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सेंथिल बालाजी मामला: मद्रास हाईकोर्ट ने खंडित फैसले में मतभेद के बिंदु तय किए, दलीलें 11 जुलाई को सुनेंगे
सेंथिल बालाजी मामला: मद्रास हाईकोर्ट ने खंडित फैसले में मतभेद के बिंदु तय किए, दलीलें 11 जुलाई को सुनेंगे

मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस सीवी कार्तिकेयन ने शुक्रवार को तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी की पत्नी मेगाला द्वारा उनके खिलाफ दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर 4 जुलाई को न्यायालय की खंडपीठ द्वारा पीएमएलए के तहत मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 14 जून को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तारी के लिए दिए गए खंडित फैसले में मतभेद के बिंदु तय किए।चीफ जस्टिस के पत्र के बाद जस्टिस कार्तिकेयन ने खंडित फैसले को हल करने के लिए याचिका पर सुनवाई की।जस्टिस जे निशा बानू और जस्टिस भरत चक्रवर्ती की खंडपीठ ने 4 जुलाई को...

पटना हाईकोर्ट ने राज्य में जाति-आधारित सर्वेक्षण कराने के बिहार सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा
पटना हाईकोर्ट ने राज्य में जाति-आधारित सर्वेक्षण कराने के बिहार सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा

पटना हाईकोर्ट ने पांच दिनों तक विस्तृत दलीलें सुनने के बाद शुक्रवार को राज्य में जाति-आधारित सर्वेक्षण कराने के बिहार सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने सर्वेक्षण के विभिन्न पहलुओं को चुनौती देने वाली कुल 8 जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।सर्वेक्षण दो चरणों में शुरू किया गया। पहला चरण, जो 7 जनवरी को शुरू हुआ, घरेलू गिनती का अभ्यास था और यह 21 जनवरी तक पूरा हो गया। दूसरा...

क्षेत्रीय भाषाओं में CLAT 2024 आयोजित करना असंभव, इवेंचुअल इंट्रोडक्शन के लिए रोडमैप तैयार करेंगे: एनएलयू के कंसोर्टियम ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा
क्षेत्रीय भाषाओं में CLAT 2024 आयोजित करना असंभव, 'इवेंचुअल इंट्रोडक्शन' के लिए रोडमैप तैयार करेंगे: एनएलयू के कंसोर्टियम ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा

कंसोर्टियम ऑफ नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया है कि दिसंबर में होने वाली CLAT 2024 परीक्षा को क्षेत्रीय भाषाओं में आयोजित करना "लगभग असंभव" है। हालांकि कंसोर्टियम ने कहा कि वह उचित विचार-विमर्श के बाद आने वाले महीनों में परीक्षा में अतिरिक्त भाषाओं की इवेंचुअल इंट्रोडक्शन' के लिए एक सुविचारित रोडमैप तैयार करने में सक्षम होगा।कंसोर्टियम ने कहा,“हालांकि, आगामी CLAT 2024 परीक्षा (दिसंबर 2023 में आयोजित होने वाली) के लिए पहले से ही तैयारियों के उन्नत चरण को देखते हुए आंतरिक रूप से...

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अधिनियम: मुआवजे के बंटवारे पर विवाद केवल मूल क्षेत्राधिकार के प्रधान सिविल न्यायालय द्वारा तय किया जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अधिनियम: मुआवजे के बंटवारे पर विवाद केवल 'मूल क्षेत्राधिकार के प्रधान सिविल न्यायालय' द्वारा तय किया जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केवल मूल क्षेत्राधिकार का प्रधान सिविल न्यायालय ही राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अधिनियम, 1956 के तहत मुआवजे की राशि के बंटवारे के संबंध में उत्पन्न विवाद का निर्धारण कर सकता है।जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि मुआवजे के लिए भुगतान की जाने वाली राशि का निर्धारण और राशि के बंटवारे के बीच एक अच्छा अंतर है।इस मामले में, सक्षम प्राधिकारी यानी विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी ने अधिनियम की धारा 3 जी के तहत एक निर्णया पारित किया और अधिग्रहित भूमि के लिए...

