सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी के खिलाफ बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में खंडित फैसले के बाद मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने मामले को जस्टिस सीवी कार्तिकेयन के समक्ष सूचीबद्ध किया

Sharafat

5 July 2023 7:05 AM GMT

  • सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी के खिलाफ बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में खंडित फैसले के बाद मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने मामले को जस्टिस सीवी कार्तिकेयन के समक्ष सूचीबद्ध किया

    मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसवी गंगापुरवाला ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी पत्नी मेगाला द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के लिए जस्टिस सीवी कार्तिकेयन को नामित किया है। मद्रास हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कल खंडित फैसला सुनाया था, जिसके बाद सीजे ने यह मामला नई बेंच के समक्ष लिस्ट करने का आदेश दिया है।

    मेगाला ने 14 जून को बालाजी की गिरफ्तारी के खिलाफ बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई जस्टिस जे निशा बानू और जस्टिस भरत चक्रवर्ती की पीठ ने की थी ।

    पीठ ने मंगलवार को खंडित फैसला दिया और जस्टिस निशा बानो ने कहा कि याचिका विचार योग्य है और ईडी पुलिस हिरासत मांगने का हकदार नहीं है, जबकि जस्टिस भरत चक्रवर्ती ने कहा कि बालाजी की गिरफ्तारी अवैध हिरासत के समान नहीं है।

    जस्टिस बानो ने यह भी कहा कि चूंकि प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों के पास धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत पुलिस की शक्तियां नहीं हैं, इसलिए वे मंत्री की हिरासत के लिए आवेदन नहीं कर सकते थे। जस्टिस बानो ने कहा कि हालांकि आम तौर पर सीआरपीसी गिरफ्तारी, तलाशी और जब्ती की शक्तियों को नियंत्रित करती है, लेकिन ये शक्तियां एनडीपीएस, सीमा शुल्क, फेरा, पीएमएलए आदि जैसे विशेष अधिनियमों को लागू करने वाले अधिकारियों को भी सौंपी जाती हैं।

    उन्होंने हालांकि कहा कि संसद ने जानबूझकर इसे छोड़ दिया है। पीएमएलए, 2002 के तहत कार्य करने वाले ईडी अधिकारी, एक स्टेशन हाउस अधिकारी की शक्ति हैं।

    इस राय से अलग जस्टिस चक्रवर्ती ने कहा कि जब पीएमएलए की धारा 65 स्पष्ट रूप से यह स्पष्ट करती है कि जांच से संबंधित सीआरपीसी के प्रावधान पीएमएलए पर लागू होंगे तो धारा 167 सीआरपीसी, यथावश्यक परिवर्तनों के साथ लागू होनी चाहिए और "पुलिस" शब्द को लागू किया जाना चाहिए।

    खंडित फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर अपीलों के एक सेट में सुनवाई स्थगित कर दी।

    जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की शीर्ष अदालत की पीठ ने मामले में शामिल कानून के सवालों पर निर्णय लेने के लिए केंद्रीय एजेंसी के अनुरोध को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और हाईकोर्ट के समक्ष लंबित मुकदमे के नतीजे की प्रतीक्षा जारी रखने का विकल्प चुना।

    सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से सेंथिल बालाजी की पत्नी मेगाला द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को शीघ्र निर्णय के लिए जल्द से जल्द एक पीठ के समक्ष रखने का अनुरोध किया ।

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