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बॉम्बे हाईकोर्ट ने अंतर-धार्मिक विवाहों की निगरानी के लिए समिति बनाने के फैसले को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया
बॉम्बे हाईकोर्ट ने अंतर-धार्मिक विवाहों की निगरानी के लिए समिति बनाने के फैसले को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया

बॉम्बे हाईकोर्ट ने अंतरधार्मिक विवाह-परिवार समन्वय समिति के गठन के लिए महाराष्ट्र सरकार के सरकारी संकल्प (जीआर) को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर राज्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।जस्टिस गंगापुरवाला और जस्टिस आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ ने जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया और मामले को 1 अगस्त, 2023 को पोस्ट किया। समिति का उद्देश्य, जैसा कि जीआर में कहा गया है, अंतरधार्मिक विवाह में महिलाओं के बारे में विस्तृत जानकारी इकट्ठा करना और उन महिलाओं के लिए जिला-स्तरीय पहल की निगरानी करना है जो अपने...

न्यायपालिका की स्वतंत्रता लोकतंत्र के लिए आवश्यक, जस्टिस नरसिम्हा ने सिंघवी-ट्रिनिटी-कैम्ब्रिज स्कॉलरशिप अवॉर्ड प्रदान करते हुए कहा
"न्यायपालिका की स्वतंत्रता लोकतंत्र के लिए आवश्यक", जस्टिस नरसिम्हा ने सिंघवी-ट्रिनिटी-कैम्ब्रिज स्कॉलरशिप अवॉर्ड प्रदान करते हुए कहा

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस पीएस नरसिम्हा जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, “लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र न्यायपालिका आवश्यक है। यह देखने की जरूरत है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और लोकतंत्र की अवधारणा संवैधानिकता और कानून के शासन के माध्यम से कैसे जुड़ी हुई हैं। शक्तियों के पृथक्करण की अवधारणा के माध्यम से वे दोनों एक-दूसरे पर निर्भर हैं।”कार्यक्रम में उन्होंने सिंघवी - ट्रिनिटी - कैम्ब्रिज स्कॉलरशिप अवॉर्ड 2023 की भी घोषणा की, जिसकी स्‍थापना सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट...

दमोह स्कूल हिजाब विवाद: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने निलंबन आदेश पर स्कूल के जवाब पर निर्णय लेने के लिए राज्य सरकार को 4 सप्ताह का समय दिया
दमोह स्कूल हिजाब विवाद: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने निलंबन आदेश पर स्कूल के जवाब पर निर्णय लेने के लिए राज्य सरकार को 4 सप्ताह का समय दिया

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (जबलपुर पीठ) ने हाल ही में राज्य सरकार के सक्षम प्राधिकारियों को पिछले महीने गंगा जमुना स्कूल (दमोह) की मान्यता निलंबित करने के सरकार के आदेश के जवाब में स्कूल द्वारा दायर अभ्यावेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया।दमोह स्थित स्कूल वर्तमान में इन आरोपों पर राज्य सरकार की जांच का सामना कर रहा है कि स्कूल प्रबंधन अपने गैर-मुस्लिम छात्रों (हिंदू और जैन) को हिजाब पहनने के लिए मजबूर कर रहा था। यह मामला इस साल मई में तब सामने आया जब स्कूल परिसर के बाहर राज्य बोर्ड परीक्षा के टॉपर्स...

मद्रास हाईकोर्ट ने चेक बाउंस मामलों से निपटने वाली जिला अदालतों के लिए ई-फाइलिंग अनिवार्य की
मद्रास हाईकोर्ट ने चेक बाउंस मामलों से निपटने वाली जिला अदालतों के लिए ई-फाइलिंग अनिवार्य की

मद्रास हाईकोर्ट ने निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के तहत आने वाले मामलों से निपटने वाले जिला न्यायालयों में ई-फाइलिंग अनिवार्य कर दी है।इस संबंध में रजिस्ट्रार जनरल (प्रभारी) एम जोथिरमन ने 3 जुलाई को एक अधिसूचना जारी की गई थी जिसमें वकीलों, पक्षकारों को व्यक्तिगत रूप से सूचित किया गया था कि ई-फाइलिंग सुप्रीम कोर्ट की ई-समिति द्वारा विकसित ई-फाइलिंग पोर्टल के माध्यम से की जा सकती है जो 07 जुलाई से शुरू होगा।अधिसूचना में लिखा है, "उच्च न्यायालय, मद्रास, माननीय मुख्य न्यायाधीश के...

सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी के खिलाफ बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में खंडित फैसले के बाद मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने मामले को जस्टिस सीवी कार्तिकेयन के समक्ष सूचीबद्ध किया
सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी के खिलाफ बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में खंडित फैसले के बाद मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने मामले को जस्टिस सीवी कार्तिकेयन के समक्ष सूचीबद्ध किया

मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसवी गंगापुरवाला ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी पत्नी मेगाला द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के लिए जस्टिस सीवी कार्तिकेयन को नामित किया है। मद्रास हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कल खंडित फैसला सुनाया था, जिसके बाद सीजे ने यह मामला नई बेंच के समक्ष लिस्ट करने का आदेश दिया है। मेगाला ने 14 जून को बालाजी की गिरफ्तारी के खिलाफ बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई...

आरोपी के प्रभावी कानूनी सहायता के अधिकार को बरकरार रखने का मतलब अभियोजन की अप्रभावी सुनवाई नहीं हो सकता: दिल्ली हाईकोर्ट
आरोपी के प्रभावी कानूनी सहायता के अधिकार को बरकरार रखने का मतलब अभियोजन की अप्रभावी सुनवाई नहीं हो सकता: दिल्ली हाईकोर्ट

निष्पक्ष सुनवाई के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी आरोपी के प्रभावी कानूनी सहायता के मौलिक अधिकार को बरकरार रखने का मतलब अप्रभावी सुनवाई या अभियोजन के अवसरों की कमी नहीं हो सकता है।जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा,"जैसा कि कानून में वर्णित है, अपराधियों पर पूरी तरह से मुकदमा चलाना एक नाजुक काम है और इसे आपराधिक न्याय प्रणाली के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए मुकदमा चलाने और अदालत की सहायता करने के प्रभावी अवसर दिए बिना नहीं किया जा सकता है।"अदालत ने कहा कि एक...

वकील ने सुनवाई के दौरान कोट नहीं पहना था, बॉम्बे हाईकोर्ट ने आपत्ति जताई और मामले की सुनवाई से इनकार किया
वकील ने सुनवाई के दौरान कोट नहीं पहना था, बॉम्बे हाईकोर्ट ने आपत्ति जताई और मामले की सुनवाई से इनकार किया

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक वकील की तरफ से ड्रेस कोड का पालन नहीं करने पर आपत्ति जताई। दरअसल एक वकील ने सुनवाई के दौरान कोट नहीं पहना था, इस वजह से अदालत ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।जस्टिस एएस गडकरी और जस्टिस एसजी डिगे की डिवीजन बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी। बेंच ने मामले को एक सप्ताह के लिए स्थगित करते हुए कहा, याचिकाकर्ता के वकील ने उचित ड्रेस कोड का पालन नहीं किया है।वकील ने सुनवाई के दौरान गाउन और एडवोकेट बैंड पहना था, लेकिन कोट नहीं पहना हुआ था।बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के अनुसार,...

पटना हाईकोर्ट ने 2017 में पारित आदेश का अनुपालन न करने पर सीवान जिला प्रशासन पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया
पटना हाईकोर्ट ने 2017 में पारित आदेश का अनुपालन न करने पर सीवान जिला प्रशासन पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया

पटना हाईकोर्ट ने 2017 के अदालती आदेश का अनुपालन न करने पर सीवान जिला प्रशासन पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया और निर्देश दिया कि यह राशि दो महीने के भीतर प्रधान मंत्री राहत कोष में जमा की जाए। जस्टिस पीबी बजंथरी और जस्टिस जितेंद्र कुमार की खंडपीठ ने आदेश दिया,“अवमानना ​​​​कार्यवाही में आरोप तय करने के बजाय, हमने 50,000 रुपये का जुर्माना लगाने का प्रस्ताव दिया। यह न्यायालय के आदेश के कार्यान्वयन में लगभग छह वर्षों की देरी को देखते हुए निर्धारित किया गया है। जुर्माना 2 महीने की अवधि के भीतर...

