"न्यायपालिका की स्वतंत्रता लोकतंत्र के लिए आवश्यक", जस्टिस नरसिम्हा ने सिंघवी-ट्रिनिटी-कैम्ब्रिज स्कॉलरशिप अवॉर्ड प्रदान करते हुए कहा

Avanish Pathak

5 July 2023 9:46 AM GMT

  • न्यायपालिका की स्वतंत्रता लोकतंत्र के लिए आवश्यक, जस्टिस नरसिम्हा ने सिंघवी-ट्रिनिटी-कैम्ब्रिज स्कॉलरशिप अवॉर्ड प्रदान करते हुए कहा

    सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस पीएस नरसिम्हा जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, “लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र न्यायपालिका आवश्यक है। यह देखने की जरूरत है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और लोकतंत्र की अवधारणा संवैधानिकता और कानून के शासन के माध्यम से कैसे जुड़ी हुई हैं। शक्तियों के पृथक्करण की अवधारणा के माध्यम से वे दोनों एक-दूसरे पर निर्भर हैं।”

    कार्यक्रम में उन्होंने सिंघवी - ट्रिनिटी - कैम्ब्रिज स्कॉलरशिप अवॉर्ड 2023 की भी घोषणा की, जिसकी स्‍थापना सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट डॉ अभिषेक मनु सिंघवी ने की है।

    जस्टिस नरसिम्हा ने कहा,

    “भारतीय संविधान निर्माताओं ने उपनिवेशवाद के बाद की लोकतांत्रिक अवधारणा के रूप में न्यायपालिका की स्वतंत्रता की परिकल्पना की थी। जो प्रणाली दोनों में से किसी एक अवधारणा को नजरअंदाज करती है वह अधिक प्रगति नहीं कर सकती। एक अहम सवाल यह है कि क्या लोकतंत्र का मतलब केवल बहुमत का शासन है? राजनीतिक सिद्धांतकार, न्यायविद और विचारक लोकतंत्र की इस बुनियादी समझ से असहमत हैं। यह समझा जाता है कि ऐसे समाज में कुछ मूल्यों और रूपरेखाओं का पालन किया जाना चाहिए जो सभी नागरिकों के लिए समान अधिकारों की पुष्टि करता है।

    इसलिए, न्यायपालिका की स्वतंत्रता लोकतंत्र, संवैधानिकता और कानून के शासन के अंतर्संबंध के लिए एक मूलभूत स्तंभ बन जाती है। यदि न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बरकरार नहीं रखा गया तो कानून का शासन, जो लोकतंत्र का आधार है, कमजोर हो जाएगा। शक्तियों का यह पृथक्करण वह स्वीकृत सिद्धांत है जिस पर सरकार का कोई भी गतिशील स्वरूप अस्तित्व में है। यदि न्यायपालिका की स्वतंत्रता से समझौता किया जाता है, तो सरकार की अवधारणा ही खतरे में पड़ जाती है। केवल स्वतंत्र न्यायाधीश ही सरकार के कृत्यों पर निगरानी रख सकते हैं।''

    सिंघवी-ट्रिनिटी कैम्ब्रिज स्कॉलरशिप अवॉर्ड की स्थापना स‌ीनियर एडवोकेट डॉ अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज में की है।

    इस अवसर पर डॉ. सिंघवी ने कहा,

    “ज्ञान और न्यायिक स्वतंत्रता के इस संगम पर आप सभी का स्वागत करते हुए मुझे खुशी हो रही है। लोकतंत्र केवल शासन की एक प्रणाली नहीं है बल्कि एक व्यापक सामाजिक प्रतिबद्धता है जो समानता, निष्पक्षता और न्याय को महत्व देती है। यह न्यायपालिका ही है जो अपनी स्वतंत्र क्षमता में इन मूल्यों में प्राण फूंकती है। एक स्वतंत्र न्यायपालिका पार्टियों की ताकत के आधार पर नहीं बल्कि कानून की ताकत के आधार पर विवादों को सुलझाने में एक तटस्थ रेफरी के रूप में कार्य करती है।

    ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलपति प्रोफेसर (डॉ) सी राज कुमार ने कहा,

    “यह परोपकार का जश्न मनाने का एक अवसर है। जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी की स्थापना संस्थापक चांसलर और प्रसिद्ध उद्योगपति और शिक्षा के गहन समर्थक श्री नवीन जिंदल द्वारा परोपकार के एक उदार कार्य के रूप में की गई है। हमें खुशी और सम्मान है कि इस वर्ष जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल के एक उत्कृष्ट छात्र को ट्रिनिटी-सिंघवी स्कॉलरशिप के लिए चुना गया है। मैं कानूनी पेशे में परोपकार के उद्देश्य को आगे बढ़ाने में यह योगदान देने के लिए डॉ सिंघवी को धन्यवाद देना चाहता हूं।

    सिंघवी-ट्रिनिटी कैम्ब्रिज स्कॉलरशिप अवार्ड 2023 जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल के श्री जय चंदर ब्रूनर को प्रदान किया गया है। उन्होंने शिकागो विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में स्नातक की डिग्री पूरी की, जिसके बाद उन्होंने विश्वविद्यालय में तीन वर्षीय एलएलबी कार्यक्रम के लिए जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल में प्रवेश लिया। यह अवॉर्ड उन्हें कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज में कानून में मास्टर डिग्री कार्यक्रम करने में सहायता प्रदान करेगा।

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