।

    केस टाइटल: एम/एस डी-फैब वी प्रिया वर्मा

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    एनडीपीएस एक्ट की धारा 37 की कठोरता को कम करने के लिए मध्यवर्ती मात्रा से अधिक लेकिन बड़े आकार का नहीं होने का अतिरिक्त कारक है: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट (NDPS Act) के तहत मामले में जमानत देते समय एक्ट की धारा 37 की कठोरता को कम करने के लिए जब्त की गई मादक पदार्थ की मात्रा मध्यवर्ती मात्रा से थोड़ी अधिक हो सकती है।

    अदालत ने कहा कि आपराधिक पृष्ठभूमि की कमी पहले से ही हिरासत में बिताया गया समय और सुनवाई शुरू होने में बाकी समय सहित सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले से निर्धारित मापदंडों के अलावा, अतिरिक्त कारक पर विचार किया जाना चाहिए, जो जब्त किए गए वर्जित पदार्थ की मात्रा होगी।

    केस टाइटल: फासिल बनाम केरल राज्य

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    मां मृत बेटी के भरण-पोषण के बकाए की हकदारः मद्रास हाईकोर्ट

    मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा है कि एक मां अपनी मृत बेटी को उसकी मृत्यु से पहले मिलने वाले भरण-पोषण के बकाए का दावा करने की हकदार है। अदालत ने कहा कि भरण-पोषण का बकाया मृत बेटी की संपत्ति थी और उसकी मृत्यु के बाद, कानूनी अभिभावक होने के नाते उसकी मां इस संपत्ति की हकदार है।

    कोर्ट ने कहा, ‘‘जहां तक भरण-पोषण का बकाया देय है, यह संपत्ति की प्रकृति में होगा जो कि विरासत में मिला है लेकिन भविष्य के भरण-पोषण का अधिकार संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम की धारा 6 (डीडी) के आधार पर हस्तांतरणीय या विरासत योग्य नहीं है।’’

    केस टाइटल- अन्नादुरई बनाम जया

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    अगर अविवाहित मुस्लिम बेटी सीआरपीसी की धारा 125 के तहत भरण-पोषण की हकदार नहीं है तो फैमिली कोर्ट मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत दावे पर विचार कर सकता है : केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा है कि अगर सीआरपीसी की धारा 125 के तहत एक अविवाहित मुस्लिम बेटी (जिसने वयस्कता प्राप्त कर ली है) द्वारा किए गए भरण-पोषण का दावा वैध नहीं है, तो वही दावा मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत किया जा सकता है और फैमिली कोर्ट कार्यवाही की बहुलता को रोकने के लिए इस पर विचार कर सकता है।

    केस टाइटल- एक्सएक्सएक्स बनाम केरल राज्य

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