बॉम्बे हाईकोर्ट ने अंतर-धार्मिक विवाहों की निगरानी के लिए समिति बनाने के फैसले को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया

Brij Nandan

5 July 2023 10:22 AM GMT

  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने अंतर-धार्मिक विवाहों की निगरानी के लिए समिति बनाने के फैसले को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने अंतरधार्मिक विवाह-परिवार समन्वय समिति के गठन के लिए महाराष्ट्र सरकार के सरकारी संकल्प (जीआर) को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर राज्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

    जस्टिस गंगापुरवाला और जस्टिस आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ ने जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया और मामले को 1 अगस्त, 2023 को पोस्ट किया।

    समिति का उद्देश्य, जैसा कि जीआर में कहा गया है, अंतरधार्मिक विवाह में महिलाओं के बारे में विस्तृत जानकारी इकट्ठा करना और उन महिलाओं के लिए जिला-स्तरीय पहल की निगरानी करना है जो अपने मातृ परिवारों से अलग हो सकती हैं।

    चार गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) द्वारा दायर याचिका के अनुसार, इस समिति का गठन भेदभावपूर्ण है और एक झूठी कहानी को आगे बढ़ाता है, जो अंतरधार्मिक विवाहों के बारे में नकारात्मक सार्वजनिक धारणा को बढ़ावा देता है।

    याचिका में निजता और अल्पसंख्यक आबादी को संभावित लक्ष्यीकरण के बारे में भी चिंता जताई गई है। याचिका के अनुसार, समिति के पास एकत्रित डेटा की सुरक्षा के लिए सुरक्षा उपायों और दिशानिर्देशों का अभाव है, जिससे दुरुपयोग का खतरा है और निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है।

    याचिका में समिति के गठन के सरकार के औचित्य को भी चुनौती दी गई है। इसमें कहा गया है कि ऐसी समिति की आवश्यकता स्थापित करने के लिए कोई पूर्व शोध या अध्ययन नहीं किया गया था।

    याचिका के अनुसार, सरकार मौजूदा सामाजिक संदर्भ पर विचार करने में विफल रही, और समिति महिलाओं की एजेंसी को अपने साथी चुनने में और भी प्रतिबंधित कर देगी, जिससे संभावित रूप से अंतरधार्मिक जोड़ों के खिलाफ मनमानी कार्रवाई हो सकती है।

    याचिका अंतरधार्मिक जोड़ों की सुरक्षा के संभावित जोखिमों और खतरों के बारे में भी चिंता जताती है, खासकर जो अपने परिवार की इच्छा के खिलाफ शादी कर रहे हैं।

    याचिका के अनुसार, समिति इन जोड़ों के सामने आने वाले जोखिमों को बढ़ाएगी, जो महिलाओं की सुरक्षा के कथित इरादे के लिए सीधा विरोधाभास होगा।

    इसलिए, याचिकाकर्ताओं ने सरकारी संकल्प को रद्द करने की प्रार्थना की है।

    याचिकाकर्ताओं ने याचिका के लंबित रहने के दौरान राज्य को जीआर पर कार्रवाई करने से रोकने के निर्देश भी मांगे हैं।


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