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2000 से अधिक ट्रांस कम्युनिटी के सदस्यों ने केंद्र सरकार से लॉकडाउन के दौरान एक विशेष पैकेज की मांग की
2000 से अधिक ट्रांस कम्युनिटी के सदस्यों ने केंद्र सरकार से लॉकडाउन के दौरान एक विशेष पैकेज की मांग की

पूरे देश के ट्रांसजेंडर समुदाय के 2000 से अधिक सदस्यों ने एक विशेष पैकेज के लिए गृह, वित्त और सामाजिक न्याय मंत्रालय से अपील की है। ताकि यह सुनिश्चित हो सकें कि COVID-19 महामारी के मद्देनजर लगाए गए लॉकडाउन के दौरान देशभर के ट्रांसजेंडर लोगों की आजीविका, खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य गंभीर रूप से प्रभावित न हो पाए। इस पत्र में नोवल कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के एक उपाय के रूप में सामाजिक दूरी के महत्व पर जोर दिया गया है। पत्र में कहा गया है कि यह सभी को पता है कि ट्रांसजेंडर...

न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता को मंगलवार शाम 5 बजे राजभवन में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की मौजूदगी में बॉम्बे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई। COVID 19 के मद्देनजर सामाजिक दूरी बनाते हुए शपथ ग्रहण समारोह डिप्टी सीएम अजीत पवार और उच्च न्यायालय के कुछ न्यायाधीशों जैसे बहुत कम मेहमानों की उपस्थिति में हुआ। उपस्थित सभी लोगों ने मास्क पहने हुए थे। जस्टिस दत्ता बॉम्बे हाईकोर्ट के 45 वें मुख्य न्यायाधीश हैं। उन्हें मुख्य...

केरल हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों के 6 ‌दिन का वेतन रोकने के केरल सरकार के आदेश पर लगाई रोक
केरल हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों के 6 ‌दिन का वेतन रोकने के केरल सरकार के आदेश पर लगाई रोक

केरल हाईकोर्ट ने मंगलवार को केरल सरकार के एक निर्देश पर दो महीने के लिए रोक लगा दी। केरल सरकार ने निर्देश में COVID-19 के कारण वित्तीय संकट का हवाला देते हुए अप्रैल 2020 से पांच महीने तक के लिए सरकारी कर्मचारियों की 6 दिनों की सैलरी का भुगतान स्‍थगित करने को कहा था। 23 अप्रैल को जारी आदेश में वित्त विभाग ने कहा था कि 20,000 रुपये महीने से अधिक के वेतन वाले सरकारी और सरकारी स्वायत्त निकायों के सभी कर्मचारियों के मासिक वेतन के छह दिनों का भुगतान अप्रैल 2020 से अगले 5 महीने तक स्‍थगित किया जाता...

कब जारी होगा गैर-जमानती वारंट और कुर्की का आदेश? झारखंड हाईकोर्ट ने किया साफ
कब जारी होगा गैर-जमानती वारंट और कुर्की का आदेश? झारखंड हाईकोर्ट ने किया साफ

झारखंड हाईकोर्ट ने दोहराया है कि सीआरपीसी के तहत गिरफ्तारी का गैर जमानती वांरट, प्रक्रिया और कुर्की का आदेश यांत्रिक तरीके से जारी नहीं किया जा सकता है। कोर्ट को ऐसे आदेश पारित करने से पहले पूर्व-आवश्यकताओं के संबंध में संतुष्ट होना होगा। जस्टिस आनंद सेन की पीठ ने कहा, "आदेश में व्यक्तिपरक संतुष्टि की रिकॉर्डिंग न करना आदेश को गलत और नहीं बोलने वाला बना देता है। एक न बोलने वाला आदेश, जिसमें एक प्रक्रिया शामिल है जो एक एक दंडनीय अपराध को आकर्षित करती है, (यदि आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता है),...

