सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह सुप्रीमकोर्ट के ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

LiveLaw News Network

22 Sep 2020 12:43 PM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह सुप्रीमकोर्ट के ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    14 सितंबर 2020 से 18 सितंबर 2020 तक सुप्रीम कोर्ट कोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र.....

    सुप्रीम कोर्ट ने न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (NBA) से पूछा, "क्या आप टीवी देखते हैं?"

    सुदर्शन न्यूज टीवी के विवादास्पद शो के खिलाफ मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अपने स्वयं के नियमों को लागू करने में ढिलाई पर न्यूज ब्रॉडकास्टर एसोसिएशन (NBA) को फटकार लगाई है। पीठ के अध्यक्ष न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने NBA को 'टूथलेस' कहा। न्यायाधीश ने एनबीए की वकील अधिवक्ता निशा भंभानी से पूछा, "क्या आप टीवी देखते हैं या नहीं? आपने खबर में क्या चल रहा है इसे नियंत्रित नहीं किया है।"

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    "अगर एक चैनल मुस्लिमों द्वारा OBC का लाभ लेने पर आपत्ति जताता है तो इसे सांप्रदायिक नहीं कहा जा सकता" : सुदर्शन टीवी के लिए श्याम दीवान ने दलील दी

    न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ द्वारा दिए गए स्थगन आदेश पर विवाद करते हुए, चैनल ने कहा है कि यह शो "खोजी पत्रकारिता" से बना है, जो आतंकवादी जुड़े संगठनों के "अवैध विदेशी धन" को यूपीएससी के लिए कोचिंग संस्थानों के लिंक का खुलासा करता है जो अल्पसंख्यक समुदाय के लिए काम करते हैं। चैनल के लिए पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने तर्क दिया कि एडिटर-इन-चीफ का मानना ​​है कि यह शो खोजी पत्रकारिता से जुड़े ठोस तथ्यों पर आधारित है और सच्चाई को अपने दर्शकों तक पहुंचाना मीडिया का कर्तव्य है। उन्होंने आश्वासन दिया कि चैनल इस बात से सचेत है कि कार्यक्रम लाइव स्ट्रीमिंग है और जहां तक ​​कहानी का संबंध है, यह किसी विशेष समुदाय के खिलाफ नहीं है और वो सिर्फ तथ्यों को प्रस्तुत करना चाहते हैं।

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    स्टाम्प ड्यूटी के अभाव में "दस गुना जुर्माने" की प्रावधान यांत्रिक तरीके से नहीं लगेगाः सुप्रीम कोर्ट:

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भारतीय स्टाम्प अधिनियम की धारा 40 (1) (बी) के तहत निर्धारित दस गुना जुर्माना यांत्रिक रूप से नहीं लगाया जा सकता है। जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस आर सुभाष रेड्डी की बेंच ने कहा कि वंचित करने के लिए धोखाधड़ी या छल या अनुचित समृद्धि जैसे कारण किसी निर्णय पर पहुंचने के लिए प्रासंगिक कारक हैं कि धारा 40 (1) (बी) के तहत दंड की सीमा क्या होनी चाहिए। धारा 40 (1) (बी) के अनुसार, यदि कलेक्टर की राय है कि ऐसा उपकरण ड्यूटी से संबंधित है और इसकी विधिवत स्टाम्प नहीं लगी है, तो उसके लिए उचित शुल्क के भुगतान की आवश्यकता होगी या उसे बनाने के लिए आवश्यक राशि, साथ में पांच रुपये का जुर्माना; या, यदि वह उचित समझता है, तो एक राशि जो उचित ड्यूटी की मात्रा से दस गुना अधिक या कमी वाले भाग से अधिक नहीं हो।

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    [मोटर वाहन दुर्घटना दावा] स्थायी अक्षमता के मामलों में भविष्य की संभावनाओं के नुकसान के लिए मुआवजा दिया जा सकता है : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मोटर दुर्घटना के परिणामस्वरूप होने वाली स्थायी अक्षमता के मामलों में भविष्य की संभावनाओं के नुकसान के लिए मुआवजा दिया जा सकता है। जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस एस रविंद्र भट की पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के साथ असहमति जताई कि "भविष्य की संभावनाओं" के लिए आय में वृद्धि केवल मौत के मामले में दी जा सकती है, चोट के लिए नहीं। यह कहा गया है कि न्यायालयों को एक रूढ़िवादी या अदूरदर्शी दृष्टिकोण को नहीं अपनाना चाहिए, बल्कि इसके बजाय, जीवन की वास्तविकताओं को ध्यान में रखते हुए अक्षमता की सीमा का आकलन और विभिन्न हेड के तहत मुआवजा, दोनों को देखें।

