ताज़ा खबरें

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश विधान परिषद कर्मचारी भर्ती प्रक्रिया की सीबीआई जांच के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश विधान परिषद कर्मचारी भर्ती प्रक्रिया की सीबीआई जांच के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलाहाबाद ‌हाईकोर्ट की खंडपीठ के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसके तहत केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को उत्तर प्रदेश विधान परिषद के कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया की प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया था।जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने 23 सितंबर को हाईकोर्ट द्वारा दिये गये फैसले के खिलाफ यूपी विधान परिषद द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिकाओं पर नोटिस जारी करते हुए अंतरिम आदेश पारित किया।मामला यूपी विधान परिषद सचिवालय (भर्ती एवं सेवा शर्ते) नियमावली, 1976,...

शिवसेना विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र स्पीकर को सख्त चेतावनी दी: अयोग्यता याचिकाओं पर जल्द फैसला करें
शिवसेना विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र स्पीकर को सख्त चेतावनी दी: अयोग्यता याचिकाओं पर जल्द फैसला करें

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (13 अक्टूबर) को दल-बदल विरोधी कानून के तहत एक-दूसरे के खिलाफ शिवसेना के उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुटों द्वारा दायर अयोग्यता याचिकाओं की सुनवाई के लिए संविधान की दसवीं अनुसूची में लंबा कार्यक्रम निर्धारित करने के लिए महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर की आलोचना की।सुनील प्रभु (उद्धव ठाकरे गुट के सदस्य) द्वारा स्पीकर द्वारा शीघ्र निर्णय लेने की मांग करते हुए दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्पीकर को कम से कम अगले लोकसभा चुनाव से पहले इस मामले पर...

क्या बिना मुहर लगे समझौते में आर्बिट्रेशन क्लॉज लागू करने योग्य है? सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बेंच ने फैसला सुरक्षित रखा
क्या बिना मुहर लगे समझौते में आर्बिट्रेशन क्लॉज लागू करने योग्य है? सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बेंच ने फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट की सात न्यायाधीशों की पीठ ने इस मुद्दे पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया कि क्या बिना मुहर लगा/अपर्याप्त मुहर लगा आर्बिट्रेशन अप्रवर्तनीय है।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ भास्कर राजू एंड ब्रदर्स और अन्य बनाम एस. धर्मरत्नाकर राय बहादुर अर्कोट नारायणस्वामी मुदलियार छत्रम और अन्य दान और अन्य मामले में अपने 2020 के फैसले के खिलाफ एक क्यूरेटिव...

मैं देश में कानूनी पेशे में एक महान भविष्य देखता हूं : जस्टिस अनिरुद्ध बोस
मैं देश में कानूनी पेशे में एक महान भविष्य देखता हूं : जस्टिस अनिरुद्ध बोस

जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने " न्याय वितरण प्रणाली और वकीलों की भूमिका " व्याख्यान दिया। जस्टिस बोस ने विषय की शुरुआत करते हुए कहा कि वकील महान निर्णयों में योगदान देते हैं लेकिन किसी तरह उन्हें लिखने वाले न्यायाधीशों का नाम हो जाता है। उन्होंने आगे कहा कि कम से कम, हमारी प्रणाली में किसी निर्णय पर पहुंचने के लिए न्यायाधीशों द्वारा वकीलों पर बहुत अधिक निर्भरता रखी जाती है। "हम इसे एक प्रतिकूल प्रणाली कहते हैं, जो दो वादियों के बीच है लेकिन वकीलों के साथ यह एक सहयोगी प्रणाली है। "उन्होंने लंबित मामलों...

आंध्र प्रदेश फाइबरनेट घोटाला मामले में हाईकोर्ट द्वारा अग्रिम जमानत देने से इनकार करने के बाद चंद्र बाबू नायडू ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया
आंध्र प्रदेश फाइबरनेट घोटाला मामले में हाईकोर्ट द्वारा अग्रिम जमानत देने से इनकार करने के बाद चंद्र बाबू नायडू ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नारा चंद्रबाबू नायडू ने राज्य में फाइबरनेट घोटाले में अग्रिम जमानत देने से इनकार करने वाले आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला त्रिवेदी की बेंच आज इस मामले पर सुनवाई करेगी। पीठ गुरुवार दोपहर दो बजे कौशल विकास घोटाला मामले में एफआईआर रद्द करने की उनकी याचिका पर भी सुनवाई करेगी।तेलुगु देशम पार्टी के अध्यक्ष पर राज्य में टीडीपी कार्यकाल के दौरान हुए एपी फाइबरनेट घोटाले में 'महत्वपूर्ण भूमिका'...