अल जजीरा की डॉक्यूमेंट्री इंडिया: हू लिट द फ्यूज के खिलाफ जनहित याचिका में जवाब दाखिल करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूनियन ऑफ इंडिया,    सीबीएफसी को 4 सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया
अल जजीरा की डॉक्यूमेंट्री 'इंडिया: हू लिट द फ्यूज' के खिलाफ जनहित याचिका में जवाब दाखिल करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूनियन ऑफ इंडिया, सीबीएफसी को 4 सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया

अल जजीरा की डॉक्यूमेंट्री "इंडिया....हु लिट द फ़्यूज़?" के भारत में प्रसारण/रिलीज़ के संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को भारत सरकार, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड और अल जजीरा मीडिया नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए 4 सप्ताह का और समय दिया। उल्लेखनीय है कि डॉक्यूमेंट्री ‌के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर कुमार ने फिल्म को इस आधार पर चुनौती दी है कि उक्त फिल्म के प्रसारण से नागरिकों के...

भरण-पोषण का भुगतान न करने पर पुलिस एफआईआर दर्ज कर सकती है क्योंकि यह आर्थिक दुर्व्यवहार, डीवी अधिनियम के तहत संरक्षण आदेश का उल्लंघन है: मद्रास हाईकोर्ट
भरण-पोषण का भुगतान न करने पर पुलिस एफआईआर दर्ज कर सकती है क्योंकि यह आर्थिक दुर्व्यवहार, डीवी अधिनियम के तहत संरक्षण आदेश का उल्लंघन है: मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि भरण-पोषण का भुगतान न करना अधिनियम की धारा 18 के तहत सुरक्षा आदेश का उल्लंघन है और उस आधार पर एफआईआर दर्ज करना वैध है।मदुरै पीठ के जस्टिस केके रामकृष्णन ने कहा कि घरेलू हिंसा के खिलाफ महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम की धारा 31 सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने और सुरक्षा आदेश के उल्लंघनकर्ता को विनियमित करने के लिए बनाई गई थी। कोर्ट ने भरण-पोषण राशि जमा न कर पाने को अपराध और गुनाह मानते हुए इस प्रावधान को जीवनरक्षक दवा बताया।अदालत डीवी अधिनियम की धारा 31 के तहत...

दोषी, विचाराधीन कैदी समाज का हिस्सा, जेलों के अंदर उनकी हत्या न्यायपालिका पर धब्बा: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को कैदियों के वेतन संशोधन पर दृढ़ता से कार्रवाई करने का निर्देश दिया
दोषी, विचाराधीन कैदी समाज का हिस्सा, जेलों के अंदर उनकी हत्या न्यायपालिका पर 'धब्बा': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को कैदियों के वेतन संशोधन पर दृढ़ता से कार्रवाई करने का निर्देश दिया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश की जेलों की दयनीय स्थिति, वहां बंद दोषियों और विचाराधीन कैदियों की दुर्दशा को गंभीरता से लेते हुए हाल ही में राज्य सरकार को ऐसे जेल कैदियों के लिए वेतन नीति को संशोधित करने के लिए कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया। इस बात पर जोर देते हुए कि कैदी भी समाज का हिस्सा हैं, न्यायालय ने राज्य सरकार को याद दिलाया कि जब तक जेलों के अंदर सम्मानजनक मानव अस्तित्व के लिए (जेल फेकल्टीज़ के अंदर) स्थितियां सुनिश्चित नहीं की जाती हैं, तब तक न्याय वितरण प्रणाली गरिमा के साथ...

नाबालिग के कपड़े उतारना और उसके ऊपर सोना, निजी अंग में लिंग घुसाने के लिए कहना यौन उत्पीड़न है, बलात्कार नहीं: उड़ीसा हाईकोर्ट
नाबालिग के कपड़े उतारना और उसके ऊपर सोना, निजी अंग में लिंग घुसाने के लिए कहना 'यौन उत्पीड़न' है, बलात्कार नहीं: उड़ीसा हाईकोर्ट

उड़ीसा हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में कहा कि 12 साल से कम उम्र की लड़की को निर्वस्त्र करना, उसके ऊपर सोना और आरोपी का नाबालिग से उसके गुप्तांग में पुरुष अंग घुसाने के लिए कहना बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता है। जस्टिस संगम कुमार साहू की सिंगल जज बेंच ने कहा कि ऐसा कृत्य यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 ('पॉक्सो अधिनियम') की धारा 10 के तहत दंडनीय 'गंभीर यौन उत्पीड़न' के दायरे में आएगा।आरोपी-अपीलकर्ता के खिलाफ सजा के आदेश को संशोधित करते हुए, बेंच ने कहा,“मुख्य परीक्षण में...

