पासपोर्ट खो जाने पर पुलिस में एफआईआर दर्ज कराए बिना उसे दोबारा जारी नहीं किया जा सकता: कर्नाटक हाईकोर्ट

Shahadat

4 July 2023 10:26 AM GMT

  • पासपोर्ट खो जाने पर पुलिस में एफआईआर दर्ज कराए बिना उसे दोबारा जारी नहीं किया जा सकता: कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी को यह निर्देश देने की मांग की गई कि पासपोर्ट खो जाने पर याचिकाकर्ता का पासपोर्ट पुलिस में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज किए बिना फिर से जारी किया जाए, जैसा कि पासपोर्ट अधिनियम के तहत बनाए गए नियमों के तहत निर्धारित है।

    जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित की एकल न्यायाधीश पीठ ने श्रीधर कुलकर्णी ए की याचिका खारिज करते हुए कहा,

    “विदेश यात्रा का अधिकार मौलिक अधिकार है। यह सच है लेकिन यह पासपोर्ट एक्ट और उसके तहत बनाए गए नियमों द्वारा विनियमित है। यदि नियम कोई प्रक्रिया निर्धारित करते हैं तो किसी को आवश्यक दस्तावेजों के साथ उचित आवेदन करके उसका पालन करना होगा।"

    पासपोर्ट एक्ट की धारा 24 केंद्र सरकार को अधिनियम के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए नियम बनाने का अधिकार देती है, जिसमें खोए, क्षतिग्रस्त या नष्ट हुए पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेज के बदले में डुप्लिकेट पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेज जारी करना भी शामिल है।

    पासपोर्ट नियम 1980 की अनुसूची V में कहा गया कि पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेज़ का धारक इसकी सुरक्षित अभिरक्षा के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार है। इसे जानबूझकर खोया, क्षतिग्रस्त या नष्ट नहीं किया जाना चाहिए। अनजाने में हुए नुकसान या विनाश के मामले में ऐसे नुकसान या विनाश के तथ्य और परिस्थितियों की सूचना तुरंत भारत में निकटतम पासपोर्ट प्राधिकरण, या (यदि पासपोर्ट धारक विदेश में है) निकटतम भारतीय मिशन या पोस्ट और को स्थानीय पुलिस को दी जानी चाहिए।

    इसी प्रकार, नियमों के अनुबंध एफ में खोए/क्षतिग्रस्त पासपोर्ट के बदले पासपोर्ट प्राप्त करने के लिए आवेदक की घोषणा निर्धारित की गई। इसमें आवेदक को यह बताना होगा कि पासपोर्ट कैसे और कब खोया/क्षतिग्रस्त हुआ और किस पुलिस स्टेशन में कब एफआईआर दर्ज की गई और पहले कितने पासपोर्ट खोए/क्षतिग्रस्त हुए।

    याचिकाकर्ता अपने पति या पत्नी द्वारा उसके खिलाफ दर्ज अपराध में आरोपी है। उन्होंने तर्क दिया कि मेनका गांधी बनाम भारत संघ (1978) मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में यात्रा के अधिकार को संविधान के अनुच्छेद 21 के एक भाग के रूप में मान्यता दी गई। इस प्रकार, क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी का कर्तव्य नया पासपोर्ट जारी करना है, जहां वह खो गया हो।

    इसके अलावा उन्होंने मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश पर भरोसा किया, जिसने उन्हें विदेश यात्रा की अनुमति दी।

    केंद्र की ओर से पेश सब-सॉलिसिटर जनरल शांति भूषण एच ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि हालांकि विदेश यात्रा का अधिकार मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता प्राप्त है, लेकिन यह पासपोर्ट एक्ट, 1967 के प्रावधानों द्वारा विनियमित है।

    भूषण ने तर्क दिया,

    "ऐसा नहीं है कि याचिकाकर्ता को पासपोर्ट नहीं दिया गया। लेकिन उसने इसे खो दिया और अब नवीनीकृत (पुनः जारी) पासपोर्ट की मांग कर रहा है।”

    उन्होंने कहा कि एक्ट की धारा 17 के तहत पासपोर्ट केंद्र सरकार की संपत्ति है।

    पक्षकारों को सुनने और रिकॉर्ड पर गौर करने के बाद अदालत ने इस मामले में कोई रियायत देने से इनकार करते हुए कहा,

    “मामला पासपोर्ट जारी करने का नहीं है, बल्कि खो जाने पर नवीनीकृत (पुनः जारी) पासपोर्ट जारी करने का है। पासपोर्ट नियम नवीनीकृत (पुनः जारी) जारी करने के लिए भी पासपोर्ट आवेदन के साथ दस्तावेजों का प्रारूप निर्धारित करते हैं। ऐसा कोई आवेदन आवश्यक दस्तावेजों के साथ दाखिल नहीं किया गया है।”

    इसके अलावा इसमें कहा गया,

    "याचिकाकर्ता को विदेश यात्रा की अनुमति देने वाला मजिस्ट्रेट का आदेश याचिकाकर्ता की बहुत मदद नहीं करता, क्योंकि ऐसी यात्रा के लिए पासपोर्ट या नवीनीकृत पासपोर्ट, जैसा भी मामला हो, पहले दिया जाना चाहिए।"

    तदनुसार, इसने याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी,

    "हालांकि, यदि याचिकाकर्ता आवश्यक दस्तावेजों और फीस के साथ उचित आवेदन करता है तो प्रतिवादी आरपीओ द्वारा उस पर शीघ्रता से और कानून के अनुसार विचार किया जाएगा।"

    केस टाइटल: श्रीधर कुलकर्णी ए और यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य

    केस नंबर: WP 9248/2023

    आदेश की तिथि: 04-07-2023

    अपीयरेंस: याचिकाकर्ता की ओर से वकील किरण एन, डीएसजी शांति भूषण एच

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