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अदालत रसायन विज्ञान या पर्यावरण की विशेषज्ञ नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने  कीटनाशक अधिनियम के तहत छूट चाहने वाले व्यक्ति के मामले को वैधानिक प्राधिकारी को सौंपा
'अदालत रसायन विज्ञान या पर्यावरण की विशेषज्ञ नहीं': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कीटनाशक अधिनियम के तहत छूट चाहने वाले व्यक्ति के मामले को वैधानिक प्राधिकारी को सौंपा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में माना कि न्यायालय यह तय करने के लिए एक एक्सपर्ट बॉडी नहीं है कि एथेफॉन (एक कीटनाशक) कीटनाशक अधिनियम, 1968 की धारा 38 (1) (बी) के तहत याचिकाकर्ता द्वारा दावा की गई छूट के अंतर्गत आता है या नहीं। हालांकि न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता यह साबित करने में अपने दायित्व का निर्वहन करने में विफल रहा कि छूट का दावा सही ढंग से किया गया था, इसने याचिकाकर्ता को वैधानिक प्राधिकारी के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया क्योंकि यह एक फैक्ट फाइंडिंग बॉडी है जिसे दावा की गई छूट के...

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने समामेलित कंपनी के अस्तित्व में ना रहने पर उसके खिलाफ शुरू की गई पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही को रद्द किया
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने समामेलित कंपनी के अस्तित्व में ना रहने पर उसके खिलाफ शुरू की गई पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही को रद्द किया

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने माना कि एक हस्तांतरणकर्ता कंपनी की ओर से पैन एक्टिवेशन राजस्व को समामेलन (Amalgamation) की नियत तिथि के बाद पुनर्मूल्यांकन नोटिस (Reassessment Notice) जारी करने का अधिकार नहीं देता। जस्टिस रवींद्र मैथानी की पीठ ने कहा कि पुनर्मूल्यांकन नोटिस हस्तांतरणकर्ता कंपनी को दिया गया था, जो कि नियत तिथि यानी ,एक अप्रैल, 2018 के बाद अस्तित्व में नहीं है। आयकर अध‌िनयम की धारा 148 ए (डी) के तहत आदेश विभाग द्वारा एक अस्तित्व इकाई के विरुद्ध कर अधिनियम पारित किया गया है।डेल्टा पावर...

WYNK बनाम TIPS | इंटरनेट आधारित म्यूजिक स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म टीवी, रेडियो के लिए उपलब्ध अनिवार्य म्यूजिक लाइसेंस के लिए पात्र नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट
WYNK बनाम TIPS | इंटरनेट आधारित म्यूजिक स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म टीवी, रेडियो के लिए उपलब्ध अनिवार्य म्यूजिक लाइसेंस के लिए पात्र नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

TIPS इंडस्ट्रीज लिमिटेड (टिप्स) जैसे रिकॉर्ड लेबल के लिए बड़ी जीत निर्धारित करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने माना कि ऑनलाइन म्यूजिक स्ट्रीमिंग और डाउनलोडिंग प्लेटफॉर्म कॉपीराइट एक्ट की धारा 31 डी के तहत अपने म्यूजिक के लिए रियायती अनिवार्य लाइसेंस के लिए पात्र नहीं होंगे।इसका मतलब यह है कि इंटरनेट-आधारित प्लेटफार्मों को रेडियो और टेलीविजन नेटवर्क के विपरीत अपने म्यूजिक के भंडार का उपयोग करने के लिए बड़ी रिकॉर्ड कंपनियों के साथ अनुबंध पर बातचीत करनी होगी।हाईकोर्ट ने कहा,“हम न्यायमूर्ति कथावाला के...

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने पीड़िता के स्केच साक्ष्य का हवाला देते हुए POCSO Act के तहत दोषसिद्धि रद्द की, कहा- मेडिकल जांच में यौन उत्पीड़न का कोई सबूत नहीं
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने पीड़िता के "स्केच" साक्ष्य का हवाला देते हुए POCSO Act के तहत दोषसिद्धि रद्द की, कहा- मेडिकल जांच में यौन उत्पीड़न का कोई सबूत नहीं

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने हाल ही में POCSO Act (पॉक्सो एक्ट) के तहत दोषसिद्धि यह कहते हुए रद्द कर दी कि पीड़िता के बयान विरोधाभासी है और पीड़िता की जांच करने वाले मेडिकल अधिकारी द्वारा यौन उत्पीड़न का कोई सबूत नहीं पाया गया।जस्टिस सुस्मिता फुकन ख़ुआंड की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा,“यह सच है कि POCSO Act के तहत किसी मामले में पीड़िता की सहमति की आवश्यकता नहीं है। मौजूदा मामले में यह स्पष्ट है कि पीड़िता को आरोपी के साथ जाने के लिए प्रेरित नहीं किया गया, बल्कि वह अपनी इच्छा से उसके साथ गई थी। मेडिकल...