गुजरात हाईकोर्ट ने 2016 में सार्वजनिक रूप से व्यक्ति के साथ मारपीट करने और उसकी परेड कराने के आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ अवमानना के आरोप तय किए
गुजरात हाईकोर्ट ने 2016 में सार्वजनिक रूप से व्यक्ति के साथ मारपीट करने और उसकी परेड कराने के आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ अवमानना के आरोप तय किए

गुजरात हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति की हिरासत में पिटाई करने और उसकी सार्वजनिक रूप से परेड कराने के आरोपी पांच पुलिसकर्मियों के खिलाफ अदालत की अवमानना के आरोप तय किए हैं।जस्टिस एएस सुपेहिया और जस्टिस एमआर मेंगडे की डिवीजन बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी।बेंच ने कहा- “देखो, वो एक कट्टर आतंकवादी हो सकता है, लेकिन ये आपको कानून के खिलाफ काम करने का अधिकार नहीं देता है।"अदालत ने कहा कि इन पुलसकर्मियों ने अरनेश कुमार और डी.के. बसु जजमेंट में का उल्लंघन किया है।बजिन पांच पुलिसकर्मियों पर अवमानना के आरोप तय...

पटना हाईकोर्ट ने बोधगया मंदिर के पास अवैध निर्माण का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका खारिज की
पटना हाईकोर्ट ने बोधगया मंदिर के पास अवैध निर्माण का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका खारिज की

पटना हाईकोर्ट ने बोधगया मंदिर के 100 मीटर के दायरे में अवैध निर्माण का आरोप लगाने वाली उस जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया, जिसे 2001 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने कहा,"यह सामान्य कानून है कि हाईकोर्ट के समक्ष एक ही राहत के लिए बार-बार याचिका दायर नहीं की जा सकती, भले ही यह सार्वजनिक हित में हो, खासकर ही याचिकाकर्ता द्वारा।"याचिकाकर्ता सुदामा कुमार ने दूसरी बार याचिका दायर कर आरोप लगाया कि बोधगया मंदिर...

सीपीसी की धारा 92 प्रक्रिया तीसरे पक्ष के खिलाफ सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा दायर मुकदमे पर लागू नहीं होती: कर्नाटक हाईकोर्ट
सीपीसी की धारा 92 प्रक्रिया तीसरे पक्ष के खिलाफ सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा दायर मुकदमे पर लागू नहीं होती: कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने माना कि किसी सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट को किसी तीसरे पक्ष के खिलाफ स्थायी निषेधाज्ञा का मुकदमा दायर करने से पहले नागरिक प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) की धारा 92 के तहत क्षेत्राधिकार वाली जिला अदालत से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है।जस्टिस सूरज गोविंदराज की एकल न्यायाधीश पीठ ने डॉ. नरसिम्हालु नंदिनी मेमोरियल एजुकेशन ट्रस्ट और अन्य द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी, जिसमें ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई, जिसने सीपीसी की धारा 92 के तहत उनके आवेदन को खारिज कर दिया था, जिसमें...

महिलाओं के संपत्ति अधिकारों पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- इस युग में महिलाओं को केवल पति की सहायक मानकर उनकी स्वायत्त स्थिति को कम करना अभिशाप है
महिलाओं के संपत्ति अधिकारों पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- इस युग में महिलाओं को केवल पति की 'सहायक' मानकर उनकी स्वायत्त स्थिति को कम करना अभिशाप है

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि आज के युग में एक महिला को "केवल अपने पति के सहायक के रूप में" मानकर उसकी स्वायत्त स्थिति को कम करना अभिशाप है, खासकर उस संबंध में जिसे कानून उसकी पूर्ण संपत्ति मानता है।जस्टिस अनुप जयराम भंभानी ने सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के आदेश VII नियम 11 के तहत एक पत्नी द्वारा दिए गए एक आवेदन को स्वीकार कर लिया, जिसमें उसे और उसके पति को शहर के राजौरी गार्डन स्थित एक संपत्ति का किसी भी तीसरे पक्ष के अधिकार बनाने से रोकने के लिए स्थायी निषेधाज्ञा के आदेश की याचिका को खारिज करने...