वकीलों की छवि कथित तौर पर खराब करने के लिए वेब सीरीज़ हसमुख का प्रसारण रोकने की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने नेटफ्लिक्स से जवाब मांगा
वकीलों की छवि कथित तौर पर खराब करने के लिए वेब सीरीज़ हसमुख का प्रसारण रोकने की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने नेटफ्लिक्स से जवाब मांगा

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को मीडिया स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स और वेब-सीरीज़ 'हसमुख' के निर्माताओं से उनके शो के प्रसारण रोकने की मांग करने वाली याचिका पर जवाब मांगा। इस याचिका में कहा गया है कि उक्त शो ने वकीलों की छवि खराब की है। उच्च न्यायालय ने वेब सीरीज़ के प्रसारण पर अंतरिम रोक लगाने की मांग पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने नेटफ्लिक्स और वेब-सीरीज़ के निर्माता और निर्देशक को सूट पर अपने लिखित बयान दर्ज करने के लिए कहा, जिसमें शो के प्रसारण पर स्थायी रोक लगाने...

महिलाओं की घरेलू हिंसा से सुरक्षा के लिए अस्थाई सुरक्षा अधिकारी की नियुक्ति हो सकती है या नहीं? दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा
महिलाओं की घरेलू हिंसा से सुरक्षा के लिए अस्थाई सुरक्षा अधिकारी की नियुक्ति हो सकती है या नहीं? दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा

लॉकडाउन के दौरान महिलाओं के ख़िलाफ़ घरेलू हिंसा की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने संबंधित अधिकारी से पूछा है कि नियमित नियुक्ति होने तक अस्थाई सुरक्षा अधिकारियों की नियुक्ति की जा सकती है या नहीं। केंद्र और दिल्ली सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों पर ग़ौर करते हुए न्यायमूर्ति डीएन पटेल और न्यायमूर्ति हरि शंकर की खंडपीठ ने कहा कि हेल्पलाइन पर जो कॉल का जवाब देते हैं उसे आम मुश्किलों की शिकायत का हल सुझाने में प्रशिक्षित होना चाहिए और इस तरह की व्यवस्था बनाने की ज़रूरत है ताकि इस...

राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने न्यायिक या प्रशासनिक मामलोंं में किसी व्यक्ति की जाति का उल्लेख नहींं करने के निर्देश दिये

पिछले सप्ताह एक न्यायिक आदेश में जाति के नाम के उल्लेख के विवाद के बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने सोमवार को एक अधिसूचना जारी की कि किसी भी व्यक्ति जिसमें अभियुक्त भी शामिल हैं, उसकी जाति का किसी भी न्यायिक या प्रशासनिक मामले में उल्लेख नहीं किया जाना चाहिए। अधिसूचना में कहा गया कि जाति का ऐसा उल्लेख "संविधान की भावना" के खिलाफ है और 2018 में हाईकोर्ट द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों के भी विपरीत है। रजिस्ट्रार जनरल द्वारा जारी आदेश में कहा कि "इसलिए, यह सुनिश्चित करना सभी संबंधितों पर निर्भर है कि...

द‌िल्‍ली हाईकोर्ट ने द‌िल्‍ली सरकार को राशन की दुकानों की निगरानी का दिया निर्देश, यह सुनिश्‍चित करने को कहा कि सभी लाभार्थ‌ियों को राशन मिलता रहे
द‌िल्‍ली हाईकोर्ट ने द‌िल्‍ली सरकार को राशन की दुकानों की निगरानी का दिया निर्देश, यह सुनिश्‍चित करने को कहा कि सभी लाभार्थ‌ियों को राशन मिलता रहे

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि सभी सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) खुले रहें और पीडीएस योजना के अनुसार लाभार्थियों को कुशलतापूर्वक राशन वितरित होता रहे। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की एकल पीठ ने भी दिल्ली सरकार से कहा है कि वह सब डिवीजनल मजिस्ट्रेटों के माध्यम से प्रत्येक राशन की दुकान के कामकाज की निगरानी करें, और प्रत्येक दिन के बाद राशन के वितरण पर डेटा अपलोड करें। मामले की तात्कालिकता पर ध्यान देते हुए कोर्ट ने कहा: 'इस समय यह सुनिश्चित करने का प्रयास...