लखनऊ कोर्ट ने वीडी सावरकर के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को नोटिस जारी किया
लखनऊ कोर्ट ने वीडी सावरकर के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को नोटिस जारी किया

उत्तर प्रदेश के लखनऊ जिले की एक सत्र अदालत ने पिछले साल महाराष्ट्र में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान विनायक दामोदर सावरकर के खिलाफ की गई 'अपमानजनक' टिप्पणी के मामले में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस लखनऊ जिला एवं सत्र न्यायाधीश अश्विनी कुमार त्रिपाठी द्वारा एडवोकेट नृपेंद्र पांडे द्वारा दायर एक आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर जारी किया गया है, जिसमें अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अंबरीश कुमार श्रीवास्तव द्वारा (इस साल जून में) पारित आदेश...

आदेश VII नियम 11 | वाद-विवाद खारिज करने के लिए ट्रायल के खत्म होने की प्रतीक्षा करना कानून के उद्देश्य को पराजित कर देगा : केरल हाईकोर्ट
आदेश VII नियम 11 | वाद-विवाद खारिज करने के लिए ट्रायल के खत्म होने की प्रतीक्षा करना कानून के उद्देश्य को पराजित कर देगा : केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में माना कि वाद-विवाद खारिज करने के लिए ट्रायल के खत्म होने की प्रतीक्षा करना कानून के उद्देश्य को पराजित कर देगा। साथ ही कहा कि ऐसा निर्णय पूरी तरह से आदेश VII नियम 11 सीपीसी के तहत वाद के मूल्यांकन पर किया जाना चाहिए।जस्टिस देवन रामचंद्रन ने कहा कि ट्रायल न्यायाधीश मुकदमा पूरा होने तक वाद को खारिज करने का इंतजार कर रहे हैं, जिससे आदेश VII नियम 11 सीपीसी के तहत निर्धारित कानून का उद्देश्य विफल हो गया।अदालत ने कहा,“स्पष्ट रूप से एक्सटेंशन पी 11 में मुंसिफ की राय कि...

ग्राम पंचायत के पास आंगनवाड़ी मामलों को प्रशासित करने की विशेष शक्ति: केरल हाईकोर्ट ने बाल विकास अधिकारी द्वारा की गई नियुक्तियां रद्द कीं
ग्राम पंचायत के पास आंगनवाड़ी मामलों को प्रशासित करने की विशेष शक्ति: केरल हाईकोर्ट ने बाल विकास अधिकारी द्वारा की गई नियुक्तियां रद्द कीं

केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में कडपरा पंचायत में स्थायी पद पर दो आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की नियुक्ति को अवैध बताते हुए रद्द कर दिया, क्योंकि नियुक्तियां बाल विकास परियोजना अधिकारी द्वारा की गई थीं, न कि ग्राम पंचायत द्वारा।जस्टिस राजा विजयराघवन वी की एकल न्यायाधीश पीठ ने केरल पंचायत राज अधिनियम, 1994 की धारा 166 (2) का अवलोकन किया, जिसमें प्रावधान है कि ग्राम पंचायतों के पास तीसरी अनुसूची में सूचीबद्ध मामलों को प्रशासित करने और उनसे संबंधित योजनाओं को तैयार करने और लागू करने की विशेष शक्ति...

पद पर व्यक्ति को नियुक्ति का निहित अधिकार प्राप्त होता है, सिविल परिणाम वाले आदेशों को प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को पूरा करना चाहिए : इलाहाबाद हाईकोर्ट
पद पर व्यक्ति को नियुक्ति का निहित अधिकार प्राप्त होता है, सिविल परिणाम वाले आदेशों को प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को पूरा करना चाहिए : इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में माना कि एक बार जब किसी व्यक्ति को नियुक्ति मिल जाती है तो उसे उक्त पद पर बने रहने का निहित अधिकार प्राप्त हो जाता है और सिविल परिणामों वाले कोई भी आदेश उसे सुनवाई का अवसर देने के बाद पारित किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता की सिविल पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर नियुक्ति उसके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही के तथ्य। छिपाने के आधार पर रद्द कर दी गई थी। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि जब वह नाबालिग थे तब उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू की गई थी और उन्हें इसकी जानकारी नहीं...

