अल जजीरा की डॉक्यूमेंट्री 'इंडिया: हू लिट द फ्यूज' के खिलाफ जनहित याचिका में जवाब दाखिल करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूनियन ऑफ इंडिया, सीबीएफसी को 4 सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया

Avanish Pathak

7 July 2023 3:53 PM IST

  • अल जजीरा की डॉक्यूमेंट्री इंडिया: हू लिट द फ्यूज के खिलाफ जनहित याचिका में जवाब दाखिल करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूनियन ऑफ इंडिया,    सीबीएफसी को 4 सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया

    अल जजीरा की डॉक्यूमेंट्री "इंडिया....हु लिट द फ़्यूज़?" के भारत में प्रसारण/रिलीज़ के संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को भारत सरकार, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड और अल जजीरा मीडिया नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए 4 सप्ताह का और समय दिया। उल्लेखनीय है कि डॉक्यूमेंट्री ‌के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है।

    सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर कुमार ने फिल्म को इस आधार पर चुनौती दी है कि उक्त फिल्म के प्रसारण से नागरिकों के बीच वैमनस्य पैदा होने और राष्ट्र की अखंडता को खतरा होने की संभावना है।

    हाईकोर्ट ने 14 जून को जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए फिल्म के प्रसारण की अनुमति देने से होने वाले 'बुरे परिणामों' के मद्देनजर भारत में फिल्म के प्रसारण/रिलीज करने पर रोक लगा दी।

    जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की पीठ ने केंद्र सरकार और सूचना और प्रसारण मंत्रालय को यह सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाने का भी निर्देश दिया कि फिल्म को तब तक प्रसारित करने की अनुमति न दी जाए जब तक कि इसकी सामग्री की जांच अधिकारियों द्वारा नहीं की जाती है, और सक्षम प्राधिकारी से आवश्यक प्रमाणीकरण/प्राधिकरण प्राप्त नहीं किया जाता है।

    जनहित याचिका

    जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि फिल्म की रिलीज/प्रसारण से विभिन्न धार्मिक संप्रदायों के बीच नफरत पैदा होने की संभावना है और इससे भारतीय राज्य के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को नष्ट होने की संभावना है और इससे सामाजिक अशांति पैदा होने और सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता और नैतिकता को परेशान करने की संभावना है।

    याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि फिल्म जानबूझकर अपने विघटनकारी कथानक के माध्यम से भारत के सबसे बड़े धार्मिक समुदायों के बीच दरार पैदा करना और सार्वजनिक घृणा की भावना पैदा करना चाहती है।

    इसमें यह भी कहा गया है कि फिल्म देश के विभिन्न धार्मिक संप्रदायों से संबंधित नागरिकों के बीच वैमनस्य पैदा करने के लिए तथ्यों के विकृत संस्करणों को प्रचारित करने का प्रस्ताव करती है।

    अंत में, यह प्रस्तुत किया गया कि संबंधित फिल्म के प्रसारण के लिए अल जजीरा द्वारा लागू अधिनियमों के तहत सक्षम प्राधिकारी से कोई प्रमाणपत्र प्राप्त नहीं किया गया था। इस कथन पर यूनियन ऑफ इंडिया की ओर से पेश वकील की ओर से भी विवाद नहीं किया गया।

    केस टाइटलः सुधीर कुमार बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और 4 अन्य [सार्वजनिक हित याचिका संख्या - 1407/2023]

    ऑर्डर पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

    Next Story