विशेष क़ानून के तहत क़ैदियों/विचाराधीन क़ैदियों को नहीं छोड़ना भेदभाव है कि नहीं, निर्णय करें : बॉम्बे हाईकोर्ट ने उच्चाधिकार  समिति से कहा
विशेष क़ानून के तहत क़ैदियों/विचाराधीन क़ैदियों को नहीं छोड़ना भेदभाव है कि नहीं, निर्णय करें : बॉम्बे हाईकोर्ट ने उच्चाधिकार समिति से कहा

बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की उच्च अधिकार समिति से इस बात पर ग़ौर करने को कहा है कि COVID 19 के कारण क़ैदियों को पैरोल पर छोड़ने को लेकर आईपीसी के प्रावधानों के तहत क़ैदियों/विचाराधीन कैदियों और विशेष क़ानूनों जैसे एमपीआईडी, एमसीओसीए, एनडीपीएस, पीएमएलए, यूएपीए के क़ैदियों में अंतर करना भेदभावपूर्ण है कि नहीं। न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी स्वतः संज्ञान लेते हुए एक मामले की सुनवाई कर रहे थे जिसे बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश को एडवोकेट एसबी तलेकर के पत्र लिखने के बाद याचिका में बदल दिया...

ईडब्ल्यूएस वर्ग के छात्रों को ऑनलाइन क्लास की सुविधा के लिए लैपटॉप/टैब्लेट्स और हाई स्पीड इंटरनेट दिए जाने की मांग को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका
ईडब्ल्यूएस वर्ग के छात्रों को ऑनलाइन क्लास की सुविधा के लिए लैपटॉप/टैब्लेट्स और हाई स्पीड इंटरनेट दिए जाने की मांग को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका

दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर अदलत से आग्रह किया गया है कि वह दिल्ली सरकार को आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के छात्रों को ऑनलाइन क्लास का लाभ उठाने में मदद करने के लिए उन्हें लैपटॉप/टैबलेट्स और हाई स्पीड इंटरनेट उपलब्ध कराने का निर्देश दे। जस्टिस फ़ॉर ऑल नामक एक एनजीओ की याचिका में ऑनलाइन क्लास का लाभ उठाने में आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग और कमज़ोर वर्ग (डीजी) को जो मुश्किलें पेश आ रही हैं, उन्हें दूर करने के लिए दिल्ली सरकार को निर्देश देने की मांंग अदालत से की गई है। शिक्षा...

सीमित मामलों की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट अन्य मामलों की भी सुनवाई करेगा,  सर्कुलर पढ़ें
सीमित मामलों की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट अन्य मामलों की भी सुनवाई करेगा, सर्कुलर पढ़ें

COVID 19 के प्रकोप के कारण अदालत इन चुनिंदा में मामलों की ही सुनवाई हो रही है। अदालत के प्रतिबंधित कामकाज के दौरान उठाए जाने वाले मामलों की प्रकृति के विस्तार करने की योजना के तहत दिल्ली उच्च न्यायालय ने कुछ और मामलों के नए सेट की एक सूची जारी की है जिन्हें अब सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जा सकता है। 26/04/20 के आदेश से अदालत ने निम्नलिखित मामलों में भी सुनवाई शुरू करने का फैसला किया है: घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 से महिलाओं की सुरक्षा से संबंधित मामले।वैवाहिक मामले (भरण पोषण, मुलाक़ात अधिकार...

वाद के शीर्षक में पक्षकार की जाति का उल्लेख करना समानता के सिद्धांत के खिलाफ: वकील ने राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सीजेआई को लिखा पत्र
वाद के शीर्षक में पक्षकार की जाति का उल्लेख करना समानता के सिद्धांत के खिलाफ: वकील ने राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सीजेआई को लिखा पत्र

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) को एक पत्र लिखकर कोर्ट फाइलिंग के दौरान वाद शीर्षक/ शपथपत्रों/ मेमो (ज्ञापन) में पक्षकार की जाति का उल्लेख करने की 'प्रतिगामी प्रक्रिया' को लेकर चिंता दर्ज करायी गयी है। वकील अमित पई द्वारा लिखे गये पत्र में कहा गया है कि वाद शीर्षक (कॉज टाइटल) में पक्षकार की जाति का उल्लेख करना समानता के खास सिद्धांत के खिलाफ है। इस निराशाजनक प्रक्रिया को निरस्त करने का सीजेआई से अनुरोध करते हुए उन्होंने कहा, "हमारी विधिक प्रणाली एवं संविधान में जाति का कोई स्थान नहीं है।" ...