[मोदी-चोर टिप्पणी] गुजरात हाईकोर्ट ने मानहानि मामले में दोषसिद्धि को निलंबित करने की राहुल गांधी की याचिका खारिज की
['मोदी-चोर' टिप्पणी] गुजरात हाईकोर्ट ने मानहानि मामले में दोषसिद्धि को निलंबित करने की राहुल गांधी की याचिका खारिज की

गुजरात हाईकोर्ट ने आज यानी शुक्रवार को 'मोदी चोर' टिप्पणी मामले में आपराधिक मानहानि मामले में सजा पर रोक लगाने के लिए कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद राहुल गांधी की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी।जस्टिस हेमंत प्रच्छक की पीठ ने आदेश सुनाते हुए कहा, "(गांधी) बिल्कुल गैर-मौजूद आधार पर दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। दोषसिद्धि पर रोक कोई नियम नहीं है। (गांधी) के खिलाफ 10 मामले लंबित हैं। राजनीति में शुचिता की जरूरत है... एक मामला कैंब्रिज में गांधी द्वारा वीर सावरकर के खिलाफ शब्दों का...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राजनेता श्रीकांत त्यागी को राहत देने से इनकार किया, कहा- हिंसा चुनने वाला व्यक्ति ये दलील नहीं दे सकता कि राज्य को उसके जीवन की रक्षा के लिए उपाय करना चाहिए
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राजनेता श्रीकांत त्यागी को राहत देने से इनकार किया, कहा- हिंसा चुनने वाला व्यक्ति ये दलील नहीं दे सकता कि राज्य को उसके जीवन की रक्षा के लिए उपाय करना चाहिए

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि एक व्यक्ति, जिसने हिंसा चुना है और उसके पास मानव जीवन का कोई मूल्य नहीं है, उसे यह दलील देने का कोई अधिकार नहीं है कि राज्य को उसके प्रतिद्वंद्वियों से उसके जीवन की रक्षा के लिए विशेष उपाय करना चाहिए।जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस प्रशांत कुमार की पीठ ने नोएडा स्थित राजनेता श्रीकांत त्यागी और उनकी पत्नी द्वारा दायर एक रिट याचिका को खारिज करते हुए ये टिप्पणी की, जिन्होंने इस तथ्य के आधार पर पुलिस सुरक्षा की मांग की थी कि उन्हें लगातार जान से मारने की...

ट्रायल कोर्ट शपथ लेकर बयान देने के आधार पर उस आरोपी के खिलाफ संज्ञान नहीं ले सकता जिसके खिलाफ चार्जशीट दायर न की गई हो : तेलंगाना हाईकोर्ट
ट्रायल कोर्ट शपथ लेकर बयान देने के आधार पर उस आरोपी के खिलाफ संज्ञान नहीं ले सकता जिसके खिलाफ चार्जशीट दायर न की गई हो : तेलंगाना हाईकोर्ट

तेलंगाना हाईकोर्ट ने एक आरोपी के खिलाफ पुलिस द्वारा आरोप पत्र दायर नहीं किए जाने के बावजूद संज्ञान लेने के ट्रायल कोर्ट का आदेश रद्द कर दिया।अदालत ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498-ए और दहेज निषेध अधिनियम की धारा 3 और 4 के तहत मामले में निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर यह आदेश पारित किया। यह तर्क दिया गया कि चार्जशीट में दर्ज अभियुक्तों और याचिकाकर्ता के खिलाफ गवाहों के शपथ लेकर दिए गए बयानों के आधार पर संज्ञान लिया गया।जस्टिस जी अनुपमा चक्रवर्ती ने कहा कि वारंट मामले...

