पटना हाईकोर्ट ने बोधगया मंदिर के पास अवैध निर्माण का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका खारिज की

Shahadat

7 July 2023 6:22 AM GMT

  • पटना हाईकोर्ट ने बोधगया मंदिर के पास अवैध निर्माण का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका खारिज की

    पटना हाईकोर्ट ने बोधगया मंदिर के 100 मीटर के दायरे में अवैध निर्माण का आरोप लगाने वाली उस जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया, जिसे 2001 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।

    चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने कहा,

    "यह सामान्य कानून है कि हाईकोर्ट के समक्ष एक ही राहत के लिए बार-बार याचिका दायर नहीं की जा सकती, भले ही यह सार्वजनिक हित में हो, खासकर ही याचिकाकर्ता द्वारा।"

    याचिकाकर्ता सुदामा कुमार ने दूसरी बार याचिका दायर कर आरोप लगाया कि बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति मंदिर के पास अनधिकृत निर्माण कर रही है, जो न केवल संरक्षित स्मारक है बल्कि पुरातात्विक स्थल भी है।

    याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि निर्माण बिहार भवन उपनियम, 2014 और बिहार नगरपालिका अधिनियम, 2007 के प्रावधानों का उल्लंघन करता है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि निर्माण बोधगया नगर परिषद से आवश्यक मंजूरी के बिना हुआ।

    कुमार ने पहले भी इसी तरह की याचिका दायर की थी। अदालत ने तब याचिका को किसी भी ठोस सबूत से रहित और केवल बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति के खिलाफ आरोपों से रहित पाया।

    वर्तमान रिट याचिका में कुमार ने कहा कि उन्होंने गया के जिला मजिस्ट्रेट सह बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष को अभ्यावेदन देकर मामला उठाया था। अदालत को बताया गया कि नगर परिषद बोधगया गया के कार्यपालक पदाधिकारी ने बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति के सचिव से बोधगया मंदिर का स्वीकृत नक्शा उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। याचिकाकर्ता के अनुसार, हालांकि इसकी विधिवत आपूर्ति की गई, लेकिन मामले पर आगे कोई कार्रवाई नहीं की गई।

    खंडपीठ ने कहा कि मौजूदा याचिका उन्हीं खामियों से ग्रस्त है, जो पिछले फैसले में बताई गई थीं।

    खंडपीठ ने कहा,

    "याचिकाकर्ता ने ज्ञापन में मंदिर के इतिहास के बारे में विस्तार से बताया, लेकिन इसमें निर्माण या कथित उल्लंघनों के बारे में कोई विशेष विवरण नहीं है।"

    यह देखा गया कि हालांकि याचिकाकर्ता ने 2014 के उप-कानूनों और 2007 के अधिनियम के उल्लंघन का संदर्भ दिया है, लेकिन कोई विशेष प्रावधान नहीं बताए गए। इसमें कहा गया कि यहां तक कि मंदिर को संरक्षित स्मारक और पुरातात्विक स्थल घोषित करने की भी किसी भी सामग्री से पुष्टि नहीं होती है।

    अदालत ने कहा,

    "न तो पुरातत्व विभाग, जिसने साइट को संरक्षित स्मारक घोषित किया है, न ही नगर परिषद, जिस पर आवश्यक मंजूरी जारी नहीं करने का आरोप है, उसको याचिका में शामिल किया गया। केवल इस दावे के अलावा कि निर्माण अवैध है, वहां भी है रिट याचिका को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार करने के लिए बिल्कुल भी कोई सबूत प्रस्तुत नहीं किया गया।'

    केस टाइटल: सुदामा कुमार बनाम बिहार राज्य और अन्य सिविल रिट क्षेत्राधिकार केस नंबर 7999/2023

    अपीयरेंस:

    याचिकाकर्ता/ओं के लिए: कुमार शुभम, प्रतिवादी नंबर 3 के लिए: ललित किशोर, बिनीता सिंह, प्रतिवादी 6 और 7 के लिए: अशोक कुमार और राज्य के लिए: मनीष कुमार, जीपी-4।

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