ईडी अफसर हिरासत मांग सकते हैं, पीएमएलए में धारा 41, 41ए सीआरपीसी लागू नहीं : सेंथिल बालाजी मामले में जस्टिस डी भरत चक्रवर्ती ने कहा
ईडी अफसर हिरासत मांग सकते हैं, पीएमएलए में धारा 41, 41ए सीआरपीसी लागू नहीं : सेंथिल बालाजी मामले में जस्टिस डी भरत चक्रवर्ती ने कहा

प्रवर्तन निदेशालय द्वारा तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी के खिलाफ दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर फैसले में जस्टिस जे निशा बानू की राय और निष्कर्ष से असहमति जताते हुए जस्टिस भरत चक्रवर्ती ने कहा कि उनके परिवार ने अवैध हिरासत या यांत्रिक रिमांड आदेश का मामला नहीं बनाया है, जो बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के माध्यम से हाईकोर्ट के हस्तक्षेप की गारंटी दे सकता है। जबकि जस्टिस बानू ने कहा कि पीएमएलए, 2002 की धारा 19 के तहत गिरफ्तारी का अधिकार रखने वाले अधिकारियों को गिरफ्तारी के 24 घंटे...

कौन सा कानून पुलिस को यह अनुमति देता है की वह आरोपी को खंबे से बांधे और पिटाई करे : गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा
"कौन सा कानून पुलिस को यह अनुमति देता है की वह आरोपी को खंबे से बांधे और पिटाई करे" : गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा

गुजरात हाईकोर्ट ने पिछले साल राज्य के खेड़ा जिले में गबरा कार्यक्रम में कथित तौर पर पथराव करने वाले कुछ आरोपियों की पिटाई के संबंध में एक अवमानना ​​याचिका से निपटते हुए सोमवार को राज्य सरकार से पूछा कि क्या कोई कानून अनुमति देता है कि 'किसी आरोपी को खंबे से बांधा जा सकता है और उसे खंभे से बांधकर पीटा जा सकता है? जस्टिस एएस सुपेहिया और जस्टिस एमआर मेंगडे की खंडपीठ ने एक मुस्लिम परिवार के 5 सदस्यों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें कई पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कथित तौर...

गोद लिए गए बच्चे के पास जन्म के परिवार की संपत्ति में हिस्सेदारी का दावा करने का अधिकार नहीं, 46 साल पुराने विवाद में तेलंगाना हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने कहा
गोद लिए गए बच्चे के पास जन्म के परिवार की संपत्ति में हिस्सेदारी का दावा करने का अधिकार नहीं, 46 साल पुराने विवाद में तेलंगाना हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने कहा

तेलंगाना हाईकोर्ट की एक पूर्ण पीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि गोद लेने पर एक बच्चा अपने जन्म के परिवार का सहदायिक नहीं रह जाता है और परिणामस्वरूप वह परिवार की पैतृक संपत्ति में कोई अधिकार या हित छोड़ देता है। जस्टिस पी नवीन राव, जस्टिस बी विजयसेन रेड्डी और जस्टिस नागेश भीमापाका की पीठ ने 27 जून के फैसले में कहा कि केवल अगर गोद लेने से पहले बंटवारा हुआ हो और गोद लेने वाले व्यक्ति को संपत्ति आवंटित की गई हो, तो वह उसे संपत्ति को दत्तक परिवार तक ले जा सकता है।कोर्ट ने कहा,"केवल तभी जब गोद...