भ्रूण की मां से अलग कोई पहचान नहीं होती; शारीरिक और मानसिक आघात के जोखिम पर महिला को गर्भधारण के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता: जस्टिस नागरत्ना
भ्रूण की मां से अलग कोई पहचान नहीं होती; शारीरिक और मानसिक आघात के जोखिम पर महिला को गर्भधारण के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता: जस्टिस नागरत्ना

26 सप्ताह में अपनी अनियोजित प्रेग्नेंसी को टर्मिनेट करने की मांग करने वाली विवाहित महिला की याचिका पर 11 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट की दो-न्यायाधीशों की पीठ द्वारा पारित खंडित आदेश अपलोड किया गया।जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस बीवी नागरत्ना के बीच मतभेद को देखते हुए मामले को सीजेआई के नेतृत्व वाली 3-न्यायाधीशों की पीठ को भेजा गया। गौरतलब है कि दो जजों की बेंच ने शुरुआत में महिला की याचिका मंजूर कर ली थी। हालांकि, अगले दिन भारत संघ ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के डॉक्टर द्वारा भेजे गए ईमेल का...

बिलकिस बानो केस | सुप्रीम कोर्ट ने 11 दोषियों की समयपूर्व रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा; केंद्र, गुजरात से रिकॉर्ड तैयार करने को कहा
बिलकिस बानो केस | सुप्रीम कोर्ट ने 11 दोषियों की समयपूर्व रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा; केंद्र, गुजरात से रिकॉर्ड तैयार करने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को गुजरात में 2002 के सांप्रदायिक दंगों के दौरान बिलकिस बानो सहित कई हत्याओं और सामूहिक बलात्कार के लिए आजीवन कारावास की सजा पाए 11 दोषियों को सजा में छूट देने के गुजरात सरकार के फैसले के खिलाफ याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। पिछले साल स्वतंत्रता दिवस पर आजीवन कारावास की सजा काट रहे दोषियों को रिहा कर दिया गया था, जिससे काफी विवाद खड़ा हो गया था।अगस्त में शुरू हुई 11 दिनों की लंबी सुनवाई के बाद जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने आज अपना...

आईपीसी की धारा 149| अभियोजन को यह साबित करना होगा कि अभियुक्त सामान्य उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए किए जाने वाले अपराधों से अवगत था: सुप्रीम कोर्ट
आईपीसी की धारा 149| अभियोजन को यह साबित करना होगा कि अभियुक्त सामान्य उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए किए जाने वाले अपराधों से अवगत था: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 149 से जुड़े मामलों में सामान्य उद्देश्य स्थापित करने के लिए ठोस सबूत के महत्व पर जोर दिया। यह प्रावधान किसी गैरकानूनी जमावड़े के सदस्यों के पारस्परिक दायित्व से संबंधित है।कोर्ट ने कहा, "आईपीसी की धारा 149 के तहत किसी व्यक्ति को दोषी ठहराने के लिए अभियोजन पक्ष को सबूतों की मदद से यह स्थापित करना होगा कि सबसे पहले, अपीलकर्ताओं ने एक ही उद्देश्य साझा किया था और गैरकानूनी सभा का हिस्सा थे और दूसरी बात, यह साबित करना होगा कि वे होने...

महिला की स्वायत्तता महत्वपूर्ण, लेकिन अजन्मे बच्चे के अधिकारों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता: 26 सप्ताह के गर्भ को गिराने की विवाहित महिला की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा
'महिला की स्वायत्तता महत्वपूर्ण, लेकिन अजन्मे बच्चे के अधिकारों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता': 26 सप्ताह के गर्भ को गिराने की विवाहित महिला की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक महिला की स्वायत्तता और पसंद के अधिकारों को अजन्मे बच्चे के अधिकारों के साथ संतुलित करने के महत्व को रेखांकित किया।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ 26 सप्ताह की गर्भवती एक विवाहित महिला की गर्भावस्था को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।याचिकाकर्ता दो बच्चों की मां है। उसने अपनी तीसरी गर्भावस्था, जो अब 26वें सप्ताह में है, को समाप्त करने के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उसने...