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    "अगर उन्होंने कुछ मूर्खतापूर्ण कहा है, तो हम इसे अनदेखा कर देंगे": जस्टिस चंद्रचूड़ ने सुरेश चव्हाणके के ट्वीट पर अवमानना की अर्जी पर कहा

    सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को सुदर्शन टीवी के एडिटर-इन-चीफ सुरेश चव्हाणके के खिलाफ अदालत द्वारा उनके शो 'बिंदास बोल' का प्रसारण रोकने का आदेश पारित करने के बाद उनके ट्वीट्स के लिए स्वत: संज्ञान आपराधिक अवमानना का मुकदमा दायर करने की याचिका को स्वीकार करने से इंकार कर दिया। याचिकाकर्ता फिरोज इकबाल खान की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप चौधरी ने कहा कि उन्होंने चव्हाणके के खिलाफ अदालत के आदेश के जवाब में उनके ट्वीट के खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला चलाने की याचिका दायर की है क्योंकि अदालत के आदेश के जवाब में उनके ट्वीट "अपमानजनक" हैं।

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    सुप्रीम कोर्ट NLAT 2020 के खिलाफ याचिका पर 21 सितंबर को फैसला सुनाएगा

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ऑफ इंडिया, बैंगलोर द्वारा सोमवार को एक अलग परीक्षा (NLAT) के आयोजन को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को फैसला सुनाएगा। जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की एक बेंच NLSIU के पूर्व कुलपति, प्रो (डॉ) आर वेंकट राव और CLAT के इच्छुक माता-पिता द्वारा NLSIU बैंगलोर को CLAT 2020 से अचानक वापस हटने और अलग से NLAT 2020 परीक्षा आयोजित करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

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    बार-बार अर्जियां दायर करना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग: सुप्रीम कोर्ट ने आदर्श घोटाला मामले के अभियुक्त पर लगाया 25 हजार का जुर्माना

    सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार अंतरिम जमानत याचिकाएं दायर करने के लिए आदर्श घोटाला मामले के आरोपी राज कुमार मोदी पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट की खंडपीठ ने मेडिकल के आधार पर अंतरिम जमानत को बढ़ाने संबंधी अर्जी खारिज करते हुए कहा कि बार-बार अर्जियां दायर करना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। मोदी को 15 जून 2020 को सुप्रीम कोर्ट से मां की गम्भीर बीमारी के नाम पर दो महीने की अवधि के लिए अंतरिम जमानत मिली थी। उसके बाद उसने यह कहते हुए अंतरिम जमानत को अगले छह के लिए बढ़ाने की अर्जी दायर की थी कि उसकी मां का निधन हो गया है और उसे कुछ रस्म पूरे करने हैं। उसने यह भी दलील दी कि उसकी पत्नी भी गम्भीर रूप से बीमार है। कोर्ट ने एक महीने के लिए अंतरिम जमानत अवधि बढ़ाने का आदेश देकर अर्जी का निपटारा कर दिया था। साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया गया कि अब अंतरिम जमानत अवधि बढ़ाने संबंधी कोई याचिका नहीं सुनी जायेगी।

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    सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों द्वारा फीस जमा करने के लिए एक उचित समय अवधि प्रदान करने की मांग करने वाली याचिका पर लॉ स्टूडेंट से कहा: "हाईकोर्ट जाइए"

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को याचिकाकर्ता को स्वतंत्रता दी कि वह उच्च न्यायालय में उस याचिका को दाखिल करे जिसमें बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को उचित दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई है कि एक सर्कुलर जारी कर भारत भर में सभी विश्वविद्यालयों और संस्थानों को छात्रों द्वारा फीस जमा करने के लिए एक उचित समय अवधि प्रदान की जाए और इसके साथ-साथ उनके द्वारा की गई सभी शिकायतों का पता लगाने के लिए एक सामान्य निवारण तंत्र को अपनाया जाए।