डीवी एक्ट - पक्षकारों को सबूत पेश करने का निर्देश देने से पहले उन्हें उन मुद्दों या बिंदुओं से अवगत कराया जाना चाहिए जिन्हें उन्हें साबित करने की आवश्यकता है: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
डीवी एक्ट - पक्षकारों को सबूत पेश करने का निर्देश देने से पहले उन्हें उन मुद्दों या बिंदुओं से अवगत कराया जाना चाहिए जिन्हें उन्हें साबित करने की आवश्यकता है: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने घरेलू हिंसा अधिनियम से संबंधित एक मामले से निपटते हुए माना कि मुद्दों को पहली बार केवल फैसले में तय करते हुए ऐसे मुद्दों को साबित करने का बोझ संबंधित पक्षकारों पर डाला गया है और ऐसे मुद्दों के आधार पर मामले का फैसला किया गया है, जिनके बारे में पक्षकारों को अवगत भी नहीं कराया गया है, एक ऐसी प्रक्रिया है जो अच्छी तरह से स्थापित कानूनी प्रक्रियात्मक कनवेंशन से अलग है। जस्टिस ज्योस्ना रेवाल दुआ की एकल पीठ ने कहा कि सबूत पेश करने का निर्देश देने से पहले पक्षकारों को उन...

सिविल जज भर्ती: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने दोषपूर्ण प्रमाण पत्र के कारण अयोग्य ठहराए गए उम्मीदवारों की याचिका खारिज की
सिविल जज भर्ती: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने दोषपूर्ण प्रमाण पत्र के कारण अयोग्य ठहराए गए उम्मीदवारों की याचिका खारिज की

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के पद के लिए अपने आवेदन के साथ निर्धारित प्रारूप में 'प्रमाण पत्र' प्रस्तुत करने में विफलता के कारण हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग (एचपीपीएससी) द्वारा अयोग्य घोषित किए गए उम्मीदवारों द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी है। चीफ जस्टिस एमएस रामचन्द्र राव और जस्टिस अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने कहा,"चरित्र, अच्छा व्यवहार और पूर्ववृत्त सार्वजनिक रोजगार चाहने वाले व्यक्तियों और विशेष रूप से जिला न्यायपालिका के लिए सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के रूप में बहुत...

डॉक्टरों को आधारहीन निशाना बनाना जनहित को गंभीर नुकसान पहुंचाता है, भारतीय मेडिकल रजिस्टर से नाम हटाना सिविल डेथ के समान: दिल्ली हाईकोर्ट
डॉक्टरों को आधारहीन निशाना बनाना जनहित को गंभीर नुकसान पहुंचाता है, भारतीय मेडिकल रजिस्टर से नाम हटाना सिविल डेथ के समान: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने यह देखते हुए कि डॉक्टरों को आधारहीन निशाना बनाना सार्वजनिक हित के लिए "गंभीर रूप से पूर्वाग्रहग्रस्त" है, कहा कि भारतीय मेडिकल रजिस्टर से ऐसे डॉक्टर का नाम हटाना उसके पेशेवर करियर के ल‌िए "सिविल डेथ" जैसा है। . जस्टिस सी हरिशंकर ने कहा,"हालांकि यह सच है कि एक मेडिकल प्रोफेशनल से योग्यता के एक निश्चित न्यूनतम मानक की अपेक्षा की जाती है, ऐसा न करने पर उसके पास चिकित्सा उपचार प्रदान करने का कोई औचित्य नहीं है, और वह आचरण जो उस न्यूनतम चिकित्सा मानक से भी कम हो, या मरीज़ की भलाई...

पुनरीक्षण उपाय की उपलब्धता के बावजूद न्याय सुनिश्चित करने के लिए धारा 482 सीआरपीसी को लागू किया जा सकता है: केरल हाईकोर्ट
पुनरीक्षण उपाय की उपलब्धता के बावजूद न्याय सुनिश्चित करने के लिए धारा 482 सीआरपीसी को लागू किया जा सकता है: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में माना कि धारा 397 के तहत पुनरीक्षण उपाय की उपलब्धता के बावजूद न्याय सुरक्षित करने और अदालती प्रक्रिया के दुरुपयोग को रोकने के लिए सीआरपीसी की धारा 482 के तहत अंतर्निहित शक्तियों का इस्तेमाल किया जा सकता है। जस्टिस ज़ियाद रहमान एए, बय्यारापु सुरेश बाबू बनाम आंध्र प्रदेश राज्य और अन्य (2021) के निष्कर्षों से असहमत थे और उन्होंने कहा कि पुनरीक्षण उपाय की उपलब्धता किसी मामले पर न्यायालय द्वारा अपनी अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग करने पर पूर्ण रोक नहीं है।उन्होंने कहा,"मेरा...