उमर खालिद जमानत मामला: सुप्रीम कोर्ट ने समय की कमी का हवाला देते हुए सुनवाई स्थगित की; सिब्बल ने कहा- 20 मिनट में साबित हो सकता है कि कोई मामला नहीं है
उमर खालिद जमानत मामला: सुप्रीम कोर्ट ने समय की कमी का हवाला देते हुए सुनवाई स्थगित की; सिब्बल ने कहा- ''20 मिनट में साबित हो सकता है कि कोई मामला नहीं है''

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को समय की कमी का हवाला देते हुए दिल्ली दंगों की बड़ी साजिश के मामले में जेएनयू के पूर्व ‌रिसर्च स्कॉलर और एक्टिविस्ट उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी।वह सितंबर 2020 से तीन साल से अधिक समय से जेल में बंद है और दिल्‍ली में फरवरी 2020 में हुई सांप्रदायिक हिंसा के आसपास की साजिश में कथित संलिप्तता के लिए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत अपने मुकदमे की प्रतीक्षा कर रहे हैं। जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ खालिद की विशेष अनुमति...

मामलों को राजनीतिक आवश्यकताओं पर प्राथमिकता नहीं दी जानी चाहिए: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में धन विधेयक मुद्दे की प्राथमिकता पर सुनवाई का विरोध किया
"मामलों को राजनीतिक आवश्यकताओं पर प्राथमिकता नहीं दी जानी चाहिए": केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में धन विधेयक मुद्दे की प्राथमिकता पर सुनवाई का विरोध किया

केंद्र सरकार ने गुरुवार (12 अक्टूबर) को सुप्रीम कोर्ट द्वारा मनी बिल मुद्दे की सुनवाई को प्राथमिकता देने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि मामलों को "राजनीतिक अत्यावश्यकताओं" के आधार पर प्राथमिकता नहीं दी जानी चाहिए।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ 7-न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष 9 जजों की बेंच विभिन्न मामलों में पूर्व-सुनवाई कदमों के लिए निर्देश पारित कर रही...

सुप्रीम कोर्ट ने कॉर्पोरेट अस्पतालों द्वारा विज्ञापनों को विनियमित करने की याचिका पर नोटिस जारी किया
सुप्रीम कोर्ट ने कॉर्पोरेट अस्पतालों द्वारा विज्ञापनों को विनियमित करने की याचिका पर नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट ने 10 अक्टूबर को रिट याचिका पर नोटिस जारी किया। इस याचिका में कॉर्पोरेट अस्पताल द्वारा विज्ञापनों को विनियमित करने के निर्देश देने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जहां प्राइवेट मेडिकल डॉक्टर को विज्ञापन देने से प्रतिबंधित किया गया है, वहीं कॉर्पोरेट अस्पतालों पर ऐसा प्रतिबंध लागू नहीं है।जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने नारायण अनिरुद्ध मालपानी द्वारा दायर जनहित याचिका पर नेशनल मेडिकल कमीशन, भारत संघ और नैतिकता और मेडिकल...

जजमेंट में वादी की जाति या धर्म का उल्लेख कभी नहीं किया जाना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट ने सभी अदालतों से कहा
जजमेंट में वादी की जाति या धर्म का उल्लेख कभी नहीं किया जाना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट ने सभी अदालतों से कहा

सुप्रीम कोर्ट ने कुछ ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट द्वारा जजमेंट के काज़ टाइटल में किसी पक्षकार की जाति या धर्म का उल्लेख करने की प्रथा की निंदा की है। राजस्थान में एक बाल यौन शोषण मामले से उत्पन्न आपराधिक अपील पर निर्णय लेते समय सुप्रीम कोर्ट ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्णयों के काज़ टाइटल से यह देखकर आश्चर्यचकित रह गया कि प्रतिवादी की जाति का उल्लेख किया गया है। न्यायालय ने आगे कहा कि उसी दोष को विशेष अनुमति याचिका में आगे बढ़ाया गया, क्योंकि प्रतिवादी-अभियुक्त का विवरण न्यायालयों के निर्णयों के...