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    "खोजी पत्रकारिता कर रहे हैं.. किसी के प्रति बैर भाव नहीं हैं": सुदर्शन टीवी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया

    अखिल भारतीय सेवाओं में मुसलमानों के प्रवेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट में विवादास्पद कार्यक्रम 'बिंदास बोल' का बचाव करते हुए सुदर्शन न्यूज टीवी ने दावा किया है कि वह "नागरिकों और सरकार को राष्ट्र विरोधी और समाज विरोधी गतिविधियों के बारे में जगाने के लिए खोजी पत्रकारिता... कर रहा है।" चैनल के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके ने अपनी ओर से जो हलफनामा प्रस्तुत किया है, उसमें आगे कहा है कि उनका किसी भी समुदाय या व्यक्ति के खिलाफ कोई दुर्भावना नहीं है और यह भी चार एपिसोड जो प्रसारित किए गए हैं उनमें कोई बयान या संदेश नहीं था कि किसी विशेष समुदाय के सदस्यों को यूपीएससी में शामिल नहीं होना चाहिए।

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    सुप्रीम कोर्ट की अलग-अलग पीठें स्थापित करने के विचार का सुप्रीम कोर्ट ने ही समर्थन नहीं किया हैः कानून मंत्रालय

    कानून और न्याय मंत्रालय ने दोहराया है कि सुप्रीम कोर्ट की अलग-अलग पीठें स्थापित करने की उसकी कोई योजना नहीं है, क्योंकि प्रस्ताव को सुप्रीम कोर्ट ने ही समर्थन नहीं दिया है। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को लोकसभा में बताया, "देश के विभिन्न हिस्सों में सुप्रीम कोर्ट की पीठ स्थापना करने के लिए कई प्रस्तुतिकरण प्राप्‍त होते रहे हैं। विधि आयोग ने अपनी 229 वीं रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया था कि दिल्ली में एक संवैधानिक पीठ का गठन किया जाए और चार कैसेसन बेंचों की स्‍थापना दिल्‍ली स्थित उत्तरी क्षेत्र में, चेन्नई / हैदराबाद स्‍थित दक्षिणी क्षेत्र में , कोलकाता स्‍थित पूर्वी क्षेत्र में, और मुंबई स्‍थित पश्चिमी क्षेत्र में की जाए। हालांकि दिल्ली के बाहर सुप्रीम कोर्ट की अलग बेंच के विचार सुप्रीम कोर्ट ने ही समर्थन नहीं किया है।"

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    सुप्रीम कोर्ट ने विशेष विवाह अधिनियम के शादी से पहले निजी विवरण को सार्वजनिक करने के प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया

    उस प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया जिसमें कहा गया है कि उन्हें विवाह से पहले विवाह के 30 दिनों से पहले, अपने निजी विवरणों को जांच के लिए सार्वजनिक करने की आवश्यकता होती है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के उस प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया जिसमें कहा गया है कि उन्हें विवाह से पहले विवाह के 30 दिनों से पहले, अपने निजी विवरणों को जांच के लिए सार्वजनिक करने की आवश्यकता होती है।

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    विलम्ब और लिमिटेशन पर विचार करते वक्त अभियुक्त को उसके अपील के अधिकार से वंचित नहीं किया जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है कि विलम्ब और निर्धारित समय सीमा (लिमिटेशन) पर विचार करते वक्त अभियुक्त को उसके अपील के अधिकार से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। इस मामले में अभियुक्त को हत्या का दोषी ठहराया गया था और और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। दोषी ने उड़ीसा हाईकोर्ट के समक्ष अपील फाइल की थी। हाईकोर्ट ने अपील फाइल करने में 1192 दिनों की देरी को आधार बनाकर उसे खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट द्वारा इस मामले में मेरिट के आधार पर विचार नहीं किये जाने के तथ्य का संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट का फैसला निरस्त कर दिया और अपील पर फिर से सुनवाई के लिए हाईकोर्ट के पास भेज दिया। जिसके बाद ओडिशा सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी।

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    इलाहाबाद HC में जज के तौर पर नियुक्ति के लिए SC कॉलेजियम में सिफारिश न करने पर UP के 7 न्यायिक अफसरों की याचिका पर SC ने नोटिस जारी किया:

    सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए 14 अगस्त, 2020 की सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश में उत्तर प्रदेश राज्य से कुछ न्यायिक अधिकारियों को शामिल न करने को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया है। एडवोकेट अरुणा गुप्ता के माध्यम से राज्य के सात न्यायिक अधिकारियो द्वारा दायर की गई याचिका में कॉलेजियम से उनके मामलों में पुनर्विचार के लिए आग्रह किया है। उन्होंने प्रस्तुत किया है कि जबकि हाईकोर्ट कॉलेजियम ने उनके नाम की सिफारिश की थी, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने केवल जिला और सत्र न्यायाधीश सुभाष चंद को ही पदोन्नति देने का प्रस्ताव किया है।

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    सांसदों/विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामले: सुप्रीम कोर्ट ने एमिकस क्यूरी के सुझावों पर फैसला सुरक्षित रखा

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एमिकस क्यूरी, विजय हंसारिया की देश भर में सांसदों/विधायकों (वर्तमान और पूर्व) के खिलाफ लंबित आपराधिक मुकदमों के शीघ्र निपटारे की अर्जी पर अपने आदेश सुरक्षित रख लिए। सुनवाई के दौरान, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के माध्यम से केंद्र ने कहा कि वह सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मुकदमों की प्रक्रिया को तेज करने के उद्देश्य से दिए गए आदेश का स्वागत करेगा। 10 सितंबर, 2020 को शीर्ष अदालत के आदेश के अनुसार, विशेष विधानों के तहत वर्तमान और पूर्व सांसदों/विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों के विवरण पर विभिन्न उच्च न्यायालयों ने अपनी रिपोर्ट एमिकस क्यूरी और वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया को भेजी थीं।

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    सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कहा : एनडीपीएस की धारा 50 केवल निजी तलाशी के मामले में लागू

    सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के एक पुजारी को दोषी ठहराते हुए एक बार फिर कहा है कि नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (एनडीपीएस) की धारा 50 केवल निजी तलाशी के मामले में लागू होती है। अभियुक्त ने इस मामले में एनडीपीएस अधिनियम की धारा 50 के प्रावधानों पर अमल न किए जाने का मुद्दा उठाया था। अभियुक्त के अनुसार, नमूने एक अधिकारी को सौंपे गए थे, जिसने या तो खुद ही दूसरे अधिकारी को नमूने दिए या खुद दिल्ली स्थित सेंट्रल लैबोरेट्री तक लेकर पहुंचाया तथा इसका प्रमाण निदेशक के पास था। ऐसी स्थिति में नमूने के साथ छेड़छाड़ की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता

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    मंगेतर से शादी करने के लिए हत्या के एक दोषी को सुप्रीम कोर्ट ने दो दिन की अंतरिम ज़मानत दी:

    सुप्रीम कोर्ट ने अपने मंगेतर से शादी करने के लिए हत्या के एक दोषी को दो दिन की अंतरिम जमानत दी है। इस अवधि के दौरान वह पुलिस एस्कॉर्ट के अधीन रहेगा। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ ने दिया है, जिसमें जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, इंदु मल्होत्रा ​​और केएम जोसेफ शामिल हैं। विशाल उर्फ़ बंटी को ट्रायल कोर्ट द्वारा एक हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था और उसकी अपील दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है।

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    जोधपुर NLU छात्र की संदिग्ध मौत: सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट को रद्द किया, नए सिरे से जांच करने का दिया आदेश

    सुप्रीम कोर्ट ने जोधपुर स्थित नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में तृतीय वर्ष के छात्र विक्रांत नगाइच की अगस्त 2017 में हुई रहस्यमय मौत के मामले की जांच राज्य पुलिस से केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को स्थानांतरित करने की मांग करने वाली याचिका पर आदेश सुनाते हुए पुलिस को नए सिरे से मामले की जांच करने के निर्देश दिए हैं। न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ ने राजस्थान पुलिस द्वारा दाखिल क्लोजर रिपोर्ट को रद्द कर दिया है।