पासपोर्ट खो जाने पर पुलिस में एफआईआर दर्ज कराए बिना उसे दोबारा जारी नहीं किया जा सकता: कर्नाटक हाईकोर्ट
पासपोर्ट खो जाने पर पुलिस में एफआईआर दर्ज कराए बिना उसे दोबारा जारी नहीं किया जा सकता: कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी को यह निर्देश देने की मांग की गई कि पासपोर्ट खो जाने पर याचिकाकर्ता का पासपोर्ट पुलिस में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज किए बिना फिर से जारी किया जाए, जैसा कि पासपोर्ट अधिनियम के तहत बनाए गए नियमों के तहत निर्धारित है।जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित की एकल न्यायाधीश पीठ ने श्रीधर कुलकर्णी ए की याचिका खारिज करते हुए कहा,“विदेश यात्रा का अधिकार मौलिक अधिकार है। यह सच है लेकिन यह पासपोर्ट एक्ट और उसके तहत बनाए गए नियमों...

[धारा 125 सीआरपीसी] सीआरपीसी में संशोधन प्रावधानों के अभाव में भी फैमिली कोर्ट याचिकाओं में संशोधन की अनुमति दे सकता है: केरल हाईकोर्ट
[धारा 125 सीआरपीसी] सीआरपीसी में संशोधन प्रावधानों के अभाव में भी फैमिली कोर्ट याचिकाओं में संशोधन की अनुमति दे सकता है: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में दोहराया कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) में संशोधन के प्रावधानों की अनुपस्थिति के बावजूद फैमिली कोर्ट द्वारा संशोधन के लिए एक आवेदन की अनुमति दी जा सकती है।जस्टिस वीजी अरुण की सिंगल जज बेंच ने विभिन्न उदाहरणों पर भरोसा किया और यह देखा कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत भरण-पोषण के मामलों में टेक्निकेलिटीज़ का कोई स्थान नहीं होगा।उन्होंने कहा,"मेरी राय में, धारा 125 का उद्देश्य निराश्रित पत्नियों और बच्चों की पीड़ा को कम करना है, भरण-पोषण के मामलों में तकनीकीताओं का...

मोदी सरनेम मानहानि केस : झारखंड हाईकोर्ट ने राहुल गांधी को कठोर कार्रवाई से सुरक्षा दी
मोदी सरनेम मानहानि केस : झारखंड हाईकोर्ट ने राहुल गांधी को कठोर कार्रवाई से सुरक्षा दी

झारखंड हाईकोर्ट ने मंगलवार को वरिष्ठ कांग्रेस नेता राहुल गांधी को 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले की गई मोदी उपनाम वाली टिप्पणी से संबंधित मानहानि मामले में राहत दी। गांधी को इससे पहले रांची एमपी-एमएलए अदालत ने मानहानि मामले में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया था।जस्टिस एस.के. द्विवेदी ने गांधी को व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दे दी और यह भी निर्देश दिया कि उनके खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी।कोर्ट मामले की अगली सुनवाई 16 अगस्त को करेगा।रांची के पेशे से वकील प्रदीप मोदी द्वारा दायर...

प्रचार हित याचिका: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करने के लिए वकीलों के पैनल बनाने की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की
'प्रचार हित याचिका': दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करने के लिए वकीलों के पैनल बनाने की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करने के लिए वकीलों के पैनल बनाने की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की और इस PIL को ‘प्रचार हित याचिका’ कहा।चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने एडवोकेट राजिंदर निश्चल की तरफ से दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया।वकील का कहना था कि भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करने के लिए पैनल का आकार तय नहीं है और केंद्र सरकार पैनल की नियुक्ति या नवीनीकरण के लिए आवेदन आमंत्रित नहीं करती है।उन्होंने तर्क दिया कि केंद्र सरकार...