उमर खालिद जमानत मामला: सुप्रीम कोर्ट ने समय की कमी का हवाला देते हुए सुनवाई स्थगित की; सिब्बल ने कहा- ''20 मिनट में साबित हो सकता है कि कोई मामला नहीं है''

Avanish Pathak

12 Oct 2023 10:48 AM GMT

  • उमर खालिद जमानत मामला: सुप्रीम कोर्ट ने समय की कमी का हवाला देते हुए सुनवाई स्थगित की; सिब्बल ने कहा- 20 मिनट में साबित हो सकता है कि कोई मामला नहीं है

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को समय की कमी का हवाला देते हुए दिल्ली दंगों की बड़ी साजिश के मामले में जेएनयू के पूर्व ‌रिसर्च स्कॉलर और एक्टिविस्ट उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी।

    वह सितंबर 2020 से तीन साल से अधिक समय से जेल में बंद है और दिल्‍ली में फरवरी 2020 में हुई सांप्रदायिक हिंसा के आसपास की साजिश में कथित संलिप्तता के लिए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत अपने मुकदमे की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

    जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ खालिद की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें पिछले साल उसे जमानत देने से इनकार करने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी।

    खालिद की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा, "वह एक युवा छात्र है, पीएचडी ड‌िग्री होल्डर है, तीन साल से जेल में है, यह चल रहा है।"

    स‌िब्बल ने कहा, "अभी आरोप तय होने की कोई संभावना नहीं है, आप उसे कब तक वहां रखेंगे?"

    उन्होंने कहा,

    ''यह ऐसा मामला नहीं है कि उन्हें इस तरह विरोध करना चाहिए। उसने कभी भी कोई प्रत्यक्ष कार्य नहीं किया है, उसने इसे स्वीकार किया है। एकमात्र बात यह है कि वे किसी साजिश के बारे में बात कर रहे हैं, साजिश किसलिए? कोई भी धारा लागू नहीं होती है।"

    जब पीठ ने समय की कमी का हवाला देते हुए सुनवाई स्थगित करने की इच्छा जताई तो सिब्बल ने अनुरोध किया कि मामले की सुनवाई आज ही की जाए। उन्होंने कहा, "मैं बीस मिनट में दिखा सकता हूं कि कोई मामला ही नहीं है।"

    दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि मुकदमे की कार्यवाही में देरी आरोपियों द्वारा अंतरिम आवेदन दाखिल करने के कारण हुई है।

    उन्होंने कहा, "वे आरोप तय नहीं करने दे रहे हैं...।"

    एएसजी ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 207 का आवेदन दो साल तक चला। सिब्बल ने जवाब में कहा कि मामले में पांच पूरक आरोपपत्र दाखिल किये गये हैं। उन्होंने यह भी बताया कि मामले में तीन सह-आरोपियों (नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ इकबाल तन्हा) को दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है, जिसकी पुष्टि सुप्रीम कोर्ट ने की थी।

    अंततः, पीठ ने मामले को स्थगित कर दिया और इसे एक नवंबर को पोस्ट कर दिया। पीठ ने निर्देश दिया कि मामले को उस दिन पहले पांच प्वाइंट के भीतर सूचीबद्ध किया जाए।

    इस मामले में पहले जजों में से एक, जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा इस मामले से अलग ‌हो गए थे, जिन्हें पिछले महीने इसकी सुनवाई करनी थी। 18 मई को खालिद की याचिका पर शीर्ष अदालत द्वारा नोटिस जारी किए जाने के बाद से सुनवाई छह बार स्थगित की गई है।

    पीठ ने सुनवाई टालते हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल से यह बताने के लिए कहा कि क्या रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों के संदर्भ में यूएपीए के चैप्टर IV और VI के तहत अपराधों की सामग्री को समझा जा सकता है। अदालत ने कहा कि उसे प्रत्येक दस्तावेज़ की जांच करनी होगी ताकि यह आकलन किया जा सके कि आतंक के आरोप टिकाऊ थे या नहीं।

    केस टाइटलः उमर खालिद बनाम एनसीटी दिल्ली राज्य | विशेष अनुमति याचिका (आपराधिक) संख्या 6857/2023

    Next Story