यौन अपराधों से पीड़ित बच्चों की काउंसलिंग कराएं, उनकी शिक्षा सुनिश्चित करें: सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को निर्देश दिया

Shahadat

12 Oct 2023 5:02 AM GMT

  • यौन अपराधों से पीड़ित बच्चों की काउंसलिंग कराएं, उनकी शिक्षा सुनिश्चित करें: सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को निर्देश दिया

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब भी किसी बच्चे पर यौन हमला होता है तो राज्य या कानूनी सेवा प्राधिकरणों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चे को प्रशिक्षित बाल परामर्शदाता या बाल मनोवैज्ञानिक द्वारा परामर्श की सुविधा प्रदान की जाए। इससे पीड़ित बच्चों को सदमे से बाहर आने में मदद मिलेगी, जिससे वे भविष्य में बेहतर जीवन जी सकेंगे।

    कोर्ट ने आगे कहा कि राज्य को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अपराध के पीड़ित बच्चे अपनी शिक्षा जारी रखें।

    जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ ने कहा,

    "पीड़ित बच्चे के आसपास का सामाजिक माहौल हमेशा पीड़ित के पुनर्वास के लिए अनुकूल नहीं हो सकता है। केवल मौद्रिक मुआवजा पर्याप्त नहीं है। केवल मुआवजे का भुगतान सही मायने में पुनर्वास नहीं होगा।"

    खंडपीठ ने जोड़ा,

    "शायद जीवन में पीड़ित लड़कियों का पुनर्वास केंद्र सरकार के "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" अभियान का हिस्सा होना चाहिए। कल्याणकारी राज्य के रूप में ऐसा करना सरकार का कर्तव्य होगा। हम निर्देश दे रहे हैं कि प्रतियां इस फैसले को राज्य के संबंधित विभागों के सचिवों को भेजा जाना चाहिए।"

    न्यायालय ने अपनी रजिस्ट्री को इस फैसले की कॉपी केंद्र सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव को भेजने का निर्देश दिया, जिससे सरकार उपरोक्त टिप्पणियों के संदर्भ में उचित कार्रवाई कर सके।

    खंडपीठ ने राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा बच्ची से बलात्कार के दोषी को दी गई सजा को आजीवन कारावास से घटाकर बारह साल करने के आदेश को चुनौती देने वाली राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा दायर अपील पर फैसला करते हुए ये टिप्पणियां कीं। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई आजीवन कारावास की सजा को बहाल नहीं किया, लेकिन निर्देश दिया कि दोषी को बिना छूट के 14 साल की सजा काटनी होगी। न्यायालय ने अभियुक्त की कम उम्र (22 वर्ष) को कम करने वाले कारकों में से एक माना।

    न्यायालय ने राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि संबंधित पीड़ित मुआवजा योजना के तहत पीड़ित को उसकी पात्रता के अनुसार मुआवजा तुरंत दिया जाए, यदि पहले से भुगतान नहीं किया गया है।

    केस टाइटल: राजस्थान राज्य बनाम गौतम पुत्र मोहनलाल

    फैसला पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें




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