गुजरात हाईकोर्ट ने भूमि अधिग्रहण मामले में मूल्यांकन आदेश और नोटिस को फिर से खोलने को रद्द किया, कहा, मुआवजे पर पूंजीगत लाभ की तरह टैक्स नहीं लगेगा
गुजरात हाईकोर्ट ने भूमि अधिग्रहण मामले में मूल्यांकन आदेश और नोटिस को फिर से खोलने को रद्द किया, कहा, मुआवजे पर पूंजीगत लाभ की तरह टैक्स नहीं लगेगा

गुजरात हाईकोर्ट ने भूमि अधिग्रहण मामले में याचिकाकर्ता को जारी मूल्यांकन आदेश और नोटिस को फिर से खोलने को रद्द करते हुए फैसला सुनाया कि मुआवजे पर पूंजीगत लाभ की तरह टैक्स नहीं लगेगा।जस्टिस आशुतोष शास्त्री और जस्टिस सी. दोशी की खंडपीठ ने उपरोक्त फैसला सुनाते हुए रेखांकित किया कि अधिकारियों की कार्रवाई केवल राय में बदलाव पर आधारित है और इसमें औचित्य का अभाव है।यह मामला अनिलाबेन रोहितभाई मोदी के साथ-साथ अन्य सह-मालिकों पर केंद्रित है, जिनके पास गांव खोराज, तालुका साणंद में जमीन का टुकड़ा है।...

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने अवैध रूप से प्रेग्नेंसी को टर्मिनेट करने के आरोपी आयुर्वेद स्त्री रोग विषेशज्ञ को अंतरिम अग्रिम जमानत दी
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने अवैध रूप से प्रेग्नेंसी को टर्मिनेट करने के आरोपी आयुर्वेद स्त्री रोग विषेशज्ञ को अंतरिम अग्रिम जमानत दी

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने आयुर्वेद स्त्री रोग विषेशज्ञ को अग्रिम जमानत याचिका में अंतरिम जमानत दे दी है, जिस पर बिना अनुमति के प्रेग्नेंसी को टर्मिनेंट करने का आरोप है।जस्टिस पंकज जैन की पीठ ने गिरफ्तारी से पहले जमानत की मांग करने वाली उनकी याचिका पर नोटिस जारी करते हुए कहा,“इस बीच गिरफ्तारी की स्थिति में याचिकाकर्ता को गिरफ्तार करने वाले अधिकारी/जांच अधिकारी की संतुष्टि के लिए व्यक्तिगत और ज़मानत बांड प्रस्तुत करने के अधीन अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाएगा।पिछले महीने पुलिस स्टेशन पूंडरी,...

सरकार केवल जाति आधारित सर्वेक्षण करा रही है, जनगणना नहीं; भागीदारी स्वैच्छिक: बिहार सरकार ने हाईकोर्ट में कहा
'सरकार केवल जाति आधारित सर्वेक्षण करा रही है, जनगणना नहीं; भागीदारी स्वैच्छिक': बिहार सरकार ने हाईकोर्ट में कहा

पटना हाईकोर्ट के समक्ष दायर बिहार राज्य में जाति-आधारित सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली रिट याचिकाओं पर आपत्ति जताते हुए, बिहार सरकार ने हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया है कि वह राज्य के लोगों की सामाजिक और आर्थिक खुशहाली और जाति पर डेटा एकत्र करने के लिए जाति-आधारित सर्वेक्षण करने में सक्षम है। सरकार ने कहा कि लोगों को अपनी जाति घोषित करने के लिए मजबूर नहीं किया जा रहा है और पूरी प्रक्रिया में भागीदारी पूरी तरह से स्वैच्छिक है और यह तथ्य इसे जाति-आधारित जनगणना से अलग बनाता है, जिसमें जाति की...

किसी के सिर पर 5 साल तक तलवार नहीं लटकाई जा सकती, इसे खत्म करना चाहिए: एस गुरुमूर्ति के खिलाफ अवमानना मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा
'किसी के सिर पर 5 साल तक तलवार नहीं लटकाई जा सकती, इसे खत्म करना चाहिए': एस गुरुमूर्ति के खिलाफ अवमानना मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि 2018 में जस्टिस एस मुरलीधर के खिलाफ ट्वीट के लिए तमिल राजनीतिक साप्ताहिक "तुगलक" के संपादक और आरएसएस विचारक एस गुरुमूर्ति के खिलाफ दायर आपराधिक अवमानना मामले को शांत किया जाना चाहिए और वह किसी के सिर पर पांच साल तक तलवार लटका कर नही रख सकता। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से पेश वकील अमन भल्ला से कहा, “हमारा विचार है कि सज्जन अदालत के समक्ष उपस्थित हुए हैं, उन्होंने अपना पश्चाताप व्यक्त किया है। कभी-कभी...