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    वयस्क अविवाहित बेटी, यदि किसी शारीरिक या मानसिक असमानता से पीड़ित नहीं है, तो धारा 125 सीआरपीसी के तहत पिता से भरण-पोषण का दावा नहीं कर सकती : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि वयस्क हो चुकी अविवाहित बेटी, यदि वह किसी शारीरिक या मानसिक असामान्यता/चोट से पीड़ित नहीं है तो धारा 125 सीआरपीसी की कार्यवाही के तहत, अपने पिता से भरण-पोषण का दावा करने की हकदार नहीं है।

    तीन जजों की बेंच, जिसकी अध्यक्षता जस्टिस अशोक भूषण ने की, ने कहा कि हिंदू दत्तक एवं भरण-पोषण अधिनियम, 1956 की धारा 20 (3) पर भरोसा करें तो एक अविवाहित हिंदू बेटी अपने पिता से भरण-पोषण का दावा कर सकती है, बशर्ते कि वह यह साबित करे कि वह अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ है, जिस अधिकार के लिए उसका आवेदन/ वाद अधिनियम की धारा 20 के तहत होना चाहिए। बेंच में शामिल अन्य जज जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह थे।

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    [3 दशक पुराना मुल्तानी हत्या मामला] सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के पूर्व DGP सुमेध सिंह सैनी की गिरफ्तारी पर रोक लगाई:

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक सुमेध सिंह सैनी को गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की, जो 1991 के बलवंत सिंह मुल्तानी अपहरण और हत्या मामले में आरोपी हैं। कोर्ट ने उनके द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया है।

    जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ जिसमें जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह भी शामिल थे, ने सैनी द्वारा दायर याचिका पर दलीलें सुनीं, जिसमें पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के 7 सितंबर के आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी और पीठ ने 3 सप्ताह की अवधि के भीतर राज्य द्वारा जवाब दायर करने तक कोई गिरफ्तारी ना करने के निर्देश जारी किए।

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    आप एक समुदाय को टारगेट नहीं कर सकते और उन्हें एक विशेष तरीके से ब्रांड नहीं कर सकते: सुप्रीम कोर्ट ने सुदर्शन टीवी के शो 'यूपीएससी ज़िहाद' पर रोक लगाई

    सुप्रीम कोर्ट ने सुदर्शन टीवी को मुसलमानों द्वारा संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाएं पास करने पर आधारित अपने विवादित कार्यक्रम 'बिंदास बोल' की बची हुई कड़ियों को अगले आदेश तक प्रसारण करने से रोक दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी प्रथम दृष्टया टिप्पणी में कहा कि काय्रक्रम का उद्देश्य मुस्लिमानों को अपमानित करना है।

    जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, इंदु मल्होत्रा ​​और केएम जोसेफ की पीठ ने मंगलवार को शो के प्रसारण पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई की। सुदर्शन टीवी के मुख्य संपादक सुरेश चव्हाणके द्वारा आयोजित शो के खिलाफ याचिका में आरोप लगाया गया था कि यह यूपीएससी में मुसलमानों के प्रवेश को सांप्रदायिक रूप दे रहा था

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    सुदर्शन टीवी के कार्यक्रम 'यूपीएससी ज़िहाद' पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "यह बहुत ही कपटपूर्ण, क्या आज़ाद समाज में इसे बर्दाश्त किया जा सकता है"

    सुप्रीम कोर्ट ने सुदर्शन टीवी पर संघ लोक सेवा आयोग में मुसलमानों के प्रवेश के संबंध में आयोजित कार्यक्रम पर सख्त ‌‌टिप्पणी की है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है, "यह कार्यक्रम बहुत कपटपूर्ण है। एक विशेष समुदाय के नागरिक जो एक ही परीक्षा से गुजरते हैं और एक ही पैनल को साक्षात्कार देते हैं। यह यूपीएससी परीक्षा पर भी सवाल उठाता है। हम इन मुद्दों से कैसे निपटते हैं? क्या इसे बर्दाश्त किया जा सकता है?"