उड़ीसा हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पुरी जगन्नाथ मंदिर रत्न भंडार के आभूषणों की सूची तैयार करने के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित करने को कहा
उड़ीसा हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पुरी जगन्नाथ मंदिर रत्न भंडार के आभूषणों की सूची तैयार करने के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित करने को कहा

उड़ीसा हाईकोर्ट ने पुरी के श्रीजगन्नाथ मंदिर के 'रत्न भंडार' (कोषागार) के उद्घाटन और मरम्मत कार्य से संबंधित मुद्दों और विवादों पर पर्दा डाल दिया है। इसने राज्य को श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति (एसजेटीएमसी) द्वारा आवश्यक होने पर रत्न भंडार की सूची की तैयारी की निगरानी के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति गठित करने का निर्देश दिया है।रत्न भंडार की आंतरिक दीवारों को खोलने और तत्काल मरम्मत की मांग करने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) का निपटारा करते हुए, च‌ीफ जस्टिस सुभासिस तलपात्रा और जस्टिस सावित्री राठो...

हवाई अड्डों पर किसी विशेष समुदाय के लिए प्रेयर रूम की मांग का मौलिक अधिकार क्या है? गुवाहाटी हाईकोर्ट ने पूछा
हवाई अड्डों पर किसी विशेष समुदाय के लिए प्रेयर रूम की मांग का मौलिक अधिकार क्या है? गुवाहाटी हाईकोर्ट ने पूछा

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने शुक्रवार को गुवाहाटी हवाई अड्डे पर मुस्लिम समुदाय के लिए अलग प्रेयर रूम की मांग करने वाली जनहित याचिका पर नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश संदीप मेहता और जस्टिस सुस्मिता फुकन खौंड की पीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत इस तरह के अधिकार की गारंटी है। पीठ ने कहा, “ अनुच्छेद 25 किसी भी नागरिक को यह अधिकार कहां देता है कि वह यह लागू कर सके या रिट मांग सके कि हर सार्वजनिक संस्थान में प्रार्थना करने के लिए कक्ष होना चाहिए?कृपया हमें...

पटना हाईकोर्ट ने बलात्कार के आरोपी बीएसएफ जवान को अग्रिम जमानत दी, कहा-झूठे वादे को साबित करने के लिए साक्ष्य अपर्याप्त, परिवारों के बीच शादी की बातचीत हुई
पटना हाईकोर्ट ने बलात्कार के आरोपी बीएसएफ जवान को अग्रिम जमानत दी, कहा-झूठे वादे को साबित करने के लिए साक्ष्य अपर्याप्त, परिवारों के बीच शादी की बातचीत हुई

पटना हाईकोर्ट ने हाल ही में शादी का झूठे बहान बनाकर एक महिला के साथ बलात्कार के आरोपी बीएसएफ जवान को अग्रिम जमानत दी। जवान शिकायतकर्ता को छह साल से जानता था और उस पर उससे क‌थ‌ित रूप से सहमति से शारीरिक संबंध बनाने का आरोप था। कोर्ट को ऐसा कोई सबूत नहीं मिला, जिससे पता चले कि शादी का वादा शुरू से ही झूठा था।यह फैसला भारतीय दंड संहिता की धारा 493 और 506 और दहेज निषेध अधिनियम धारा 3 और 4 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए दर्ज मामले के संबंध में अग्रिम जमानत के लिए आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा...

व्यक्तिगत मामलों के लिए ऑर्गन ट्रांसप्लांट नियमों को कमजोर नहीं किया जा सकता: केरल हाईकोर्ट ने लाइफ सपोर्ट पर किडनी रोगियों की याचिका पर कहा
व्यक्तिगत मामलों के लिए ऑर्गन ट्रांसप्लांट नियमों को कमजोर नहीं किया जा सकता: केरल हाईकोर्ट ने लाइफ सपोर्ट पर किडनी रोगियों की याचिका पर कहा

केरल हाईकोर्ट ने मंगलवार को मानव ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए जिला स्तरीय प्राधिकरण समिति (डीएलएसी) को यह तय करने के लिए बुलाया कि क्या याचिकाकर्ताओं, किडनी रोगियों, जो वर्तमान में डायलिसिस और अन्य जीवन समर्थन तंत्र पर हैं, उनको 'परोपकारिता का सर्टिफिकेट' प्राप्त करने की आवश्यकता है या नहीं।जस्टिस देवन रामचंद्रन ने ऑर्गन डोनेशन के नियमों में उल्लिखित कानूनी आवश्यकताओं के पालन के महत्व पर प्रकाश डाला और स्वीकार किया कि इन नियमों को मामले-दर-मामले के आधार पर शिथिल या कमजोर नहीं किया जाना चाहिए।अदालत...

