['मोदी-चोर' टिप्पणी] गुजरात हाईकोर्ट ने मानहानि मामले में दोषसिद्धि को निलंबित करने की राहुल गांधी की याचिका खारिज की

Shahadat

7 July 2023 5:40 AM GMT

  • [मोदी-चोर टिप्पणी] गुजरात हाईकोर्ट ने मानहानि मामले में दोषसिद्धि को निलंबित करने की राहुल गांधी की याचिका खारिज की

    गुजरात हाईकोर्ट ने आज यानी शुक्रवार को 'मोदी चोर' टिप्पणी मामले में आपराधिक मानहानि मामले में सजा पर रोक लगाने के लिए कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद राहुल गांधी की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी।

    जस्टिस हेमंत प्रच्छक की पीठ ने आदेश सुनाते हुए कहा,

    "(गांधी) बिल्कुल गैर-मौजूद आधार पर दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। दोषसिद्धि पर रोक कोई नियम नहीं है। (गांधी) के खिलाफ 10 मामले लंबित हैं। राजनीति में शुचिता की जरूरत है... एक मामला कैंब्रिज में गांधी द्वारा वीर सावरकर के खिलाफ शब्दों का इस्तेमाल करने के बाद वीर सावरकर के पोते द्वारा पुणे कोर्ट में (गांधी) के खिलाफ मामला दायर किया गया है... दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार करने से किसी भी तरह से आवेदक के साथ अन्याय नहीं होगा। दोषसिद्धि पर रोक लगाने का कोई उचित आधार नहीं है। दोषसिद्धि न्यायसंगत, उचित और कानूनी है।''

    जस्टिस हेमंत प्रच्छक की पीठ ने 2 मई को गांधी की याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया था।

    आपराधिक मानहानि का मामला 2019 के लोकसभा अभियान के दौरान गांधी द्वारा की गई टिप्पणी पर दायर किया गया था।

    ललित मोदी, नीरव मोदी जैसे लोगों का जिक्र करते हुए गांधी ने पूछा था,

    ''सभी चोरों का उपनाम एक जैसा क्यों होता है?''

    यह आरोप लगाते हुए कि गांधी की टिप्पणी ने पूरे मोदी समुदाय को बदनाम किया है, भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया।

    गांधी ने कहा है कि जब उन्होंने यह बयान दिया था तो उनका कोई गलत इरादा नहीं था।

    23 मार्च, 2023 को सूरत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने गांधी को दोषी ठहराया और 2 साल कैद की सजा सुनाई, जिसके बाद उन्हें लोकसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया। हालांकि, उनकी सजा निलंबित कर दी गई और उसी दिन उन्हें जमानत भी दे दी गई, जिससे वह 30 दिनों के भीतर अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ अपील कर सकें।

    गांधी ने 3 अप्रैल को अपनी दोषसिद्धि पर आपत्ति जताते हुए सूरत सत्र न्यायालय का रुख किया और अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग की, जिसे 20 अप्रैल को खारिज कर दिया गया। हालांकि, सूरत सत्र न्यायालय ने 3 अप्रैल को गांधी को उनकी अपील के निपटारे तक जमानत दे दी थी।

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