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    सुप्रीम कोर्ट हिरासत में टॉर्चर पर नई गाइडलाइन बनाने के लिए डीके बसु केस को फिर से खोलने की याचिका पर सुनवाई करेगा:

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हिरासत में टॉर्चर से संबंधित मामले की सुनवाई 7 अक्टूबर, 2020 तक टाल दी और एमिकस क्यूरी व वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ अभिषेक मनु सिंघवी को सुनवाई होने पर पर दलीलें शुरू करने के लिए कहा। जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस विनीत सरन की पीठ में हिरासत टॉर्चर को खत्म करने के लिए विस्तृत दिशानिर्देशों की आवश्यकता के बारे में याचिकाओं के एक समूह की सुनवाई कर रही थी। जून 2020 में तमिलनाडु में जयराज और बेनिक्स के पिता-पुत्र की जोड़ी की हिरासत में मौत की भयावह घटना के मद्देनज़र यह याचिका दायर की गई थी।

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    [सीपीसी की धारा 25] महज याचिका के निपटारे में विलंब के एक मात्र आधार पर इसे एक अदालत से दूसरी अदालत में स्थानांतरित नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

    "प्रत्येक कोर्ट के अपने अधिकार क्षेत्र होते हैं।" सुप्रीम कोर्ट ने एक स्थानांतरण याचिका खारिज करते हुए कहा है कि याचिका के निपटारे में विलम्ब के एक मात्र आधार पर उस याचिका को एक अदालत से दूसरी अदालत में स्थानांतरित नहीं किया जा सकता। इस मामले में याचिकाकर्ता ने तेलंगाना हाईकोर्ट में 2016 में दायर एक रिट अपील को दिल्ली हाईकोर्ट स्थानांतरित करने की इजाजत मांगी गयी थी। अपीलकर्ता ने दलील दी थी कि वह सब कुछ गंवा चुका है और अपने बेहतरीन प्रयासों के बावजूद हैदराबाद हाईकोर्ट में उसकी याचिका अंतिम निपटारे के लिए सूचीबद्ध नहीं की जा सकी है। रिट अपील तत्कालीन आंध्र प्रदेश सरकार (अब तेलंगाना) द्वारा शुरू की गयी भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया से संबंधित है

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    सुप्रीम कोर्ट ने मेधा पाटकर की महाराष्ट्र की जेलों में विशेष अधिनियम के तहत बंद कैदियों की अंतरिम रिहाई की मांग वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को COVID-19 के प्रसार के जोखिम के कारण महाराष्ट्र उच्चाधिकार प्राप्त समिति को महाराष्ट्र की जेलों से कैदियों की अंतरिम रिहाई की मांग उपयुक्त निर्देश पारित करने की याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया। जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम के साथ सीजेआई एसए बोबडे की पीठ एक विशेष अनुमति याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें महाराष्ट्र राज्य उच्चाधिकार प्राप्त समिति के विशेष अधिनियमों जैसे एनडीपीएस अधिनियम, यूएपीए, मकोका आदि के तहत 7 वर्ष से कम अपराधों में आपातकालीन पैरोल जारी न करने के फैसले को बरकरार रखने के बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है।

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    जब तक आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय फैसला नहीं लेता, रेल पटरियों के पास की झुग्गियों को नहीं हटाया जाएगा : केंद्र ने SC को बताया

    केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि शीर्ष अदालत के 31 अगस्त के आदेश के तहत दिल्ली में रेलवे ट्रैक के पास की झुग्गियों को तत्काल नहीं हटाया जाएगा। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के परामर्श से रेलवे जब तक 4 सप्ताह के भीतर समाधान नहीं ढूंढता तब तक रेल पटरियों के पास झुग्गियों को हटाया नहीं जाएगा।

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    "जुर्माना जमा करने का मतलब यह नहीं कि फैसला स्वीकार कर लिया, आज ही पुनर्विचार याचिका दाखिल करुंगा': प्रशांत भूषण ने अवमानना मामले में SC में 1 रुपया जमा किया

    एडवोकेट प्रशांत भूषण ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अपने दो ट्वीट्स पर अवमानना ​​मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाए गए एक रुपये के टोकन जुर्माने की राशि जमा की। सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में प्रवेश करने से पहले, भूषण ने अदालत परिसर के बाहर मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जुर्माना भरने के लिए उन्हें देश के कई कोनों से योगदान मिला, और उन लोगों को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए ऐसे योगदान से "सत्य निधि" बनाया जाएगा, जिन्हें असहमतिपूर्ण राय व्यक्त करने के लिए राज्य द्वारा जेल में डाला गया हो।

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