वाराणसी जिला न्यायालय ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के एएसआई सर्वेक्षण को रोकने की मांग वाला आवेदन खारिज किया
वाराणसी जिला न्यायालय ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के एएसआई सर्वेक्षण को रोकने की मांग वाला आवेदन खारिज किया

वाराणसी जिला अदालत ने गुरुवार को अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति द्वारा दायर एक आवेदन को खारिज कर दिया। अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करती है और इस आवेदन में मस्जिद परिसर के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के चल रहे सर्वेक्षण को रोकने की मांग की गई थी। यह आदेश जिला न्यायाधीश अजय कृष्ण विश्वेशा ने अंजुमन इंतजामिया कमेटी द्वारा दायर एक आवेदन पर पारित किया, जिसमें कमेटी ने दलील दी थी कि प्रतिवादी संख्या 2 और 5 ने एएसआई सर्वेक्षण में होने वाले खर्च जमा नहीं किया...

राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम के प्रावधानों के तहत नियुक्त मध्यस्थ ए एंड सी एक्ट की धारा 29ए से बंधा हुआ है, अवॉर्ड बिना किसी देरी के दिया जाना चाहिए: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम के प्रावधानों के तहत नियुक्त मध्यस्थ ए एंड सी एक्ट की धारा 29ए से बंधा हुआ है, अवॉर्ड बिना किसी देरी के दिया जाना चाहिए: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने माना कि राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1956 के प्रावधानों के तहत नियुक्त एक मध्यस्थ ए एंड सी एक्ट की धारा 29 ए के तहत निर्धारित समय सीमा के भीतर एक मध्यस्थ अवॉर्ड देने के लिए बाध्य है। ए एंड सी एक्ट की धारा 29ए में प्रावधान है कि एक मध्यस्थ को दलीलें पूरी होने की तारीख से 12 महीने की अवधि के भीतर एक मध्यस्थ अवॉर्ड देना होगा। इसमें यह भी प्रावधान है कि पार्टियां सहमति से इस अवधि को 6 महीने तक बढ़ा सकती हैं। इसके अलावा, यह प्रदान करता है कि यदि विस्तारित अवधि के भीतर अवॉर्ड...

केरल हाईकोर्ट ने जन्मे बच्चे का माता-पिता द्वारा अलग अलग नाम चुनने पर पैरेंस पैट्रिया क्षेत्राधिकार का इस्तेमाल किया
केरल हाईकोर्ट ने जन्मे बच्चे का माता-पिता द्वारा अलग अलग नाम चुनने पर पैरेंस पैट्रिया क्षेत्राधिकार का इस्तेमाल किया

केरल हाईकोर्ट ने एक दिलचस्प घटनाक्रम में एक बच्चे के नाम का चयन करने के लिए अपने पैतृक अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल किया, जो अपने अलग हो चुके माता-पिता के बीच इस विवाद में फंस गया था कि उसका नाम क्या होना चाहिए। पीठ ने तर्क दिया कि माता-पिता के बीच विवाद को सुलझाने का प्रयास करने से अपरिहार्य देरी होगी और इस बीच नाम का अभाव बच्चे के कल्याण या सर्वोत्तम हितों के लिए अनुकूल नहीं होगा।कोर्ट ने कहा," इस तरह के क्षेत्राधिकार के प्रयोग में बच्चे के कल्याण को सर्वोपरि माना जाता है न कि माता-पिता के...

किसी मौजूदा सड़क का चौड़ीकरण और सुधार बाईपास होगा, जब इस तरह के सुधार से परियोजना सड़क से यातायात का मार्ग बदल जाता है, जिससे टोल राजस्व का नुकसान होता है: दिल्ली हाईकोर्ट
किसी मौजूदा सड़क का चौड़ीकरण और सुधार 'बाईपास' होगा, जब इस तरह के सुधार से परियोजना सड़क से यातायात का मार्ग बदल जाता है, जिससे टोल राजस्व का नुकसान होता है: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने माना कि मौजूदा संकीर्ण राजमार्ग पर विकास, सुधार, चौड़ीकरण और निर्माण को 'बाईपास' माना जाएगा, जब इस तरह के सुधार से सड़क भारी वाहनों के लिए व्यवहार्य हो जाती है और वैकल्पिक सड़क बन जाती है, जिसके परिणामस्वरूप परियोजना राजमार्ग से यातायात, टोल राजस्व में कमी आती है।जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की खंडपीठ ने आर्बिट्रल अवार्ड रद्द करना बरकरार रखा, जिसमें ट्रिब्यूनल ने यह कहते हुए ठेकेदार के दावों को खारिज कर दिया था कि मौजूदा सड़क का चौड़ीकरण या विकास 'बाईपास'...

