मद्रास हाईकोर्ट में कई जजों के पोर्टफोलियो में बदलाव; जिन जज ने स्वत: संज्ञान लेकर राजनेताओं के बरी मामले को फिर से खोला था, उन्हें मदुरै पीठ में ट्रांसफर किया गया
Avanish Pathak
30 Sept 2023 11:45 AM IST
मद्रास हाईकोर्ट में जजों के पोर्टफोलियो में बदलाव किया गया है। जस्टिस आनंद वेंकटेश का ट्रांसफर हाईकोर्ट की मदुरै पीठ में कर दिया गया है। उल्लेखनीय है जस्टिस वेंकटेश ने राजनेताओं को बरी करने के आदेशों में स्वत: संशोधन करने का निर्णय लेकर तमिलनाडु की राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है।
जस्टिस वेंकटेश अब तक वर्तमान और पूर्व सांसदों और विधायकों से जुड़े आपराधिक मामलों से संबंधित आपराधिक अपील और रिट याचिकाओं को देख रहे थे। उन्हें अब खानों और खनिजों, भूमि कानूनों, आरटीआई, स्वतंत्रता सेनानियों की पेंशन योजना, कृषि प्रक्रिया बाज़ार, और अन्य विविध मामलों की सुनवाई की जिम्मेदारी दी गई है। जस्टिस वेंकटेश के पास अब तक रहे पोर्टफोलियो को डॉ जस्टिस जी जयचंद्रन को सौंप दिया गया है।
जस्टिस वेंकटेश के अलावा जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम को भी मदुरै बेंच में स्थानांतरित किया गया है। जस्टिस सुब्रमण्यम, जो पहले पट्टा और अन्य मुद्दों सहित भूमि कानून से संबंधित मामलों को देख रहे थे, अब जस्टिस वी लक्ष्मीनारायण के साथ बैठेंगे और डिवीजन बेंच रिट याचिकाओं पर सुनवाई करेंगे। उनका पिछला पोर्टफोलियो जस्टिस पी वेलमुरुगन संभालेंगे। अपने हालिया आदेशों में, जस्टिस सुब्रमण्यम ने जमीन हड़पने के खिलाफ कानून बनाने का आह्वान किया था और डीएमके सांसद और भाजपा विधायकों को उन सरकारी जमीनों को खाली करने/वापस करने का भी निर्देश दिया था, जिन्हें अतिक्रमण करने का उन पर आरोप है।
एक अन्य प्रासंगिक फैसले में, जस्टिस सुब्रमण्यम ने यह भी कहा था कि 'प्यार और स्नेह' वरिष्ठ नागरिकों द्वारा संपत्ति के हस्तांतरण के लिए निहित विचार हैं और इस आशय का विशिष्ट क्लॉज न हो तो भी अगर बच्चे उनकी उपेक्षा करते हैं तो वे संपत्ति को पुनः प्राप्त कर सकते हैं।
जस्टिस एम सुंदर और जस्टिस आर शक्तिवेल की पीठ पहले बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाओं के साथ आपराधिक अपीलों, अन्य आपराधिक मामलों, आपराधिक अवमानना मामलों और वर्तमान और पूर्व सांसदों और विधायकों से जुड़े मामलों से संबंधित खंडपीठ मामलों को को देख रही थी, उसे भी मदुरै पीठ में ट्रांसफर कर दिया गया है, जहां वह जनहित याचिकाओं, आपराधिक अवमानना, बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाओं और सभी आपराधिक अपीलों और अन्य आपराधिक मामलों से निपटेगी।
पीठ का पिछला कार्यभार अब जस्टिस एसएस सुंदर और जस्टिस सुंदर मोहन की पीठ देखेगी।
मदुरै पीठ में जिन अन्य जजों को पोटफोलियो दिए गए हैं, वे हैं जस्टिस आरएमटी टीका रमन, जस्टिस पीबी बालाजी, जस्टिस जी चंद्रशेखरन, जस्टिस वी शिवगणनम और जस्टिस आर कलाईमथी। इस बीच, जस्टिस भरत चक्रवर्ती, जस्टिस एमएस रमेश, जस्टिस एम निर्मल कुमार, जस्टिस अनीता सुमंत, जस्टिस कृष्णन रामासामी, जस्टिस डॉ. जस्टिस डी नागार्जुन, जस्टिस के गोविंदराज थिलाकावडी, जस्टिस पी धनबल और जस्टिस सी कुमारप्पन, जो मदुरै पीठ में पोर्टफोलियो संभाल रहे थे, उन्हें अब मुख्या पीठ में स्थानांतरित कर दिया गया है।
जस्टिस वेंकटेश के एक निर्णय से उस समय हंगामा मच गया था, जब इस साल अगस्त में उन्होंने आय से अधिक संपत्ति के मामले में तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री के पोनमुडी और उनकी पत्नी को बरी करने के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए पुनरीक्षण लेने का फैसला किया। जस्टिस वेंकटेश ने पाया कि जिला न्यायालय, वेल्लोर द्वारा बरी करने के आदेश में कुछ "गलती" थी। उन्होंने हाईकोर्ट द्वारा विल्लुपुरम के जिला न्यायाधीश से वेल्लोर के जिला न्यायाधीश को मुकदमे को स्थानांतरित करने के प्रशासनिक आदेश की आलोचना करते हुए इसे "पूर्व दृष्टया अवैध और कानून की नजर में गैर-कानूनी" बताया। उन्होंने पूरी कार्यवाही को "आपराधिक न्याय प्रणाली में हेरफेर करने और उसे नष्ट करने का एक चौंकाने वाला और सुविचारित प्रयास" कहा।
पोनमुडी के बाद, जस्टिस वेंकटेश ने तमिलनाडु के राजस्व मंत्री केकेएसएसआर रामचंद्रन, वित्त मंत्री थंगम थेनारासु, पूर्व मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम, पूर्व पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बी वलारमथी और तमिलनाडु के वर्तमान ग्रामीण विकास मंत्री आई पेरियासामी को बरी करने और आरोप मुक्त करने के खिलाफ स्वत: संज्ञान लिया।
जस्टिस वेंकटेश के कार्यों को कानूनी बिरादरी से काफी सराहना मिली। मद्रास हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज, जस्टिस वी पार्थिबन ने इसे "दुर्लभ साहस", और "जिस व्यवस्था पर कोई बैठा है उसे उजागर करने की कल्पना" कहा, जबकि जस्टिस के चंद्रू (सेवानिवृत्त) ने जस्टिस वेंकटेश के कार्यों को कानूनी हालांकि असामान्य कहा।
हालांकि, जस्टिस आनंद वेंकटेश के फैसलों पर राजनीतिक प्रतिक्रिया हुई। डीएमके के पूर्व सांसद आरएस भारती ने मीडिया को संबोधित करते हुए यहां तक कह दिया था कि जज पक्षपाती और गलत इरादे से काम कर रहे हैं और अदालत की कार्यप्रणाली को गलत ठहरा रहे हैं।