लखनऊ कोर्ट ने वीडी सावरकर के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को नोटिस जारी किया
Sharafat
2 Oct 2023 10:24 AM IST
उत्तर प्रदेश के लखनऊ जिले की एक सत्र अदालत ने पिछले साल महाराष्ट्र में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान विनायक दामोदर सावरकर के खिलाफ की गई 'अपमानजनक' टिप्पणी के मामले में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को नोटिस जारी किया है।
यह नोटिस लखनऊ जिला एवं सत्र न्यायाधीश अश्विनी कुमार त्रिपाठी द्वारा एडवोकेट नृपेंद्र पांडे द्वारा दायर एक आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर जारी किया गया है, जिसमें अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अंबरीश कुमार श्रीवास्तव द्वारा (इस साल जून में) पारित आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें सीआरपीसी की धारा 203 के तहत गांधी के खिलाफ उनकी शिकायत को खारिज कर दिया गया था।
न्यायालय ने यह देखते हुए कि पुनरीक्षण स्वीकार किए जाने योग्य है क्योंकि इसमें कानून और तथ्य के प्रश्न शामिल हैं। न्यायालय ने मामले को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश/एमपी-एमएलए अदालत, लखनऊ में स्थानांतरित कर दिया। मामले पर अगली सुनवाई 1 नवंबर 2023 को होगी।
गौरतलब है कि इससे पहले शिकायतकर्ता पांडे ने एसीजेएम कोर्ट में अर्जी दायर कर सावरकर पर की गई टिप्पणी के लिए गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी।
हालांकि अदालत ने शिकायत दर्ज करना और शिकायतकर्ता और उसके गवाहों से पूछताछ करना उचित समझा। इसके बाद 14 जून 2023 को याचिका खारिज कर दी। उसी को चुनौती देते हुए पांडे ने सत्र न्यायालय के समक्ष एक पुनरीक्षण याचिका दायर की।
अपनी याचिका में पांडे ने आरोप लगाया है कि 17 नवंबर को राहुल गांधी ने समाज में नफरत फैलाने के इरादे से राष्ट्रवादी विनायक दामोदर सावरकर को अंग्रेजों का नौकर कहा था और कहा था कि उन्होंने अंग्रेजों से पेंशन ली थी।
याचिका में कहा गया,
" राष्ट्रवादी विचारधारा के महान नेता कांतिवीर दामोदर आजादी के इतिहास में एक निडर स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने भारत माता को उनकी गुलामी से मुक्त कराने के लिए अंग्रेजों के अमानवीय अत्याचारों को सहन किया और गांधीजी ने सावरकर जी के प्रति अशोभनीय शब्दों का प्रयोग कर उन्हें अपमानित किया और सावरकर जी के प्रति हीन भावना फैलाने के लिए घृणित बातें कहीं।''
शिकायत में यह भी कहा गया है कि सावरकर को महात्मा गांधी ने देशभक्त बताया है, लेकिन राहुल गांधी अपने बयानों से उनके खिलाफ अनावश्यक विचारों का प्रचार-प्रसार कर सामाजिक वैमनस्यता और द्वेष पैदा कर रहे हैं, जिससे उन्हें (शिकायतकर्ता को) काफी मानसिक और मानसिक क्षति हुई है।