उत्तराखंड हाईकोर्ट ने समामेलित कंपनी के अस्तित्व में ना रहने पर उसके खिलाफ शुरू की गई पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही को रद्द किया

Avanish Pathak

2 Oct 2023 7:39 AM GMT

  • उत्तराखंड हाईकोर्ट ने समामेलित कंपनी के अस्तित्व में ना रहने पर उसके खिलाफ शुरू की गई पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही को रद्द किया

    उत्तराखंड हाईकोर्ट ने माना कि एक हस्तांतरणकर्ता कंपनी की ओर से पैन एक्टिवेशन राजस्व को समामेलन (Amalgamation) की नियत तिथि के बाद पुनर्मूल्यांकन नोटिस (Reassessment Notice) जारी करने का अधिकार नहीं देता।

    जस्टिस रवींद्र मैथानी की पीठ ने कहा कि पुनर्मूल्यांकन नोटिस हस्तांतरणकर्ता कंपनी को दिया गया था, जो कि नियत तिथि यानी ,एक अप्रैल, 2018 के बाद अस्तित्व में नहीं है। आयकर अध‌िनयम की धारा 148 ए (डी) के तहत आदेश विभाग द्वारा एक अस्तित्व इकाई के विरुद्ध कर अधिनियम पारित किया गया है।

    डेल्टा पावर सॉल्यूशंस इंडिया प्रा लिमिटेड (डीपीएस) और याचिकाकर्ता की कंपनी यानी डेल्टा इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (डीआईएन) ने एक अप्रैल, 2018 की नियुक्ति के साथ समामेलन के लिए एक योजना प्रस्तावित की।

    डीपीएस एक हस्तांतरणकर्ता कंपनी या समामेलित कंपनी है, और डीआईएन एक हस्तांतरिती कंपनी या समामेलित कंपनी है। समामेलन प्रक्रिया को 31 जनवरी, 2019 को राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने मंजूरी दी थी।

    समामेलन की प्रस्तावित योजना के बारे में भी विभाग को सूचित किया गया था। विभाग ने एनसीएलटी के समक्ष समामेलन कार्यवाही में भाग लिया। याचिकाकर्ता के अनुसार, एनसीएलटी ने अनुमोदन के बाद, विभाग को 15 फरवरी, 2020 को एक संचार के जर‌िए सूचित किया था।

    हालांकि, विभाग ने ट्रांसफरकर्ता कंपनी के खिलाफ आयकर अधिनियम की धारा 148A के तहत तीन फरवरी, 2020 को एक नोटिस जारी किया, जिसमें निर्दिष्ट किया गया कि ट्रांसफरकर्ता कंपनी का पैन सक्रिय था।

    याचिकाकर्ता द्वारा नोटिस का जवाब दिया गया, जिससे विभाग को एकीकरण के तथ्य से अवगत कराया गया। नियत तारीख से, यानी एक अप्रैल, 2018 से हस्तांतरणकर्ता कंपनी के पैन पर दर्ज और प्रदर्शित होने वाले सभी लेनदेन को आम तौर पर स्वीकृत लेखांकन नीति और अन्य लागू कानूनों के अनुसार याचिकाकर्ता की नई समामेलित कंपनी द्वारा विधिवत हिसाब दिया गया है।

    विभाग ने आयकर अधिनियम की धारा 148ए के तहत ट्रांसफरकर्ता कंपनी को नोटिस दिया। याचिकाकर्ता द्वारा 2 मार्च, 2023 को उनका जवाब दिया गया, जिसमें वही रुख दोहराया गया और तथ्यों को और विस्तार से बताया गया। निर्धारण वर्ष 2019-20 के लिए हस्तांतरणकर्ता कंपनी के मूल्यांकन को फिर से खोलने के लिए आयकर अधिनियम की धारा 148ए (डी) के तहत आदेश पारित किया गया है।

    याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि एक गैर-मौजूद इकाई के खिलाफ नोटिस बुरा है, और यह कानून निर्णयों की श्रेणी में अच्छी तरह से स्थापित है।

    विभाग ने तर्क दिया कि नियत तिथि के बाद हस्तांतरणकर्ता कंपनी के पैन द्वारा विभिन्न लेनदेन किए गए। उनका हिसाब नहीं दिया गया। इसलिए, मूल्यांकन वर्ष 2019-20 के लिए मूल्यांकन को फिर से खोलने के लिए नोटिस जारी किए गए थे।

    अदालत ने रिट याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि हस्तांतरणकर्ता कंपनी के पैन को सक्रिय करने से राजस्व के पक्ष में कोई अपवाद नहीं बनेगा, जिससे राजस्व को समामेलन की नियत तारीख के बाद हस्तांतरणकर्ता कंपनी को धारा 148 के तहत नोटिस जारी करने का अधिकार मिल जाएगा।

    अदालत ने आयकर अधिनियम की धारा 148 (ए) (डी) के तहत पारित नोटिस और आदेश को रद्द कर दिया।

    केस टाइटल: डेल्टा इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया प्रा लिमिटेड बनाम पीसीआईटी

    केस नंबर: रिट पीटिशन (एम/एस) नंबर 1557 ऑफ 2023

    आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    Next Story