परिवार नियोजन हर नागरिक का दायित्व, विवाहित जोड़ों को अनचाही प्रेग्नेंसी से बचने के लिए सावधानियां बरतनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
परिवार नियोजन हर नागरिक का दायित्व, विवाहित जोड़ों को अनचाही प्रेग्नेंसी से बचने के लिए सावधानियां बरतनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (09.10.2023) को एक आदेश में 26 सप्ताह की प्रेग्नेंट विवाहित महिला की प्रेग्नेंसी को मेडिकल रूप से टर्मिनेट करने की अनुमति देते हुए परिवार नियोजन और पर्याप्त सावधानी बरतने के महत्व पर प्रकाश डाला है।जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस बीवी नागरत्ना की खंडपीठ ने हालांकि, 11 अक्टूबर को उक्त आदेश के खिलाफ संघ द्वारा दायर रिकॉल आवेदन पर सुनवाई करते हुए मामले को बड़ी पीठ के पास भेज दिया था। यूनियन द्वारा एक बाद की मेडिकल रिपोर्ट का हवाला देते हुए रिकॉल एप्लिकेशन दायर किया गया था,...

यौन अपराधों से पीड़ित बच्चों की काउंसलिंग कराएं, उनकी शिक्षा सुनिश्चित करें: सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को निर्देश दिया
यौन अपराधों से पीड़ित बच्चों की काउंसलिंग कराएं, उनकी शिक्षा सुनिश्चित करें: सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को निर्देश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब भी किसी बच्चे पर यौन हमला होता है तो राज्य या कानूनी सेवा प्राधिकरणों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चे को प्रशिक्षित बाल परामर्शदाता या बाल मनोवैज्ञानिक द्वारा परामर्श की सुविधा प्रदान की जाए। इससे पीड़ित बच्चों को सदमे से बाहर आने में मदद मिलेगी, जिससे वे भविष्य में बेहतर जीवन जी सकेंगे।कोर्ट ने आगे कहा कि राज्य को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अपराध के पीड़ित बच्चे अपनी शिक्षा जारी रखें।जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ ने कहा,"पीड़ित बच्चे के आसपास का...

वर्चुअल सुनवाई सुविधाएं विशेष आयु से ऊपर के वकीलों/वादकारियों तक सीमित नहीं की जा सकतीं: सुप्रीम कोर्ट
वर्चुअल सुनवाई सुविधाएं विशेष आयु से ऊपर के वकीलों/वादकारियों तक सीमित नहीं की जा सकतीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के सभी हाईकोर्ट में हाइब्रिड सुनवाई को अनिवार्य करते हुए हाईकोर्ट में समान मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) की अनुपस्थिति पर अपनी चिंता व्यक्त की और सुनवाई के लिए इलेक्ट्रॉनिक पहुंच के लिए स्पष्ट और सुसंगत दृष्टिकोण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने वर्तमान एसओपी में आयु-आधारित प्रतिबंधों के अस्तित्व की भी आलोचना की, जो केवल 65 वर्ष या उससे अधिक आयु के वकीलों और पक्षकारों के लिए हाइब्रिड मोड...

यदि दोषी का वकील अनुपस्थित है तो हाईकोर्ट को उसके लिए वकील नियुक्त करना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट ने बिना सुनवाई के आपराधिक अपील पर निर्णय लेने पर हाईकोर्ट की आलोचना की
'यदि दोषी का वकील अनुपस्थित है तो हाईकोर्ट को उसके लिए वकील नियुक्त करना चाहिए': सुप्रीम कोर्ट ने बिना सुनवाई के आपराधिक अपील पर निर्णय लेने पर हाईकोर्ट की आलोचना की

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में ट्रिपल मर्डर मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा विवादास्पद सजा की जांच की, जो सुनवाई के दौरान अपीलकर्ता के वकील की अनुपस्थिति को ध्यान में रखते हुए संशोधित आरोप पर आधारित थी। न्यायालय ने प्रक्रियात्मक त्रुटियों और आरोप के प्रस्तावित परिवर्तन के संबंध में नोटिस प्रदान करने में विफलता पर प्रकाश डाला, जिसके परिणामस्वरूप कानूनी सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ और अपीलकर्ता पर महत्वपूर्ण प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।कोर्ट ने कहा,“उस तारीख की ऑर्डर शीट में दर्ज है कि अपीलकर्ता का वकील...