सुप्रीम कोर्ट की अलग-अलग पीठें स्थापित करने के विचार का सुप्रीम कोर्ट ने ही समर्थन नहीं किया हैः कानून मंत्रालय

LiveLaw News Network

17 Sep 2020 5:34 AM GMT

  • National Uniform Public Holiday Policy

    Supreme Court of India

    कानून और न्याय मंत्रालय ने दोहराया है कि सुप्रीम कोर्ट की अलग-अलग पीठें स्थापित करने की उसकी कोई योजना नहीं है, क्योंकि प्रस्ताव को सुप्रीम कोर्ट ने ही समर्थन नहीं दिया है।

    कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को लोकसभा में बताया, "देश के विभिन्न हिस्सों में सुप्रीम कोर्ट की पीठ स्थापना करने के लिए कई प्रस्तुतिकरण प्राप्‍त होते रहे हैं। विधि आयोग ने अपनी 229 वीं रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया था कि दिल्ली में एक संवैधानिक पीठ का गठन किया जाए और चार कैसेसन बेंचों की स्‍थापना दिल्‍ली स्थित उत्तरी क्षेत्र में, चेन्नई / हैदराबाद स्‍थ‌ित दक्षिणी क्षेत्र में , कोलकाता स्‍थ‌ित पूर्वी क्षेत्र में, और मुंबई स्‍थ‌ित पश्चिमी क्षेत्र में की जाए। हालांकि दिल्ली के बाहर सुप्रीम कोर्ट की अलग बेंच के विचार सुप्रीम कोर्ट ने ही समर्थन नहीं किया है।"

    रविशंकर प्रसाद दक्षिणी राज्यों की सुविधा के लिए चेन्नई में सुप्रीम कोर्ट बेंच की स्थापना के संदर्भ में DMK सांसदों एकेपी चिनराज और एस जगतराक्षकन द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे। यह पहली बार नहीं है कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की बेंच की स्थापना के अनुरोधों को अस्वीकार किया है।

    इसी साल बजट सत्र में मंत्रालय ने संसद को सूच‌ित किया था, "दिल्ली के बाहर सुप्रीम कोर्ट की एक अलग बेंच के विचार को सुप्रीम कोर्ट का समर्थन नहीं मिला है। भारत के अटॉर्नी जनरलों से भी समय-समय पर परामर्श किया गया है और उन्होंने भी सुप्रीम कोर्ट की क्षेत्रीय बेंचों की स्थापना के विचार का भी विरोध किया था।"

    मुख्य रूप से, संविधान के अनुच्छेद 130 में कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली में या ऐसे अन्य स्थान या स्थानों पर बैठेगा, जिसकी भारत के मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति की स्वीकृति के साथ, नियुक्ति कर सकते हैं।

    कुछ भाजपा सांसदों द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए, मंत्रालय ने खुलासा किया कि वर्तमान में, उच्चतम न्यायालय में 2 महिला जज और विभिन्न उच्च न्यायालयों में 78 महिला जज हैं। विभिन्न न्यायाधिकरणों या अधीनस्थ न्यायपालिकाओं में नियुक्त महिला जजों का कोई डेटा मंत्रालय द्वारा नहीं रखा जाता है।

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