मद्रास हाईकोर्ट में कई जजों के पोर्टफोलियो में बदलाव; जिन जज ने स्वत: संज्ञान लेकर राजनेताओं के बरी मामले को फिर से खोला था, उन्हें मदुरै पीठ में ट्रांसफर किया गया
मद्रास हाईकोर्ट में कई जजों के पोर्टफोलियो में बदलाव; जिन जज ने स्वत: संज्ञान लेकर राजनेताओं के बरी मामले को फिर से खोला था, उन्हें मदुरै पीठ में ट्रांसफर किया गया

मद्रास हाईकोर्ट में जजों के पोर्टफोलियो में बदलाव किया गया है। जस्टिस आनंद वेंकटेश का ट्रांसफर हाईकोर्ट की मदुरै पीठ में कर दिया गया है। उल्लेखनीय है जस्टिस वेंकटेश ने राजनेताओं को बरी करने के आदेशों में स्वत: संशोधन करने का निर्णय लेकर तमिलनाडु की राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है।जस्टिस वेंकटेश अब तक वर्तमान और पूर्व सांसदों और विधायकों से जुड़े आपराधिक मामलों से संबंधित आपराधिक अपील और रिट याचिकाओं को देख रहे थे। उन्हें अब खानों और खनिजों, भूमि कानूनों, आरटीआई, स्वतंत्रता सेनानियों की पेंशन योजना,...

अदालत यह तय नहीं कर सकती कि विशेष खेल श्रेणी में कॉम्पिटिशन आयोजित की जानी चाहिए या नहीं, यह राज्य का विशेषाधिकार है: केरल हाईकोर्ट
अदालत यह तय नहीं कर सकती कि विशेष खेल श्रेणी में कॉम्पिटिशन आयोजित की जानी चाहिए या नहीं, यह राज्य का विशेषाधिकार है: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने कहा कि किसी विशेष श्रेणी में कॉम्पिटिशन आयोजित की जानी है, या नहीं जैसे निर्णय सरकार का विशेषाधिकार है। इसका निर्णय राज्य के सक्षम प्राधिकारी द्वारा किया जाना है।जस्टिस देवन रामचंद्रन ने कहा कि अनुच्छेद 226 के तहत रिट अदालत ऐसे निर्णय नहीं ले सकती, क्योंकि इसके लिए आवश्यक तथ्यात्मक और दस्तावेजी इनपुट के मूल्यांकन की आवश्यकता होती है।अदालत ने कहा,"यह सवाल कि क्या किसी विशेष श्रेणी में कॉम्पिटिशन आयोजित की जानी चाहिए और किस तरीके से पहले केरल सरकार के सक्षम प्राधिकारी द्वारा तय...

वकील को दोष देना बहुत आसान: उड़ीसा हाईकोर्ट ने 2006 में शुरू किए गए मामले में देरी को माफ करने से इनकार किया, कहा- वादी ने वकील के साथ संपर्क नहीं रखा
"वकील को दोष देना बहुत आसान": उड़ीसा हाईकोर्ट ने 2006 में शुरू किए गए मामले में देरी को माफ करने से इनकार किया, कहा- वादी ने वकील के साथ संपर्क नहीं रखा

उड़ीसा हाईकोर्ट ने माना कि वकील को किसी पक्षकार की लापरवाही के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है, जिसके परिणामस्वरूप न्यायालय के आदेश के अनुपालन में काफी देरी हुई है।चीफ जस्टिस सुभासिस तालापात्रा और जस्टिस संगम कुमार साहू की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को देरी माफ करने से इनकार करते हुए कहा,“वकील को बदलना और उसकी लापरवाही के लिए पहले वाले वकील पर दोष मढ़ना बहुत आसान है, लेकिन अदालत आसपास की परिस्थितियों, घटनाओं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आगे बढ़ने से पहले पक्षकार के आचरण पर आंखें नहीं मूंद सकती।...